Undervalued Stocks: अंडरवैल्यूड/अंडरप्राइस्ड स्टॉक्स को कैसे पहचाने?
अंडरवैल्यूड स्टॉक्स (Undervalued Stocks) वे स्टॉक्स होते हैं, जिनका करंट मार्केट प्राइस उनके अनुमानित और आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value) से कम होता है। इसका मतलब है कि मार्केट में इन स्टॉक्स का प्राइस कम आंका जा रहा है।
जबकि उन स्टॉक्स प्राइस की वास्तविक क्षमता और प्राइस इससे अधिक है। आइए विस्तार से जानते हैं- अंडरवैल्यूड या अंडरप्राइस्ड स्टॉक्स को कैसे पहचाने? What is Undervalued/underpriced Stocks In Hindi.
अगर आप शेयर मार्केट इन्वेस्टिंग के एक्सपर्ट बनकर इससे अथाह धन कमाना चाहते हैं तो आपको रॉबर्ट हॉगस्ट्रोम द्वारा लिखित द वॉरेन बफेट के निवेश के रहस्य बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
अंडरवैल्यूड क्या?
Undervalued Stocks एक फाइनेंशियल टर्म है, जो शेयर अपनी इन्ट्रिंसिक वैल्यू से कम, करंट मार्केट प्राइस (CMP) पर शेयर मार्केट में बिक रहे होते हैं। उन्हें अंडरवैल्यूड स्टॉक कहा जाता है। आसान भाषा में कहें तो जो स्टॉक्स अपने अनुमानित प्राइस से कम पर मार्केट में बिक रहे होते हैं, उन्हें अंडरवैल्यूड स्टॉक कहा जाता है।
उदाहरण के लिए यदि कोई शेयर 100 रूपये प्रति शेयर के प्राइस पर बिक रहा है। लेकिन उसके कैश फ्लो के आधार पर उसकी इन्ट्रिंसिक वैल्यू 300 रूपये प्रति शेयर है तो उसे अंडरवैल्यूड स्टॉक माना जायेगा।
स्टॉक मार्केट से संबंधित कई बुक्स में अंडरवैल्यूड स्टॉक के बारे में चर्चा की गयी है। जैसे वॉरेन बफेट के गुरु बैंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर बुक, इसे "द डीन ऑफ़ वॉलस्ट्रीट" के नाम से भी जाना जाता है।
रॉबर्ट हॉगस्ट्रोम द्वारा लिखित बुक द वॉरेन बफेट वे बुक में भी वैल्यू इन्वेस्टिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। बैंजामिन ग्राहम के विचारों का युवा वॉरेन बफ़ेट पर बहुत प्रभाव पड़ा था। जिन्हें अपनाकर बफे ने शेयर मार्केट से अथाह धन कमाया और वे एक प्रसिद्ध अमेरिकी अरबपति बन गए।
शेयर के आंतरिक मूल्य और मार्केट प्राइस के बीच के अंतर का लाभ उठाने के लिए अंडरवैल्यूड स्टॉक खरीदना वैल्यू इन्वेस्टिंग के नाम से जाना जाता है।
किसी स्टॉक का कम मूल्यांकन किए जाने का अर्थ है कि स्टॉक का मार्केट प्राइस किसी तरह से "गलत" है। इन्वेस्टर के पास या तो ऐसी जानकारी है जो शेष मार्केट पार्टिसिपेंट्स के लिए उपलब्ध नहीं है। अथवा वह इन्वेस्टर स्टॉक का पूरी तरह से व्यक्तिपरक, विरोधाभासी मूल्यांकन कर रहा है।
वैल्यू इन्वेस्टिंग पूरी तरह से रिस्क फ्री नहीं है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अंडरवैल्यूड स्टॉक कब और कितना बढ़ेगा। स्टॉक की इन्ट्रिंसिक वैल्यू को निर्धारित करने का कोई सटीक तरीका भी नहीं है। यह केवल शेयर मार्केट एनालिस्ट द्वारा बनाया गया अनुमान लगाने का खेल है।
जब कोई शेयर मार्केट का जानकर व्यक्ति यह कहता है कि स्टॉक का प्राइस अंडरवैल्यूड है। तो वे केवल इतना कह रहे हैं कि उनका मानना है कि स्टॉक की वास्तविक कीमत मौजूदा मार्केट प्राइस से अधिक है, लेकिन यह स्वाभाविक रूप से व्यक्तिपरक है और व्यवसाय के मूल सिद्धांतों से तर्कसंगत तर्क पर आधारित हो भी सकता है और नहीं भी।
कोई stock वास्तव में अंडरवैल्यूड है अथवा नहीं इसका पता लगाने के लिए उसका विश्लेषण किया जाना चाहिए। यदि किसी स्टॉक के प्राइस का मूल्यांकन करने के लिए गलत तरीका अपनाया जा रहा है। तो इसका मतलब यह भी हो सकता है कि शेयर अपने फेयर प्राइस पर मार्केट में ट्रेड कर रहा है। मिड कैप स्टॉक्स
अंडरवैल्यूड स्टॉक्स होने के मुख्य कारण
- मार्केट सेंटीमेंट: इन्वेस्टर्स के फियर एंड ग्रीड प्रतिक्रिया के कारण कुछ स्टॉक्स को उनकी वास्तविक कीमत से कम पर बेचा जाता है।
- स्टॉक के बारे में कम जानकारी: कंपनी की सही जानकारी न होने के कारण इन्वेस्टर्स उस स्टॉक को नज़रअंदाज कर देते हैं।
- अस्थायी समस्याएं: किसी कंपनी के अस्थायी खराब प्रदर्शन या बाहरी समस्याओं के कारण उसके स्टॉक्स कम मूल्य पर ट्रेड कर सकते हैं।
- मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर्स: जैसे आर्थिक मंदी, ब्याज दरों में बदलाव, या किसी विशेष सेक्टर में गिरावट की वजह से उस सेक्टर के स्टॉक के प्राइस अंडरवैल्यूड होते हैं।
अंडरवैल्यूड स्टॉक्स को पहचानने के तरीके
- पी/ई अनुपात (Price to Earnings Ratio): यदि किसी कंपनी का पी/ई रेश्यो उस सेक्टर की अन्य कंपनियों के औसत से कम है। तो यह संकेत हो सकता है कि वह स्टॉक अंडरवैल्यूड है।
- पी/बी अनुपात (Price to Book Ratio): कंपनी के बुक वैल्यू के मुकाबले यदि स्टॉक की कीमत कम हो, तो इसे अंडरवैल्यूड माना जा सकता है।
- डिस्काउंटेड कैश फ्लो (DCF) एनालिसिस: कंपनी के भविष्य के कैश फ्लो का मूल्यांकन करके उसकी वर्तमान कीमत का विश्लेषण किया जाता है।
- डिविडेंड यील्ड: उच्च डिविडेंड यील्ड वाले स्टॉक्स अक्सर अंडरवैल्यूड हो सकते हैं।
- डेब्ट-टू-इक्विटी रेशियो: यदि कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत है लेकिन स्टॉक की कीमत कम है, तो यह संकेत हो सकता है। इंडेक्सबोम सेंसेक्स
अंडरवैल्यूड स्टॉक के फायदे क्या हैं?
Undervalued Stocks में इन्वेस्टिंग के कई फायदे होते हैं, जो लॉन्ग टर्म में इन्वेस्टर्स को अच्छा रिटर्न दिला सकते हैं। नीचे अंडरवैल्यूड स्टॉक्स के मुख्य लाभों को विस्तार से समझाया गया है-
1. उच्च रिटर्न की संभावना (High Returns Potential): अंडरवैल्यूड स्टॉक्स का प्राइस उसके आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value) से कम होता है। जब शेयर बाजार इनकी सही कीमत को पहचानता है, तब स्टॉक की कीमत बढ़ती है। जिससे इन्वेस्टर्स को लाभदायक रिटर्न मिलता है।
उदाहरण: अगर किसी स्टॉक का प्राइस 50 रूपये प्रति शेयर है। लेकिन इसकी इन्ट्रिंसिक वैल्यू 100 रूपये है, तो समय के साथ उस स्टॉक की कीमत बढ़ने की संभावना अधिक रहेगी।
2. कम जोखिम (Lower Risk Investment): चूंकि अंडरवैल्यूड स्टॉक्स पहले से ही कम प्राइस पर मार्केट में ट्रेड कर होते हैं। अतः शेयर मार्केट में इनके प्राइस में गिरावट का जोखिम कम होता है। हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग
यह स्टॉक्स वैल्यू इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी के लिए उपयुक्त होते है इसलिए इन्वेस्टर्स लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग के दृष्टिकोण से कम प्राइस वाले स्टॉक्स खरीदते हैं।
3. डिविडेंड यील्ड का फायदा (Better Dividend Yields): अंडरवैल्यूड स्टॉक्स आमतौर पर अच्छे डिविडेंड यील्ड देते हैं। डिविडेंड यील्ड संकेत करता है कि कंपनी की फाइनेंशियल कंडीशन मजबूत है। इससे इन्वेस्टर्स को डिविडेंड के रूप में नियमित आय मिल सकती है।
4. पोर्टफोलियो में स्थिरता (Portfolio Stability): अंडरवैल्यूड स्टॉक्स में इन्वेस्ट करने से पोर्टफोलियो में स्थिरता आती है। ये फंडामेंटली स्ट्रॉन्ग कंपनियों के स्टॉक्स होते हैं, जो मार्केट के उतार-चढ़ाव में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
5. लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन (Wealth Creation Over Time): यदि आप लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर हैं, तो अंडरवैल्यूड स्टॉक्स का सही चयन वेल्थ क्रिएशन के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। समय के साथ कंपनी के प्रदर्शन में सुधार होने पर इनका मूल्य बढ़ता रहता है।
6. बाजार की गलतफहमियों का लाभ (Taking Advantage of Market Inefficiencies): कई बार मार्केट में गलतफहमियों या भावनात्मक फैसलों के कारण कुछ स्टॉक्स की कीमतें उनकी वास्तविक क्षमता से कम हो जाती हैं। समझदार इन्वेस्टर्स इन परिस्थितियों का फायदा उठाकर बेस वैल्यू स्टॉक्स में इन्वेस्ट करते हैं।
8. कंपाउंडिंग का लाभ (Power of Compounding): अंडरवैल्यूड स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट करने से कंपाउंडिंग के जरिए रिटर्न बढ़ता है। लंबे समय तक स्टॉक को होल्ड करने से निवेशित पूंजी में कई गुना बढ़ोतरी होती है।
7. खरीदने का सही अवसर (Opportunity to Buy at a Discount): अंडरवैल्यूड स्टॉक्स इन्वेस्टर्स को सस्ते मूल्य पर क्वालिटी स्टॉक्स खरीदने का मौका देते हैं। जैसे-जैसे स्टॉक मार्केट में उन शेयरों में इन्वेस्टर्स विश्वास बढ़ता है। इनकी कीमतें बढ़ने लगती हैं, जिससे इन्वेस्टर्स को मल्टीबैगर रिटर्न मिलने की संभावना बनती है।
सावधानी, सही रिसर्च जरूरी: अंडरवैल्यूड स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट से पहले उसका फंडामेंटल एनालिसिस, पी/ई रेशियो, और फ्री कैश फ्लो जैसे मापदंडों का विश्लेषण करना जरूरी है। शेयर मार्केट में गलत स्टॉक्स चुनने पर नुकसान भी हो सकता है।
अंडरवैल्यूड स्टॉक्स हमेशा अच्छा रिटर्न नहीं देते। किसी स्टॉक के अंडरवैल्यूड होने का मतलब यह नहीं है कि वह भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करेगा।
निष्कर्ष: अंडरवैल्यूड स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट का सही लाभ तभी मिलता है। जब आप धैर्यपूर्वक सही कंपनियों का चयन करके उन्हें लॉन्ग टर्म तक होल्ड करते हैं। यह इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी आपके पोर्टफोलियो को मजबूती और स्थिरता देने के साथ लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न दिला सकती है।
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