स्टॉप-लॉस हंटिंग में फंसने से कैसे बचें? Stoploss Hunting strategy

स्टॉप-लॉस हंटिंग तब होती है, जब मार्केट पार्टिसिपेंट्स अक्सर मार्केट के बड़े खिलाडी यानि मार्केट ऑपरेटर्स, मार्केट मेकर, रिटेल ट्रेडर्स के द्वारा लगाए गए स्टॉप-लॉस ऑर्डर को ब्रेक करने के लिए जानबूझकर शेयरों के प्राइस में हेरफेर करते हैं। 

वे शेयरों के प्राइस को सामान्य स्टॉप-लॉस लेवल से आगे ले जाते हैं। जिससे इन स्टॉप-लॉस ऑर्डर को ब्रेक किया जा सके। आइए विस्तार से जानते हैं- स्टॉप-लॉस हंटिंग स्ट्रेटेजी में फंसने से कैसे बचें। Stoploss Hunting strategy in Hindi. 

                                                                               
Stoploss Hunting strategy


अगर आप स्टॉक मार्केट की सम्पूर्ण जानकारी (टेक्निकल एनालिसिस, फंडामेंटल एनालिसिस, इन्वेस्टिंग स्ट्रेटेजी, ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी और बेस्ट ऑप्शन स्ट्रेटेजी का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं। तो आपको पुष्कर राज ठाकुर द्वारा लिखित स्टॉक मार्केट क्रेश कोर्स नामक बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

Stoploss Hunting क्या है?

स्टॉप-लॉस हंटिंग एक ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसमें स्टॉप-लॉस ऑर्डर ट्रिगर करके रिटेल ट्रेडर्स को मार्केट से बाहर निकलने के लिए मजबूर किया जाता है। यह स्टॉक के प्राइस को ऊपर या नीचे ले जाकर किया जाता है। जहाँ traders द्वारा बड़ी मात्रा में स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट किये जाने की संभावना होती है। 

एक साथं इतनी बड़ी मात्रा में Stoploss ऑर्डर ट्रिगर होने से स्टॉक में बहुत अधिक वोलैटिलिटी पैदा हो जाती है। Volatility, हाई बीटा stocks में ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर्स को ट्रेडिंग के अवसर प्रदान करती है। स्टॉप हंटिंग तब होती है, जब ट्रेडिंग के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम और प्राइस में बदलाव होता है। जिससे Stoploss trigger होते हैं और मार्केट में वोलैटिलिटी बढ़ती है।

जब स्टॉप-लॉस ट्रिगर होते हैं, तो स्टॉक के प्राइस और ज्यादा वोलेटाइल हो जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस दौरान मार्केट में अतिरिक्त ऑर्डर आते हैं। वोलैटिलिटी ट्रेडर्स के लिए लॉन्ग और शार्ट पोजीशन बनाने के अवसर प्रदान करती है। 

ट्रेडर्स Stoploss hunting में इसलिए शामिल होते हैं क्योंकि जब कई स्टॉप लॉस ट्रिगर होते हैं तो stock के प्राइस तेज़ी से बढ़ते हैं। स्टॉक प्राइस में volatility ट्रेड में प्रॉफिट कमाने के अवसर प्रदान करती है। मान लीजिये जे. एम फाइनेंसियल का शेयर 101 रूपये के प्राइस पर ट्रेड कर रहा है। यह नीचे भी जा सकता है इसलिए बहुत से ट्रेडर्स 99.99 रूपये के प्राइस पर Stoploss लगते हैं। शेयर की सही कीमत

ताकि के डाउनसाइड की आशंका को कम कर सकें और अपने संभावित नुकसान को कम रख सकें। और शेयर प्राइस के ऊपर की तरफ बढ़ने का पूरा लाभ उठा सकें। यदि ऑपरेटर्स द्वारा बड़ी मात्रा शार्ट सेल की पोजीशन बनाने से शेयर का प्राइस 100 रूपये से नीचे गिरता है तो ट्रेडर्स को सेल ऑर्डर की बढ़ आने की उम्मीद रहती है। क्योंकि बड़ी मात्रा में स्टॉपलॉस ट्रिगर होते हैं। 

इससे शेयर के प्राइस गिर जाते हैं, जिससे शेयर मार्केट ऑपरेटर्स प्रॉफिट कमाते हैं। इसके बाद जब सपोर्ट लेवल पर प्राइस बाउंस बैक करते हैं तो ऑपरेटर्स सपोर्ट लेवल पर लॉन्ग पोजीशन बनाकर प्रॉफिट कमाते हैं। 

स्टॉप-लॉस हंटिंग और Stoploss Order 

स्टॉप-लॉस ऑर्डर पारंपरिक मार्केट ऑर्डर या लिमिट ऑर्डर से थोड़े ज़्यादा जटिल होते हैं। स्टॉप-लॉस ऑर्डर में, एक निश्चित प्राइस पर पहुंचने पर आप अपने Stockbroker को स्टॉक को ऑटोमेटिक रूप से शेयर बेचने का ऑर्डर देते हैं। उदाहरण के लिए अगर आपके पास जे. एम फाइनेंसियल कंपनी के share हैं जो आपने 101 के प्राइस पर ट्रेड कर रहे हैं। 

अगर आप शेयर के प्राइस में अचानक आने वाली किसी बड़ी गिरावट से बचना चाहते हैं तो आप 100 रूपये के नीचे स्टॉपलॉस आर्डर लगा सकते हैं। अगर शेयर का प्राइस 100 रूपये के नीचे गिरता है तो आपके शेयर 100 रूपये के प्राइस पर ऑटोमेटिक रूप से बिक जायेंगे और आप बड़े नुकसान से बच जायेंगे। 

स्टॉप-लॉस ऑर्डर निवेशकों के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, और उनका उपयोग लॉन्ग और शॉर्ट दोनों पोजीशन पर किया जाता है। 

Stoploss Hunting के दौरान स्टॉप-लॉस ऑर्डर ढूँढना 

स्टॉप हंटिंग अपेक्षाकृत सरल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। पर्याप्त ट्रेडिंग वॉल्यूम वाला कोई भी स्टॉक या इंडेक्स सपोर्ट & रेजिस्टेंस लेवल्स के एरिया में कमोबेश एक निश्चित ट्रेडिंग ज़ोन में चली जाता है। डाउनसाइड स्टॉप-लॉस आमतौर पर सपोर्ट के ठीक नीचे एक तंग बैंड में क्लस्टर किए जाते हैं। 

जबकि अपसाइड स्टॉप-लॉस रेजिस्टेंस लेवल के ठीक ऊपर होते हैं। ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम का उपयोग नई पोजीशन बनाने या उससे बाहर निकलने के लिए करते हैं। यानि high trading volume के अनुसार अपनी ट्रेडिंग पोजीशनों को शिफ्ट कर सकते हैं। जो उनके मार्केट प्रभाव के कारण स्टॉप हंटिंग के बराबर है। रिश्क है, तो इश्क है

बढ़ते हुए ट्रेडिंग वॉल्यूम को स्टॉक प्राइस चार्ट पर देखा जा सकता है। चार्ट पर साफ दिख जाता है कि बढ़े हुए ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ शेयर के प्राइस एक दिशा में जा रहे हैं। उदाहरण के लिए शेयर के प्राइस गिरने से पहले सपोर्ट लेवल पर दो बार बाउंस कर सकते हैं। 

रिटेल ट्रेडर्स समझते हैं कि प्राइस सपोर्ट लेवल पर सपोर्ट लेकर ऊपर की तरफ जायेंगे। रिटेल ट्रेडर्स स्टॉपलॉस हंटिंग पर लॉन्ग पोजीशन बना लेते हैं। लेकिन बढ़े हुए वॉल्यूम के कारण सपोर्ट लेवल टूट जाते हैं और शेयर के प्राइस निचले सपोर्ट लेवल की तरफ बढ़ने लगते हैं। जिससे शेयर मार्केट के बड़े खिलाडी शार्ट टर्म में स्टॉपलॉस हंटिंग से प्रॉफिट कमाते हैं। 

स्टॉपलॉस हंटिंग की Trading strategy बनाकर आप भी डाउनसाइड हंटिंग से प्रॉफिट कमा सकते हैं। या रीसेंट ट्रेडिंग रेंज के अनुसार मार्केट में लॉन्ग और शार्ट पोजीशन बना सकते हैं। Stock market ट्रेडर्स द्वारा अपनी पूँजी को बचाने और ट्रेडिंग में संभावित नुकसान को कम करने के लिए Stoploss hunters के जाल में फंसने से बचना होगा। 

इसके लिए उन्हें बड़े स्टॉपलॉस ऑर्डर लगाने चाहिए। साथ ही ट्रेलिंग स्टॉपलॉस और मेंटल स्टॉपलॉस भी लगाना चाहिए। आप trading position से निकलने का टाइम बेस्ड प्लान भी बना सकते हैं। बहुत सी ऐसी trading strtegies होती हैं, जिनमें स्टॉप-लॉस हंटिंग शामिल होती है। इन स्ट्रेटेजीज का उपयोग शेयर मार्केट पार्टिसिपेंट्स अक्सर करते हैं। 

ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज का उपयोग मार्केट ऑपरेटर्स (FII & DII) अक्सर शेयर मार्केट की कमजोरियों और पूर्वानुमानों का फायदा उठाने के उद्देश्य से करते हैं। इसमें शार्ट स्क्वीज और आइसबर्ग ऑर्डर्स शामिल हैं। 

इसमें स्टॉक्स के buy & sell ऑर्डर्स को छोटे-छोटे लिमिट ऑर्डर्स में बांटकर लगाया जाता है। जिससे वे अन्य मार्केट पार्टिसिपेंट्स की नजर में आने से बच सकें और अन्य लोग उनकी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को पकड़ ना पाएं।

Stoploss Hunting के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

क्या स्टॉपलॉस हंटिंग प्रॉफिटेबल है? 

स्टॉपलॉस हंटिंग की प्रॉफेटिबिल्टी कई कारकों पर निर्भर करती है। जिसमें मार्केट कंडीशन, ट्रेडर्स का ट्रेडिंग कौशल और उपयोग की जाने वाली ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी शामिल है। स्टॉपलॉस हंटिंग से मार्केट रिस्क भी जुड़ा होता है।

स्टॉपलॉस हंटिंग के लिए जरूरी सूचनाएँ जैसे स्टॉपलॉस किस प्राइस पर सबसे ज्यादा लगे हैं। Stockbrokers से प्राप्त की जाती हैं। जोकि बड़े लोग ही प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी सूचनाओं के लिए क़ानूनी और नैतिक जानकारी और समझ की जरूरत होती है। 

क्या स्टॉपलॉस हंटिंग लीगल है? 

Financial markets में ट्रेडिंग के दौरान Stoploss trigger होना अवैध नहीं है। लेकिन मार्केट पार्टिसिपेंट्स के साथ धोखा, stock price में जानबूझकर अवैध तरीके से हेरफेर करना अवैध है। साथ ही विशेषाधिकार प्राप्त जानकारी का उपयोग गुपचुप तरीके से करके प्रॉफिट कमाना गलत है। 

स्टॉपलॉस हंटिंग के लिए सबसे अच्छा समय कब होता है? 

स्टॉप हंटिंग की प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसे कब किया जाता है। Stocks के प्राइस शॉर्टर टाइम फ्रेम में बहुत वोलेटाइल होते हैं। जैसे की इंट्राडे ट्रेडिंग, Stoploss hunting के कई अवसर प्रदान करती है। इस दौरान तेज प्राइस मूवमेंट और हाई वोलैटिलिटी रिस्क को और बढ़ा देती है। क्योंकि स्टॉक प्राइस आपके अनुमान के विपरीत चल सकता है। फिबोनाची रिट्रेसमेंट

स्टॉप हंटिंग एक ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है जिसका उद्देश्य किसी शेयर के मार्केट प्राइस को ऐसे स्तरों पर ले जाना है। जहाँ स्टॉप-लॉस ऑर्डर क्लस्टर किए जाते हैं। साथ ही स्टॉप-लॉस ऑर्डरों को ट्रिगर करके मार्केट प्राइस को अपने अनुकूल मूव करना होता है। जिसका स्टॉपलॉस हंटर प्रॉफिट कमाने के लिए फायदा उठाते हैं।

आम तौर पर, इस strategy का उपयोग फ़ॉरेक्स और स्टॉक ट्रेडिंग में किया जाता है। यह इस धारणा पर निर्भर करता है कि रिटेल ट्रेडर्स समान प्राइस लेवल्स पर स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगाते हैं। अक्सर support & resistance levels जैसे प्रमुख टेक्निकल पॉइंट्स के आसपास सबसे ज्यादा स्टॉप-लॉस ऑर्डर्स लगे होते हैं। इसलिए स्टॉपलॉस हंटिंग स्ट्रेटेजी यहाँ प्रभावी हो सकती है। यह स्ट्रेटेजी नैतिक और कानूनी चिंताओं से घिरी हुई होती है। खासकर जब इसमें बाजार में हेरफेर शामिल हो। वॉरेन बफेट वे बुक

स्टॉपलॉस हंटिंग स्ट्रेटेजी की सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है। जैसे लिक्विडिटी, वोलैटिलिटी और ट्रेडिंग की समय सीमा आदि कारण इसको प्रभावित करते हैं। यह स्ट्रेटेजी शॉर्टर टाइम फ्रेम, volatility और हाई रिस्क तथा प्रतिस्पर्धा के कारण प्रॉफिट कमाने के अधिक अवसर प्रदान करती है। 

इसके विपरीत लम्बे समय में स्टॉक प्राइस स्टेबल हो होते हैं। जिससे Stoploss hunting के कम मौके मिलते हैं। विशेषकर रिटेल ट्रेडर्स को इसकी गतिशीलता को समझना चाहिए और सावधानीपूर्वक इस स्ट्रेटेजी का उपयोग करना चाहिए। 

प्रॉफिटेबल होते हुए भी इस स्ट्रेटेजी में क़ानूनी जोखिम शामिल है। स्टॉपलॉस हंटिंग स्ट्रेटेजी की सफलता टेक्निकल एनालिसिस में प्रवीणता और मार्केट साइकोलॉजी के गहरे ज्ञान अपर निर्भर करती है। डोव थ्योरी

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