Fibonacci Retracement Level: फिबोनाची रिट्रेसमेंट लेवल शेयर ट्रेडिंग स्ट्रेटजी

फिबोनाची रिट्रेसमेंट शेयरों के टेक्निकल एनालिसिस के काम आने वाला सबसे अच्छा टेक्निकल टूल है। ये शेयरों के चार्ट्स पर दो Trends lines के महत्वपूर्ण बिंदुओं के बीच खींची गई दो रेखाएँ (lines) होती हैं। आमतौर पर चार्ट पर ये रेखाएँ शेयर के हाई और लो प्राइस  के बीच खींचीं जाती हैं। एक दूसरे को काटती हुई, ये हॉरिजॉन्टल लाइन्स Fibonacci Retracement levels पर बनायीं जाती हैं। 

फिबोनाची सीरीज का निर्माण लियोनार्डो बोनाची ने तेहरवी सदी के आसपास किया था। लियोनार्डो बोनाची इटली के एक महान गणितज्ञ थे। आइए से जानते हैं- फिबोनाची रिट्रेसमेंटलेवल शेयर ट्रेडिंग स्ट्रेटजी Fibonacci Retracement Levels stock market trading strategy in Hindi.
                                                                                     
Fibonacci Retracement
अब फिबोनाची रिट्रेसमेंट लेवल्स को चार्ट पर मेनुअली निकलने की कोई जरूरत नहीं हैं। चार्ट के टूल्स में Fib का टूल होता है जिसे आप अपनी जरूरत के हिसाब से चार्ट पर अप्लाई कर सकते हैं।
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फिबोनाची रिट्रेसमेंट के बारे में लियोनार्डो बोनाची का कहना था। कि फिबोनाची सीरीज की मदद से निकाले रेश्यो पूरे ब्रमांड में उपस्थित प्रत्येक चीज पर लागू होते हैं। जैसे कि फूल-पत्ते, पेड़, मानव शरीर, हमारी गैलेक्सी आदि।

सभी चीजों पर फिबोनाची सीरीज लागू हो सकती है। इसके बाद स्टॉक ट्रेडर्स ने सोचा कि अगर यह पूरे ब्रमांड पर लागू होते हैं तो शेयरों के चार्ट्स पर भी लागू होना चाहिए। तभी से टेक्निकल एनालिसिस के टेक्निकल टूल के रूप में इसका उपयोग होने लगा। 

Fibonacci Retracement हर तरह के मार्केट में काम आने वाला बहुत ही अच्छा टेक्निकल टूल है। यह टूल stock market, फ्यूचर एंड ऑप्शंस, कमोडिटी मार्केट और करेंसी मार्केट सभी में समान रूप से उपयोगी है। 

यह लॉन्ग-टर्म और शार्ट-टर्म दोनों तरह के ट्रेडर्स के लिए उपयोगी टेक्निकल टूल है। इसकी सबसे खास चीज यह है कि इसके द्वारा आप स्टॉपलॉस और प्रॉफिट टार्गेट दोनों को बहुत आसानी से सेट कर सकते हैं।  

फिबोनाची रिट्रेसमेंट क्या है? 

फिबोनाची रिट्रेसमेंट लेवल एक प्रसिद्ध टेक्निकल एनालिसिस टूल है। जिसका प्रयोग ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स स्टॉक्स के द्वारा सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल जानने के लिए किया जाता है। यह एक फिबोनाची सीरीज पर आधारित एक गणितीय सीरीज है। जिसमे प्रत्येक संख्या दो पूर्ववर्ती (पहली ) संख्याओं का योग होती है। जैसे 0, 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21, 34, 55, 89, 144, 233, 377, 610 आदि। 

इसे आप इस तरह समझ सकते हैं, बोनची ने दो नंबर लिए 0, 1, इन दोनों को आपस में जोड़कर नया नंबर 0 +1 = 1 (एक ) बना। इसके बाद वे इस सीरीज के आखिरी दो नंबरों को जोड़ते गए जैसे 0+1= 1, 1 + 1 = 2, 1+2= 3, 2+3= 5, 3+5= 8, 5+8= 12, आदि। 

इसी तरह लास्ट के दो नंबरों को जोड़कर इस सीरीज को बनाया जाता है। इस प्रकार यह सीरीज इस तरह बनती है- 0, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21, 34, 55, 89, 144, 233, 377, 610 और इसी तरह या सीरीज आगे बढ़ती रहती है। Stock market में फिबोनाची रिट्रेसमेंट को शेयरों के प्राइस चार्ट्स पर संभावित करेक्शन लेवल्स की पहचान करने के लिए लागू किया जाता है। 

जब एक बड़े trend के दौरान प्राइस करेक्शन (रिट्रेसमेंट) होने की आशंका होती है। ये प्राइस करेक्शन के लेवल Fibonacci Retracement ratios के अनुसार बनते हैं। फिबोनाची रिट्रेसमेंट रेश्यो के मुख्य स्तर फिबोनाची सीक्वेंस पर आधारित अनुपातों से प्राप्त होते हैं। 

कुछ मत्वपूर्ण फिबोनाची लेवल्स निम्नलिखित हैं- 

23.6%  
38.2% 
50.0% 
61.8%  
78.6%  
100.0%  

फिबोनाची रिट्रेसमेंट के पीछे मुख्य विचार यह है। किसी शेयर के प्राइस में महत्वपूर्ण बदलाव (अपट्रेंड या डाउनट्रेंड की तरफ) होने के बाद। उसके प्राइस में कुछ रिट्रेस या पुलबैक होता है। उसके बाद शेयर प्राइस अपनी पुरानी दिशा में ट्रेड करने लग जाता है। 

यानि की शेयरों के प्राइस के एक ही दिशा में लगातार आगे बढ़ने के बजाय प्राइस बीच-बीच में विपरीत दिशा में भी जाता है। ये Fibonacci ratios सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के रूप में काम करते हैं। जहाँ पर ट्रेडर्स अलग-अलग अनुमान लगते हैं कि Stocks के प्राइस रिवर्स होंगे, कंसोलिडेट होंगे या वर्तमान ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा। 

फिबोनाची रिट्रेसमेंट के महत्वपूर्ण बिंदु  

फिबोनाची रिट्रेसमेंट की प्रक्रिया का उपयोग करने की दिशा में प्राइस चार्ट पर दो बिंदुओं का चयन करना शामिल है। ये दो महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं- 
  1. Swing high (The Peak)
  2. Swing low (The Trough) 
स्विंग हाई और स्विंग लो शेयर के हालिया प्राइस मूव को बताते हैं। एक बार जब स्विंग हाई और स्विंग लो की पहचान हो जाने के बाद आपको  Fibonacci Retracement टूल को प्राइस चार्ट पर अप्लाई कर देना चाहिए। फिबोनाची लेवल्स पर हॉरिजॉन्टल लाइन्स खींची जाती हैं। ये फिबोनाची रिट्रेसमेंट लेवल शेयरों के संभावित प्राइस मूवमेंट के बिंदुओं के रूप जाने जाते हैं। 

अब फिबोनाची रिट्रेसमेंट लेवल्स को चार्ट पर मेनुअली निकलने की कोई जरूरत नहीं हैं। चार्ट के टूल्स में Fib का टूल होता है जिसे आप अपनी जरूरत के हिसाब से चार्ट पर अप्लाई कर सकते हैं। ट्रेडर्स इसका उपयोग दूसरे टेक्निकल एनालिसिस टूल के साथ संभावित प्राइस रिवर्सल को जानने के लिए करते हैं। 

इसमें ध्यान देने योग्य बात यह है कि फिबोनाची रिट्रेसमेंट, टेक्निकल एनालिसिस का एक उपयोगी टूल हो सकता है। लेकिन यह विश्वसनीय और आसान नहीं है क्योंकि शेयरों के प्राइस विभिन्न कारकों से प्रभावित होते हैं। जैसे फंडामेंटल न्यूज, जियो पॉलटिकल इवेंट, मार्केट सेंटीमेंट आदि। इसलिए Fibonacci Retracement के अनुसार ट्रेड लेने से पहले ट्रेडर्स को दूसरे टेक्निकल टूल्स का उपयोग करके कन्फर्मेशन कर लेना चाहिए।  

फिबोनाची रिट्रेसमेंट इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनायें? 

फिबोनाची रिट्रेसमेंट शेयर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज में उपयोग किया जाने वाला एक लोकप्रिय टेक्निकल टूल है। यह इस आर्टिकल में ऊपर बताई गयी फिबोनाची सीरीज पर आधारित है। फिबोनाची रिट्रेसमेंट लेवल का मुख्य काम प्राइस मूवमेंट के महत्वपूर्ण सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल की पहचान करना है। 

इसके अनुसार जरूरी नहीं  है कि आप इंट्राडे ट्रेडिंग ही करे। आप चाहें तो स्विंग ट्रेडिंग, स्केल्पिंग, अल्गो ट्रेडिंग, शार्ट-टर्म ट्रेडिंग या लॉन्ग-टर्म ट्रेडिंग भी कर सकते हैं। 

अलग-अलग प्रकार की ट्रेडिंग करने के लिए आपको इसे प्राइस चार्ट पर भिन्न-भिन्न टाइम फ्रेम में अप्लाई करना पड़ेगा। Fibonacci Retracement ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बनाने के लिए आपको कुछ बिंदुओं को पहचानना आना चाहिए।

आपको निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझकर चार्ट पर अप्लाई करके ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बनानी चाहिए। 

ट्रेंड को पहचानें: शेयर के सही ट्रेंड को निर्धारित करें, यह जाने की शेयर अपट्रेंड में है या डाउनट्रेंड में है। यानि शेयर  का प्राइस हायर हाई बना रहा है या लोअर लो बना रहा है। यह स्टेप बहुत जरूरी है क्योंकि यह आपको Fibonacci Retracement Level सेट करने में सहायता करता है।  

स्विंग पॉइंट्स को पहचानें: प्राइस चार्ट पर महत्वपूर्ण स्विंग पॉइंट्स को ढूढें। स्विंग हाई वह पीक ( peak ) है। जहाँ शेयर का प्राइस अपने उच्चतम स्तर पर अस्थायी रूप से रुकता है। फिर वहाँ से प्राइस गिरना शुरू हो जाता है। इसी तरह स्विंग लो एक गर्त (Trough) है। जहाँ शेयर का प्राइस अस्थायी रूप से नीचे जाकर और गिरना बंद कर देता है। यहाँ से प्राइस ऊपर चढ़ना शुरू कर देता हैं।

फिबोनाची लेवल्स बनायें: एक बार जब आप स्विंग पॉइंट्स की पहचान कर लेते हैं। तब प्राइस चार्ट पर Fibonacci Retracement Level को बनायें। ये लेवल्स अपट्रेंड में स्विंग हाई पॉइंट (पीक) से स्विंग लो पॉइंट तक बनाये जाने चाहिए। 

इसी तरह डाउनट्रेंड में स्विंग लो पॉइंट (Trough) से स्विंग हाई पॉइंट तक फिबोनाची रिट्रेसमेंट लेवल बनायें। सामान्यतः ट्रेडर्स के द्वारा सबसे ज्यादा उपयोग किये जाने वाले फिबोनाची लेवल्स 23.6%, 38.2%, 50.0%, 61.8%, और 78.6%  हैं। 

फिबोनाची लेवल्स की व्याख्या: फिबोनाची रिट्रेसमेंट लेवल्स अपट्रेंड में संभावित स्पोर्ट लेवल के रूप में कार्य करते हैं। इसी तरह डाउनट्रेंड में यह रेजिस्टेंस लेवल के रूप में कार्य करते हैं। ट्रेडर्स अक्सर इन लेवल्स पर शेयर के प्राइस रिएक्शन पर ट्रेड लेने के उद्देश्य से निगाह रखते हैं। ट्रेडर्स देखते हैं कि प्राइस इन लेवल्स पर बाउंस होते हैं या कंसोलिडेट होते हैं या फिर यहाँ से शेयर के प्राइस में रिवर्सल आता है। 

टेक्निकल इंडीकेटर्स के साथ कन्फर्म करें 

यदि Fibonacci Retracement Level आपको उपयोगी लग रहा है। लेकिन यह इतना भी आसान नहीं है। जोखिम से बचने के लिए आप इसे अन्य टेक्निकल इंडीकेटर्स के साथ यूज करें। ट्रेड में एंट्री और एग्जिट करने से पहले आपको अन्य टेक्निकल इंडीकेटर्स जैसे MACD, RSI, ATR, EMA, कैंडलस्टिक पैटर्न आदि के द्वारा कन्फर्मेशन कर लेना चाहिए। 

रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो मैनेजमेंट 

अन्य ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की तरह इसमें भी संकटकालीन उचित रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो टेक्निक्स का उपयोग करना चाहिए। यानि कि संभावित नुकसान से बचने के लिए सही स्टॉपलॉस और सही एग्जिट पॉइंट को ट्रेड लेने से पहले ही निर्धारित कर लेना चाहिए। 

साथ ही शेयर ट्रेडिंग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। सही पोजीशन साइज रखना चाहिए। कभी भी एक सिंगल ट्रेड में ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहिए। आपको यह हमेशा याद रखना चाहिए कि कोई भी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी प्रॉफिट की गारंटी नहीं  देती है। 

शेयर ट्रेडिंग में हमेशा आंतरिक रिस्क शामिल होता है। यदि आप शेयर ट्रेडिंग में नये आये हैं। तो आपको ट्रेडिंग में वास्तविक पैसा लगाने से पहले एक डेमो ट्रेडिंग अकाउंट खोलकर उसमे पेपर ट्रेडिंग की प्रक्टिस करनी चाहिए। 

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