Technical Analysis: टेक्निकल एनालिसिस से जानें कि शेयरों के भाव सही हैं या नहीं?

जो लोग शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं। उनमें से बहुत से लोगों को लगता है कि शेयर ज्यादा महंगे हैं और बहुतों को शेयर सस्ते लगते हैं। ट्रेडर्स अक्सर कहते हैं कि भाव ही भगवान है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शेयरो के प्राइस के पीछे पूरा विज्ञानं होता है। जिससे शेयर के प्राइस तय होते हैं। 

आइए जानते हैं- कैसे जानें कि शेयरों के प्राइस सही हैं या नहीं? टेक्निकल एनालिसिस से जानें। Technical Analysis: How to know whether the stock prices are correct or not?
                                                                           
Technical analysis

अगर आप शेयर मार्केट टेक्निकल एनालिसिस के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको जगन्नाथ पटेल द्वारा लिखित गाइड टू ट्रेडिंग चार्ट पैटर्न्स बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

स्टॉक मार्केट में निवेश करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज यह समझना है कि किसी स्टॉक का वर्तमान प्राइस उचित है या नहीं। इसके लिए मुख्य रूप से दो प्रकार के एनालिसिस किए जाते हैं: फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस। 

फंडामेंटल एनालिसिस कंपनी के वित्तीय आंकड़ों और Share market की स्थिति का मूल्यांकन करता है। जबकि टेक्निकल एनालिसिस स्टॉक के पिछले प्राइस और ट्रेडिंग वॉल्यूम के आधार पर उसके भविष्य की कीमतों का अनुमान लगाता है। 

इस लेख में, हम टेक्निकल एनालिसिस पर गहराई से चर्चा करेंगे और यह समझेंगे कि स्टॉक के प्राइस सही है या नहीं और यह जानने के लिए कौन-कौन से संकेतक (Indicators) उपयोग किए जाते हैं। 

टेक्निकल एनालिसिस क्या है? 

Technical analysis वह तरीका है, जिसमें प्राइस चार्ट और टेक्निकल इंडीकेटर्स के आधार पर शेयर के भविष्य के प्राइस का अनुमान लगाया जाता है। इसका मुख्य सिद्धांत यह है कि "प्राइस खुद को दोहराते हैं और मार्केट की सभी जानकारी पहले से ही प्राइस में शामिल होती है"। 

टेक्निकल एनालिसिस के मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित हैं- 
  1. Stock की सारी जानकारी उसके प्राइस में होती है: किसी भी स्टॉक का प्राइस स्टॉक की सभी वर्तमान और संभावित जानकारी को दर्शाता है। 
  2. स्टॉक प्राइस ट्रेंड का अनुसरण करते हैं: स्टॉक के प्राइस एक ट्रेंड (Trend) में चलते हैं। यह ट्रेंड लंबे समय तक बना रह सकता है। 
  3. इतिहास खुद को दोहराता है: शेयर मार्केट इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स की मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया (Psychological Response) आमतौर पर एक समान होती है। इसलिए इतिहास से भविष्य की संभावनाओं का अनुमान लगाया जा सकता है। 

स्टॉक के सही प्राइस का आकलन करने के लिए प्रमुख टूल्स और इंडिकेटर्स 

चार्ट पैटर्न (Chart Patterns): चार्ट पैटर्न ट्रेडर्स को यह समझने में मदद करते हैं। स्टॉक के प्राइस किस दिशा में बढ़ने वाले हैं। कुछ प्रमुख चार्ट पैटर्न इस प्रकार हैं-
 
1. ट्रेंड पैटर्न्स: मार्केट ट्रेंड तीन प्रकार के होते हैं- 
  • अपट्रेंड (Uptrend): इसमें शेयर प्राइस लगातार बढ़ते रहते हैं। 
  • डाउनट्रेंड (Downtrend): इसमें शेयर प्राइस लगातार गिरते रहते हैं। 
  • साइडवे ट्रेंड (Sideway): इसमें शेयर प्राइस सीमित दायरे में बने रहते हैं। 
2. ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न्स: रिवर्सल मार्केट ट्रेंड में बदलाव को कहते हैं। ऐसा तब होता है। जब किसी शेयर का प्राइस उसके मौजूदा रुझान से विपरीत दिशा में चलने लगता है। दिशा बदलने के बाद, ट्रेंड कुछ समय तक जारी रहता है।
  • हेड एंड शोल्डर (Head and Shoulders): यह पैटर्न टेक्निकल एनालिसिस चार्ट पर तब बनता है। जब ट्रेंड रिवर्सल आने वाला होता है। ट्रेंड रिवर्सल में यदि शेयर के प्राइस गिर रहे हैं तो बढ़ने लगते हैं। इसके विपरीत यदि शेयर के प्राइस बढ़ रहे हैं तो ट्रेंड रिवर्सल आने पर प्राइस गिरने लगते हैं। 
  • डबल टॉप एंड डबल बॉटम पैटर्न: Double Top and Bottom तब होते हैं, जब स्टॉक प्राइस "W" (डबल बॉटम) या "M" (डबल टॉप) अक्षर के समान पैटर्न में चलता है। डबल टॉप और बॉटम एनालिसिस का उपयोग टेक्निकल एनालिसिस में किसी शेयर या अन्य निवेश में होने वाले प्राइस मूवमेंट को समझाने के लिए किया जाता है। इसे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के हिस्से के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। 
  • ट्रेंड इंडिकेटर्स (Trend Indicators): स्टॉक प्राइस ट्रेंड के भविष्य का अनुमान ट्रेडिंग पोजीशन बनाने के लिए बहुत जरूरी है। ट्रेंड इंडीकेटर्स शेयर के टेक्निकल एनालिसिस करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। जिससे ट्रेडर्स को शेयर के प्राइस मूवमेंट और उसकी दिशा का अनुमान लगाने में मदद मिलती है। 
  • औसिलेटर्स इंडिकेटर्स (Oscillator Indicators): स्टॉक प्राइस ओवरबॉट और ओवरसोल्ड, यह जानने आप RSI और स्टेऑस्टिक Oscillator इंडीकेटर्स का यूज कर सकते हैं। ये दोनों इंडीकेटर्स बताते हैं कि स्टॉक अधिक खरीदा (Overbought) गया है या अधिक बेचा (Oversold) गया है। 
  • वॉल्यूम इंडिकेटर्स (Volume Indicators): OBV (On-Balance Volume) – यह बताता है कि स्टॉक में ट्रेडिंग वॉल्यूम के आधार पर दबाव अधिक शेयर में बाइंग का दबाव अधिक है या सेलिंग का दबाव अधिक है। VWAP (Volume Weighted Average Price) – यह बताता है कि स्टॉक का एवरेज प्राइस ट्रेडिंग वॉल्यूम के हिसाब से कितना है। 
  • सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल (Support & Resistance Levels): आपको शेयर प्राइस के सपोर्ट लेवल पर बाइंग करनी चाहिए और रेजिस्टेंस लेवल पर सेलिंग करनी चाहिए। 

शेयर प्राइस का मूल्यांकन कैसे करें? 

शेयर प्राइस का मूल्यांकन करने के लिए आपको उसके प्राइस चार्ट का एनालिसिस करना चाहिए। इसके लिए आपको चार्ट पर ट्रेंड और पैटर्न्स देखने चाहिए। इसके लिए आप मूविंग एवरेज और MACD का उपयोग कर सकते हैं। 

इसके साथ आपको ट्रेडिंग वॉल्यूम का भी एनालिसिस करना चाहिए। अधीन वॉल्यूम वाले स्टॉक में ट्रेंड मजबूत होता है। आप RSI और Stochastic Oscillator पर देखें कि स्टॉक ओवरबॉट या ओवरसोल्ड कौन सी स्थिति में है। सपोर्ट और रेजिस्टेंस के लेवल को देखें कि स्टॉक की कीमत किस दिशा में जा सकती है। 

टेक्निकल एनालिसिस स्टॉक के सही प्राइस का मूल्यांकन करने का एक प्रभावी तरीका है। हालांकि, इसे अकेले उपयोग करना पर्याप्त नहीं होता। निवेशकों को फंडामेंटल एनालिसिस के साथ टेक्निकल एनालिसिस का संयोजन करना चाहिए। 

अगर आप निवेश करने से पहले इन टेक्निकल इंडीकेटर्स का सही तरीके से उपयोग करते हैं, तो आप सही समय पर बाइंग और सेलिंग करके अधिक प्रॉफिट कमा सकते हैं। 

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