Stoploss order लगाने की कला?
जब कोई भी ट्रेड किया जाता है, तब ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के द्वारा स्टॉप लॉस आर्डर का भी एक विकल्प दिया जाता है। इसे किसी भी समय बदला जा सकता है। एक बार जब मार्केट ऑर्डर लग जाता है तो स्टॉप लॉस आर्डर प्रभावी रूप से सक्रिय हो जाता है। ट्रेड लेते समय आमतौर पर ट्रेडर्स स्टॉप लॉस ऑर्डर देते हैं। आइये विस्तार से जानते हैं- स्टॉप लॉस ऑर्डर कहाँ और कैसे लगाएँ? Where and how to place stop loss order ? in Hindi
यदि आप शेयर मार्केट टेक्निकल एनालिसिस में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको युवराज एस कलशेट्टी द्वारा लिखित ट्रेडनीति बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
StopLoss Order के बारे में
जब ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स मार्केट में ट्रेड कर रहे होते हैं तो वे कोई भी नुकसान नहीं करना चाहते हैं। अतः ट्रेड के लिए एक स्टॉप लॉस लेवल निर्धारित करना जरूरी होता है, यहीं पर स्टॉप लॉस ऑर्डर लगाने की जरूरत पड़ती हैं। लेकिन कई ट्रेडर्स को यह तय करने में कठिनाई होती है कि उन्हें अपना स्टॉप लॉस लेवल कहां निर्धारित करना है।
यदि share price विपरीत दिशा में चलता है और आपकी पोजीशन उसमें बनी रहती है। तो इससे आपको बड़ा नुकसान हो सकता है। अतः नुकसान से बचने के लिए अपने स्टॉप-लॉस को बहुत करीब सेट करना चाहिए। जिससे आप बहुत जल्दी अवांछनीय ट्रेड से बाहर निकल सकें।
Share market में दो सामान्य प्रकार के ऑर्डर होते हैं-
- मार्केट ऑर्डर
- लिमिट ऑर्डर
Stop-Loss Order क्या है?
जब शेयर के प्राइस एक विशेष लेवल पर पहुँच जाते हैं तो उन्हें बेचने के लिए stockbroker के पास स्टॉप लॉस ऑर्डर रखा जाता है। ये ऑर्डर ट्रेडर्स को ट्रेडिंग पोजीशन में होने वाले संभावित को सीमित करते हैं। यदि आप स्टॉप लॉस ऑर्डर को buying price से 10% नीचे सेट करते हैं तो आपका नुकसान 10% सीमित रहेगा।
उदाहरण के लिए जैसे आप XYZ कंपनी के शेयर 25 रूपये प्रति शेयर पर खरीदते हैं। और आप 22.50 पर स्टॉप लॉस सेट करते हैं तो आपका नुकसान 10% तक ही सीमित रहेगा। क्योंकि यदि आपके द्वारा खरीदे गए XYZ कंपनी के शेयर का प्राइस 22.50 से नीचे जायेगा। आपका सौदा अपने 22.50 के प्राइस पर आते ही ऑटोमेटिकली कट जायेगा। इस तरह आप इस ट्रेड में जितना जोखिम उठाने के लिए तैयार थे। आपको उतना ही जोखिम उठाना पड़ेगा।
अगर उचित तरीके से उपयोग किया जाता है, तो स्टॉप-लॉस ऑर्डर बहुत बड़ा अंतर ला सकता है। लगभग हर कोई इस टूल से लाभ उठा सकता है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करने का एक प्रमुख लाभ यह है कि आपको प्रतिदिन अपनी होल्डिंग्स की निगरानी करने की जरूरत नहीं रहती है। इसका एक नुकसान भी है कि शार्ट टाइम प्राइस वोलेटिलिटी वोलेटिलिटी में भी आपकी पोजीशन कट सकती है।
शेयर मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान से बचने के लिए आप स्टॉप लॉस आर्डर के विकल्प के रूप में आप ऑप्शंस कॉन्ट्रेक्ट का भी उपयोग कर सकते हैं।
Stop Loss Order का निर्धारण
किसी एक ट्रेड में आप जितना जोखिम उठाना चाहते हैं उसे निर्धारित करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर दिया जाता है। अतः स्टॉप लॉस प्राइस, ट्रेड में होने वाले नुकसान को सीमित करने के इरादे से स्ट्रटेजीकली निकाला जाना चाहिए।
उदाहरण के लिए यदि आपने कोई stock 30 रूपये पर खरीदा है और stoploss 24 रूपये पर लगाया है। इसका मतलब आप इस ट्रेड में 20% का जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं। यदि आप 20% का रिस्क उठाना चाहते हैं तो आपको ट्रेलिंग स्टॉप लॉस लगाना चाहिए।
ट्रेड लेने से पहले निर्धारित कर ले कि आप stoploss किस प्राइस पर लगाना चाहते हैं? स्टॉप लॉस लगाने के बहुत सारे सिद्धांत हैं, टेक्निकल ट्रेडर्स stocks के प्राइस ट्रेंड का अनुमान लगाने के लिए नए-नए तरीके खोजते रहते हैं। अगल -अलग ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के लिए स्टॉप लॉस तरह से लगाए जाते हैं।
स्टॉप लॉस आर्डर देने के लिए आपको स्टॉप लॉस ट्रिगर प्राइस के कॉन्सेप्ट को समझने की जरूर पड़ेगी। आप मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर दोनों के लिए स्टॉप लॉस ऑर्डर दे सकते हैं। कुछ traders प्रतिशत के हिसाब से stoploss लगाते हैं, इसमें stocks के बाइंग प्राइस के प्रतिशत के रूप में स्टॉप लॉस लगाया जाता है। जैसे बाइंग प्राइस का 3, 5, 7% आदि। कुछ ट्रेडर्स सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के नीचे और ऊपर स्टॉप लॉस लगाते हैं।
Stop Loss प्लेसमेंट के तरीके
स्टॉप लॉस का सबसे प्रचलित और सामान्य तरीका प्रतिशत स्टॉप लॉस है। स्टॉप लॉस लगाने के प्रतिशत तरीके के रूप में शेयर के बाइंग प्राइस के प्रतिशत का स्टॉपलॉस लगाया जाता है। यह तरीका ट्रेडर्स को stock की वोलेटिलिटी के आधार पर रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी अपनाने की अनुमति देता है। Stop loss order को शेयर के बाइंग प्राइस से 1 से 3% पर सबसे ज्यादा लगाया जाता है।
स्टॉप लॉस लगाने का दूसरा सबसे ज्यादा प्रचलित तरीका सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल पर लगाना है। यदि आप शेयर खरीद रहे हैं तो आपको शेयर के सपोर्ट प्राइस के थोड़ा सा ऊपर उसे खरीदना चाहिए और सपोर्ट लेवल के ठीक नीचे आपको स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। इसी तरह अगर आप किसी शेयर को शार्ट सेल कर रहे हैं तो आपको उसे रेसिस्टेन्स लेवल के ठीक नीचे बेचना चाहिए और रेजिस्टेंस लेवल के ठीक ऊपर स्टॉप लॉस लगाना चाहिए।
स्टॉप लॉस लगते समय बस एक बात का ध्यान रखना चाहिए। यदि आप लॉन्ग टर्म ट्रेडर हैं तो आपको सबसे स्टॉन्ग सपोर्ट लेवल के नीचे स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। किन्तु अगर आप शार्ट टर्म ट्रेडिंग कर रहे हैं तो आपको ज्यादा बड़ा स्टॉप लॉस नहीं रखना चाहिए। आप stoploss लगाने के लिए एवरेज ट्रू रेंज एवरेज ट्रू रेंज इंडिकेटर का यूज भी कर सकते हैं।
Stop Loss Order के फायदे
ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को स्टॉप लॉस के निम्नलिखित महत्वपूर्ण फायदे होते हैं-
- इसे लगाने में कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता है। आपसे ब्रोकरेज तभी लिया जायेगा, जब स्टॉप लॉस हिट हो जायेगा। यानि आपकी पोजीशन काटने पर ही ब्रोकरेज लगेगा।
- स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगाने से आपको यह निगरानी करने की ज़रूरत नहीं है कि आपका स्टॉक प्रतिदिन कैसा प्रदर्शन कर रहा है।
- स्टॉप-लॉस ऑर्डर आपके निर्णय लेने को भावनात्मक प्रभावों से बचाने में भी मदद करते हैं। लोग स्टॉक के साथ "प्यार में पड़ जाते हैं"।
- इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के investor हैं। लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि आपने स्टॉक को क्यों खरीदा है। ग्रोथ इन्वेस्टर्स से वैल्यू इन्वेस्टर्स का नजरिया स्टॉक्स को लेकर अलग-अलग होता है। एक्टिव इन्वेस्टर्स का नजरिया दोनों से अलग होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आपकी स्ट्रेटेजी स्ट्रेटेजी क्या है? स्ट्रेटेजी तभी काम करती है, जब आप उस पर सख्ती से कायम रहते हैं।
- स्टॉप-लॉस ऑर्डर का लाभ यह है कि वे आपको ट्रैक पर बने रहने में मदद कर सकते हैं और आपके निर्णय को भावनाओं से घिरने से रोक सकते हैं।
- समझना जरूरी है कि stoploss ऑर्डर यह गारंटी नहीं देते कि आप शेयर बाजार में पैसा कमाएँगे; आपको स्टॉप लॉस लगाने के बाद भी share market trading के बुद्धिमानीपूर्ण निर्णय लेने होंगे। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप उतना ही पैसा खो देंगे जितना आप स्टॉप-लॉस के बिना खो देंगे।
- स्टॉप-लॉस ऑर्डर को पारंपरिक रूप से नुकसान को रोकने का एक तरीका माना जाता है। हालाँकि, इसका एक अन्य उपयोग प्रॉफिट को लॉक करना भी है। इसके लिए आप "ट्रेलिंग स्टॉप" का उपयोग कर सकते हैं।
StopLossOrder के नुकसान
Share market ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को स्टॉप लॉस ऑर्डर के निम्नलिखित नुकसान भी हो सकते हैं-
- स्टॉप लॉस ऑर्डर का मुख्य नुकसान नुकसान यह है कि स्टॉक के price में होने वाले शार्ट टर्म उतार-चढ़ाव स्टॉप प्राइस को सक्रिय कर सकता है। अगर आपने स्टॉप-लॉस प्रतिशत चुना है, जो स्टॉक को दिन-प्रतिदिन उतार-चढ़ाव करने की अनुमति देता है। पिवोट पॉइंट
- स्टॉप लॉस ऑर्डर जितना संभव हो उतना नकारात्मक जोखिम को रोकता है। उस स्टॉक पर 5% स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना, जिसमें एक सप्ताह में 10% या अधिक उतार-चढ़ाव का इतिहास हो, अच्छी स्ट्रेटेजी नहीं रहती क्योंकि ऐसा स्टॉप लॉस आसानी से हिट हो जाता है।
- एक बार जब आप अपने स्टॉप प्राइस पर पहुंच जाते हैं, तो आपका स्टॉप ऑर्डर मार्केट ऑर्डर बन जाता है। इसलिए, जिस कीमत पर आप बेचते हैं, वह स्टॉप प्राइस से काफी अलग हो सकती है।
- बहुत से stockbrokers पैनी स्टॉक्स पैनी स्टॉक्स और वोलेटाइल स्टॉक्स में स्टॉप लॉस ऑर्डर की अनुमति नहीं देते हैं।
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