Implied Volatility in Option Chain: ऑप्शन चैन में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी को समझें
By: Manju Chaudhary Published Jun 30, 2025
इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी अंडरलाइंग एसेट की सप्लाई एंड डिमांड से प्रभावित होती है। इसके साथ ही शेयर प्राइस के मार्केट की अपेक्षाएं भी इसे प्रभावित करती हैं। जैसे-जैसे ऑप्शन की डिमांड बढ़ती है, उसकी इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी भी बढ़ती है। हैं- ऑप्शन चैन में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी का क्या महत्व है? Implied Volatility ( IV) in Option Chain in Hindi.
अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग और शेयर मार्केट में सफल होने के रहस्य जानना चाहते हैं। तो आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसों का पेड़ कैसे लगाएं बुक जरूर पढ़ना चाहिए।
Implied Volatility के बारे में
इस आर्टिकल में आप ऑप्शन चैन में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी को देखकर उसके आधार पर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कैसे बना सकते हैं? इसके बारे में बताया गया है। ऑप्शन चैन में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी कैसे काम करती है? के बारे में विस्तार से बताया गया है। ऑप्शन चैन में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी जिसे IV भी कहा जाता है। यह अंडरलेइंग एसेट के प्राइस में भविष्य में होने वाली वोलैटिलिटी की संभावना को दर्शाता है।
जैसाकि Option Chain में दिए गए ऑप्शन प्रीमियम के प्राइस से पता भी चलता है। यह उन महत्वपूर्ण फेक्टर्स में से एक है जो ऑप्शन प्रीमियम के प्राइस को प्रभावित करते हैं। ऑप्शन प्रीमियम को प्रभावित करने वाले अन्य फेक्टर्स ऑप्शंस स्ट्राइक प्राइस, एक्सपायरी डेट और रिस्क फ्री इंटरेस्ट रेट आदि हैं।
Option Chain में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी कैसे काम करती है?
ऑप्शन चैन में IV निम्नलिखित तरीके से काम करती है।
1. वोलैटिलिटी की उम्मीद: Implied Volatility को सीधे नहीं देख सकते लेकिन यह ऑप्शन के प्राइस को ड्राइव करती है। जब ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स ऑप्शंस खरीदते और बेचते हैं। तब वे ऑप्शन की जो कीमतें चुकाने के लिए तैयार होते हैं। वह अंडरलाइंग एसेट के फ्यूचर प्राइस मूवमेंट से उनकी अपेक्षाओं से प्रभावित होती हैं। जो अंडरलाइंग एसेट जितना अधिक वोलेटाइल होती है। उसका प्रीमियम (प्राइस) उतना ही अधिक होता है। जिसकी वजह से भी Implied Volatility और हाई होती है।
2. ऑप्शन प्राइसिंग (ऑप्शन प्रीमियम का निर्धारण): ब्लैक-स्कोल्स या अन्य ऑप्शंस प्रीमियम निर्धारण मॉडल। किसी ऑप्शन प्राइस के सैद्धांतिक उचित मूल्य की गणना करने के लिए इनपुट के रूप में Implied Volatility का उपयोग करते हैं। दूसरे शब्दों में, इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी यह निर्धारित करने में मदद करती है कि कोई ऑप्शन अपने संभावित भविष्य के प्राइस मूवमेंट के सापेक्ष कितना महंगा या सस्ता है।
3. तुलनात्मक विश्लेषण (Comparative Analysis): ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स अक्सर एक ही Option Chain के भीतर ऑप्शंस की अंडरलाइंग की तुलना करते हैं। वे विभिन्न स्ट्राइक प्राइस या एक्सपायरी डेट की इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी के बीच असमानताओं की तलाश करते हैं।
ये असमानताएं ट्रेडर्स को मार्केट सेंटीमेंट को समझने की अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, यदि एट-द-मनी ऑप्शंस की तुलना में आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शंस के लिए Implied Volatility अधिक है। तो इसका यह मतलब है कि ट्रेडर्स को भविष्य में ऑप्शन प्रीमियम के प्राइस में उतार-चढ़ाव की उम्मीद है।
4. विकल्प रणनीतियाँ (Option Strategies): इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी भी ऑप्शन स्ट्रेटजी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ट्रेडर्स IV के बारे में अपने विचारों के आधार पर अलग-अलग ऑप्शन स्ट्रेटजी बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी कम होने पर ऑप्शन खरीदना और इसके हाई होने पर उन्हें बेचना एक आम ऑप्शन रणनीति है।
5. जोखिम मूल्यांकन (Risk Assessment): Implied Volatility का उपयोग बाजार जोखिम के माप के रूप में किया जा सकता है। हाई इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी बाज़ार में अधिक अनिश्चितता या जोखिम का संकेत देती है। इसके विपरीत कम IV मार्केट में अपेक्षाकृत कम जोखिम और स्थिरता का संकेत देती है।
6. घटना-संचालित परिवर्तन (Event-Driven Changes): implied Volatility अक्सर महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे कि कंपनियों के तिमाही परिणामों की घोषणा (earnings announcements), आर्थिक डेटा रिलीज़ (economic data releases) या भू-राजनीतिक (geopolitical events) आदि घटनाओं के आसपास बढ़ जाती है। ट्रेडर्स को इन समयों के दौरान बड़े प्राइस मूवमेंट की उम्मीद रहती है। जिससे ऑप्शन मार्केट में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी बढ़ जाती है।
हिस्टोरिकल V/S इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी
इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी हिस्टोरिकल वोलैटिलिटी से भिन्न होती है। जो अंडरलाइंग एसेट के पिछले प्राइस मूवमेंट को मापती है। दोनों वोलैटिलिटी के बीच विसंगतियां ट्रेडर्स के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के अवसरों का संकेत देती हैं। जिसके हिसाब से ट्रेडर्स ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेट्जी बना सकते हैं।
संक्षेप में, Implied Volatility in Option Chain अंडरलाइंग एसेट के भविष्य के प्राइस मूवमेंट के बारे में बाजार की अपेक्षाओं को दर्शाती है। यह ऑप्शन प्रीमियम निर्धारण, ट्रेडिंग स्ट्रेट्जी और रिस्क मैनेजमेंट में एक महत्वपूर्ण कारक है। ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स ऑप्शन मार्केट में सूचित निर्णय लेने के लिए इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी पर बारीकी से नज़र रखते हैं।
उम्मीद है, आपको यह ऑप्शन चैन में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी का क्या महत्व को समझें है? आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको यह Implied Volatility (IV) in Option Chain in Hindi.आर्टिकल पसंद आये। तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।
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