सुपरट्रेंड इंडिकेटर (Supertrend Indicator) से स्टॉक्स ट्रेडिंग कैसे करें?

सुपरट्रेंड इंडिकेटर एक ओवरले इंडिकेटर है। जिसके द्वारा आप मल्टीपल टाइमफ्रेम में मार्केट के ट्रेंड को देख सकते हैं। सामान्यतः सुपरट्रेंड कई टाइमफ्रेम को एक साथ जोड़ देता है। जिसकी वजह से आप यह जान पाते है कि वर्तमान मार्केट ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा या नहीं।   

साथ ही इससे आपको मार्केट trend चेंज होने पर पता चल जाता है कि वर्तमान ट्रेंड खत्म हो रहा है और नया ट्रेंड शुरू हो रहा है। आइये विस्तार से जानते हैं- सुपरट्रेंड इंडिकेटर (Supertrend Indicator) का यूज करके स्टॉक्स ट्रेडिंग कैसे करें? Supertrend Indicator in Hindi. 
                                                                               
Supertrend

यदि आप स्टॉक मार्केट ट्रेंड्स को पकड़ने में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको मार्केट या स्टॉक्स का टेक्निकल एनालिसिस करना अवश्य आना चाहिए। इसके लिए आपको शेयर मार्केट टेक्निकल एनालिसिस सम्बन्धी बुक्स अवश्य पढ़नी चाहिए। 

Supertrend Indicator क्या है? 


सुपरट्रेंड एक ट्रेंड फॉलोविंग इंडिकेटर है, यह ट्रेंडिंग मार्केट में बहुत अच्छी तरह से काम करता है। यह इंडिकेटर ट्रेंडिंग मार्केट में मूविंग एवरेज और एमएसीडी  इंडिकेटर की तरह ही सटीक परिणाम देता है। जिससे इसका प्रयोग करना बहुत ही आसान होता है। 

Supertrend indicator का कैलकुलेशन ATR (Average True Range) के ऊपर होता है। ATR इंडिकेटर प्राइस वोलेटिलिटी (स्टॉक्स, कमोडिटी, करेंसी आदि) को दर्शाता है। सुपरट्रेंड का केलकुलेशन करने के लिए ATR के दो महत्वपूर्ण बिंदुओं से केलकुलेट किया जाता है। जो निम्नलिखित हैं-
  1. Period (अवधि) पीरियड में ATR के दिनों की संख्या लिखी जाती है। 
  2. Multiplier (गुणांक) इसे ATR से मल्टीप्लाई (गुणा) किया जाता है। 
सुपरट्रेंड को जब चार्ट पर लगाते हैं, तब उपयोग में आने वाली डिफॉल्ट सेटिंग 10 की ATR को 3 से मल्टीप्लाई किया जाता है। ज्यादातर ट्रेडर्स इसी सेटिंग का यूज करते हैं लेकिन कुछ अनुभवी ट्रेडर्स 10 की जगह 14 की ATR का यूज करते हैं। 

इससे Supertrend Indicator की सटीकता बढ़ जाती है। अगर आप चार्ट पर 10 की ATR की जगह 14 की ATR लगाकर देखेगें तो आपको चार्ट पर कुछ खास फर्क नहीं दिखेगा। किन्तु जब आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ लेगें तब आपको 14 की ATR का महत्व समझ आ जायेगा। 

Supertrend Indicator कैसे काम करता है? 

सुपरट्रेंड को प्रदर्शित करने के लिए एक सिंगल बैंड होता है लेकिन यह सिंगल बैंड ही डबल बैंड का काम करता है। इस डबल बैंड को अपर बैंड और लोअर बैंड कहते हैं। अपर बैंड लाल रंग का और लोअर बैंड हरे रंग का होता है। 

अपर बैंड  को बेयरिश बैंड भी कहते हैं, इसी तरह लोअर बैंड को बुलिश बैंड कहते हैं। जब शेयर का प्राइस अपर बैंड पर पहुंचता है तब आपको शेयर को बेचना चाहिए और जब प्राइस लोअर बैंड पर आता है तब आपको शेयरों को खरीदना चाहिए।  

क्योंकि जब Supertrend प्राइस को क्रॉसओवर करके अपर बैंड बनाता है तब शेयर प्राइस में गिरावट (मंदी) की शुरुआत होती है। इसी तरह जब सुपरट्रेंड प्राइस को क्रॉसओवर करके लोअर बैंड बनाता है, तब शेयर प्राइस में तेजी (अपट्रेंड) की शुरुआत होती है। इसीलिए Supertrend Indicator को समझना और यूज करना बहुत ही आसान है। 

जब मार्केट या स्टॉक्स ट्रेंडिंग में होते हैं तब यह इंडिकेटर पैसा कमाने का बहुत ही अच्छा मौका देता है। साइडवे मार्केट में यह इंडिकेटर अनियंत्रित रूप से बाइंग और सेलिंग के संकेत देता है। जिसके कारण स्टॉपलॉस बार-बार हिट होते हैं। जिससे ट्रेडिंग में बहुत ज्यादा नुकसान होता है। जब सुपरट्रेंड इंडिकेटर इस तरह के संकेत देता है तब व्हिपशॉ (Wipshaw) की आशंका बढ़ जाती है। 

साइडवे मार्केट में Supertrend Indicator की सटीकता केवल 50% ही रह जाती है। इसका मतलब है कि यदि आप 100 ट्रेड लेते हैं तो उसमे से करीब 50 ट्रेड में स्टॉपलॉस हिट हो जाता है। जिसके कारण ट्रेडर्स को प्रॉफिट नहीं होता बल्कि नुकसान ही होता है। इसलिए नुकसान से बचने के लिए आपको सुपरट्रेंड सही तरीके से यूज करना आना चाहिए।

Supertrend Indicator के साथ स्टॉक्स की बाइंग और सेलिग कैसे करें?

सुपरट्रेंड इंडिकेटर को सही तरीके से यूज करने के लिए आपको सही समय पर ट्रेड लेना चाहिए। साथ ही स्टॉपलॉस कहाँ पर लगाएं यह भी जरूर पता होना चाहिए। आपको यह भी पता होना चाहिए कि कौन सा ट्रेड ले और कौन सा ट्रेड नहीं ले। 

वैसे तो सुपरट्रेंड में बैंड चेंज होने पर हर बार बाइंग और सेलिंग के संकेत मिलते हैं। लेकिन आपको नियमों के साथ ही Supertrend में ट्रेडिंग करनी चाहिए। जिससे की आपकी सटीकता बढ़ सके। सुपरट्रेंड इंडिकेटर का यूज करने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि आपको चार्ट पर किस टाइमफ्रेम का यूज करना चाहिए। 

अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर रहे हैं तो आपको चार्ट पर पाँच मिनट के टाइमफ्रेम का यूज करना चाहिए। क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए फाइव मिनट चार्ट सबसे अच्छा रहता है। इसी तरह यदि आप एक दिन से ज्यादा एक या दो सप्ताह तक अपनी पोजीशन को होल्ड करना चाहते हैं। तब आपको 15 मिनट, 30 मिनट या आवरली चार्ट देखना चाहिए। स्वामी रामदेव

आमतौर पर पर ट्रेडर्स 15 मिनट टाइमफ्रेम में चार्ट देखना पसंद करते हैं। अगर आप लॉन्गटर्म ट्रेडर हैं तो आपको डेली चार्ट टाइमफ्रेम के साथ सुपरट्रेंड इंडिकेटर का यूज करना चाहिए। आप अपनी सुविधानुसार कोई भी टाइमफ्रेम चुन सकते हैं। 

Supertrend Indicator की मदद से मार्केट में बाइंग कैसे करें? 

आप चार्ट अपर देख सकते हैं कि सुपरट्रेंड अपर बेयरिश बैंड बनाते हुए मंदी की चाल दिखाते हुए नीचे की तरफ आता है। तभी एक बुलिश कैंडल अपर बैंड को क्रॉसओवर करके लोअर बैंड (बुलिश बैंड) की रचना करती है।
                                                                            
Supertrend


यहाँ पर Supertrend Indicator यह संकेत देता है कि अब बुलिश ट्रेंड की शुरुआत होने वाली है। अब आपको यह देखना है कि जो कैंडल अपर बैंड को क्रॉसओवर कर रही है वह क्रॉसओवर करने वाली कैंडल के हाई प्राइस के ऊपर बंद हो जाती है। आपको उस कैंडल के बाद मार्केट में खरीदारी करनी चाहिए। स्ट्राइक प्राइस  

वैसे तो आप लोअर बैंड के बनते ही मार्केट में खरीदारी कर सकते हैं। लेकिन क्रॉसओवर करने वाली कैंडल के हाई प्राइस पर बंद होने से ट्रेंड बदलने का कन्फर्मेशन हो जाता है। यानि अपट्रेंड स्टार्ट हो चुका है। इस प्रकार कन्फर्मेशन करने से आप Wipshow से बच सकते हैं। 

इसके बाद आपको स्टॉपलॉस लगाने के लिए हाई प्राइस बनाने वाली कैंडल, से पहले बनने वाली कैंडल के लो प्राइस का स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। स्टॉपलॉस लगाने के लिए आपको रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो का भी ध्यान रखना चाहिए। 

बाइंग के पॉइंट और स्टॉपलॉस पॉइंट के बीच का अंतर दो प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। यह अंतर दो प्रतिशत से अधिक है तो आपको यह ट्रेड नहीं लेना चाहिए। यहाँ पर दो प्रतिशत के स्टॉपलॉस का महत्व इसलिए है क्योंकि यहाँ पर बनने वाली कैंडल कभी-कभी बहुत बड़ी हो जाती है। रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स

जिसकी वजह से स्टॉपलॉस भी ज्यादा बड़ा हो जाता है। बड़े स्टॉपलॉस से बचने के लिए ही आपको दो प्रतिशत के नियम का पालन करना चाहिए। अगर स्टॉपलॉस दो प्रतिशत के अंदर है तो आपके ट्रेड लेने के बाद जैसे ही आपका ट्रेड प्रॉफिट में आ जाये। आपको तुरंत ट्रेलिंग स्टॉपलॉस लगा लेना चाहिए। Supertrend Indicator के साथ ट्रेलिंग स्टॉपलॉस बहुत जरूरी होता है। 

प्रॉफिट बुक कहाँ पर करे?

जब तक कोई कैंडल लोअर बैंड को क्रॉसओवर करके अपर बैंड नहीं बना देती है। यानि की बेयरिश बैंड नहीं बनाती है, तब तक आपको प्रॉफिट बुक नहीं करना है। यानि मार्केट में सेलिंग नहीं करना है। जब चार्ट पर अपर बैंड बन जाये तब आपको तुरंत प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए। बेयरिश एंगल्फिंग पैटर्न

अगर आपका ट्रेलिंग स्टॉपलॉस हिट हो जाता है तो उसे भी आपको प्रॉफिट बुक ही समझना चाहिए। एक बात आपको हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि यदि आपका स्टॉपलॉस हिट हो जाता है। तो आपको मार्केट में तुरंत नई पोजीशन नहीं बनानी चाहिए। इस तरह आप Supertrend Indicator की मदद दे मार्केट में लॉन्ग पोजीशन बनाकर ट्रेडिंग कर सकते हैं। 

सुपरट्रेंड की मदद से मार्केट में बिकवाली (शार्ट सेलिंग) कैसे करें? 

सुपरट्रेंड इंडिकेटर के अनुसार मार्केट में सेलिंग का तरीका, बाइंग के तरीके से बिलकुल विपरीत है। जब आप चार्ट पर देखते हैं कि सुपरट्रेंड लोअर बुलिश बैंड बनाते हुए अपट्रेंड में चलता है। तभी एक बेयरिश कैंडल लोअर बैंड को क्रॉसओवर करके अपर बैंड की रचना करती है। डाइवर्जेन्स

यानि की बेयरिश बैंड बनाती है, इससे यह संकेत मिलता है। कि अब मार्केट में अब मंदी (डाउनट्रेंड) की शुरुआत होने वाली है। यहाँ पर आपको मार्केट में बिकवाली (शार्ट सेलिंग ) करने के लिए आपको यह देखना है कि जो कैंडल लोअर बैंड को क्रॉसओवर करके अपर बैंड  बना रही है। 

उसके बाद बनने वाली जो भी कैंडल लोअर बैंड को क्रॉसओवर करके उसके लो प्राइस के नीचे बंद हो जाय। तब आपको मार्केट में सेलिंग करना चाहिए। यानि कि अपर बैंड के बनते ही आप मार्केट में सेलिंग कर सकते हैं।

क्रॉसओवर करने वाली कैंडल के लो प्राइस के नीचे क्लोजिंग मिलने से आपको कन्फर्मेशन मिल जाता है। कि मार्केट ट्रेंड चेंज हो चुका है, यानि डाउनट्रेंड की शुरुआत हो चुकी है। आपको ट्रेडिंग करते समय ट्रेडिंग डिसिप्लिन के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। 

इस प्रकार कन्फर्मेशन के बाद ट्रेड लेने से आप Wipshow से बच सकते हैं। इसके बाद आप मार्केट में सेलिंग या शार्ट सेलिंग की पोजीशन बना सकते हैं। सेलिंग की पोजीशन में स्टॉपलॉस लगाने के लिए लोअर बैंड को क्रॉसओवर करने वाली कैंडल के हाई प्राइस का स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। 

ट्रेड लेने से पहले आपको एक चीज अवश्य देखना चाहिए। कि आपके ट्रेड लेने के पॉइंट से लेकर स्टॉपलॉस के पॉइंट के बीच का अंतर आपके रिस्क-रिवार्ड रेश्यो के, दो प्रतिशत के नियम के अनुरूप होने पर ही आपको ट्रेड लेना चाहिए। 

आपको अपने कुल पैसे के दो प्रतिशत से अधिक का जोखिम नहीं लेना चाहिए। दो प्रतिशत का नियम इसलिए भी है क्योंकि कभी-कभी कैंडल अधिक लम्बी होने की वजह से स्टॉपलॉस दो प्रतिशत के नियम के अनुसार नहीं बैठता है। यदि ऐसा है तो आपको इस ट्रेड को नहीं लेना चाहिए। 

इस तरह आपको सही रिष्क-रिवार्ड रेश्यो के स्टॉपलॉस के साथ मार्केट में पोजीशन बनानी चाहिए। जैसे ही आपका ट्रेड प्रॉफिट में आता है। आपको तुरंत ट्रेलिंग स्टॉपलॉस लगा लेना चाहिए, क्योंकि Supertrend Indicator के साथ ट्रेलिंग स्टॉपलॉस बहुत अच्छा परिणाम देता है। बुलिश एंगल्फिंग पैटर्न

प्रॉफिट बुक कहाँ पर करें? 

जब तक कोई कैंडल अपर बैंड को क्रॉसओवर करके लोअर बैंड नहीं बना देती है तब तक आपको प्रॉफिट बुक नहीं करना चाहीये। जब चार्ट पर लोअर बैंड बन जाये तब आपको तुरंत प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए। 

अगर आपका ट्रेलिंग स्टॉपलॉस भी हिट हो जाता है तो उसे भी आपको प्रॉफिट बुकिंग ही समझना चाहिए। ट्रेलिंग स्टॉपलॉस हिट होने के बाद आपको तुरंत दूसरा ट्रेड नहीं लेना चाहिए। इस तरह आप Supertrend Indicator की मदद से सेलिंग या शार्ट सेलिंग कर सकते हैं। फाल्स ब्रेकआउट  

Supertrent Indicator के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs लिम्नलिखित हैं- 

सुपरट्रेंड इंडिकेटर क्या है?

सुपरट्रेंड इंडिकेटर एक ओवरले और ट्रेंड फॉलोविंग इंडिकेटर है। यह ट्रेडर्स को मार्केट या स्टॉक्स के वर्तमान ट्रेंड को बताता है। विशेषकर से यह इंडिकेटर अलग-अलग टाइम फ्रेम को एक साथ जोड़ देता है। इससे आपको मार्केट ट्रेंड चेंज होने का जल्दी पता चल जाता है। 

सुपरट्रेंड इंडिकेटर कैसे काम करता है?

इनमे गणितीय गणना की जाती है जिससे जो पिछले प्राइस डाटा और वॉल्यूम पर आधारित होती है। इस गणना की मदद से किसी भी शेयर के भविष्य के प्राइस प्राइस का अनुमान लगाकर उसमे सही पॉइंट पर ट्रेड लिया जाता है। साथ ही सही पॉइंट पर ट्रेड से प्रॉफिट कमाकर बाहर भी निकल सकते हैं। 

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए टॉप थ्री इंडिकेटर कौन से हैं? 

मेरे केलकुलेशन के अनुसार इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए टॉप ट्री इंडिकेटर निम्नलिखित हैं- 
  1. रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडिकेटर (RSI) 
  2. मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स डाइवर्जेन्स (MACD)  
  3. सुपरट्रेंड इंडिकेटर 
उम्मीद है आपको यह आर्टिकल सुपरट्रेंड इंडिकेटर (Supertrend Indicator) का यूज करके स्टॉक्स ट्रेडिंग कैसे करें? पसंद आया होगा। अगर आपको यह Supertrend Indicator in Hindi. आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। 

यदि आप शेयर मार्केट से सम्बंधित किसी अन्य टॉपिक पर आर्टिकल पढ़ना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। यदि आप इस आर्टिकल के सम्बन्ध में कोई सवाल या सुझाव देना चाहते हैं तो उसे भी कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। आप मुझे Facebook पर भी फॉलो कर सकते हैं। 

कोई टिप्पणी नहीं

Jason Morrow के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.