बुल और बेयर (Bull and Bear Stock market) शेयर मार्केट क्या होते हैं?
यदि आप किसी सिक्के को बार-बार उछालते हैं, तो इसमें कभी हैड और कभी टेल आता है। अब इसे स्टॉक मार्केट की शार्ट-टर्म मूवमेंट से जोड़कर देखें जैसे हैड को ऊपर की तरफ (upward) और टेल को नीचे की तरफ (downward) मूवमेंट के समान मान सकते हैं।
शॉर्ट-टर्म में Stock market की चाल का अनुमान लगाना उसी तरह बहुत मुश्किल है। जैसे किसी सिक्के को उछालने पर हैड और टेल का अनुमान लगाना मुश्किल है। चलिए विस्तार से जानते हैं- बुल और बेयर (Bull and Bear Stock market) शेयर मार्केट क्या होते हैं? What is Bull and Bear Stock market in Hindi.
यदि आप शेयर मार्केट के बारे में शुरू से आखिर तक सबकुछ जानना चाहते हैं तो आपको 'वैभव खरे' द्वारा लिखित बुक "शून्य से सीखें शेयर बाजार वित्तीय साक्षरता की ओर कदम बढ़ाएं" एक बार जरूर पढ़नी चाहिए।
शॉर्ट-टर्म में मार्केट के मूवमेन्ट का सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। जैसे सिक्के को उछालने पर हैड और टेल का सटीक अनुमान नहीं लगता है। हालाँकि लॉन्ग-टर्म में Stock market एक दिशा में अपट्रेंड या डाउनट्रेंड में चलता है। इसी को bull or bear मार्केट कहा जाता है।
Bull and Bear market क्या है?
निवेश की दुनिया में बुल और बियर शब्द का प्रयोग अक्सर लॉन्ग-टर्म मार्केट ट्रेंड के लिए किया जाता है। ये शब्द वर्णन करते हैं कि Stock Market सामान्य रूप से कैसा प्रदर्शन कर रहें हैं। यानि की स्टॉक्स के प्राइस गिर रहे हैं या चढ़ रहे हैं। बेयरिश एंगल्फिंग पैटर्न
एक इन्वेस्टर्स के लिए शेयर मार्केट लॉन्ग-टर्म ट्रेंड एक बड़ी ताकत है। जिसका उनके पोर्टफोलियो पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता पड़ता है। अतः आपको यह समझना बेहद जरूरी है कि मार्केट की इन स्थितियों का आपके लॉन्ग-टर्म पोर्टफोलियो पर क्या प्रभाव हो सकता है।
Bull market एक ऐसा मार्केट होता है जब मार्केट बढ़ रहा होता है, साथ ही अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। जबकि Bear market एक ऐसा मार्केट होता है जब मार्केट अर्थव्यवस्था मंदी का शिकार होती है और ज्यादातर स्टॉक्स के प्राइस गिर रहे होते हैं। बुलिश इंगुलफ़िंग पैटर्न
हालाँकि ज्यादातर समय कुछ निवेशक हमेशा मार्केट पर bearish होते हैं। जबकि ज्यादार निवेशक आमतौर पर स्टॉक मार्केट पर bullish होते हैं। कुल मिलकर Stock market में लॉन्ग-टर्म में पॉजिटिव रिटर्न देने की प्रवृति रही है। बियर मार्केट बहुत खतरनाक होता है क्योंकि इसमें स्टॉक्स की कीमत बहुत ज्यादा गिर जाती हैं।
साथ ही स्टॉक मार्केट बहुत ज्यादा वोलेटाइल हो जाते हैं। मार्केट के बॉटम का पता लगाना बेहद मुश्किल होता है। इसलिए बहुत सारे इन्वेस्टर्स मार्केट से अपना पैसा निकाल लेते हैं और कैश पर बैठ जाते हैं, जब तक मार्केट ट्रेंड चेंज नहीं होता है। तब तक मार्केट का trend चेंज होता है तबतक स्टॉक्स के प्राइस बहुत ज्यादा गिर जाते हैं। Stock market failure के कारण
Bull market vs Bear market
बुल मार्केट आमतौर पर जब आता है तब देश की अर्थव्यवस्था (economy) बढ़ रही होती है। यानि मजबुत होती है। इसके विपरीत बियर मार्केट तब होता है देश की आर्थव्यवस्था कमजोर हो रही होती है। यानि देश की इकॉनमी गिर रही होती है, व्यापार घाटा बढ़ रहा होता है। साथ ही देश की करेंसी भी कमजोर हो रही होती है।
जिसकी वजह से stocks के प्राइस गिरने लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फाइनेंसियल मार्केट इन्वेस्टर्स के व्यवहार से बहुत ज्यादा प्रभावित होता है। इन्वेस्टर्स देश की इकॉनमी के भविष्य के बारे कैसा अनुमान लगा रहे हैं। जिससे निवेशक शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने या बाहर निकलने का निर्णय करते हैं।
स्टॉक्स के प्राइस में लगातार वृद्धि होना Bull market का प्रतीक है। जब स्टॉक्स के प्राइस में लगातार तेजी जारी रहती है तब इन्वेस्टर्स को लगता है कि मार्केट में तेजी लम्बे समय तक जारी रहेगी। इस दौरान देश की इकोनॉमी लगातार मजबुत होती रहती है और रोजगार का स्तर ऊँचा होता है।
इसके विपरीत Bear market के दौरान मार्केट में लगातार गिरावट होती रहती है तथा stocks के प्राइस भी लगातार नीचे और नीचे गिरते रहते हैं। जब स्टॉक्स के प्राइस अपने हाल के स्तर से करीब 20% या इससे भी नीचे गिर जाते हैं तो इसे बियर मार्केट यानि मंदी कहते हैं। स्कैम 1992
मार्केट में ऐसा डाउनट्रेंड के कारण से होता है, इस दौरान इन्वेस्टर्स का मानना होता है कि बियर मार्केट लम्बे समय तक चलेगा। Bear market के दौरान देश की अर्थव्यवस्था भी मंदी का शिकार होती है। देश में बेरोजगारी अपने उच्चतम स्तर पर होती है। कंपनियां नई भर्तियां बंद कर देती हैं और साथ ही अपने पुराने कर्मचारियों को भी नौकरी से निकलना शुरू कर देती हैं।
बुल और बियर मार्केट की विशेषताएं
एक बुल और बियर मार्केट की स्थिति शेयरों की कीमतों से तय होती है। इसके साथ ही कुछ अन्य भी विशेषताएं हैं जिनके बारे में निवेशकों को पता होना चाहिए। निवेश के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
Securities की मांग और आपूर्ति: Bull market के दौरान सिक्युरिटीज की डिमांड बहुत ज्यादा होती है और सप्लाई कम होती है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि मार्केट में शेयर बेचने वाले कम और खरीदने वाले ज्यादा होते हैं।
मार्केट के परिवर्तन को मापना: Share market में तेजी है या मंदी इसका निर्धारण किसी एक घटना से नहीं होता है बल्कि लम्बी अवधि में मार्केट कैसा प्रदर्शन करता है इससे निर्धारित होता है। मार्केट में होने वाले छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव केवल शॉर्ट-टर्म ट्रेंड और मार्केट करेक्शन को दर्शाते हैं Bull and Bear stock market केवल लॉन्ग-टर्म ट्रेंड से निर्धारित होता है। एक्टिव स्टॉक ट्रेडिंग
हालाँकि सभी तरह के लॉन्ग-टर्म ट्रेंड को बुल और बियर में डिवाइड नहीं किया जा सकता है। कभी-कभी मार्केट एक दिशा में चलने से पहले कुछ समय तक एक रेंज में स्थिर रहता है। इस दौरान मार्केट एक दिशा खोजने की कोशिश करता है।
जिसकी वजह से मार्केट में उपलब्ध स्टॉक्स के लिए खरीदार आपस में पर्तिस्पर्धा करने लगते हैं। जिससे स्टॉक्स के प्राइस बढ़ने लगते हैं। Bear market में इसका ठीक उल्टा होता है, इसमें ज्यादातर लोग शेयर बेचना चाहते हैं। शेयर खरीदने वाले लोग कम होते हैं। जिससे शेयरों का प्राइस गिरने लगते हैं। वारेन बुफेट पोर्टफोलियो
इन्वेस्टर्स का मनोविज्ञान: Stock market का मूवमेंट इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के व्यवहार से तय होता है। अतः इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के मनोविज्ञान तथा मार्केट के बारे में सेंटीमेंट से, मार्केट की दिशा और दशा तय होती है कि मार्केट गिरेगा या चढ़ेगा।
स्टॉक मार्केट का प्रदर्शन और इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स का मनोविज्ञान आपस में जुड़े हुए हैं। Bull market में इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स स्वेच्छा से भाग लेते हैं। Bear market के दौरान मार्केट सेंटीमेंट नेगेटिव हो जाता है। बियर मार्केट के इन्वेस्टर्स अपना पैसा शेयर मार्केट से निकलकर अन्य फिक्स इनकम एसेट में लगा देते हैं।
इन्वेस्टर्स शेयर मार्केट के सेंटीमेंट सुधरने का इंतजार करते हैं और मार्केट में आने वाले प्रत्येक बाउंस पर अपने स्टॉक्स बेचकर लगातार अपना पैसा मार्केट से बाहर निकलते रहते हैं। जिसके कारण मार्केट में लगातार गिरावट होती रहती है। मनी कंट्रोल प्रो
आर्थिक गतिविधियों में परिवर्तन: वे बिजनेस जिनके स्टॉक्स की स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग होती है, वे बिजनेस अर्थव्यवस्था के बहुत बडे भागीदार होते हैं। इसलिए शेयर मार्केट और अर्थव्यवस्था आपस में मजबुती से जुडी होती हैं। इसलिए जब अर्थव्यवस्थाएँ मंदी का शिकार होती हैं। तब शेयर मार्केट गिरने लगते हैं इसलिए Bear market कमजोर अर्थव्यवस्था से जुड़ा है।
कमजोर अर्थव्यवस्था में बिजनेस ज्यादा प्रॉफिट नहीं कमा पाते क्योंकि उपभोक्ता ज्यादा खर्च करने में असमर्थ होते हैं। Bull market में इसका ठीक उल्टा होता है, लोगों के पास खर्च करने के लिए अच्छा पैसा होता है। अतः वे इसे खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं। इससे अर्थव्यवस्था अच्छी चलती है और मजबुत होती है। शेयर खरीदने और बेचने का तरीका
किसी भी प्रकार के मार्केट में क्या करें?
एक Bull market में इन्वेस्टर्स के लिए सबसे अच्छा यह होता है। ट्रेंड की शुरुआती दिनों में स्टॉक्स को खरीद लें और उन्हें तब बेचें जब प्राइस अपने चरम (peak) पर पहुंच जाएँ। इस तरह आप स्टॉक्स के बढ़ते प्राइस का फायदा उठा सकते हैं।
Bull market के दौरान कोई भी नुकसान मामूली और अस्थायी होना चाहिए। इस दौरान निवेशक सक्रिय रूप से और आत्मविश्वास के साथ उच्च रिटर्न की आशा से बहुत से स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं।
Bear market में नुकसान की अधिक आशंका रहती है क्योंकि स्टॉक्स के प्राइस लगातार गिर रहे होते हैं। साथ ही इसका सही-सही अनुमान लगाना भी मुमकिन नहीं है कि प्राइस गिरने कब बंद होंगे। यहाँ तक की यदि आप इस उम्मीद में स्टॉक्स में निवेश करते हैं कि अब प्राइस और नहीं गिरेंगे।
तब भी आपको नुकसान होने की आशंका ही ज्यादा रहती है। बियर मार्केट में आप शार्ट सेलिंग करके प्रॉफिट कमा सकते हैं। आप सुरक्षित निवेश जैसे फिक्स इनकम एसेट में भी निवेश कर सकते हैं। इस दौरान आप डिफेंसिव स्टॉक्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
जिनका प्रदर्शन मार्केट के बदलते ट्रेंड से बहुत कम प्रभावित होता है। डिफेंसिव स्टॉक्स का प्रदर्शन गिरते और चढ़ते मार्केट में भी स्टेबल रहता है। ये यूटिलिटीज स्टॉक्स होते हैं, जो सभी के दैनिक जीवन में काम आने वाले सामान जिन्हें लोग आर्थिक स्थिति की परवाह किये बिना खरीदते हैं।
सारांश: bull and Bear Stock market का आपके पोर्टफोलियो पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए स्टॉक्स खरीदने या बेचने से पहले आपको इस बात पर अच्छे से सोचविचार करके ही निर्णय लेना चाहिए। कि इस समय मार्केट किस फेज में है? आपको हमेशा यह याद रखना चाहिए कि Stock market लॉन्ग-टर्म में हमेशा पॉजिटिव या नेगेटिव रिटर्न देता है। नैस्डेक
बुल और बियर मार्केट के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs
बुल या बियर मार्केट में कौन सा मार्केट खरीदारी के लिए बेहतर है?
सामान्यतः बुल मार्केट स्टॉक्स खरीदने के लिए बेहतर होते हैं। इस दौरान स्टॉक्स के प्राइस अधिक होते हैं। लेकिन फिर भी इस समय निवेश में जोखिम कम होता है क्योंकि इस दौरान स्टॉक्स को खरीदने के मुकाबले अधिक प्राइस पर बेचने के अधिक मौके मिलते हैं।
क्या बुल मार्केट निवेशकों के लिए अच्छा है?
सामान्यतौर पर शेयर मार्केट का बुल फेज में होना एक अच्छी बात है। यह इकोनॉमिक ग्रोथ, बिजनेस और उपभोक्ताओं के लिए आशावाद का संकेत होता है। Bull market में कंपनियां अच्छी ग्रोथ करती हैं इसलिए वे शेयरहोल्डर्स को अच्छा डिविडेंड भी देती हैं। डिविडेंट सेक्टर और स्टॉक्स पर निर्भर करता है। स्टॉक्स चार्ट के प्रकार
बुल मार्केट, बियर मार्केट और पिग मार्केट क्या हैं?
बुल मार्केट में इन्वेस्टर्स पैसा कमाते हैं, बियर भी मार्केट से पैसा कमाते हैं लेकिन सूअर मारे जाते हैं। स्टॉक मार्केट में "पिग्स गेट सेलटर्ड" (pigs get slaughtered) एक पुरानी कहावत है। इसका मतलब स्टॉक मार्केट में अत्यधिक लालची होना खतरनाक हो सकता है।
इस कहावत के बारे में कहा जाता है कि सूअरों को खाना खिलाया जाता है। और फिर उनको मारा जाता है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि स्मार्ट इन्वेस्टर्स, रिटेल इन्वेस्टर्स के प्रॉफिट को यहाँ तक कि मूल इन्वेस्ट को भी खा जाते हैं। इसलिए रिटेल इन्वेस्टर्स को मार्केट में जयादा लालच नहीं करना चाहिए। अपने प्रॉफिट को सही समय पर (समय रहते) बुक कर लेना चाहिए।
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