Front Running Trading: फ्रंट रनिंग ट्रेडिंग में ट्रेडर्स कैसे फँसते हैं?

स्टॉक मार्केट रेग्युलेटर SEBI ने क़्वान्ट म्यूच्यूअल फंड (Quant Mutual Fund) के खिलाफ कार्यवाही की है। जिसका कारण था, इस म्यूच्यूअल फंड के मालिकों द्वारा Front running करना। जिसकी वजह से 24-06-2024 को उन स्टॉक्स के प्राइस भरभराकर गिर गए। जिनमें क़्वान्ट म्यूच्यूअल फंड ने अपने इन्वेस्टर का पैसा इन्वेस्ट किया हुआ है। आइए विस्तार से जानते हैं- फ्रंट रनिंग या हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग में भोले-भाले ट्रेडर्स कैसे  फँसते हैं? Front Running or High-Frequency Trading me bhole-bhale traders kaise fanste hain? 

अतः सवाल उठना लाजिमी है कि फ्रंट रनिंग क्या है? फ्रंट रनिंग शेयर मार्केट से पैसे कमाने का एक गैर-कानूनी तरीका है, जिसमे फंड मैनेजर्स को आने वाले बड़े ट्रेड के बारे में पहले से पता होता है। इस ऑर्डर के एक्सीक्यूट होने से पहले वे उन स्टॉक्स में पोजीशन बना लेते हैं। बड़े ऑर्डर के एक्जिक्यूट होने के बाद अपनी पोजीशन में प्रॉफिट बुक कर लेते हैं। 

सरल शब्दों में कहें तो यह कम समय में मोटी कमाई करने का अवैध तरीका है। ऐसा करके क़्वान्ट म्यूच्यूअल फंड के मैनेजर्स पर करोड़ों रूपये अवैध तरीके से कमाने के आरोप लगे हैं।  मोनीकंट्रोल एप

                                                                                   
Front running or high frequency trading

                                                                             

अगर आप शेयर मार्केट की सीक्रेट जानकारी कैसे प्राप्त करें के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको सोमा वलिअप्पियम द्वारा लिखित बुक शेयर बाजार के सीक्रेट्स जरूर पढ़नी चाहिए। 

Front running क्या है? 

फ्रंट रनिंग एक ऐसा शब्द है, जिसका शेयर बाजार में काफी महत्व है। यह अनैतिक ट्रेडिंग को दर्शाता है। इसमें स्टॉक ब्रोकर या ट्रेडर किसी क्लाइंट या संस्थान के द्वारा भविष्य में किये जाने वाले stocks के buy or sell ऑर्डर के बारे में पहले से जानकारी होने पर लाभ उठाता है। 

इस तरह की स्टॉक ट्रेडिंग न केवल विवादास्पद है बल्कि अवैध भी है। इस लेख में फ्रंट रनिंग की पेचीदगियों, इससे जुड़े स्वार्थों और इससे निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में गहराई से बताया गया है। 

Front running तब होती है, जब कोई स्टॉक ब्रोकर, ट्रेडर या म्यूच्यूअल फंड किसी आसन्न ऑर्डर के बारे में अग्रिम, सीक्रेट जानकारी के आधार पर stocks को खरीदता या बेचता है। जिससे स्टॉक्स का प्राइस प्रभावित होने की आशंका रहती है। 

बड़े क्लाइंट के order execution से पहले, फ्रंट रनर अपने ट्रेडों को execute कर लेते हैं। जिससे फ्रंट रनर बड़े ऑर्डर के कारण होने वाले प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमाता है। यह कृत्य Stock market fairness और अखंडता को प्रभावित करता है। जिससे शेयर मार्केट इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के विश्वास में कमी आती है।

Front running कैसे करते हैं? 

फ्रंट रनिंग में शामिल ट्रेडर्स और म्यूच्यूअल फंडस मैनेजर्स निम्नलिखित प्रक्रियाओं फ्रंट रनिंग करने के लिए अपनाते हैं-  
  1. इन्फॉर्मेशन एडवांटेज: फ्रंट रनिंग वही ट्रेडर्स, स्टॉक ब्रोकर्स और फंड हाउस से जुड़े लोग करते हैं। जिनके पास शेयर मार्केट में होने वाले बड़े-बड़े buying or selling के सौदों की पहले से जानकारी होती है। इस जानकारी की वजह से ये लोग बड़ी आसानी से शेयरों के trend का पता लगा लेते हैं। किसी भी share में बड़े सौदे के एक्जिक्यूट होने से कुछ समय पहले information advantage के कारण उसमें अपनी पोजीशन बनाकर भारी प्रॉफिट कमाते हैं। इन्फॉर्मेशन एडवांटेज की वजह से उनका ट्रेडिंग रिस्क खत्म हो जाता है। 
  2. ट्रेड एक्सेक्यूशन: फ्रंट रनिंग में अक्सर high-frequency trading शामिल होती है। जिसमें सूचना प्राप्त करने के मिलीसेकंड के भीतर ट्रेडों को एक्सीक्यूट करने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता है।
  3. Front running का मार्केट पर प्रभाव: फ्रंट रनिंग का शेयर मार्केट पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे स्टॉक्स के price में गलत वजहों हेरफेर किया जाता है। साथ ही इसकी वजह से स्टॉक्स की लिक्विडिटी में भी कमी आती है। 
फ्रंट रनिंग को गैरक़ानूनी माना जाता है। इसमें शामिल लोगों और इंस्टीटूशन्स पर SEBI (प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ऑफ इंडिया) जुर्माना और शेयर खरीदने और बेचने सहित शेयर मार्केट सम्बन्धी सभी गतिविधियों पर कुछ वर्षों या हमेशा के लिए प्रतिबंध भी लगा सकता है। फ्रंट रनिंग में शामिल लोगों को जेल की सजा भी हो सकती है।

Front running का मुकाबला 

भारत में फ्रंट रनिंग को रोकने के लिए सेबी ने निम्नलिखित प्रयास किये हैं- 
  • सेबी द्वारा निरीक्षण: सेबी ने शेयर मार्केट में अपनी निगरानी प्रक्रिया को सख्त किया है। ट्रेडिंग के नियमों को भी और सख्त किया है। जिनके कारण ही पिछले दिनों कई नामी TV चैनलों के फेमस एंकर्स को फ्रंट रनिंग के आरोपों में पकड़ा गया है। इसी वजह से कवांट म्यूच्यूअल फंड भी पकड़ में आया है। 
  • टेक्नोलॉजिकल सोल्यूशंस: सेबी द्वारा एडवांस मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया है। जिससे भी front running पर रोक लगाने में काफी मदद मिल रही है। 
  • ट्रेड एक्सेक्यूशन में पारदर्शिता: फ्रंट रनिंग को रोकने के लिए भारतीय स्टॉक एक्सचेंज BSE & NSE ने ट्रेड एक्सेक्यूसन की प्रक्रियाओं को काफी पारदर्शी किया हुआ है। 
फ्रंट रनिंग stock market की निष्पक्षता के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। इससे शेयर मार्केट में ऑनलाइन निवेश करने वाले इन्वेस्टर्स के मन में संशय पैदा हो सकता है। निष्पक्ष और पारदर्शी trading और investing के माहौल को बनाए रखने के लिए इसके तंत्र और इसके काम करने के तरीके  को समझना बहुत जरूरी है। 

जैसे-जैसे नई टेक्नोलॉजी और विनियामक ढांचे विकसित हो रहे हैं। निवेशकों की सुरक्षा और निष्पक्ष शेयर बाजार के सिद्धांतों को बनाए रखने के उद्देश्य से front running के खिलाफ लड़ाई जारी रहती है। 

उम्मीद है, आपको यह फ्रंट रनिंग या हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग क्या है? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Front Running or High-Frequency Trading आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। शेयर ट्रेडिंग के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस साइट को प्लीज सब्स्क्राइब जरूर करिये। 

यदि इस आर्टिकल के बारे में आपके मन में कोई सवाल या सुझाव हो तो प्लीज कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो जरूर करें। 

कोई टिप्पणी नहीं

Jason Morrow के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.