F&O Lot Size: फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में लॉट साइज क्या है?

F&O ट्रेडर्स आमतौर पर लॉट में ट्रेड करते हैं लेकिन स्टॉक मार्केट में आने वाले सभी नए लोगों को 'लॉट' शब्द का मतलब नहीं पता होता है। फ्यूचर एंड ऑप्शंस एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट हैं, जो स्टॉक्स, कमोडिटी और करेंसी जैसे अंडरलाइंग एसेट से अपना प्राइस प्राप्त करते हैं। 

इसमें ट्रेड करने के लिए शेयरों की संख्या फिक्स होती है जिसे lot (लॉट) कहा जाता है। एक लॉट में जितने शेयरों की संख्या फिक्स होती है उसे ही 'Lot Size' कहा जाता है। आप एक लॉट से कम की कॉल ऑप्शन या पुट ऑप्शन खरीद या बेच नहीं सकते हैं। विस्तार से जानते हैं- फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में लॉट साइज क्या है? Lot Size in futures and options (F&O) trading in Hindi.
                                                                                 
F&O Lot Size

                                                                                   
यदि आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसों का पेड़ कैसे लगाएं बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

F&O Lot Size क्या है?  

फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) को डेरिवेटिव भी कहा जाता है। इनकी ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंजों पर ही होती है। एक्सचेंजों द्वारा जारी किये गए न्यूनतम लॉट साइज के आधार पर F&O कॉन्ट्रेक्ट्स का मानकीकरण किया जाता है। 

फ्यूचर एंड ऑप्शन में लॉट साइज, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का न्यूनतम टिकिट साइज है। जिसे आप F&O में ट्रेड कर सकते हैं। Futures & Options में ट्रडिंग करते समय, आप डेरिवेटिव प्रोडक्ट को कम से कम एक लॉट या उसके गुणकों में खरीद और बेच सकते हैं। 

सेबी, फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में ट्रेडिंग के लिए SEBI (शेयर मार्केट के लिए रूल्स और रेग्युलेशन बानने वाली संस्था) सभी F&O शेयर और इंडेक्स का Lot size निर्धारित करती है।  प्रॉफिटेबल ऑप्शन स्ट्रेटजी  

एक लॉट, फ्यूचर्स और ऑप्शंस स्टॉक्स की कम से कम सख्या है, जिसे कोई भी कॉन्ट्रेक्ट की शर्तों के अनुसार खरीद और बेच सकता है। उदाहरण के लिए- Nifty 50 के एक लॉट का साइज 75 यूनिट है और BANKNIFTY के एक लॉट का साइज 15 यूनिट है। इसलिए आप Nifty 50 को 75 के गुणक में और BANKNIFTY को 15 के गुणक में खरीद या बेच सकते हैं। 

मान लीजिये कोई ऑप्शन ट्रेडर NIFTY 50 के कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट का एक लॉट खरीदता है। निफ्टी के एक लॉट में पचास यूनिट हैं। उस निफ्टी 50 के कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू 100 रूपये है तो 100 *75 = 7,500 रूपये होगी। 

लॉट के मुख्य पॉइंट

  1. लॉट एक अंडरलाइंग एसेट की यूनिट की संख्या है, जिसकी स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग होती है। 
  2. स्टॉक्स के लिए एक राउंड लॉट साइज जैसे 100 या 200 यूनिट हो सकता है।  
  3. एक लॉट के कितने भी गुणकों में स्टॉक्स ट्रेडिंग की जा सकती है। इसे भी लॉट ही कहा जाता है। 
  4. एक ट्रेडर चाहे जितने Futures & Options के लॉट में ट्रेडिंग कर सकता है। हालाँकि कॉन्ट्रेक्ट के आकार के आधार पर अंडरलाइंग की राशि तय की जाती है। 
  5. एक lot अंडरलाइंग स्टॉक की फिक्स यूनिट का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि फोरेक्स मार्केट में माइक्रो, मिनी और स्टैण्डर्ड lots होते हैं। स्ट्राइक प्राइस
सेबी लॉट वैल्यू तय करता है, जब Futures & options में ट्रेडिंग स्टार्ट हुई तो इसने दो लाख रूपये लॉट वैल्यू तय की थी। उसके बाद सेबी ने शेयरों की संख्या तय करके उसका लॉट साइज बनाया। जो मार्केट प्राइस से गुणा करने पर दो लाख से अधिक अनुमानित मूल्य देगा। 

ऐसा रिटेल ट्रेडर्स को इसमें भाग लेने से रोकने के लिए किया गया था। ITM, ATM, OTM इसके पीछे सोच यह थी कि रिटेल ट्रेडर्स भारी नुकसान से बच जायें क्योंकि यह एक स्पेक्युलेटिव मार्केट है। ऑप्शन ट्रेडिंग के आंकड़ों दे यह पता चलता है कि 10 में से 9 ऑप्शन ट्रेडर्स को नुकसान उठाना पड़ता है। 

इसी नुकसान से बचने के लिए सेबी ने फिर से ऑप्शन ट्रेडिंग के नियमों में बदलाव किया है। अब सभी इंडेक्स में होने वाली वीकली एक्सपायरी को खत्म कर दिया गया है। अब एक स्टॉक एक्सचेंज पर एक इंडेक्स की वीकली एक्सपायरी होती है। 

अतः बैंकनिफ़्टी की वीकली एक्सपायरी अब बंद हो गयी है। अब NSE पर केवल निफ़्टी की वीकली एक्सपायरी होती है। BSE पर सेंसेक्स की वीकल एक्सपायरी होती है। 

2015 में जैसे-जैसे लोगों की इनकम और क्रय शक्ति बढ़ी, lot value को बढाकर पाँच लाख कर दिया गया। F&O सूची में नया एडिशन किया गया है, जिसकी कीमत 7.5 लाख रूपये है। विभिन्न कंपनियों का lot size की कीमत 5-10 लाख रूपये है। 

लॉट साइज में बदलाव क्यों होते हैं?

सेबी समय-समय पर लॉट साइज में बदलाव करता रहता है। ऐसा सेबी इसलिए करता है क्योंकि जब लॉट वैल्यू अपनी निर्धारित सीमा (रेंज) से तेजी से हट जाती है। यानि कि जब शेयर प्राइस में भारी बदलाव होता है। माना Futures & options में XYZ कंपनी के 1000 शेयर का लॉट साइज हैं और उसका ट्रेडिंग प्राइस 250 रूपये है। उसके लॉट की वैल्यू 1000*250 = 2.50 लाख रूपये हुई। 

यदि समय के साथ इस XYZ शेयर का प्राइस बढ़कर 650 रूपये हो जाता है। तब पूर्व निश्चित लॉट साइज के अनुसार इस शेयर के लॉट साइज का मूल्य 1000*650 = 6.50 लाख रूपये हो जायेगा। जो कि सेबी द्वारा निर्धारित lot size के हिसाब से बड़ा विचलन है। ऑप्शन चैन

इस मामले में सेबी इसके लॉट साइज को घटाकर 300 शेयर का लॉट साइज भी कर सकता है। इससे इसकी लॉट वैल्यू घटकर 300*650 = 1.95 लाख रूपये हो जाएगी। इसके लॉट में ट्रेडर्स को ट्रेडिंग करने के लिए बहुत ज्यादा रुपयों की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

यदि शेयर के प्राइस में करेक्शन होता है तो सेबी उस शेयर के लॉट में शेयरों की यूनिट बढ़ाकर लॉट की वैल्यू बनाये रख सकती है। स्टॉक्स के प्राइस में विचलन के कारण फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के लॉट साइज में संशोधन किया जाता है। ओपन इंटरेस्ट   

F&O ट्रेडिंग में लॉट साइज में करेक्शन करने से सबसे मुख्य कारण में से एक कारण lot size का मानकीकरण भी है। उदाहरण के लिए फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस की मंथली एक्सपायरी उस महीने के आखिरी बृहस्पतिवार को होती है। इसके आलावा, इंडेक्स में F&O की के एक महीना, दो महीना, तीन महीना और इससे भी आगे के ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट भी उपलब्ध होते हैं।

आखिर में, F&O की Lot Size एक बहुत बड़ी विशेषता है, सेबी अतिरिक्त स्पेक्युलेशन और रिटेल ट्रेडर्स को भारी नुकसान को रोकने के लिए समय-समय पर लॉट साइज में और नियमों में बदलाव करता रहता है। जिससे F&O ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा की जा सके। पुट-कॉल ऑप्शन  

लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs 

फ्यूचर्स में लॉट साइज क्या है? 

फ्यूचर्स में Lot Size स्टॉक्स का न्यूनतम टिकिट साइज है, जिससे आप फ्यूचर्स में ट्रेड कर सकते हैं।  F&O में ट्रेडिंग करते समय आप इन प्रोडक्ट का कम से कम एक लॉट या उसके गुणकों में ट्रेड कर सकते हैं। उदाहरण के लिए Nifty 50 का lot size 75 यूनिट है इसलिए आप निफ्टी के केवल 75 के गुणक में ट्रेड कर सकते हैं। फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट  

फ्यूचर्स ट्रेडिंग में 1 लॉट क्या है? 

ऑप्शन टर्म में 'लॉट' अंडरलाइंग स्टॉक की संख्या का प्रतिनिधित्व करता है। एक इक्विटी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट कम्पनी के स्टॉक्स के अंडरलाइंग स्टॉक्स की सेबी द्वारा निर्धारित संख्या का प्रतिनिधित्व करता है। दूसरे शब्दों में, एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के लॉट में शेयरों की निश्चित संख्या होती है।

ऑप्शन बेचना महँगा क्यों है? 

यदि स्टॉक्स का प्राइस कॉल ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस से अधिक हो जाता है। तो कॉल ऑप्शन का सेलर (विक्रेता) को स्पॉट मार्केट प्राइस और उसके स्ट्राइक प्राइस के बीच के अंतर के बराबर का नुकसान हो जायेगा। इसी संभावित नुकसान की भरपाई के लिए अधिकांश ऑप्शन सेलर ज्यादातर ऑप्शन सेलर ऑप्शंस को महँगा बेचते हैं। फॉरवर्ड कॉन्ट्रेक्ट 

उम्मीद है, आपको यह फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में (F&O) लॉट साइज क्या है? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Lot Size in futures and options (F&O) trading in Hindi. आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। 

शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आप इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यदि आपके मन में इस आर्टिकल के सम्बन्ध में कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो जरूर करें क्योंकि वहां में अक्सर शेयर मार्केट के बारे में रोचक जानकारियां शेयर करती रहती हूँ। 

कोई टिप्पणी नहीं

Jason Morrow के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.