स्टॉक मार्केट में डब्बा ट्रेडिंग क्या है? What is Dabba Trading |
जब लोग स्टॉक मार्केट में बिना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोले रोज हजारों-लाखों रूपये के शेयर खरीदते और बेचते हैं। यानि किसी स्टॉक ब्रोकर के यहाँ बिना ट्रेडिंग अकाउंट खोले, जब ट्रेडिंग की जाती है। उसे डब्बा ट्रेडिंग कहा जाता है। इसमें ट्रेडर्स को ब्रोकरेज और टैक्स भी नहीं देना पड़ता है। आइए विस्तार से जानते हैं- स्टॉक मार्केट में डब्बा ट्रेडिंग क्या है? What is Dabba Trading in Stock market Hindi.
डब्बा ट्रेडिंग तो गलत है, इसे नहीं करना चाहिए। लेकिन अगर आप स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग सीखना चाहते हैं तो जितेंद्र गाला और अंकित पटेल द्वारा लिखित बुक इंट्राडे ट्रेडिंग और कैंडलस्टिक की पहचान जरूर पढ़नी चाहियें।
Dabba Trading होती क्या है?
भारत में आप डब्बा ट्रेडिंग के द्वारा किसी ब्रोकिंग फर्म में बिना ट्रेडिंग अकाउंट खोले स्टॉक ट्रेडिंग कर सकते हैं। जिसमें टैक्स भी नहीं देना पड़ता है। स्टॉक मार्केट के वास्तविक लेनदेन में शामिल हुए बिना, इसमें स्टॉक एक्सचेंजों के बाहर stocks & Commodities में ट्रेडिंग की जाती है।
Stock market के रियल लेनदेन में शामिल हुए बिना स्टॉक के प्राइस में होने वाले उतार-चढ़ाव पर दांव लगाना गैरकानूनी है। वाणिज्य में डब्बा शब्द का उपयोग धातु के डब्बे के लिए किया जाता है। जिसका यूज खाना रखने के लिए किया जाता है। साथ ही ऐसे भी डब्बे होते हैं, जिनका उपयोग गैरकानूनी लेनदेन के लिए किया जाता है। स्टॉक ऑपरेटर्स सीक्रेट
Dabba traders गुप्त लेनदेन के लिए अनऑथराइज्ड स्टॉक एक्सचेंज चलाते हैं। जो ऑथराइज्ड स्टॉक एक्सचेंज के समानांतर गैरकानूनी रूप से चलाये जाते हैं। यदि डब्बा ट्रेडिंग के इतिहास के बारे में बात की जाय तो बहुत पहले स्टॉक मार्केट में एक बकेटिंग या बॉक्स ट्रेडिंग कांसेप्ट चलता था।
जिसे बाद में डब्बा ट्रेडिंग के नाम से जाना जाने लगा। बहुत पहले एक बहुत बड़े ट्रेडर हुए थे। उन्होंने शेयर मार्केट से अथाह धन कमाया था। उन्होंने अपनी शुरुआत डब्बा ट्रेडिंग से की थी। डब्बा ट्रेडिंग का मुख्य सिद्धांत यह है- जो ट्रेडर्स Dabba trading में लगातार पैसा कमाने लग जाते हैं उनका अकाउंट बंद कर दिया जाता है। अतः आपको इससे बचना चाहिए। IPO में invest
DabbaTrading की शुरुआत
ऐसा माना जाता है कि 2000 के दशक में डब्बा ट्रेडिंग की शुरुआत हुई थी। जब इन्वेस्टर्स ने स्टॉक एक्सचेंजों के अलावा भी स्टॉक्स में ट्रेडिंग के अन्य ऑप्शंस ढूढनें शुरु किये। "डब्बा" एक बॉक्स या कंटेनर होता है जिसका यूज चीजों को स्टोर करने और ले जाने के लिए किया जाता है।
Dabba trading में यह शब्द ऑपरेटरों के एक अनौपचारिक नेटवर्क को दर्शाता है। जो डब्बा ट्रेडिंग के संदर्भ में stocks में ऑफ-मार्केट सौदे करते हैं। माना जाता है कि डब्बा ट्रेडिंग के कांसेप्ट की शुरुआत गुजरात में हुई। जहाँ इसने शेयर बाजार के कानूनों और लागतों से बचने के इच्छुक डीलरों और ट्रेडर्स तथा इन्वेस्टर्स के मध्य तेज़ी से लोकप्रियता हासिल की। ऑप्शंस में ट्रेड
शुरुआत में, Dabba traders अक्सर मोबाइल फोन और टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए लेन-देन करते थे। जिससे अधिकारियों के लिए गतिविधि की निगरानी और नियंत्रण करना असंभव हो जाता था। यह समय के साथ और परिष्कृत होती गयी। डब्बा ट्रेडिंग में तेजी लाने और स्टॉक्स के सटीक प्राइस मूवमेंट को पकड़ने के लिए इसमें टेक्निक का यूज किया जाने लगा।
डब्बा ट्रेडर्स, Share market में प्राइस में होने वाले उतार-चढ़ाव को फॉलो करने के लिए सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशंस का यूज करने लगे। जिससे उन्हें अपने कस्टमर्स को प्रतिस्पर्धी दरें प्रदान करने में मदद मिली। इससे बहुत से अन्य लोग भी Dabba trading की तरफ आकर्षित होने लगे। इंट्राडे ट्रेडिंग
डब्बा ट्रेडिंग की उत्पत्ति सदियों पुराने अनौपचारिक वित्तीय नेटवर्क में हुई है, जो पूरे भारत में मौजूद हैं। जो आम तौर पर व्यक्तिगत संबंधों और विश्वास पर आधारित होते हैं। व्यक्तियों और एंटरप्राइजेज के बीच नकदी के लेनदेन को सुचारू बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
उन्होंने उन व्यक्तियों को ऋण प्रदान करने में भी सहायता की है। जिनकी आधिकारिक बैंकिंग संस्थानों तक पहुँच नहीं है। ये अनौपचारिक नेटवर्क समय के साथ स्टॉक ट्रेडिंग, कमोडिटी ट्रेडिंग और अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट को शामिल करके डब्बा ट्रेडिंग के लिए विकसित के लिए हो चुके हैं। मार्केट जोखिमों के अधीन है
Dabba trading भारत के स्थापित स्टॉक एक्सचेंज और स्टॉक ब्रोकर के बिना मार्केट के बाहर फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट पर दांव लगाने के लिए विकसित हुई है। इसमें ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर्स को ब्रोकरेज और टैक्स नहीं चुकाने होते हैं। यानि ट्रेडिंग कॉस्ट नहीं चुकानी होती है, फ्री में स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग की जाती है। इससे सरकार को राजस्व की हानि होती है। साथ ही स्टॉक एक्सचेंज और स्टॉक ब्रोकर्स को भी नुकसान होता है।
Dabba Trading कैसे काम करती है?
डब्बा ट्रेडिंग में आमतौर पर दो तरह के पार्टिसिपेंट्स होते हैं-
- डब्बा ऑपरेटर- डब्बा ट्रेडिंग की सर्विस देने वाले
- पंटर- डब्बा ट्रेडिंग करने वाले लोग
जिससे अधिकारियों के लिए डब्बा ट्रेडिंग में इन्वॉल्व लोगो को पकड़ना मुश्किल हो जाता है। दूसरी ओर, पंटर वे लोग होते हैं जो दांव लगाते हैं। शेयर की कीमतों पर दांव लगाकर तेजी से लाभ कमाने वाले व्यक्ति या कमोडिटी की कीमतों में अपने जोखिम को कम करने की कोशिश करने वाली कंपनियां इसमें शामिल हो सकती हैं।
डब्बा ट्रेडिंग की पोजीशन को स्टॉक एक्सचेंज और स्टॉक ब्रोकर्स के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जाता है। अतः ये लीगल तरीके से स्टॉक एक्सचेंज और स्टॉक ब्रोकर्स के थ्रू किये गए सौदों की तरह प्रतिबंधों और स्क्रूटिनी के अधीन नहीं होते हैं। इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होने के कारण इसमें इन्वेस्टर्स के हित सुरक्षित नहीं होते हैं। इससे उन्हें नुकसान होता है और वे अपना पैसा खो देते हैं। पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन
Dabba trading बहुत खतरनाक होती है। इसमें निवेशकों को धोखाधड़ी, हेरफेर या बाजार में उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए कोई सुरक्षा उपाय नहीं हैं। क्योंकि डब्बा ट्रेडिंग शेयर बाजार मार्केट को नियंत्रित करने वाली संस्था SEBI के नियंत्रण से बाहर होती है। डब्बा ऑपरेटर्स बईमान हो सकते हैं। केश में ट्रेडिंग करना जोखिम भरा और ज्यादा समय लेने वाला होता है। डब्बा ट्रेडिंग करते हुए पकड़े जाने पर जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
Stock market में Dabba trading के पीछे कारण
डब्बा ट्रेडिंग भारत में गैरकानूनी है इसलिए इस पर सरकार टैक्स भी नहीं लगा सकती है। डब्बा ट्रेडर्स गैरकानूनी तरीके से टैक्स बचाते हैं। इंडिविजुअल व्यक्तियों और बिजनेसों को धारा 1961 के आयकर अधिनियम के तहत इन्वेस्टमेंट प्रॉफिट और अपनी इनकम पर इनकम टैक्स देना जरूरी है। इनसाइडर ट्रेडिंग
डब्बा ट्रेडिंग को भारतीय कानून के तहत मान्यता प्राप्त नहीं है इसलिए टैक्स अधिकारियों के लिए डब्बा ट्रेडिंग के प्रॉफिट को ट्रैक करना और उन पर टैक्स लगाना असंभव सा है। इसने टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं। क्योंकि डब्बा ट्रेडिंग में टैक्स का भुगतान किए बिना इनकम बनाने के लिए ऑफ-मार्केट दांव का उपयोग करते हैं।
डब्बा ट्रेडर्स टैक्स का भुगतान करने से बचने के लिए डब्बा ट्रेडिंग करते हैं। उन्हें अपने ट्रेड पर कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (CTT) या सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) नहीं देना होता है। सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट (SCRA), 1956 की धारा 23(1) के तहत, 'डब्बा ट्रेडिंग' एक अपराध है। जिसके लिए दस साल तक की कैद या 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। डायनैमिक हैजिंग स्ट्रेटेजी
हाल के वर्षों में, भारतीय सरकार और टैक्स अधिकारियों ने डब्बा ट्रेडिंग से संबंधित कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए अपने प्रयासों को बढ़ा दिया है। उन्होंने डब्बा ऑपरेटर्स और डब्बा ट्रेडर्स के यहाँ पर छापे भी मारे हैं। इन अपराधों से जुड़ी नकदी और अन्य संपत्ति जब्त की है और निवेशकों को अनधिकृत नेटवर्क के माध्यम से निवेश करने के खतरों के बारे में चेतावनी दी है।
इसके अलावा, सरकार ने डब्बा ट्रेडिंग को हतोत्साहित करते हुए कानूनी निवेश माध्यमों को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां लागू की हैं। उदाहरण के लिए, इसने औपचारिक स्टॉक एक्सचेंजों और Stockbrokers के माध्यम से निवेश करने वाले लोगों और फर्मों के लिए टैक्स में छूट की शुरुआत की है। साथ ही गैरकानूनी ट्रेडिंग में लिप्त पाए जाने वालों के लिए दंड भी बढ़ाया है।
Dabba trading का भारतीय फाइनेंशियल मार्केट पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इसके परिणामस्वरूप आधिकारिक स्टॉक एक्सचेंजों और ब्रोकरों की इनकम में कमी आई है। साथ ही शेयर बाजारों में investors & traders के बीच विश्वास में कमी आई है। इसके अतिरिक्त इसने निवेशकों के लिए एक प्रतिकूल वातावरण बनाया है। जिसमें डब्बा ट्रेडर्स आधिकारिक तरीकों से निवेश करने वालों से अनुचित रूप से लाभ उठा रहे थे। इसीलिए लोग डब्बा ट्रेडिंग को पसंद करते हैं।
हाल ही में भारत सरकार ने ऑप्शन ट्रेडिंग में रिटेल ट्रेडर्स को होने वाले बहुत ज्यादा नुकसान को देखते हुए। ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए बहुत सख्त रूल्स लागू करने की घोषणा की है। जिसके परिणाम स्वरूप डब्बा ट्रेडिंग बहुत ज्यादा बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
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