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| क्या आप जानते हैं कि भारत में रोज़ लाखों लोग ऑप्शन ट्रेडिंग से कमाई कर रहे हैं? रिस्क तो है पर रिवॉर्ड भी बड़ा है! |
Options Trading क्या है?
यदि आप पहले से ही शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कर रहे हैं और आप जानते हैं कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग कैसे की जाती है। तब आप भारत में Options trading के लिए जा सकते हैं। कारण सरल है - स्टॉक, बॉन्ड या रियल एस्टेट जैसे अन्य निवेशों की तुलना में ट्रेडिंग करना आसान, सुरक्षित और सस्ता है।
ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स आपको तब लाभ कमाने का मौका देते हैं। जब अंडरलाइंग स्टॉक का प्राइस बढ़ता है। तब भी जब अंडरलाइंग स्टॉक का प्राइस गिरता है। ऑप्शन ट्रेडिंग के द्वारा आप दोनों साइड पैसा कमा सकते हैं। भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग ने हाल के वर्षों में काफी लोकप्रियता हासिल की है।
यह निवेशकों को स्टॉक, इंडेक्स, कमोडिटी और करेंसी जैसे विभिन्न वित्तीय साधनों के प्राइस मूवमेंट पर अनुमान लगाने और उससे पैसा कामने की अनुमति देता है। ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए जिन स्टॉक्स, इंडेक्स, कमोडिटी और करेंसी, क्रिप्टो करेंसी को अनुमति होती है। उन्हें अंडरलाइंग एसेट कहा जाता है। इंडिया में ऑप्शन ट्रेडिंग के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं-
Options Trading in India
- कॉल ऑप्शन
- पुट ऑप्शन
1. कॉल ऑप्शंस: कॉल ऑप्शन एक डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट है, जिसे ऑप्शन मार्केट में अक्सर कॉल ऑप्शन के नाम से जाना जाता है। यह एक निर्धारित स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट को खरीदने और बेचने का कॉन्ट्रेक्ट होता है।
Call Options के खरीदार (Buyer) के पास एक्सपायरी डेट पर या उससे पहले अंडरलाइंग एसेट को पूर्वनिर्धारित तय स्ट्राइक प्राइस और मात्रा में खरीदने का अधिकार होता है, लेकिन दायित्व नहीं है। कॉल अंडरलेइंग एसेट में लॉन्ग पोजीशन बनाने के उद्देश्य से खरीदी जाती है। कॉल खरीदने के लिए कॉल बायर को कुछ पैसे चुकाने होते हैं। जिसे प्रीमियम कहा जाता है।
2. पुट ऑप्शन: Put Options एक कॉन्ट्रैक्ट है जो अपने खरीदार को ऑप्शन की एक्सपायरी डेट से पहले स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट बेचने का अधिकार देता है लेकिन दायित्व नहीं देता है। पुट ऑप्शन की खरीद को अंडरलाइंग एसेट प्राइस के भविष्य में गिरने के अनुमान के रूप में समझा जाता है।
Option Trading Exchange in India
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया ( NSE )
- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया ( BSE )
- मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया ( MCX )
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE )
NSE भारत का प्रमुख और सबसे बड़ा ऑप्शन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (NSE) यह शेयर बाज़ार का स्टॉक एक्सचेंज, मुंबई में स्थित India के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है। एनएसई विभिन्न वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों और बीमा कंपनियों के स्वामित्व वाला स्टॉक एक्सचेंज है।
कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए कारोबार किए गए Option Contracts की संख्या के हिसाब से यह दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज है। बाजार पूंजीकरण के हिसाब से यह दुनिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है।
एनएसई का प्रमुख सूचकांक, निफ्टी 50, के स्टॉक इंडेक्स का उपयोग भारत और दुनिया भर में निवेशकों द्वारा भारतीय पूंजी बाजार के बैरोमीटर के रूप में बड़े पैमाने पर किया जाता है।
निफ्टी 50 इंडेक्स 1996 में एनएसई द्वारा लॉन्च किया गया था। इसका दूसरा इंडेक्स बैंक निफ्टी है, जिसमे बहुत बड़ी मात्रा में option trading की जाती है। NSE का तीसरा बड़ा इंडेक्स फिननिफ़्टी है, जिसमें भी ऑप्शन ट्रेडिंग की जाती है और बहुत सारे स्टॉक्स हैं। जिनमें ऑप्शन ट्रेडिंग की जाती है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया (BSE)
बीएसई लिमिटेड, जिसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक भारतीय स्टॉक एक्सचेंज है जो मुंबई में दलाल स्ट्रीट पर स्थित है। 1875 में कपास व्यापारी प्रेमचंद रॉयचंद द्वारा स्थापित, यह एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। और दुनिया का दसवां सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज भी है।
बाजार पूंजीकरण के हिसाब से बीएसई दुनिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है। जिसका बाजार पूंजीकरण नवंबर 2025 47.07 लाख करोड़ रूपये है। यह 569 बिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब है। इस पर भी option trading होती है। इसके सेंसेक्स इंडेक्स में ऑप्शन ट्रेडिंग की जाती है और बैंकिंग शेयरों का भी इसका एक इंडेक्स है,जिसे बैंकेक्स इंडेक्स कहा जाता है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MCX)
Options Trading in India के लिए नियामक संस्था
भारतीय प्रतिभूति और विनमय बोर्ड (SEBI) भारत में ऑप्शंस ट्रेडिंग और शेयर मार्केट को नियंत्रित करता है। सेबी निष्पक्ष और पारदर्शी व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश और नियम निर्धारित करता है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक डोमेन के तहत भारत में प्रतिभूतियों और कमोडिटी बाजार के लिए नियामक निकाय संस्थान है। इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1988 को एक कार्यकारी निकाय के रूप में की गई थी और 30 जनवरी 1992 को सेबी अधिनियम, 1992 के माध्यम से इसे वैधानिक शक्तियाँ दी गईं।
Options Trading के लिए मार्जिन
भर में ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए। तभी आप ऑप्शन ट्रेडिंग कर पाएंगे। India में ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए मार्जिन की आवश्यकता अलग-अलग होती है। ऑप्शन पोजीशन शुरू करने और बनाए रखने के लिए ट्रेडर्स को अपने ट्रेडिंग खातों में एक निश्चित मार्जिन राशि बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
अलग-अलग अंडरलेइंग एसेट और अलग-अलग ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए मार्जिन एक समान नहीं मिलता है। मार्जिन की सुविधा स्टॉक ब्रोकर्स के द्वारा अपने क्लाइंट्स को उपलब्ध कराई जाती है।
सर्वोत्तम ऑप्शन ट्रेडिंग ब्रोकर कम ब्रोकरेज फीस (अधिमानतः फ्लैट शुल्क) लेता है। साथ ही ऑप्शन ट्रेडर्स को सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ सर्वोत्तम गुणवत्ता वाला ऑप्शन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। सेबी की रिपोर्ट से पता चला कि प्रत्येक 10 में से 9 व्यक्तिगत F&O व्यापारियों को शुद्ध घाटा हुआ। ऑप्शन ट्रेडिंग में जटिलता को देखते हुए। ट्रेडर्स के लिए यह जरूरी है कि वे भारत में विकल्प ट्रेडिंग शुरू करने के लिए समझदारी से सही स्टॉक ब्रोकर चुनें।
सैकड़ों ब्रोकरों में से, ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा ब्रोकर कौन सा है? यह पता लगाना काफी मुश्किल है। सर्वोत्तम ऑप्शन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का चयन कैसे करें? या किसी भी ऑप्शन ट्रेडिंग ब्रोकर को चुनने से पहले आपको किन कारकों पर ध्यान देना चाहिए?
आजकल वैसे India में ज्यादातर ऑप्शन ब्रोकर 20 रूपये प्रति ट्रेड चार्ज करते हैं। यानि 20 रूपये ऑप्शन खरीदने लेने के लिए और 20 रूपये फिर उसे बेचने के लिए, इसके अलावा सरकार की तरफ से लगाया जाने वाला STT अलग से लगता है।
इस तरह एक ट्रेड को पूरा करने में करीब 50 रूपये ब्रोकरेज लगता है। ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर चुनने से पहले आपको कुछ निम्नलिखित पॉइंट्स का ध्यान रखना चाहिए। जिससे आप अपने लिए ऑप्शन ब्रोकर का चुनाव कर सकें-
- ब्रोकरेज फीस: इसमें कोई संदेह नहीं है, कि अधिकांश ऑप्शन ट्रेडर्स के लिए ब्रोकरेज सबसे बड़ी चिंता होती है। ब्रोकरेज से प्रॉफिट भी प्रभावित होता है। अधिकांश ऑप्शन ट्रेडर्स एक फ्लैट ब्रोकरेज शुल्क पर ऑप्शन ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं। उदाहरण के लिए 20 रुपये प्रति निष्पादित ऑर्डर। क्योंकि इसमें लॉट की संख्या की परवाह किए बिना ब्रोकरेज शुल्क निश्चित रहता है।
- Options trading प्लेटफॉर्म: ऑप्शन ट्रेडर्स, ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय बहुत सारी सुविधाएँ चाहते हैं। जैसे मल्टीपल ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज, कस्टमाइज़्ड स्ट्रेटेजी बिल्डर, रियल टाइम कंप्लीट ऑप्शन चैन, ऑप्शन ट्रेडिंग के नए-नए आईडिया फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस स्केनर आदि और भी बहुत सारी सुविधाएँ। आप को भी ऑप्शन ब्रोकर का चुनाव करते समय इन्हीं चीजों का ध्यान रखना चाहिए।
- मोबाइल ऐप: आप हर समय डेस्कटॉप की स्क्रीन के सामने नहीं बैठे रह सकते हैं। अतः आपको ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए मोबाइल ऐप की सुविधा देने वाले option broker को ज्यादा महत्व देना चाहिए। आपको ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की फीस और डीमैट अकाउंट के रखरखाव की फीस के साथ ऑप्शन ट्रेडिंग सेगमेंट पर विभिन्न ब्रोकरों द्वारा लिए जाने वाले ब्रोकरेज फीस की तुलना और समीक्षा करके अपने लिए सही ऑप्शन ट्रेडिंग ब्रोकर का चुनाव करना चाहिए।
- डीमैट अकाउंट के लिए दस्तावेज: डीमैट अकाउंट खोलने के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की जरूर पड़ेगी। India में Options Trading में शुरू करने के लिए आपको को एक सेबी में पंजीकृत स्टॉकब्रोकर के साथ एक ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोलना होगा। इसके अतिरिक्त, उन्हें पहचान प्रमाण, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पता प्रमाण और बैंक विवरण जैसे आवश्यक दस्तावेज प्रदान करके अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) प्रक्रिया को पूरा करना होगा।
यहाँ कुछ ऑप्शन ब्रोकर की लिस्ट दी गयी है, जिनके बारे में आप और अधिक जानकारी प्राप्त करके अपने लिए सही Options Broker का चुनाव कर सकते हैं-
- Groww
- Zerodha
- Upstox
- Motilal Oswal
- Angel One
- 5paisa
- निफ्टी 50
- सेंसेक्स
- निफ्टी बैंक
- बैंकेक्स
- फिन निफ्टी
- निफ्टी आईटी
- निफ्टी मेटल आदि इंडेक्स पर ऑप्शन ट्रेडिंग उपलब्ध हैं।
- अडानी एंटरप्राइजेज
- अपोलो टायर्स
- बजाज ऑटो
- डालमिया भारत
- एचडीएफसी बैंक
- रिलायंस इंडस्ट्री
- आईसीआईसीआई बैंक
- टाटा मोटर्स
- टाइटन
- आईडिया आदि बहुत सारे शेयरों में ऑप्शन ट्रेडिंग होती है।
ऑप्शन स्ट्रेटेजीज (Options Strategies)
- कवर्ड कॉल: अंडरलेइंग एसेट को होल्ड करते हुए कॉल ऑप्शन बेचना कवर्ड कॉल स्ट्रॅटजी कहलाता है।
- सुरक्षात्मक पुट: अंडरलेइंग एसेट के प्राइस में गिरावट से बचाने के लिए पुट ऑप्शन खरीदना सुरक्षात्मक पुट या प्रोटेक्टिव पुट स्ट्रेटेजी कहलाता है।
- स्ट्रैडल: इस स्ट्रेटेजी में एक ही स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट के साथ एक कॉल ऑप्शन और एक पुट ऑप्शन खरीदा जाता है ।
ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क: ऑप्शन ट्रेडिंग बहुत जटिल होती है इसलिए यह बहुत रिस्की भी होती है। ऑप्शंस के प्राइस में बहुत तेजी से उतार-चढ़ाव हो सकता है। जिससे इसमें हमेशा नुकसान होने की आशंका बनी रहती है।
खासकर तब, जब इसे ठीक से मैनेज न किया जाय।
अतः ऑप्शन ट्रेडिंग करने से पहले इससे जुड़े रिस्क को अच्छे से जान लेना चाहिए। ताकि आप संभावित नुकसान से अपने को बचा सकें।
उम्मीद है,आपको यह भारतीय शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Options Trading In India in Hindi. आर्टिकल पसंद आये। तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। शेयर मार्केट के बारे में इसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यह आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट करके जरूर बतायें?

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