ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सेबी ( Sebi new rules for options trading ) के नए नियम क्या हैं?

सेबी (SEBI ) वर्तमान समय में रिटेल निवेशों की सुरक्षा के लिए उनकी नेटवर्थ के हिसाब से बेमेल ट्रेडिंग की निगरानी के लिए। रूल्स और रेग्युलेशंस बनाने पर चर्चा कर रहा है। इन उपायों में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग ( डेरिवेटिव ) को, इनमें ट्रेड करने वाले ट्रेडर्स की इनकम से जोड़ना भी शामिल है। लेकिन स्पेक्युलेटिव मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में रिटेल ट्रेडर्स की भागीदारी पर रोक लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। आइए विस्तार से जानते हैं- ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सेबी के नए नियम क्या हैं? Sebi new rules for options trading in Hindi.

                                                                             
Sebi new rules for options trading

अगर आप ऑप्शन्स ट्रेडिंग में महारत हाँसिल करना चाहते हैं। तो आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसों का पेड़ कैसे लगाए  बुक जरूर पढ़ना चाहिए।


SEBI क्या है?

भारतीय शेयर बाजार का नियामक सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ) जिसे अंग्रेजी में Securities and Exchange Board of India भी कहते हैं। यह भारतीय शेयर मार्केट और कमोडिटी मार्केट के लिए एक रेग्युरलेट्री बॉडी यानि नियम बनाने वाली संस्था है। यह भारतीय सरकार के वित् विभाग के द्वारा संचालित संस्था है। सेबी की स्थापना 1988 में हुई थी। मुहूर्त ट्रेडिंग
SEBI के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं-
  1. इसके मुख्य कार्यों में निवेशकों के हितों की रक्षा करना शामिल है। 
  2. शेयर मार्केट के विकास में सहयोग देना।  
  3. उसकी जरूरतों के हिसाब से कानून बनाना और पुराने कानूनों में बदलाव करना। 
  4. शेयर मार्केट और कमोडिटी मार्केट को रेग्युलेट करना और उससे जुड़े मामलों को नियंत्रित करना। 

SEBI Retail Options Traders के जोखिम को कैसे कम करना चाहता है?

सेबी रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के लिए उनकी संपत्ति के हिसाब से इक्विटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग की मात्रा को जोड़ने की योजना बना रहा है। सेबी के इस कदम का उद्देश्य उन छोटे इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के जोखिम को कम करना है। जिन्हें फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में नुकसान होता है। सेबी फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में रिटेल ट्रेडर्स के रिस्क की गंभीरता को समझते हुए। उसे रेग्युलेट करके जोखिम को कम करने की योजना बना रहा है। 
यह कदम तब उठाया गया है। जब भारतीय शेयर मार्केट अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुँच गया है। शेयर मार्केट के ऑल टाइम हाई पर पहुंचने से ही रिटेल ट्रेडर्स की इसमें दिलचस्पी बढ़ी है। सेबी को चिंता है कि मार्केट में वोलेटिलिटी बढ़ने पर रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में नुकसान हो सकता है। एनएसई ऑप्शन चैन
सेबी के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी डेरिवेटिव मार्केट में रिटेल निवेशकों की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जो मार्च तक पिछले तीन वर्षों में 500% बढ़ गई है। जनवरी में किए गए सेबी के एक अध्ययन में पाया गया कि दस में से नौ रिटेल ऑप्शन ट्रेडर्स को नुकसान होता है। इसमें मुख्य रूप से 30 वर्ष की आयु के लोगों ने, पिछले वित्तीय वर्ष में नुकसान किया है। जिसमें औसत नुकसान लगभग 110,000 भारतीय रुपये ( एक लाख दस हजार रूपये ) था। 
सेबी ने ब्रोकरों से अपनी वेबसाइटों पर डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों का प्रमुखता से खुलासा करने के लिए कहा है। हालाँकि, SEBI अब और अधिक सख्त कार्रवाई पर विचार कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि सेबी वर्तमान में रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स की सुरक्षा के लिए असंगत ट्रेडिंग के लिए रूल्स और रेग्युलेशंस बनाने पर विचार कर रहा है। IPO ग्रे मार्केट प्रीमियम
मार्केटमे ऐसी चर्चा है कि SEBI रिटेल ट्रेडर्स के जोखिम को कम करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए Options trading करने वाले रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स की इनकम के अनुसार। उन्हें ट्रेडिंग करने की अनुमति दिए जाना शामिल है। 
सेबी इस बात की जाँच कर रहा है। क्या स्टॉक ब्रोकर्स को इस बात के लिए जिम्मेदार बनाया जा सकता है? कि वे अपने रिटेल क्लाइंट्स की नेटवर्थ और इनकम की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को देने के लिए बाध्य हो सकें। रिटेल ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स की आय का निर्धारण उनके आयकर रिटर्न और पिछले छः महीनें के बैंक स्टेटमेंट के आधार पर हो सकता है। 
सूत्रों के अनुसार ब्रोकर के द्वारा ट्रेडर्स की नेटवर्थ और इनकम की जानकारी एक्सचेंजों को देने के बाद। एक्सचेंजों के पास रिटेल ट्रेडर्स की अलग-अलग ब्रोकरेज फर्मों में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में ट्रेडिंग को ट्रेक करने की क्षमता हो जाएगी। इससे रिटेल ट्रेडर्स की ट्रेडिंग करने की क्षमता को उसकी इनकम के हिसाब से तय किया जा सकता है। इस तरह रिटेल ट्रेडर को Options trading में होने वाले अत्यधिक नुकसान से बचाया जा सकता है। 
वैसे यह रूल्स रिटेल ट्रेडर्स के लिए बहुत अच्छा होगा क्योंकि इससे रिटेल ट्रेडर्स का रिस्क मैनेजमेंट बहुत अच्छा हो जायेगा। सेबी ने पहले भी 2017 में इस तरह की रूपरेखा पेश की थी। लेकिन ऐसा बताया गया कि ब्रोकर्स के द्वारा Retail traders की संपत्ति का मूल्यांकन करने में असमर्थता जाहिर करने के कारण इसे छोड़ दिया गया। 
फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में रिटेल ट्रेडर्स  को होने वाले नुकसान पर एक रिपोर्ट आयी है। जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक दस में से नौ रिटेल ट्रेडर्स ऑप्शंस ट्रेडिंग में नुकसान होता है। ज्यादातर बड़े ट्रेडर्स ही मार्केट से पैसा कमाते हैं। रिटेल ट्रेडर्स के इसी नुकसान को रोकने के लिए Sebi new rules for options trading बनाना चाहता है। शेयर मार्केट के बारे में अक्सर बहुत सी न्यूज बहुत आती रहती हैं। 
जैसे कि अभी एक न्यूज आयी है कि शेयर मार्केट सोमवार से शुक्रवार तक चौबीसों घंटे खुलेगा। या वर्तमान टाइमिंग के साथ-साथ शाम को छः से नौ बजे तक एक्स्ट्रा खुलेगा। लेकिन सभी न्यूज को मार्केट में इम्प्लीमेंट करना इतना भी आसान नहीं है। क्योंकि शेयर मार्केट में करोड़ों लोग काम करते हैं और डेली अरबों रूपये का कारोबार होता है। इसलिए कोई भी रूल रातों रात लागु नहीं हो सकता है। बहुत सोचविचार के साथ, उसके फायदे और नुकसान का अध्ययन करने के बाद ही नये रूल्स मार्केट में लागु हो पाते हैं। 
फिर भी यह एक  सीरियस इश्यू भी है क्योंकि डेरिवेटिव ट्रेडिंग की लोगों को लत भी लग जाती है। स्टॉक मार्केट में आने वाले नए लोगों का सीधे Options trading शुरू कर देना भी एक बड़ी समस्या है। जिससे उन्हें बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए रिटेल ट्रेडर्स की वेल्थ की सुरक्षा के लिए, रिस्क मैनेजमेंट से सम्बन्धित कोई नया रूल आता है। तो यह रिटेल ट्रेडर्स के लिए अच्छा ही रहेगा। 
खुद ट्रेडर्स को भी धैर्य होना चाहिए और शुरुआत स्टॉक ट्रेडिंग से ही करना चाहिए। जब आप स्टॉक ट्रेडिंग में एक्सपर्ट हो जायें, उसके बाद options trading शुरू करना चाहिए। साथ ही रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो के रूल्स का सख्ती से पालन करना चाहिए। तभी आप ऑप्शंस ट्रेडिंग में सफल हो सकते हैं।
इसके जोखिम को कम करने के लिए SEBI को सभी रिटेल ऑप्शन ट्रेडर्स का एक एग्जाम लेना चाहिए। जिसमें पास होने वाले लोगों को ही ऑप्शंस ट्रेडिंग की अनुमति मिलनी चाहिए। पैसों के आधार पर लोगों को ऑप्शंस ट्रेडिंग करने से रोकना गलत है। स्किल के आधार पर Options trading की अनुमति देना चाहिए। पहले छः महीने स्टॉक ट्रेडिंग करने वाले रिटेल ट्रेडर्स को ही ऑप्शंस ट्रेडिंग की अनुमति मिलनी चाहिए। ऐसा रूल भी रिटेल ट्रेडर्स के लिए सही रहेगा। ऑप्शंस ट्रेडिंग के नए रूल्स आने वाले हैं, यह न्यूज अफवाह ही जयादा लगती है। 
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1 टिप्पणी:

  1. OPTION KE NAYE RULES TOH BANATE REHTE HA LEKIN BROKERAGE KO KABHI CHECK NAHI KARTE. SBICAPITAL Ltd. Jaisse thuggi marne waale Rs 50 per lot brokerage charge krke investors ka sara paissa loot rahe ha ha. Public Sector bank Mai lgta ha lutera groups ko entry milne ke baad SBICARD va SBICAP Ltd lutera wings ban kar grahko ko loot rahe ha.

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