ट्रेडिंग में स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर यूज करें? Stochastic Oscillator

स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर एक मोमेंटम इंडिकेटर है। जो स्टॉक के क्लोजिंग प्राइस की तुलना, एक निश्चित टाइम पीरियड में उस स्टॉक के प्राइस रेंज से करता है। 1950 में जॉर्ज लेंन ने इस इंडिकेटर का अविष्कार किया था। स्टोकेस्टिक हर तरह के मार्केट में काम आने वाला इंडिकेटर है। 

यह इंडिकेटर शेयर मार्केट, कमोडिटी मार्केट, F&O और करेंसी मार्केट में बहुत अच्छी तरह से काम करता है। आइए विस्तार से जानते हैं- ट्रेडिंग में स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर कैसे यूज करें। How to use Stochastic oscillator in trading.  

जब आप Stochastic Indicator के साथ काम करते हैं तो आपको बहुत आसानी से पता चल जाता है. कि मार्केट ओवरबॉट या ओवरसोल्ड है। स्टोकेस्टिक इंडिकेटर शेयर मार्केट ट्रेडर्स का पसंदीदा टेक्निकल इंडिकेटर है। 
                                                                               
Stochastic Oscillator


अगर आप शेयर मार्केट टेक्निकल एनालिसिस में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको मुकुल अग्रवाल द्वारा लिखित द सिम्पलेस्ट बुक फॉर टेक्निकल एनालिसिस जरूर पढ़नी चाहिए। 

Stochastic Oscillator क्या है? 

स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर एक मोमेंटम इंडिकेटर है जो स्टॉक, कमोडिटी और करेंसी आदि फाइनेंशियल एसेट के प्राइस में होने वाले परिवर्तन को दर्शाता है। यह इंडिकेटर आपको प्राइस चार्ट पर 0 से 100 के बीच में घूमता हुआ दिखाई देता है। 

स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर में दो मुख्य लाइनें होतीं हैं। इन लाइनों के क्रॉसओवर से आपको शेयरों में buying & selling के संकेत मिलेंगे। 
  1. हरे रंग की %K लाइन होती  है, जिसे फ़ास्ट लाइन भी कहा जाता है।  
  2. लाल रंग की %D लाइन होती है, जिसे स्लो लाइन भी कहते हैं। 
यह %D लाइन %K लाइन का मूविंग एवरेज होती है। इन दोनों लाइनों को निम्नलिखित फॉर्मूले की मदद से कैल्कुलेट किया जाता है-

Stochastic Calculation 

%K =[C-L14/H14-L14]x100

यहाँ फॉर्मूले में दिखाई दे रहे 14 का मतलब दिनों से है। यानि आपको जितने दिन का Stochastic लेवल निकलना चाहते हैं. यहाँ वह संख्या लिखनी होती है। सामन्यतः 14 दिनों का स्टोकेस्टिक कैलकुलेट किया जाता है। इसके फॉर्मूले में C का मतलब लास्ट दिन का क्लोजिंग प्राइस होता है और L 14 का मतलब आखिरी चौदह कैंडल का सबसे कम प्राइस होता है। गिफ्ट निफ़्टी

इसी तरह H14 का मतलब आखिरी चौदह कैंडल का हाई प्राइस  होता है। इन सभी को आपस में कैल्कुलेट करके % K लाइन को निकाला जाता है। %K लाइन %D का एवरेज होती है। वैसे तो आपको इस फॉर्मूले को समझने की जरूरत नहीं है क्योंकि ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर  Stochastic Oscillator लेवल को ऑटोमेटिक  रूप से निकलकर बता देता है।

आपको  स्टोकेस्टिक पीरियड के कॉलम में दिनों की संख्या लिखी है। वैसे 14 दिन की संख्या इसके कॉलम में डीफॉल्ट रूप से लिखी होती है। जो की सबसे सटीक मानी जाती है। अनुभवी ट्रेडर्स ज्यादातर 14 दिन की स्टेकेस्टिक कैल्कुलेशन करना पसंद करते हैं। आप चाहें तो अपने अनुभव के हिसाब से इसमें थोड़ा फेरबदल भी कर सकते हैं। F&O ट्रेडिंग इंडिया 

Stochastic Oscillator कैसे काम करता है? 

यह 0 से 100 के बीच घूमने वाला इंडिकेटर है। इसका लेवल 0 से नीचे और 100 से ऊपर नहीं जा सकता है। स्टोकेस्टिक में तीन महत्वपूर्ण लेवल होते हैं- 20, 50 और 80 और इन तीनों का विशेष अर्थ होता है। इसमें 50 से 100 के बीच के जोन को bullish zone कहा जाता है। जिस स्टॉक का स्टोकेस्टिक 80 के ऊपर चला जाता है। उसे overbought माना जाता है।

साथ ही 0 से 50 के बीच के जोन को bearish zone कहा जाता है। जबकि जिस स्टॉक का स्टोकेस्टिक 20 के नीचे आ जाता है, उसे oversold माना जाता है। ओवरबॉट और ओवरसोल्ड stocks को लेकर ट्रेडर्स को बहुत बड़ी गलतफहमी होती है। इसी गलतफहमी की वजह से बहुत से ट्रेडर्स को बड़ा नुकसान हो जाता है। पेनी स्टॉक्स

जब स्टॉक का स्टोकेस्टिक 80 के ऊपर जाता है। तब बहुत से ट्रेडर्स स्टॉक को ओवरबॉट मानकर शार्ट-सेल कर देते हैं। लेकिन प्राइस नीचे नहीं आता है, जिससे ट्रेडर्स को नुकसान उठाना पड़ता है। इसमें समझने वाली बात यह है कि जब शेयर का Stochastic 80 के ऊपर जाता है। तब शेयर प्राइस ओवरबॉट होना शुरू होता है न कि हो चूका होता है। 

जब स्टोकेस्टिक 80 के ऊपर जाकर नेगेटिव क्रॉसओवर लेकर नीचे की तरफ जाता है। तब आपको शेयर में बिकवाली करनी चाहिए। इसी प्रकार जब स्टोकेस्टिक 20 के नीचे जाता है तब ट्रेडर्स समझते हैं कि स्टॉक ओवरसोल्ड हो चूका है और वे उसमे लॉन्ग पोजीशन बना लेते हैं लेकिन शेयर का प्राइस 20 के नीचे गिरता रहता है। जिससे share खरीदने वाले ट्रेडर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी

अतः आपको ऐसी गलती नहीं करनी है। इसमें जानने वाली बात यह है, जब स्टॉक का स्टोकेस्टिक लेवल 20 जाता है। तब आपको यह संकेत देता है कि स्टॉक प्राइस यहाँ से ओवरसोल्ड होना शुरू हुआ है न कि ओवरसोल्ड हो चूका है। जब Stochastic level 20 के नीचे पॉजिटिव क्रॉसओवर लेकर ऊपर की तरफ आता है। 

तब संकेत मिलता है कि अब शेयर प्राइस ओवरसोल्ड हो चूका है। अब आपको शेयर में खरीदारी की पोजीशन बनानी चाहिए। जब स्टोकेस्टिक लेवल 50 के आसपास घूमता है। तब शेयर के प्राइस में बहुत कम मूवमेंट होता है। इसलिए Share price साइडवे हो जाता है। 

Stochastic Oscillator को समझें 

स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर में निम्नलिखित दो लाइनें होती हैं- 
  1. %K Line 
  2. %D Line 
ये लाइनें 0 से 100 के बीच में घूमते हुए मार्केट में buying & selling के संकेत देती रहती हैं। जब भी %K Line और %D Line एक दूसरे को क्रॉसओवर करती हैं। तब वे market में बाइंग और सेलिंग करने का संकेत देती हैं। स्टोकेस्टिक इंडिकेटर में दो प्रकार के क्रॉसओवर होते हैं-
  1. Positive Crossover (Bullish Crossover) 
  2. Negative Crossover (Bearish crossover) 
जब %K लाइन, %D लाइन को नीचे से ऊपर की ओर क्रॉसओवर करती है। तब ये शेयरों को खरीदने का संकेत देती हैं। इसे पॉजिटिव क्रॉसओवर कहते हैं। जब तक %K लाइन %D लाइन के ऊपर की दिशा में होती है। तब तक स्टॉक प्राइस बुलिश ट्रेंड में होता है। सेबी

इसी तरह जब %K लाइन %D लाइन को ऊपर से नीचे की तरफ क्रॉसओवर करती है। तब यह शेयर में बिकवाली करने का संकेत देती हैं। ये मार्केट में बिकवाली करने का संकेत देती हैं, इसे नेगटिव क्रॉसओवर कहते हैं। 

जब तक %K Line, %D Line के नीचे की दिशा में होती है। तब तक स्टॉक bearish trend में होता है। इन दोनों बिंदुओं को आप अच्छे से समझ लीजिये। जब तक ये लाइनें दोबारा से एक दूसरे को विपरीत दिशा में क्रॉसओवर नहीं करती हैं। तब तक ट्रेंड रिवर्सल नहीं होता है।  

Intraday और Daily Chart पर का उपयोग 

Stochastic Oscillator जब इंट्राडे और डेली चार्ट पर 20 से 80 के बीच में घूमता है। अगर यह 20 के पास या नीचे आकर बढ़ना शुरू होता है। यानि पॉजिटिव क्रॉसओवर देता है। अगर यह 20 के ऊपर आ जाता है तो इसे Stock में buying करने का संकेत समझना चाहिए। जब स्टोकेस्टिक 80 के ऊपर जाकर नेगेटिव क्रॉसओवर देकर फिर से नीचे आना शुरू हो जाता है। 

तब आपको शेयरों में बिकवाली करनी चाहिए। यानि आप short selling कर सकते हैं। इंट्राडे ट्रेडर्स इस ट्रेडिंग रेंज का अच्छा फायदा उठा सकते हैं। इस रेंज में हमेशा कन्फर्मेशन मिलने के बाद ट्रेडिंग पोजीशन बनाने की सलाह दी जाती है। जिससे की wipshow की आशंका से बचा जा सके। 

स्टोकेस्टिक जब इंट्राडे और डेली चार्ट पर 50 से 100 के बीच में घूमता है। तब मार्केट में Long Bullish Trend की संभावनाएं बनती हैं। जब यह 50 के ऊपर पॉजिटिव क्रॉसओवर देता है तो इसे स्टॉक में बाइंग करने का संकेत समझना चाहिए। जब स्टोकेस्टिक 80 के ऊपर निकल जाता है तो बुलिश ट्रेंड और मजबूत हो जाता है। अतः इस दौरान स्टॉक में selling करने से बचना चाहिए। 

Stochastic Oscillator जब इंट्राडे और डेली चार्ट पर 50 से 0 के बीच घूमता है। स्टॉक में लॉन्ग टर्म bearish trend की आशंका रहती है। जब यह 50 के नीचे नेगेटिव क्रॉसओवर देता है तो यह स्टॉक में बिकवाली करना का संकेत होता है। अगर स्टोकेस्टिक 20 के नीचे आ जाता है तो शेयर प्राइस में गिरावट की आशंका और ज्यादा बढ़ जाती है। अतः इस समय शेयर को खरीदने से बचना चाहिए।  

जब स्टोकेस्टिक 80 से 100 के बीच घूमता है तब मार्केट स्ट्रांग बुलिश ट्रेंड में होता है। अगर स्टॉक 80 के ऊपर पॉजिटिव क्रॉसओवर देता है तो आपको स्टॉक में सावधानी के साथ खरीदारी की पोजीशन बनानी चाहिए। क्योंकि इस समय स्टॉक प्राइस में जोरदार तेजी हो सकती है। इस समय स्टॉक में बिकवाली करने से बचना चाहिए। 

जब स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर शेयर के प्राइस चार्ट पर 20 से 0 के बीच घूमता है। उस समय स्टॉक जोरदार bearish trend में होता है। अगर यह 20 से नीचे नेगेटिव क्रॉसओवर देता है तो आपको शेयर में बिकवाली की पोजीशन बनानी चाहिए। इस समय मार्केट जबरदस्त मंदी में होता है। अतः आपको नेगेटिव क्रॉसओवर होने पर शेयर को खरीदने से बचना चाहिए।

Stochastic Oscillator के डबल टॉप और बॉटम 

इसमें स्टॉक के प्राइस में बनने वाले डबल टॉप और बॉटम की बात नहीं हो रही है। बल्कि स्टोकेस्टिक इंडिकेटर में में बनने बाले डबल टॉप और डबल बॉटम की बात हो रही है। अतः आपको कन्फ्यूज नहीं होना है। जब चार्ट पर स्टोकेस्टिक 80 के ऊपर जाकर डबल टॉप बनाता है। 

तब स्टॉक में ट्रेंड रिवर्सल की आशंका बढ़ जाती है। यानि के अब स्टॉक के प्राइस गिर सकते हैं। अतः आप स्टॉक में बिकवाली कर सकते हैं। इसी तरह जब आप चार्ट पर देखें कि स्टोकेस्टिक लाइन 20 के नीचे जाकर डबल बॉटम बना रही है। तब स्टॉक प्राइस में ट्रेंड रिवर्सल की संभावना बहुत बढ़ जाती है। अब शेयर प्राइस में मजबूत तेजी की संभावना है। यानि यहाँ से शेयर के प्राइस बढ़ सकते हैं। अतः अब आप शेयर में खरीदारी कर सकते हैं।

Stochastic Divergence 

स्टोकेस्टिक डाइवर्जेन्स दो प्रकार का होता है-
  1. Positive Divergence (Bullish Divergence) 
  2. Negative Crossover (Bearish Divergence) 
पॉजिटिव डाइवर्जेन्स: जब चार्ट पर शेयर का प्राइस नीचे जा रहा होता है। तब स्टोकेस्टिक इंडिकेटर नीचे जाते-जाते ऊपर जाने लगता है। यानि कि स्टोकेस्टिक इंडिकेटर में पॉजिटिव डायवर्जेन्स हो रहा है। उस समय अगर शेयर के प्राइस चार्ट पर बुलिश कैंडलस्टिक पैटर्न बने तो शेयर प्राइस में अब तेजी की संभावना बन रही है। इस स्थिती में आपको शेयर में लॉन्ग-पोजीशन बना सकते हैं। 

नेगेटिव डायवर्जेन्स: अगर आप चार्ट पर देखते हैं कि शेयर प्राइस ऊपर जा रहा है। लेकिन स्टोकेस्टिक इंडिकेटर ऊपर जाते-जाते नीचे जाने लगता है। इसका मतलब स्टोकेस्टिक इंडिकेटर में नेगेटिव डायवर्जेन्स हो रहा है। इस समय अगर शेयर के प्राइस चार्ट पर बेयरिश कैंडलस्टिक पैटर्न बनें तो इसका मतलब अब शेयर के प्राइस में गिरावट हो सकती है। नेगेटिव डायवर्जेन्स होने पर आप शेयर में बिकवाली (short-selling) की पोजीशन बना सकते हैं। 

स्टोकेस्टिक इंडिकेटर का उपयोग करने से पहले आपको यह जरूर पता होना चाहिए कि आपको किस टाइमफ्रेम में चार्ट को देखना है। आप ट्रेडिंग पोजीशन के हिसाब से निम्नलिखित टाइमफ्रेम में चार्ट को देख सकते हैं-
  1. Intraday tarding के लिए आपको 5 और 10 मिनट के टाइमफ्रेम में चार्ट को देखना चाहिए। 
  2. अगर आप स्विंग ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको 15 तथा 30 मिनट और आवर्ली टाइमफ्रेम में चार्ट को देखना चाहिए। 
  3. अगर आप पोजीशनल ट्रेडर हैं तो आपको डेली टाइमफ्रेम में चार्ट को देखना चाहिए। 
  4. लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग के लिए आपको डेली के साथ-साथ वीकली टाइमफ्रेम में भी चार्ट को देखना चाहिए। 
  5. Stochastic Oscillator को यूज करने का टाइमफ्रेम जितना बड़ा होगा। वह उतने ही सटीक संकेत देगा।

Stochastic Oscillator की मदद से buying % selling कैसे करें? 

स्टोकेस्टिक इंडिकेटर के अनुसार शेयरों को खरीदारी और बिकवाली करने के दो तरीके हैं- 
  1. स्टोकेस्टिक क्रॉसओवर (Crossover) 
  2. स्टोकेस्टिक डायवर्जेन्स (Divergence) 
1. पॉजिटिव क्रॉसओवर के साथ स्टॉक में बाइंग कैसे करें?: अगर आप चार्ट पार देखते हैं कि स्टॉक में 20 के ऊपर पॉजिटिव क्रॉसओवर हो रहा है। आपको स्टॉक में बाइंग की पोजीशन बनाने के लिए चार्ट पर देखना चाहिए कि जिस जिस कैंडल में पॉजिटिव क्रॉसओवर हो रहा है। आपको उससे अगली बुलिश कैंडल बनने के बाद बाइंग करनी चाहिए। 

साथ ही आपको पहली कैंडल के लो प्राइस का स्टॉपलॉस भी जरूर लगाना चाहिए। आपको ट्रेड लेने से पहले एक बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए। आपको शेयर में बाइंग करने के पॉइंट और स्टॉप लॉस के पॉइंट के बीच के अन्तर और प्रॉफिट टार्गेट दोनों रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो के नियम के अनुसार लगाना चाहिए। आपको प्रॉफिट टार्गेट पास के रेजिस्टेंस लेवल तक रखना चाहिए। हमेशा ट्रेड में ट्रेलिंग स्टॉपलॉस का यूज करना अच्छा रहता है। 

अगर चार्ट पर क्रॉसओवर 20 के नीचे हो रहा है तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आपको शेयर में बाइंग तब करनी है जब पॉजिटिव क्रॉसओवर 20 के ऊपर आ जाये। इससे आप नुकसान की आशंका को कम कर सकते हैं। क्रॉसओवर की दोनों लाइन जिस कैंडल के नीचे ऊपर की तरफ जा रही हैं। 
उसके बाद वाली कैंडल बनने पर आपको शेयर में बाइंग करनी चाहिए। जिस कैंडल में क्रॉसओवर लो लाइन ऊपर की तरफ जा रही हैं उस कैंडल के लो प्राइस का आपको स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। इस trade में भी आपको रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो के 2% के नियम का पालन करना चाहिए। यानि की बाइंग करने के पॉइंट और स्टॉपलॉस के पॉइंट से रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो 2% के अनुसार होना चाहिए। 

पॉजिटिव क्रॉसओवर में प्रॉफिट बुक कब करें?: Stochastic Oscillator के अनुसार लिए गए ट्रेड में आपको प्रॉफिट बुक तब तक नहीं करना चाहिए जब कोई नेगेटिव क्रॉसओवर नहीं होता है। जब नेगेटिव क्रॉसओवर हो जाये। तुरंत ही आपको प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए। अगर आपका ट्रेलिंग स्टॉपलॉस हिट हो जाता है तो उसे भी आपको प्रॉफिट बुक ही समझना चाहिए। 

एक बात हमेशा आपको गांठ बांधकर रखनी चाहिए। अगर आपका ट्रॉलिंग स्टॉपलॉस हिट हो जाये तो आपको तुरंत दूसरा ट्रेड कभी भी नहीं लेना चाहिए। इस तरह आप स्टोकेस्टिक के पॉजिटिव क्रॉसओवर के साथ स्टॉक में बाइंग कर सकते हैं। 

2. नेगेटिव क्रॉसओवर के साथ बिकवाली कैसे करें?: जब आपको चार्ट पर 80 के नीचे नेगेटिव क्रॉसओवर दिखाई दे। इस समय शेयर में बिकवाली करने के लिए आपको देखना चाहिए। कि जिस कैंडल में नेगेटिव क्रॉसओवर हो रहा है। आपको उस कैंडल की अगली कैंडल में बिकवाली करनी चाहिए। 

आपको negative crossover से पहली कैंडल के हाई प्राइस का stoploss लगाना चाहिए। साथ ही आपको पूर्व की तरह ही आपके शेयर में बिकवाली करने के पॉइंट से स्टॉपलॉस के पॉइंट के बीच का अंतर risk-reword-ratio के 2% के नियम के अनुसार होना चाहिए। तभी आपको ट्रेड लेना है क्योंकि इससे आप इस ट्रेड में नुकसान की आशंका को कम रख सकते हैं। 

अगर प्राइस चार्ट पर नेगेटिव क्रॉसओवर 80 के ऊपर हो रहा है तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए। जब Stochastic Oscillator की दोनों लाइन 80 के नीचे आ जाये। तभी आपको शेयर में बिकवाली (Short-selling करनी चाहिए। ऐसा करके आप संभावित नुकसान की आशंका को कम कर सकते हैं। 

जिस कैंडल के नीचे ऑसिलेटरकी दोनों लाइन नीचे जा रही हैं। उसके बाद वाली कैंडल में आपको बिकवाली करनी चाहिए। जिस कैंडल में दोनों लाइन नीचे जा रही हैं। उसके हाई प्राइस का आपको स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। साथ ही इस trade में भी आपको ऊपर बताए गए रिस्क-रिवॉर्ड-रूल के 2% के नियम का पालन करना चाहिए। जब आपका ट्रेड प्रॉफिट में आ जाता है तो आपको ट्रॉलिंग स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। 

नेगेटिव क्रॉसओवर में प्रॉफिट बुक कब करें? आपको इसमें तब तक प्रॉफिट बुक नहीं करना चाहिए। जब तक आपको चार्ट पर कोई पॉजिटिव क्रॉसओवर ना दिखाई दे। अगर आपको चार्ट पर पॉजिटिव क्रॉसओवर दिखाई दे जाये तो आपको तुरंत प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए। 

अगर आपका ट्रॉलिंग स्टॉपलॉस हिट हो जाये। उसे भी आपको प्रॉफिट बुक ही समझना चाहिए।  इस बात का आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि स्टॉपलॉस हिट हो जाने के टर्न बाद आपको कोई नया ट्रेड नहीं लेना है। इस तरह आप Stochastic Oscillator में नेगेटिव क्रॉसओवर के साथ selling करके प्रॉफिट कमा सकते हैं। 

स्टोकेस्टिक डायवर्जेन्स के साथ शेयर में Buying & Selling कैसे करें? 

स्टोकेस्टिक डायवर्जेन्स भी दो तरह के होते हैं। जिनके अनुसार आप stocks में बाइंग और सेलिंग कर सकते हैं। 
  1. Positive/Bullish Divergence 
  2. Negative/Bearish Divergance  
1. पॉजिटिव डायवर्जेन्स: जब आपको किसी स्टॉक के चार्ट पर स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर में पॉजिटिव यानि बुलिश डायवर्जेन्स दिखाई दे। तब आपको बुलिश डायवर्जेन्स के साथ चार्ट पर बनने वाली बुलिश कैंडल से अगली कैंडल में तुरंत बाइंग करनी चाहिए। 

डायवर्जेन्स होने पर आपको किसी अन्य टेक्निकल टूल से कन्फर्मेशन लेने की कोई जरूरत नहीं है। डायवर्जेन्स के साथ बुलिश कैंडल बनना ही काफी है। इसके बाद आपको रिस्क रिवॉर्ड रूल्स के हिसाब से स्टॉपलॉस लगाना है। आप ट्रॉलिंग स्टॉपलॉस का भी यूज कर सकते हैं। प्रॉफिट बुकिंग  बुलिश डायवर्जेन्स के हिसाब से ही करनी है। इस तरह आप पोजीतिब डायवर्जेंस के साथ शेयरों में बाइंग की पोजीशन बना सकते हैं। 

2. नेगेटिव डायवर्जेन्स: अगर आपको चार्ट पर स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर में डायवर्जेन्स दिखाई देता है। तब शेयर में selling करने के लिए आपको देखना है कि चार्ट पर बेयरिश डायवर्जेन्स के साथ-साथ बेयरिश कैंडल भी बन रही है। अगर चार्ट पर बेयरिश कैंडल बन रही है तो आपको डायवर्जेन्स के नीचे बनी दूसरी कैंडल में तुरंत बिकवाली करनी है। इस पोजीशन में आपको बेयरिश डायवर्जेंस के हिसाब से ही स्टॉपलॉस लगाना और प्रॉफिट बुक करना है। 

स्टोकेस्टिक डबल टॉप और डबल बॉटम के हिसाब से शेयरों को निम्नलिखित प्रकार से Buy & Sell कर सकते हैं-

Stochastic Double Bottom 

उम्मीद है, आपको यह ट्रेडिंग में स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर कैसे यूज करें? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह  How to use Stochastic oscillator in trading. आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारियां प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं। 





                                               

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