Small Cap Stocks में निवेश से बरसेगा पैसा ही पैसा |

स्माल-कैप स्टॉक्स उन कंपनियों के होते हैं, जिनका मार्केट केपेटलाइजेशन 5,000 करोड़ रूपये से कम होता है। इन कंपनियों में तेज गति से विकास करने की ( high gorth ) क्षमता होती है। जो इन्हें निवेश के लिए आकर्षक बनाती है। स्माल कैप स्टॉक्स हाई वोलेटाइल हो सकते हैं, जिससे इन्वेस्टर्स के लिए इनमें हाई रिस्क हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं- स्मॉल-कैप शेयरों में निवेश से बरसेगा पैसा ही पैसा। Small Cap Stocks Companies in India Hindi. 

                                                                                           
Small cap stocks


यदि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं। अगर आप भी वॉरेन बफेट की तरह शेयर मार्केट से धन कमाना चाहते हैं तो आपको वॉरेन बफे के मैनेजमेंट सूत्र बुक जरूर पढ़ना चाहिए। 

Small Cap Stocks किसे कहते हैं? 

जिन कंपनियों का मार्केट केपेटलाइजेशन 5000 करोड़ रूपये से कम होता है। उन्हें small cap companies के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 95% भारतीय कंपनियां स्माल कैप के अंतर्गत आती हैं। अगर आप भी वॉरेन बफेट की तरह शेयर मार्केट से धन कमाना चाहते हैं तो आपको स्माल कैप कंपनियों में से अच्छी कंपनियां ढूढ़ना आना चाहिए। 

स्मॉल-कैप stocks या स्मॉल कैप इक्विटी, स्मॉल कैप कंपनियों के शेयर हैं। जिन्हें स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किया जाता है। जो इन्वेस्टर्स अपने investment पर अधिक रिटर्न चाहते हैं। वे स्मॉल कैप स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे इन्वेस्टर जिनके पास हाई रिस्क उठाने की क्षमता है। वे भी इनमें इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं। 

मार्केट रेग्युलेटर SEBI उन शेयरों को स्मॉल कैप कंपनियों के रूप में परिभाषित करता है। जो अपने मार्केट केपेटलाइजेशन के मामले में 251 वे नंबर पर या उससे आगे होती हैं। सेबी के अनुसार ये सभी small cap कंपनियां होती हैं। NSE & BSE दोनों के पास स्मॉल कैप शेयरों के प्रदर्शन को ट्रेक करने के लिए 'स्मॉल कैप इंडेक्स' है।

स्मॉल कैप स्टॉक इन्वेस्टर्स आमतौर पर उभरती हुई युवा कंपनियों की तलाश में रहते हैं। जो तेजी से ग्रोथ कर रही हों। यानि जिनके निकट भविष्य में लार्ज कैप कंपनी बनने की अच्छी संभावना रहती है। स्मॉल कैप investors ग्रोथ अपॉर्च्युनिटीज पर ध्यान देकर इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स से आगे निकलना चाहते हैं। 

Small Cap stocks ने अभी तक ऐतिहासिक रूप से large-cap स्टॉक्स से बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन ये अधिक वोलेटाइल और रिस्की होते हैं। किसी भी compnay का मार्केट केपेटलाइजेशन निकलने के लिए उसके मौजूदा शेयर प्राइस को कुल शेयरों की संख्या से गुणा किया जाता है। 

"लार्ज-कैप" या "स्मॉल-कैप" जैसे वर्गीकरण ऐसे अनुमान हैं, जो समय के साथ बदलते रहते हैं। इसके अलावा, ब्रोकरों के बीच स्मॉल-कैप स्टॉक बनाम लार्ज-कैप स्टॉक की सटीक परिभाषा भिन्न हो सकती है। स्मॉल कैप stocks के बारे में एक गलत धारणा यह होती है। कि ये स्टार्टअप या बिल्कुल नई कंपनियों के स्टॉक्स होते हैं। 

जबकि कई स्मॉल कैप स्टॉक्स ऐसी कंपनियों के हैं। जिनका मजबूत ट्रेक रिकॉर्ड है और मजबूत फाइनेंशियल स्थिती के साथ अच्छी तरह से स्थापित बिजनेस है। ऐसी compnies अभी छोटी हैं इसलिए इनके share price अभी कम है। जिनमें भविष्य में तेज groth की अच्छी संभावनाएं रहती हैं। 

Small Cap Stock V/S लार्ज कैप 

जब टाइटन कंपनी में राकेश झुनझुनवाला जी ने इन्वेस्ट किया था। तब टाइटन कंपनी भी स्मॉलकैप कंपनी ही थी।  एक नियम के रूप में, स्मॉल-कैप स्टॉक कंपनियां निवेशकों को विकास के लिए अधिक जगह प्रदान करती हैं। लेकिन लार्ज-कैप स्टॉक कंपनियों की तुलना में इनके स्टॉक्स अधिक रिस्की और वोलेटाइल होते हैं। जिससे share market में गिरावट होने पर स्मॉल कैप शेयरों के प्राइस में large cap शेयरों की तुलना में अधिक गिरावट होती है।

लार्ज कैप स्टॉक्स कंपनियों के लिए तेज वृद्धि रियर-व्यू-मिरर हो सकती है। ऐसी कंपनियां इन्वेस्टर्स को लगातार डिविडेंड और सेबिल्टी देती हैं। लेकिन इनमें तेज ग्रोथ नहीं होती है। जैसा कि ऊपर भी बताया जा चूका है ऐतिहासिक रूप से small cap स्टॉक्स ने लार्ज कैप stocks से बेहतर प्रदर्शन किया है। 

लेकिन यह व्यापक आर्थिक माहौल के आधार पर बदलता रहता है। आर्थिक मंदी के समय लार्ज कैप स्टॉक्स की तुलना में स्माल कैप स्टॉक के प्राइस में ज्यादा गिरावट आती है। स्मॉल कैप से भी छोटे स्टॉक्स को माइक्रो कैप स्टॉक के नाम से जाना जाता है। इंडेक्स फंड्स  

Small Cap Stock V/S मिड कैप स्टॉक  

जो इन्वेस्टर्स दोनों तरह के स्टॉक में से सर्वश्रेष्ठ शेयरों में इन्वेस्ट करना चाहते हैं। वे mid cap शेयरों में इन्वेस्ट कर सकते हैं। जिन companies का मार्केट कैप 5,000 से 20,000 करोड़ के बीच होता है। उनके शेयरों को मिडकैप स्टॉक कहा जाता है। ये कंपनियां स्मॉल कैप की तुलना में अधिक स्टेबल होती हैं। 

फिर भी इनकी लार्ज-कैप स्टॉक कंपनियों की तुलना में अधिक ग्रोथ करने की क्षमता होती है। लेकिन शेयर मार्केट इन्वेस्टर्स को कच्चे हीरे ढूढ़ने के समान स्टॉक्स भी small cap कंपनियों में ही मिल सकते हैं। यहां तक कि हमारी डेटा-समृद्ध दुनिया में भी, बड़े स्मॉल-कैप स्टॉक निवेशकों के रडार पर रहते हैं क्योंकि उन्हें विश्लेषकों से बहुत कम कवरेज मिलता है। बफेट के इन्वेस्टमेंट रूल्स 

स्मॉल कैप स्टॉक VS Penny Stock 

स्मॉल-कैप स्टॉक और पेनी स्टॉक दोनों के शेयरों का बाजार मूल्य बड़े या मिड-कैप शेयरों की तुलना में कम ही रहता है। पैनी स्टॉक का मार्केट केपेटलाइजेशन कम होता है इसलिए उन्हें भी स्मॉल कैप स्टॉक ही माना जा सकता है। लेकिन पैनी स्टॉक्स में ऐसी कई विशेषताएँ होती है, जो स्मॉल कैप स्टॉक में नहीं होती है।   

जिनकी वजह से ही पैनी स्टॉक स्मॉल कैप स्टॉक से अलग होते हैं। पैनी स्टॉक्स में ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होता है और इन्हें हाई रिस्की माना जाता है और होते भी हैं। पैनी स्टॉक्स स्मॉल कैप स्टॉक से भी ज्यादा रिस्की होते हैं। अक्सर 10 रूपये से कम प्राइस वाले स्टॉक्स को पैनी स्टॉक कहा जाता है। ये BSE और NSE दोनों पर ट्रेड होते हैं। 

Small Cap Stocks के फायदे 

ग्रोथ की अधिक संभावना: चूँकि ये कंपनियाँ छोटी हैं, इसलिए इनमें लार्ज-कैप कंपनियों की तुलना में वृद्धि की अधिक संभावना है। इसका मतलब है कि इनमें इन्वेस्ट करने से इन्वेस्टर्स के पास बड़ा लाभ कमाने की संभावना है।
कम शेयर प्राइस: स्मॉल-कैप शेयरों की कीमत अक्सर कम होती है। जिससे आपका शुरुआती निवेश कम पैसों में हो जाता है।  शेयर की कीमतों को म्यूचुअल फंड या हेज फंड द्वारा कृत्रिम रूप से नहीं बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि इनमें फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन को उनमें भारी निवेश करने से रोकने के लिए नियम बने हैं।
व्यवसायों की विविधता: स्मॉल-कैप कंपनियां केवल स्टार्ट-अप नहीं हैं। इनके stocks सभी सेक्टर्स में पाए जाते हैं। और उनमें से कई बहुत लम्बे समय से इन बिजनेस में होते हैं। small cap कंपनियां निवेश के लिए विभिन्न प्रकार के ऑप्शन प्रदान करती हैं।
कम लोकप्रिय: चूंकि स्मॉल-कैप कंपनियों नई और कम लोकप्रिय होती हैं। इसलिए वे बड़ी और मिड-कैप कंपनियों जितनी प्रसिद्ध नहीं होती हैं। इसका मतलब यह है कि उनके स्टॉक्स का प्राइस अक्सर उनके मूल्य से कम होता है और वे निवेश पर ठोस रिटर्न प्रदान कर सकते हैं। 

Small Cap Stocks के नुकसान 

वोलेटाइल प्राइस: छोटी कंपनियों के स्टॉक्स market volatility पर अधिक प्रतिक्रिया करते हैं। क्योंकि उनके पास अपने बड़े समकक्षों की तुलना में कम वित्तीय पूँजी होती है। परिणामस्वरूप, स्मॉल-कैप शेयरों के प्राइस में अचानक बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
हाई रिस्क: हालाँकि स्मॉल-कैप कंपनियों में विकास की बहुत अधिक संभावनाएँ होती हैं। लेकिन इनके विफल होने की भी उतनी ही ज्यादा आशंका होती है। लार्ज-कैप शेयरों की तुलना में स्मॉल-कैप स्टॉक अधिक जोखिम भरा निवेश होते हैं। कंपनियों के पास आमतौर पर निवेश पूंजी तक कम होती है और वे बाजार में बदलाव के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। यह उन्हें जोखिम भरा निवेश बनाता है।
कंपनी के बारे में कम जानकारी: फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट और विश्लेषक small-cap कंपनियों को, बड़ी और मिड-कैप कंपनियों जितना कवरेज नहीं देते हैं। परिणामस्वरूप, आपको कंपनी के मूल्यांकन की ठोस समझ और निवेश से पहले रिसर्च करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है।
लो लिक्विडिटी: स्मॉल-कैप कंपनियों का छोटा आकार और कम लोकप्रियता। उनके स्टॉक में कम लिक्विडिटी यानि कम ट्रेडिंग वॉल्यूम होता है। कम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले स्टॉक्स को buy या sell करते समय बायर और सेलर मिलना मुश्किल होता है। जब आप ऐसे शेयर से बाहर निकलना चाहते हैं तो शेयर बेचना भी कठिन हो सकता है।

Small Cap Stocks में इन्वेस्ट कैसे करें?

यदि आपके पास स्मॉल-कैप शेयरों पर रिसर्च करने के लिए आवश्यक समय और ज्ञान है। तो आप खुद स्माल कैप कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं। आप शेयर मार्केट में डीमैट अकाउंट उसके माध्यम से शेयर खरीद और बेच सकते हैं। किसी स्माल कैप कंपनी में investment करने से पहले, आपको उसके बारे में निम्नलिखित जानकारी प्राप्त करनी चाहिए- 

Revenue and Earnings Groth (आय और राजस्व वृद्धि): भले ही कोई कंपनी अभी तक प्रॉफिट नहीं कमा रही हो, फिर भी आपको यह देखना चाहिए कि उसकी इनकम कितनी गति से बढ़ रही है। और उसका राजस्व भी बढ़ना चाहिए।उतना ही 
Price-to-earnings-ratio (मूल्य-से-आय अनुपात): पी/ई अनुपात कंपनी के शेयरों के मूल्य को मापने के लिए वर्तमान शेयर मूल्य की तुलना प्रति शेयर आय से करता है। कई मूल्य निवेशक औसत पी/ई अनुपात सीमा के रूप में 20 से 25 को सही मानते हैं। किसी कंपनी का पी/ई अनुपात जितना कम होगा, उसमें investment बेहतर माना जायेगा। 
Price-to-sales-ratio (मूल्य-से-बिक्री अनुपात): यदि कंपनी की अभी तक प्रति शेयर कोई आय नहीं कर रही है। तो आप यह मापने के लिए पी/एस अनुपात का उपयोग कर सकते हैं कि यह अन्य स्मॉल-कैप शेयरों की तुलना में उसका शेयर कैसा प्रदर्शन करता है।
यदि आपको व्यक्तिगत रूप से स्मॉल-कैप शेयरों पर रिसर्च करना बहुत अधिक समय लेने वाला या बहुत जोखिम भरा लगता है। तो आप स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) भी खरीद सकते हैं। ये व्यापक स्मॉल-कैप indexex, स्मॉल-कैप बाजार के भीतर विशिष्ट उद्योगों या मूल्य या वृद्धि जैसे निवेश लक्ष्यों को ट्रैक कर सकते हैं। 

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