Pivot Point in Stock Market: पिवोट पॉइंट स्टॉक ट्रेडिंग स्ट्रेट्जी की सम्पूर्ण जानकारी
पिवोट पॉइंट एक टेक्निकल एनालिसिस इंडिकेटर है। इसका प्रयोग विभिन्न टाइमफ्रेम में मार्केट या स्टॉक्स के ओवर ऑल ट्रेंड को जानने के लिए किया जाता है। Pivot Point Indicator सिक्युरिटी के इंट्राडे हाई, लो और पिछले ट्रेडिंग डे के क्लोजिंग प्राइस का औसत होता है।
उम्मीद है, आपको यह पिवोट पॉइंट स्टॉक ट्रेडिंग स्ट्रेट्जी की सम्पूर्ण जानकारी आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको यह Pivot points in Stock trading strategy in Hindi. आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।
अगले दिन यदि प्राइस पिवोट पॉइंट से ऊपर ट्रेड करता है तो इसका मतलब मार्केट सेंटीमेंट बुलिश है। इसी तरह यदि प्राइस पाइवोट पॉइंट से नीचे ट्रेड करता है तो इसका मतलब मार्केट सेंटीमेंट बेयरिश है। आइए विस्तार से जानते हैं- पिवोट पॉइंट स्टॉक ट्रेडिंग स्ट्रेट्जी की सम्पूर्ण जानकारी. Pivot points in Stock trading strategy in Hindi.
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पिवोट पॉइंट की गणना सिक्युरिटी के इंट्राडे हाई और लो प्राइस तथा पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर की जाती है। |
यदि आप शेयर मार्केट टेक्निकल एनालिसिस और स्विंग ट्रेडिंग का एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको रवि पटेल द्वारा लिखित टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान बुक जरूर पढ़ना चाहिए।
पिवोट पॉइंट क्या है?
पिवोट पॉइंट एक टेक्निकल एनालिसिस इंडिकेटर है, फाइनेंसियल ट्रेडर्स स्टॉक्स, करेंसी और कमोडिटी ट्रेडिंग में Pivot Point का उपयोग करते हैं। पिवोट पॉइंट की गणना शेयर के इंट्राडे हाई और लो प्राइस तथा पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर की जाती है। इसका उपयोग वर्तमान या अगले दिन के सेशन के सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल ढूढ़ने के लिए की जाती है।
यदि सिक्युरिटी का प्राइस Pivot Point के ऊपर जाता है तो इसका मतलब मार्केट सेंटीमेंट बुलिश है। इसी तरह यदि प्राइस पिवोट पॉइंट के नीचे जाता है तो मार्केट सेंटीमेंट बेयरिश है। यह एक इंट्राडे टेक्निकल इंडिकेटर है। जिसका उपयोग मार्केट ट्रेंड और ट्रेंड रिवर्सल की पहचान करने के लिए किया जाता है।
Pivot Point की गणना उन लेवल्स को पहचाननें के लिए की जाती है, जिनसे मार्केट सेंटीमेंट तेजी से मंदी और मंदी से तेजी में बदल सकता है। इंट्रा-डे ट्रेडर्स ट्रेड में एंट्री और एग्जिट पॉइंट, स्टॉपलॉस और प्रॉफिट टेकिंग के लिए पिवोट पॉइंट का केलकुलेशन करते हैं।
पिवोट पॉइंट की गणना कैसे करें?
पिवोट पॉइंट इंडिकेटर को चार्ट से जोड़ा जा सकता है। जिससे पिवोट पॉइंट ऑटोमेटिक कैलकुलेटेड होकर चार्ट पर दिखाई देते हैं। इसे आप स्वयं भी केलकुलेट कर सकते हैं, यहाँ मुख्य रूप से एक बात पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
Pivot Point का उपयोग मुख्य रूप से डे-ट्रेडर्स इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए किया करते हैं और इसकी गणना पिछले दिन के हाई, लो और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर की जाती है। सुपरट्रेंड इंडिकेटर
आप Pivot Point (PP) की गणना निम्नलिखित तरीके से कर सकते हैं-
- मान लीजिये आप सोमवार को ट्रेडिंग करने के लिए पिवोट पॉइंट ढूढ़ रहे हैं। तो सोमवार की ट्रेडिंग के लिए आपको उससे पहले ट्रेडिंग डे यानि शुक्रवार के हाई, लो और क्लोजिंग प्राइस का उपयोग करना चाहिए।
- आपको शुक्रवार को मार्केट बंद होने के बाद या सोमवार को मार्केट खुलने से पहले शुक्रवार के हाई, लो और क्लोजिंग प्राइस का पता लगाना चाहिए।
- आप मार्केट या स्टॉक जिस का भी पिवोट पॉइंट आप ढूढ़ रहे हैं। उसके हाई, लो और क्लोजिंग प्राइस का एक साथ जोड़ करें। उसके बाद उस जोड़ के योग को तीन से भाग (divided) कर दें। इसके बाद जो उत्तर आयेगा वही आपका पिवोट पॉइंट होगा। टेक्निकल एनालिसिस
- जैसे मान लीजिये TCS का शेयर शक्रवार को 2800 का हाई बनाता है और 2700 का लो तथा 2750 पर ट्रेडिंग सेशन के आखिर में बंद होता है तो आपको 2800+2700+2750 = 8250 ÷ 3 = 2750, इसका Pivot Point 2750 होगा। इसे चार्ट पर PP लाइन के रूप में लिखकर चिह्नित करें।
- जब आप PP का पता लगा लेते हैं तो आपको चार्ट पर PP लाइन के ऊपर पहले रेसिस्टेन्स को R1 दूसरे रेसिस्टेन्स को R2 के रूप में चिहिन्त करें। इसी तरह फर्स्ट सपोर्ट लेवल को S1 और दूसरे सपोर्ट लेवल S2 के रूप में चिहिन्त करें। फ्यूचर्स ट्रेडिंग
- इस तरह आप पिछले दिन के हाई लो और क्लोजिंग प्राइस को कैलकुलेट करके पिवोट पॉइंट और उसके सपोर्ट रेजिस्टेंस लेवल का पता लगा सकते हैं। फिर इसके अनुसार सोमवार को ट्रेड ले सकते हैं।
Pivot point के साथ ट्रेडिंग कैसे करें?
पिवोट पॉइंट को यूज करने का सबसे आसान तरीका उसके सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस को यूज करना चाहिए क्योंकि प्राइस इनको बार-बार टच करते हैं। ज्यादातर स्टॉक्स के प्राइस पिवोट लेवल को टच करने के बाद रिवर्स होते हैं इसलिए यह लेवल काफी शक्तिशाली होते हैं।
पिवोट पॉइंट का वास्तव में मतलब ही यह है कि प्राइस सपोर्ट एंड रेसिस्टेन्स लेवल तक पहुंचता है और वहां से रिवर्स भी होता है। यदि आप देख रहे हैं कि Pivot Point होल्ड कर रहा है। तो यह आपके लिए एक अच्छी ट्रेडिंग अपॉर्च्युनिटी है। यदि प्राइस अपर रेजिस्टेंस लेवल के पास है तो आपको सेल आर्डर (शार्ट सेल) पेश करना चाहिए। इस पोजीशन में स्टॉपलॉस रेजिस्टेंस लेवल के ऊपर लगाना चाहिए।
पिवोट पॉइंट ट्रेडिंग का दूसरा तरीका भी है यदि प्राइस सपोर्ट लेवल के पास है। तो आपको खरीदारी की पोजीशन बनानी चाहिए। इस पोजीशन में सपोर्ट लेवल के नीचे स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। इसी तरह यदि प्राइस S1 के पास है और आपको लगता है कि प्राइस S1 लेवल को होल्ड करेगा। तो आप S1 के नीचे स्टॉपलॉस लगाकर खरीदारी की पोजीशन बना सकते हैं।
अगर प्राइस S2 के नीचे जाते हैं तो इसके चांस ज्यादा हैं कि प्राइस वापस ऊपर नहीं आ पाएं। फिर S1, S2 रेसिस्टेन्स लेवल बन जाएँ। आपको केवल PP लेवल को ही ध्यान में नहीं रखना है अपितु सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल का भी ध्यान रखना है। कन्फर्मेशन के लिए आप कैडलस्टिक्स फॉर्मेशन तथा दूसरे इंडीकेटर्स का भी उपयोग कर सकते हैं।
ट्रेडिंग सामान्यतः फर्स्ट और सेकेंड सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल के मध्य में ही होती है। प्राइस कभी-कभी सेकेंड और थर्ड S & R को भी टेस्ट कर सकते हैं। तथा कभी सभी लेवल को तोड़ देते हैं। इसलिए हमेशा स्टॉपलॉस के साथ ही ट्रेड करना चाहिए। राउंडिंग टॉप पैटर्न
pivot Point के साथ ब्रेकआउट ट्रेडिंग कैसे करें?
आपको नार्मल सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल का हमेशा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि पीवत पॉइंट हमेशा होल्ड नहीं करते हैं। पिवोट पॉइंट के साथ ब्रेकआउट ट्रेडिंग करने के दो मुख्य तरीके निम्नलिखित हैं-
- सुरक्षित तरीका (Safe way)- यदि आप सुरक्षित तरीके से ब्रेकआउट ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको प्राइस के सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल के रीटेस्ट करने का इंतजार करना चाहिए। लेकिन इससे आप शुरूआती मूव को मिस कर सकते हैं। क्योंकि एक बार रेजिस्टेंस लेवल टूटने के बाद प्राइस काफी ऊपर चढ़ जाते हैं इसलिए शुरआत में ट्रेड लेने वाले लोग ज्यादा प्रॉफिट कमाते हैं।
- आक्रामक तरीका (Aggressive way) यदि आप अग्रेसिव तरीके से पिवोट पॉइंट ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आप रेसिस्टेन्स लेवल के टूटते ही आपकी पोजीशन बना सकते हैं। इस तरह आप प्राइस में आने वाले शुरूआती मूव को तो पकड़ सकते हैं लेकिन आप फेकऑउट में फंस सकते हैं।
इसी तरह जब प्राइस सपोर्ट लेवल को रीटेस्ट करे तब सपोर्ट लेवल पर खरीदारी करनी चाहिए और सपोर्ट लेवल के नीचे स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। इस पोजीशन में आपको प्रथम रेजिस्टेंस लेवल पर प्रॉफिट बुक करना चाहिए। किसी भी न्यूज इवेंट के कारण मार्केट में स्पाइक्स और वोलेटिलिटी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
आप यह पक्का नहीं मान सकते कि ब्रेकआउट सस्टेन करेगा इसलिए स्टॉपलॉस लगाना बहुत जरूरी है। सभी जानते हैं कि मार्केट में किसी न्यूज की वजह से भी बड़े-बड़े मूव आ जाते हैं जो सस्टेन नहीं कर पाते हैं। आपको शेयर मार्केट से ट्रेडिंग के द्वारा प्रॉफिट कमाने के लिए अपनी जानकारी बढ़ानी चाहिए।
फेकआउट्स से बचने के लिए आपको सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस, कैडलस्टिक्स पैटर्न्स, मोमेंटम इंडीकेटर्स का यूज करना चाहिए। क्योंकि इनसे ट्रेंड रिवर्सल और कन्टीन्यूएशन के स्ट्रांग सिग्नल मिलते हैं।
रेंज ट्रेडिंग के लिए Pivot Point का यूज कैसे करें?
पिवोट पॉइंट लेवल का रेंज ट्रेडिंग में यूज करने का सबसे आसान तरीका है। रेग्युलर सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल की तरह उपयोग करना यानि कि पिवोट पॉइंट के पास के सपोर्ट लेवल पर मार्केट में खरीदारी करना और रेजिस्टेंस लेवल पर मार्केट में बिकवाली करना चाहिए।
दरअसल पिवोट पॉइंट का मतलब ही सिक्युरिटी प्राइस का सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल तक पहुंचना और वहां से रिवर्स होना ही है। यदि आपको लगता है कि पिवोट पॉइंट होल्ड कर रहा है तो यहाँ पर आपके लिए कुछ अच्छी ट्रेडिंग अपॉर्च्युनिटी हो सकती हैं।
जैसे कि यदि आपको लगता है कि प्राइस S1 को टेस्ट कर रहा है तो आप यहाँ पर मार्केट में खरीदारी की पोजीशन बना सकते हैं। इस पोजीशन में आपको स्टॉपलॉस S2 पर चाहिए और प्रॉफिट टेकिंग प्रथम रेसिस्टेन्स लेवल (R1) पर रखनी चाहिए।
क्योंकि यहाँ पर प्राइस को रेजिस्टेंस मिल सकता है। इसलिए यह इतना भी आसान नहीं है। ट्रेडिंग डिसिप्लिन यदि आपने अपना प्रॉफिट टेकिंग टारगेट PP (Pivot Point) पर रखा होता तो आप बहुत आसानी से अपने टारगेट को अचीव कर लेते।
वैसे आपको PP पर ज्यादा भरोसा भी नहीं करना चाहिए, अपितु आपको इस बात पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए कि PP पिछले सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल के साथ पंक्तिबद्ध हैं या नहीं। इसके लिए आपको कैंडलस्टिक्स पैटर्न और अन्य इंडीकेटर्स को भी लगाकर देखना चाहिए। तब PP ट्रेडिंग का निर्णय करना चाहिए।
उदाहण स्वरूप यदि आप देखते हैं कि स्टॉक के S1 के ऊपर डोजी बन गया है या RSI ओवरसोल्ड स्थिति दिखा रहा है तो S1 के होल्ड करने के चांस ज्यादा हैं। सामान्यतः ज्यादातर ट्रेडिंग सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल के बीच ही होता है।
कभी-कभी प्राइस सेकेंड लेवल को भी टेस्ट करते हैं। यदि ऐसा होता है तो थर्ड लेवल (S3) भी टेस्ट हो सकता है क्योंकि कभी-कभी प्राइस सभी बैरियर्स को तोड़कर बहुत आगे निकल जाते हैं। जिसे ब्रेकआउट कहा जाता है। यह मार्केट है, यहाँ सबकुछ संभव है। अतः अपने ट्रेड पर पकड़ बनाना सीखें और मनी चूसने वाले बनें। और अपने एकाउंट में मनी बढ़ते हुए देखें।
मार्केट सेंटीमेंट को समझने के लिए Pivot Point का यूज कैसे करें?
आप Stock Market ट्रेडिंग स्ट्रेटजीज में पिवोट पॉइंट का यूज मार्केट सेंटीमेंट को समझने के लिए भी कर सकते हैं। इसके द्वारा आप यह जान सकते हैं कि ज्यादातर ट्रेडर्स मार्केट में खरीदारी कर रहे हैं या बिकवाली की पोजीशन बना रहे हैं।
इसके लिए आपको पिवोट पॉइंट पर नजर बनाकर रखनी चाहिए, यदि प्राइस PP को ब्रेक करके ऊपर की तरफ जाते हैं तो यह मार्केट के बुलिश सेंटीमेंट का धोतक है। यहाँ पर आपको मार्केट में खरीदारी की पोजीशन बनानी चाहिए।
इसी तरह यदि प्राइस PP से नीचे (बॉटम) की तरफ जा रहे हैं तो यह बेयरिश सेंटीमेंट का धोतक है। यानि यहाँ पर सेलिंग प्रेशर स्टार्ट हो चूका है। आप मार्केट में सेलिग यानि शार्ट सेलिंग की पोजीशन बना सकते हैं। लेकिन यह फॉर्मूला हमेशा काम नहीं करता है।
कभी-कभी प्राइस रिवर्स भी करते हैं, यानि मार्केट सेंटीमेंट के विपरीत दिशा में भी मूव कर जाते हैं। इसलिए हमेशा स्टॉपलॉस का यूज करना चाहिए। Pivot Point को यूज करते समय मार्केट सेंटीमेंट के साथ-साथ हमेशा दूसरे इंडीकेटर्स का भी यूज करना चाहिए। बुलिश एंगुलफ़िंग पैटर्न
सारांश: पिवोट पॉइंट एक लोकप्रिय टेक्निकल टूल है, पिवोट पॉइंट का प्रयोग ट्रेडर्स सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस की ताकत को जानने के लिए करते हैं। यह ट्रेडर्स की ट्रेड लेने और प्रॉफिट बुक करने में मदद करता है। इसकी मदद से ट्रेड से सही एग्जिट कर सकते हैं और सही स्टॉपलॉस भी लगा सकते हैं। Pivot Point की गणना आमतौर पर पिछले ट्रेडिंग सेशन के हाई, लो और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर की जाती है।
पिवोट पॉइंट चार निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -
- Standard
- Woodie
- Camarilla
- Fibonacci
Pivot Point ट्रेडिंग टिप्स
का यूज ट्रेडर्स रेंज ट्रेडिंग, ब्रेकआउट ट्रेडिंग और ट्रेंड ट्रेडिंग के लिए करते हैं। ज्यादातर समय शेयर मार्केट प्रथम सपोर्ट लेवल (S1) और प्रथम रेसिस्टेन्स लेवल (R1) के बीच ही झूलता रहता है। अतः आप इनके पिवोट पॉइंट को एक शक्तिशाली एरिया मान कर इनके सपोर्ट एंड रेसिस्टेन्स के बीच एक्टिव ट्रेडिंग कर सकते हैं।
रेंज बाउंड ट्रेडर्स एक जाने-पहचाने हुए सपोर्ट लेवल पर buy order पेश करते हैं और रेजिस्टेंस लेवल के करीब सेल कर देते हैं। पिवोट पॉइंट के द्वारा ब्रेकआउट लेवल्स की पहचान आसानी से की जा सकती है। क्योंकि जब स्ट्रांग मोमेंटम के साथ शक्तिशाली सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल टूटते हैं, तब ब्रेकआउट होता है।
इसी तरह ट्रेडर्स PP के द्वारा शेयर मार्केट सेंटीमेंट का पता लगते हैं कि मार्केट सेंटीमेंट बुलिश है या बेयरिश है। इसकी सिम्पलसिटी ही इसे टेक्निकल एनालिसिस का महत्वपूर्ण टूल बनाती है। यदि आप इसे मार्केट मोमेंटम के समकालीन बनाकर रखेगें तो ट्रेडिंग के बेहतर डिसीजन ले पायेगें। एडवांस/डिक्लाइन रेश्यो
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