Stock Operators: स्टॉक ऑपरेटर्स के सीक्रेट जानकर, मार्केट से पैसे कमाएँ?

एक आम इन्वेस्टर्स या ट्रेडर्स स्टॉक मार्केट से पैसे कमाने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस, टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक पैटर्न, प्राइस एक्शन और न जानें क्या-क्या सीखते हैं। लेकिन फिर भी ज्यादातर स्टॉक मार्केट रिटेल ट्रेडर्स को नुकसान ही होता है। इसका सबसे बड़ा कारण है स्टॉक ऑपरेटर्स।  

शेयर मार्केट ऑपरेटर बड़े इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को कहा जाता है। जिन्हें अक्सर FII और DII के नाम से जाना जाता है। आइये जानते हैं- स्टॉक ऑपरेटर्स की सीक्रेट चाल समझो और स्टॉक मार्केट से पैसे बनाओ। Dark Secrets of stock operators in Hindi. 

                                                                                   
Stock Operators




 शेयर मार्केट फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस तो सभी लोग सीखते हैं। लेकिन अगर आप शेयर मार्केट की बारीकियाँ सीखना चाहते हैं। तो आपको शेयर बाजार सीक्रेट्स बुक जरूर पढ़नी चाहिए।  

Stock Operator के बारे में 

बड़े पैमाने पर शेयर खरीदने और बेचने वाले इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स स्टॉक ऑपरेटर कहलाते हैं। स्टॉक ऑपरेटर स्टॉक मार्केट में ट्रेडर, इन्वेस्टर्स या मार्केट पार्टिसिपेंट्स होते हैं। जो स्टॉक का ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ाकर स्टॉक के प्राइस में हेरफेर करने के इरादे से ट्रेड करते हैं। वे एक सर्कल में ट्रेडिंग करके किसी भी स्टॉक का प्राइस कृत्रिम तरीके से बढ़ाकर स्टॉक मार्केट से पैसा कमाते हैं। इसीलिए इनके रहस्यों को Dark Secrets of Stock Operators कहा जाता है। 

शेयर बाजार एक बेहद अप्रत्याशित जगह है इसलिए stocks trading करते समय सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ऐसा अक्सर होता है कि आप किसी कंपनी का शेयर तब खरीदते हैं। जब उसका प्राइस लगातार बढ़ रहा होता है लेकिन जैसे ही आप शेयर buy करते हैं। उसके बाद, उसका प्राइस नीचे की ओर गिरने लगता है। इनसाइडर ट्रेडिंग 

अब आपके पास नुकसान में शेयर बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। इस स्थिती में हर investor के मन में यह सवाल होता है कि ऐसा क्यों होता है? जब हम कोई शेयर खरीद लेते हैं तो उसका प्राइस गिरने लगता है। 

इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन इस समय मेरी नजर में शेयर के प्राइस गिरने के दो मुख्य कारण हैं। जिनकी वजह से रिटेल ट्रेडर्स को अक्सर नुकसान होता है-
  1. Stock market में लिस्ट किसी भी कंपनी से जुडी अच्छी और बुरी ख़बरें उसके शेयर प्राइस में उछाल या गिरावट का कारण बनती हैं। 
  2. इसके अलावा Stock operators भी शेयरों के प्राइस को प्रभावित करते हैं। 

रिटेल ट्रेडर्स Stock Operator के झांसे में कैसे फंसते हैं? 

बड़े पैमाने पर Stock buy & sell करने वाले इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को स्टॉक ऑपरेटर्स के नाम से जाना जाता हैं। ये बड़े ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ स्टॉक का प्राइस बढ़ाते हैं। धोखाधड़ी के उद्देश्य से stock के प्राइस में हेरफेर करना गैरक़ानूनी है। ऑपरेटर्स मार्केट में फ्रंट रनिंग भी करते हैं। 

आपने अक्सर देखा होगा कि शेयर के प्राइस बहुत तेज़ी से बढ़ते हैं। एक शेयर में जब बार-बार ऊपर की ओर सर्किट लगता है। तब आम रिटेल इन्वेस्टर भी इस उछाल से प्रॉफिट कमाना चाहते हैं। वे इन शेयरों को खरीदना चाहते हैं लेकिन जैसे ही retail traders इन स्टॉक्स को खरीदते हैं। शेयरों की कीमत में गिरावट शुरू हो जाती है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बड़े इन्वेस्टर्स किसी शेयर में भारी खरीदारी करके उसका प्राइस बढ़ा देते हैं। जैसे ही शेयर का प्राइस उनकी उम्मीद के मुताबिक बढ़ता है वे फिर अचानक अपने ख़रीदे हुए सभी शेयर डंप कर देते हैं।यानी उन्हें आम निवेशकों को बेच देते हैं और फिर शेयर की कीमत गिरने लगती है। जिससे रिटेल इन्वेस्टर को भारी नुकसान होता है। इस पंप एंड डंप स्कीम भी कहा जा सकता है। 

एफआईआई और डीआईआई भी शेयर मार्केट में बड़ी मात्रा में शेयरों को buy & sell करते हैं। जिससे सम्पूर्ण शेयर मार्केट का प्रदर्शन प्रभावित होता है। लेकिन उनकी खरीद और बिक्री का डाटा nseindia, bseindia, मोनीकंट्रोल और अन्य वेबसाइट पर सार्वजनिक रहता है। जिसे देखकर आप भी उसके अनुसार अपनी ट्रेडिंग पोजीशन बना सकते हैं। 

बड़े निवेशकों के इस समूह को स्टॉक ऑपरेटर कहा जाता है। वे चतुर मार्केट पार्टिसिपेंट्स होते हैं, जो शेयर मार्केट के रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को लुभाने के प्रयास में शेयरों के प्राइस को बढ़ावा देना शुरू करते हैं। वे सोशल मीडिया वेबसाइटों पर अपने शेयरों का विज्ञापन करना शुरू करते हैं। उनके द्वारा टेलीग्राम या व्हाट्सएप ग्रुप पर और व्यक्तिगत फोन कॉल करके स्टॉक को खरीदने की टिप्स दी जाती हैं। 

अज्ञानता के कारण, बहुत से रिटेल ट्रेडर्स सोशल मीडिया पर मिलने वाली स्टॉक टिप्स पर भरोसा करके बड़ी मात्रा में अपना पैसा जोखिम में डाल देते हैं। कई आम निवेशक स्टॉक टिप्स के आधार पर ऑपरेटर के शेयर खरीदना शुरू कर देते हैं और बाद में नुकसान उठाते हैं।

जब स्टॉक का प्राइस गिर जाता है तो घबराहट में रिटेल निवेशक अपनी खरीदी गई होल्डिंग्स को मार्केट में औने-पौने प्राइस पर बेचना चाहते हैं। जिससे शेयर के प्राइस बहुत ज्यादा गिर जाते हैं। ऐसे में स्टॉक मैनिपुलेटर सबसे कम प्राइस पर फिर से स्टॉक खरीदकर बहुत ज्यादा profit कमाते हैं। 

Stock Operators के झांसे में आने से कैसे बचें 

ज्यादातर मामलों में, स्टॉक ऑपरेटर स्मॉल-कैप और पेनी स्टॉक को टार्गेट करते हैं क्योंकि इनमें हेरफेर करना आसान होता है। इनमें आसानी से प्रॉफिट कमाया जा सकता है। ऑपरेटरों के जाल में फंसने से बचने के लिए कम प्राइस वाले पैनी स्टॉक और कम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले शेयरों को खरीदने और शार्ट सेल करने से बचना चाहिए।

स्टॉक एक्सचेंज पर लाइव मार्केट सेशन के दौरान ऑर्डर बुक में शेयरों विशेष के विभिन्न प्राइस पर buy & sell ऑर्डर लगातार दिखाई देते रहते हैं। इसमें विभिन्न कीमतों पर खरीदे या बेचे गए स्टॉक की संख्या दिखाई देती रहती है। वर्तमान में, ऑर्डर बुक उन स्टॉक के रिकॉर्ड दिखाती है। जिन्हें डिजिटल प्रारूप में किसी कीमत पर खरीदा या बेचा जा सकता है। यह स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में शामिल प्रत्येक ट्रेडर के लिए सुलभ रहती है।

हालाँकि, stock operator का एक dark secret यह भी है कि उन्हें ऑर्डर बुक में उपलब्ध जानकारी से अधिक जानकारी हो सकती हैं। यह वह जगह है, जहाँ रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स चयनित स्टॉक की खरीद और बिक्री मात्रा के विरुद्ध कुल ऑर्डर की संख्या से अनजान हो सकता है। क्योंकि रिटेल ट्रेडर्स एक बार में केवल पाँच से बीस प्राइस पॉइंट्स ही देख सकते हैं। FII और DII

हालाँकि, यदि वे अधिक डेटा तक पहुँच सकते हैं, तो वे यह भी जान सकते हैं कि स्टॉक मैनिपुलेटर्स द्वारा स्टॉक की कीमतों में हेरफेर किया गया है या नहीं। रिटेल ट्रेडर्स इस बात से अनजान हो सकते हैं कि ऑर्डर बुक में कितने रियल खरीदार और बेचने वाले लोग शामिल हैं। 

इसलिए रिटेल ट्रेडर को मार्केट में stock operator की तुलना में अधिक रिस्क होता है। कहा भी गया है कि शेयर मार्केट जोखिमों के अधीन है। ऐसा लगता है कि यह कहावत रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए ही  बनी है।

स्टॉक ऑपरेटरों की चतुराई को उदाहरण द्वारा इस तरह समझ सकते हैं। यदि स्टॉक ऑपरेटर अपने अधिकांश होल्डिंग्स को इंट्राडे में बेच देता है, तो शेयरों की कीमतें दिन के मध्य में पहले की तुलना में कम होने लगेंगी। इससे रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के बीच घबराहट पैदा होगी। और वे आगे के नुकसान से बचने के लिए अपने स्टॉक को औने-पौने प्राइस बेचना शुरू कर देंगे। 

जिससे स्टॉक की कीमतें फिर से गिर सकती हैं। उसी समय, operator अपने एल्गो ट्रेडिंग सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके उन stocks को बहुत कम प्राइस पर वापस खरीद लेगा। इस तरह, स्टॉक मैनिपुलेटर स्टॉक मार्केट बंद होने से पहले स्टॉक की कीमतों में फिर से वृद्धि होने पर बहुत ज्यादा प्रॉफिट कमा सकते हैं। यह भी कितना गहरा dark secret है। 

हालाँकि, इस प्रकार की ट्रेडिंग गतिविधि की व्याख्या करना कठिन है। इसलिए, ऑपरेटर अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी और प्रॉफिट सुनिश्चित करने के लिए एल्गो ट्रेडिंग सॉफ़्टवेयर और कई विश्वसनीय ट्रेडिंग सेटअप का उपयोग करते हैं। 

जो लोग अक्सर शेयर मार्केट में अक्सर पैनी स्टॉक्स में ट्रेडिग करते हैं। जिन शेयरों का प्राइस कम और जिनमे ट्रेडिंग वॉल्यूम भी कम रहता है। ऐसी कंपनियों के शेयर प्राइस में stock operators के द्वारा आसानी से हेरफेर किया जा सकता है। 

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