पुट-कॉल ऑप्शन (Put-Call Options) कॉन्ट्रेक्ट की सम्पूर्ण जानकारी

 जिसने भी कभी ऑप्शन ट्रेडिंग किया है या इसके बारे में सोच रहा है। उसने पुट और कॉल ऑप्शन का नाम जरूर सुना होगा। ऑप्शन ट्रेडिंग में पुट और कॉल का उपयोग स्टॉक्स खरीदने और बेचने के लिए किया जाता है।

पुट ऑप्शन इसके खरीदार को एक्सपायरी डेट से पहले स्ट्राइक प्राइस पर शेयर बेचने का अधिकार देता है लेकिन बाध्य नहीं करता है। इसी तरह कॉल ऑप्शन इसके खरीदार को एक्सपायरी डेट से पहले स्ट्राइक प्राइस पर शेयर ख़रीदने का अधिकार देता है लेकिन इसके लिए बाध्य नहीं करता है। 

आइए विस्तार से जानते हैं- पुट और कॉल ऑप्शन (Put and Call Option) क्या है सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में? Put and Call option kya hai and How to calculate Put Call Ratio

                                                                                      

Put and call option

यदि आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस मार्केट के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं, तो आपको ऑप्शन ट्रेडिंग की पहचान बुक को अवश्य पढ़ना चाहिए।

Put and Call Options के बारे में 

यदि ट्रेडर्स पुट की तुलना में कॉल अधिक खरीद रहें हैं तो यह शेयर मार्केट में तेजी का संकेत होता है। इसी तरह यदि ट्रेडर्स कॉल की तुलना में पुट अधिक खरीद रहे हैं तो यह मार्केट में मंदी का संकेत होता है। फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट 
  • 12 जून 2000 को इंडिया में इंडेक्स फ्यूचर्स लॉन्च किये गए। 
  • 4 जून 2001 को इंडिया में इंडेक्स ऑप्शंस लॉन्च किये गए।
  • 2 जुलाई 2001 को इंडिया में स्टॉक ऑप्शन लॉन्च किये गए। 
  • 9 नवंबर 2001 को इंडिया में सिंगल स्टॉक फ्यूचर्स लॉन्च किये गए। 
वैसे तो इंडेक्स ऑप्शन में ट्रेडिंग, इंडिया में 2001 में शुरू हो गई थी। लेकिन ऑप्शंस में लिक्विडिटी 2006 से आनी शुरू हुई थी। अंतर्राष्ट्रीय Stock market की तुलना में भारतीय शेयर मार्केट में अभी भी  लिक्विडिटी कम है। आपका प्रॉफिट और लॉस इस पर निर्भर करता है कि आप ऑप्शन के बायर हैं या सेलर। फॉरवर्ड कॉन्ट्रेक्ट

ऑप्शन निम्नलिखित दो तरह के होते है- 
  1. पुट ऑप्शन (Put option)  
  2. कॉल ऑप्शन (Call Option) 
Put and call option क्या है? शेयर मार्केट ट्रेडर्स के नजरिये से देखे तो कॉल ऑप्शन आपको सेलर से एक्सपायरी डेट से पहले, इसमें शामिल स्टॉक्स को पहले से तय कीमत पर खरीदने का ऑप्शन देता है। पुट ऑप्शन भी आपको सेलर से एक्सपायरी डेट से पहले, इसमें शामिल स्टॉक्स को पहले से तय कीमत पर बेचने का ऑप्शन देता है। रूस के शेयर मार्केट 

कॉल को शार्ट में CE और पुट को PE भी कहा जाता है। Put and Call options को लॉट साइज में खरीदा जाता है। प्रत्येक लॉट में स्टॉक्स की पूर्वनिर्धारित मात्रा होती है। जो स्टॉक F&O में शामिल होते हैं, उसी के ऑप्शन, खरीदने के लिए उपलब्ध होते हैं।  

पुट और कॉल में क्या अंतर है? Call option में प्रॉफिट की गणना शेयर के market price से उसके स्ट्राइक प्राइस और प्रीमियम को घटाकर की जाती है। शेयर की कीमत अनलिमिटेड बढ़ सकती है इसलिए प्रॉफिट भी अपार हो सकता है। 

इसी तरह Put option में भी प्रॉफिट की गणना करने के लिए स्ट्राइक प्राइस में से शेयर के मार्केट प्राइस और प्रीमियम को घटाया जाता है। 0-2 तक पुट-कॉल रेश्यो की एक रेंज होती है। ज्यादातर समय पुट कॉल रेश्यो इसी रेंज के बीच में घूमता रहता है।

Put-Call Options कब खरीदे और बेचें? 

सरल शब्दों में कहें तो ट्रेडर्स कॉल तब खरीदते हैं। जब उन्हें स्टॉक्स के प्राइस बढ़ने की संभावना दिखाई देती है। इसी तरह ट्रेडर्स पुट ऑप्शन तब खरीदते है, तब उन्हें स्टॉक्स के प्राइस गिरने की आशंका होती है। 

कॉल ऑप्शन खरीदने वाले को शेयर के प्राइस बढ़ने पर प्रॉफिट होता है और प्राइस गिरने पर नुकसान होता है।इसी तरह पुट ऑप्शन खरीदने वाले ट्रेडर्स को स्टॉक्स के प्राइस गिरने पर प्रॉफिट होता है और प्राइस चढ़ने पर नुकसान होता है। 

Option trading में प्रॉफिट कैसे होता है? इसे एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझ सकते हैं। यदि आप 18000 की स्ट्राइक प्राइस पर निफ्टी के एक कॉल ऑप्शन का एक लॉट, सौ रूपये प्रति शेयर के प्रीमियम पर खरीदते हैं। निफ्टी के एक लॉट में पचास शेयर हैं। इस कीमत पर आप निफ्टी का एक लॉट (100 गुणा 50 =5000) पाँच हजार रूपये में खरीद सकते हैं। 

जैसे-जैसे निफ्टी का प्राइस बढ़ेगा। उसके कॉल का प्रीमियम भी बढ़ेगा और आपको प्रॉफिट होगा। यदि निफ्टी की 18000 के स्ट्राइक की कॉल का प्रीमियम सौ से बढ़कर एक सौ पच्चीस रूपये हो जाता है तो इस स्थिति में आपको पच्चीस रूपये प्रति शेयर का प्रॉफिट होगा। 

निफ्टी के एक लॉट में पचास शेयर हैं अतः आपको 25 गुणा 50 = 1250 रूपये का प्रॉफिट केवल पाँच हजार रूपये लगाकर होगा।

इसी तरह यदि आप निफ्टी18000 की स्ट्राइक प्राइस की Put option का एक लॉट सौ रूपये के प्रीमियम पर खरीदते हैं। जैसा कि आपको मालूम है, निफ्टी के एक लॉट में पचास शेयर हैं। इस तरह आप पांच हजार रूपये में निफ्टी की पुट ऑप्शन का एक लॉट खरीद लेते हैं। 

अब यदि निफ्टी का प्राइस गिरता है तो आपके पुट ऑप्शन का प्रीमियम बढ़ जायेगा। मान लीजिये निफ्टी की 18000 की पुट का प्रीमियम सौ रूपये से बढ़कर एक सौ पच्चीस रूपये हो जाता है। 25 गुणा 50 = 1250 रूपये का आपको प्रॉफिट होगा।

Put-call Ratio क्या है? 

पुट-कॉल रेश्यो एक टेक्निकल इंडिकेटर है। जो ट्रेडर्स के सेंटीमेंट को प्रदर्शित करता है। पुट-कॉल रेश्यो किसी भी दिन खरीदे गये, सभी पुट ऑप्शन और कॉल ऑप्शन के बीच के अनुपात को बताता है। F&O में शामिल किसी भी शेयर और इंडेक्स का Put-Call ratio निकाल सकते हैं। पुट-कॉल रेश्यो को शार्ट में PCR भी कहा जाता है।

Put-Call Ratio कैसे निकाले? पुट-साल  रेश्यो निकलने के लिए ट्रेडेड पुट को ट्रेडेड कॉल से विभाजित करके निकला जाता है। ट्रेडेड पुट और ट्रेडेड कॉल की संख्या को ओपन इंट्रेस्ट कहा जाता है। यदि पुट-कॉल रेश्यो 1 (one) रहता है तो इसका मतलब कॉल के खरीदारों की संख्या पुट के खरीदारों के बराबर है। यह PCR मार्केट पर न्यूट्रल संकेत देता है। 

यदि पुट-कॉल रेश्यो 1 से ज्यादा है तो इसका मतलब कॉल की तुलना में पुट ज्यादा खरीदे जा रहे हैं। यह मार्केट में गिरावट का संकेत होता है। आमतौर पर 0.7 से नीचे 0.5 तक पहुंचने वाला पुट-कॉल रेश्यो मार्केट में तेजी का संकेत देता है। इसका मतलब मार्केट में पुट की तुलना में कॉल ज्यादा खरीदे जा रहे हैं। सीपीआर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी

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