Ketan Parekh Stock market Scam: केतन पारेख: स्टॉक मार्केट का सबसे विवादित घोटालेबाज
केतन पारेख का नाम भारतीय शेयर मार्केट के इतिहास के सबसे चर्चित और विवादास्पद व्यक्तियों में आता है। वह एक ऐसा नाम है, जिसने न केवल भारतीय स्टॉक मार्केट को हिला दिया, बल्कि छोटे और बड़े निवेशकों के विश्वास को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
इस आर्टिकल में हम केतन पारेख के जीवन, उनके कार्य, और उनके कुख्यात घोटालों की पूरी कहानी को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे। आइए जानते हैं- केतन पारेख: भारतीय स्टॉक मार्केट का सबसे विवादित घोटालेबाज। Ketan Parekh Stock market Scam in Hindi.
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केतन पारेख: भारतीय स्टॉक मार्केट का सबसे विवादित घोटालेबाज
केतन पारेख का नाम, अब फिर से एक नए फ्रंट रनिंग शेयर मार्केट घोटाले में आ रहा है। मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने बताया है कि इस फ्रंट रनिंग घोटाले में Ketan Parekh के आलावा कुछ अन्य लोग भी शामिल हैं। इस स्कैम में सेबी ने 65.77 करोड़ रूपये की अवैध कमाई भी जब्त की है। इसी के साथ केतन पारेख को दोबारा से शेयर मार्केट से बैन भी कर दिया गया है।
फ्रंट रनिंग क्या होता है?: फ्रंट रनिंग शेयर ट्रेडिंग का एक अवैध तरीका होता है। जिसमें कोई स्टॉक ब्रोकर या ट्रेडर अपने क्लाइंट के ऑर्डर के बारे में पहले ही जान लेता है। उसकी गोपनीय जानकारी का इस्तेमाल मार्केट में अपने फायदे के लिए करता है। यह तरीका गैरक़ानूनी है क्योंकि इससे शेयर मार्केट में सभी के लिए समान अवसर के नियम का उलंघन होता है।
फ्रंट रनिंग को एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझ सकते हैं। मान लिए समीर नाम का एक इन्वेस्टर है, वह XYZ कंपनी के एक लाख शेयर ख़रीदना चाहता है। यह खबर किसी तरह उत्कर्ष के कानों में पड़ जाती है। उत्कर्ष एक स्टॉकब्रोकर है, इसका पता लगने पर वह XYZ कंपनी के शेयर पहले से ही खरीद लेता है।
क्योंकि वह पहले से जनता है कि इस शेयर में खरीददारी का बड़ा सौदा होने वाला है। समीर तो XYZ कंपनी के शेयर खरीदेगा ही। मान लीजिये जब उत्कर्ष इस कंपनी के शेयर खरीदता है, जब इसका प्राइस 100 रूपये प्रति शेयर होता है लेकिन जब कुछ समय बाद समीर इस XYZ कंपनी के शेयर खरीदता है तो उसके बाद उस शेयर की कीमत बढ़कर 150 प्रति शेयर हो जाती है। इसके बाद उत्कर्ष अपने शेयर बेचकर जबरदस्त फायदा उठता है। इसी को फ्रंट रनिंग कहा जाता है।
केतन पारेख स्कैम
Ketan Parekh का नाम शेयर मार्केट घोटाले में दोबारा आया है। केतन पारेख एक ब्रोकरेज परिवार से आते हैं। 2017 तक तो वह शेयर मार्केट से पूरी तरह बैन थे। लेकिन इसके बाद फिर से केतन पारेख की शेयर मार्केट में एक्टिव होने की खबरें आयी।
एक अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के एक बड़े एसेट मैनेजर ने अपने कई फंडस को सेबी के पास विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर एफआईआई के तौर पर रजिस्टर्ड कर रखा था। इसके बाद जब कभी सलगावंकर को इससे ऑर्डर मिलते थे। वे इसकी जानकारी केतन पारेख तक पहुँचा देते थे।
इसके बाद केतन पारेख कोलकाता में अपने लोगों से इस ट्रेड को फ्रंट रनिंग करवाकर अवैध पैसा कमाते थे। इस घोटाले के लिए कई अलग-अलग फोन नंबर और नामों का इस्तेमाल किया गया था। सेबी ने इन सभी चीजों को जोड़कर इस घोटाले का खुलासा किया।
फ्रंट रनिंग करने वाली संस्थाओं से बातचीत करने के लिए पारेख अलग-अलग नामों का उपयोग किया करते थे। इसके आलावा केतन के सम्पर्क में रहने वाले लोग इसके लिए फर्जी नामों जैसे जैक, जॉन आदि का इस्तेमाल किया करते थे। जिससे किसी को शक ना हो।
आईईएमआई मतलब इंटरनेशनल मोबाइल नंबरों को ट्रैक करना शुरू किया। केतन अक्सर अपनी सिम बदल लेते थे लेकिन फोन नहीं बदलते थे। यहीं उन्होंने गलती कर दी, सेबी ने जितने भी नंबर निकले थे वे सभी एक ही आईईएमआई नंबर से जुड़े थे। इंडेक्सबोम सेंसेक्स
इसके आलावा सेबी ने कॉल रिकॉर्ड्स का डेटा भी निकाला जो एक ही लोकेशन केतन पारेख के घर की बता रहा था। सलगॉवकर ने भी सेबी की जाँच में यह स्वीकार किया है कि केतन पारेख और वह एक दूसरे के सम्पर्क में थे। इस तरह इस स्कैम का भंडाफोड़ हुआ। इससे पहले भी केतन पारेख ने कई स्कैम किये थे।
Ketan Parekh एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1980 के दशक में मुंबई में की थी। उनका झुकाव हमेशा शेयर मार्केट की तरफ था, और उन्होंने अपने प्रारंभिक करियर में ही स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया था। 1990 के दशक के अंत तक, वह एक प्रमुख स्टॉकब्रोकर और फाइनेंसर बन चुके थे। उस समय उन्हें उनकी तेज़ सोच और हाई रिस्क लेने की क्षमता के लिए जाना जाता था।
केतन पारेख ने अपने गुरु हर्षद मेहता से शेयर मार्केट में स्कैम करने के सारे गुर सीखे। कहा जाता है की Scam 92 में हर्षद मेहता के साथ केतन पारेख भी शामिल थे लेकिन वह बच निकले। स्टॉक मार्केट में केतन पारेख का प्रभाव इतना गहरा था कि उन्हें "बिग बुल" हर्षद मेहता का उत्तराधिकारी माना जाने लगा। उन्होंने stocks के प्राइस को कृत्रिम रूप से बढ़ाने और गिराने में महारत हासिल कर ली थी।
केतन पारेख Share market scam भारत में एक बड़ा वित्तीय घोटाला था। जिसे 1998 और 2001 के बीच अंजाम दिया गया था। इसमें मुंबई के एक पूर्व स्टॉकब्रोकर केतन पारेख द्वारा शेयरों के प्राइस में हेरफेर किया जाता था।
पारेख ने बैंकों से बड़ी रकम लोन पर लेकर और इन शेयरों को खरीदने के लिए इसका इस्तेमाल किया। जिससे इन शेयरों के प्राइस कृत्रिम रूप से बढ़ा गए, जिन्हें "के-10 स्टॉक" के रूप में जाना जाता है। केतन पारेख ने पम्प एंड डंप स्कीम का इस्तेमाल किया। इसमें शेयरों की झूठी डिमांड पैदा की, जिससे उनके प्राइस बढ़ गईं और पारेख को स्टॉक बेचने पर बेशुमार मुनाफा हुआ।
इस scam का इंडियन शेयर मार्केट पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा, जिससे 2001 में शेयर मार्केट में भारी गिरावट आई। इसके परिणामस्वरूप कई बैंक और फाइनेंसियल इंस्टीट्यूट बंद हो गए। Ketan Parekh को अंततः उसके अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया। उसे तीन वर्ष जेल की सजा सुनाई गई और 14 वर्ष के लिए शेयर मार्केट से प्रतिबंधित कर दिया गया। इस घोटाले को भारत के इतिहास के सबसे बड़े शेयर मार्केट घोटालों में से एक बताया गया है।
केतन पारेख के K-10 Stocks
"के-10 स्टॉक" शब्द स्टॉक के एक ग्रुप को संदर्भित करता है, इस ग्रुप के stocks में केतन पारेख ने 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में भारी मात्रा में पम्प एंड डंप स्कीम अपनाकर हेरफेर किया था। ये स्टॉक मुख्य रूप से आईटी, मीडिया और टेलिकम्युनिकेशन (TMT) जैसे सेक्टर्स की कंपनियों से थे।
जो डॉट-कॉम बूम के दौरान बहुत लोकप्रिय थे। पारेख ने हाई ग्रोथ पोटेंशियल या स्पेक्युलेटिव अपील वाले stocks को चिन्हित किया। उन्होंने कम ट्रेडिंग वॉल्यूम, पैनी स्टॉक्स वाले शेयरों की पहचान करके इनके शेयरों को खरीदा। इसके बाद इन शेयरों की कृत्रिम मांग पैदा करके इन शेयरों को हाई प्राइस पर डंप कर दिया।
K-10 स्टॉक की सटीक नाम समय के साथ अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन कुछ सामान्य रूप से ज्ञात शेयरों के नाम निम्नलिखित हैं-
- पेंटामीडिया ग्राफिक्स
- विजुअलसॉफ्ट
- HFCL (हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस लिमिटेड)
- ग्लोबल टेली-सिस्टम्स
- DSQ सॉफ्टवेयर
- ज़ी टेलीफिल्म्स (अब ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज)
- सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज (बाद में अपने स्वयं के घोटाले में शामिल)
- सिल्वरलाइन टेक्नोलॉजीज
- क्रेस्ट कम्युनिकेशंस
- एफ़टेक इंफ़ोसिस
K-10 स्टॉक्स में scam कैसे किया
केतन पारेख छोटे स्टॉक्स में पम्प एंड डंप स्कीम अपनाकर स्कैम को अंजाम देता था। जिसे हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम का उपयोग करके शेयरों के प्राइस को कृत्रिम रूप से बढ़ा देता था।
शेयरों के प्राइस सिग्नीफिकेंट लेवल तक पहुंचने के बाद वह अपनी होल्डिंग्स को बेच देता था। जिससे छोटे ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स जो शायरों के प्राइस बढ़ते देखकर उनमे इन्वेस्ट करते थे, उनके भारी नुकसान होता था।
केतन पारेख सर्कुलर ट्रेडिंग भी करता था। इसके लिए वह आपस में परस्पर जुडी हुई संस्थाओं के बीच ट्रेडों को अंजाम देता था। जिसे आम ट्रेडर्स के बीच शेयर की हाई डिमांड का भ्रम पैदा हो जाता था।
1990 के दशक के अंत में टेक्नोलॉजी शेयरों के इर्द-गिर्द वैश्विक उत्साह ने पारेख के हेरफेर के लिए उपजाऊ जमीन प्रदान की। उन्होंने इन शेयरों की खरीद के वित्तपोषण के लिए माधवपुरा मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक (एमएमसीबी) जैसे बैंकों से लोन लिए गए पैसों का इस्तेमाल किया।
K- 10 Scam का Share market पर प्रभाव
2001 में इस स्कैम के उजागर होने के बाद K-10 स्टॉक्स के प्राइस बहुत ज्यादा गिर गए थे। इससे बहुत से रिटेल इन्वेस्टर्स की पूँजी बिल्कुल ही समाप्त हो गयी। इसमें से कई कंपनियां दिवालिया हो गई थी। जबकि कई कंपनियों को SEBI की कार्यवाही का सामना करना पड़ा था।
कंपनियों को इस scam से उबरने के लिए कई वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा। Ketan Parekh scam की वजह से सम्पूर्ण शेयर मार्केट में बहुत बड़ी गिरावट हुई। जिससे बहुत ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स का शेयर मार्केट विश्वास ही उठ गया था।
इस स्कैम ने स्पेक्युलेटिव ट्रेडिंग और सेबी की निगरानी में कमी से शेयर मार्केट में उत्प्न्न होने वाले जोखिमों को उजागर किया। शेयर मार्केट को इस तरह के स्कैम से बचाने के लिए सेबी ने सख्त नए नियमों को लागू भी किया था।
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