ब्रेकआउट ट्रेडिंग (Breakout Trading) कैसे करें, पूरी जानकारी हिंदी में?

आप में से ज्यादातर लोगों ने बिजनेस चैंनलों पर विश्लेषकों को अक्सर यह  कहते हुए सुना होगा की फलाँ शेयर ने अपना खास स्तर (सपोर्ट या रेसिस्टेन्स) तोड़ दिया है। अब यह शेयर यहाँ से बड़ी चाल दे सकता है। Breakout वह होता है, जब किसी शेयर का प्राइस उसके पहचाने हुए लेवल से आउट साइड में बढ़े हुए वॉल्यूम और वोलेटिलिटी  के साथ मूव करता है तब इसे ब्रेकऑउट कहा जाता है। ब्रेकआउट भी दो तरह के होते हैं- 1. Breakout 2. False Breakout. विस्तार से जानते हैं- ब्रेकआउट और ट्रेडिंग कैसे करें, पूरी जानकारी हिंदी में? Breakout trading kaise kare in Hindi?
                                                                                  
Breakout trading

यदि प्राइस हाई वॉल्यूम के साथ रेजिस्टेंस लेवल को तोड़ता है, तो वह रेजिस्टेंस लेवल सपोर्ट बन जाता है। इसी तरह प्राइस हाई वॉल्यूम के साथ सपोर्ट लेवल को तोड़ता है, तो वह सपोर्ट लेवल रेजिस्टेंस लेवल बन जाता है। ट्रेडिंग प्लान जब कोई शेयर अपने रेसिस्टेन्स लेवल को तोड़ता है तब Breakout trader उसमे लॉन्ग पोजीशन बनाते हैं।

 इसी तरह  जब कोई शेयर अपने सपोर्ट लेवल को तोड़ता है, तो ब्रेकआउट ट्रेडर उसमे शार्टसेल की पोजीशन बनाते हैं। जब कोई शेयर अपने प्राइस बेरियर से आगे ट्रेड करता है, तब वोलेटिलिटी का रुख ब्रेकआउट की दिशा में बढ़ जाता है। इस समय प्राइस आमतौर पर ब्रेकआउट की दिशा में ट्रेड करना शुरू कर देता है 

ब्रेकआउट हर तरह (अपट्रेंड डाउनट्रेंड) के मार्केट वातावरण में हो सकता है। Breakout कई प्रकार के होता हैं जैसे चैनल ब्रेकआउट, फ्लैग पैटर्न ब्रेकआउट, हेड एंड शोल्डर ब्रेकआउट आदि। डॉव थ्योरी आप ब्रेकआउट को इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग के किसी भी स्टाइल में  इस्तेमाल कर सकते हैं। 

Breakout trading के लिए सही शेयर खोजना 

यदि आप ब्रेकआउट ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको मुख्य रूप से ऐसे शेयरों पर गौर करना चाहिए। जो अपने सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल पर ट्रेड कर रहे हों। शेयर का प्राइस बार-बार इन लेवल्स (support & resistance) को टच करता है। ये लेवल बहुत ही वैध और महत्वपूर्ण होते हैं। 

आप इनका प्रयोग Breakout trading करने के लिए कर सकते हैं। यदि आप एक बार ब्रेकआउट के चिन्हों को पकड़ना सीख गए तो हमेशा के लिए fairly quickly सामर्थ्यवान अच्छा ट्रेड किर्यान्वित करना सीख जाएंगे। चार्ट पर आप निम्नलिखित ब्रेकआउट स्पॉट को खोज सकते हैं- 
 
1. Double top/Bottom- डबल टॉप और एक प्रकार का बेयरिश ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न है, जब मार्केट में तेजी होती है तब यह पैटर्न बनता है। इस पैटर्न के बनने के बाद मार्केट में गिरावट होती है, डबल टॉप अंग्रेजी के अक्षर M की तरह होता है। यह पैटर्न तब बनता है जब प्राइस अपने हाई पॉइंट को टच करके वापस नीचे हाई वॉल्यूम के साथ आता है। 
                                                                                                


यानि अपने हाई पॉइंट से ऊपर नहीं जा पाता है और वही पर सपोर्ट लेकर कंसोलिडेट करता रहता है। कुछ समय बाद प्राइस वापस ऊपर जाता है लेकिन कम वॉल्यूम के साथ ऊपर जाता है। प्राइस पिछले हाई प्राइस से ऊपर नहीं जा पाता और कुछ ऊपर जाकर वापस नीचे आ जाता है। 

जब प्राइस दूसरा टॉप बनाकर नीचे गिरता है तो यह गिरावट बहुत तेज और हाई वॉल्यूम इ साथ होती है। दो टॉप के बीच में सात या आठ कैंडल का गैप तो होना ही चाहिए। अगर इससे कम गैप है तो इसे वैलिड डबल टॉप पैटर्न नहीं माना जा सकता है। दूसरा टॉप, पहले टॉप को नहीं तोड़ पाता यह स्ट्रांग चिह्न है कि रिवर्सल आ रहा है। 

डबल टॉप पैटर्न बनने के बाद आपको मार्केट में सेलिंग करनी चाहिए। आपको चार्ट पर यह देखना चाहिए कि प्राइस नेकलाइन को को ब्रेक कर के नीचे आ रहा है। तब आपको मार्केट में सेलिंग करनी चाहिए। 

Double Bottom- डबल बॉटम एक बुलिश रिवर्सल पैटर्न है। Tweezeमें r Top Candlestick Patterns जबकि डबल बॉटम अंग्रेजी के W अक्षर की तरह होता है जो बुलिश रिवर्सल को दर्शाता है। डबल बॉटम पैटर्न डाउनट्रेंड के बाद बनता है। जब दो वैली या अंग्रेजी के अक्षर W जैसा पैटर्न बनता है, उसे डबल बॉटम कहा जाता है। 

जब प्राइस फर्स्ट बॉटम बनता है उसके बाद प्राइस फर्स्ट बॉटम से नीचे नहीं जा पाता है। इसका मतलब आगे और बेचने वाले नहीं हैं यानि सेलिंग प्रेशर खत्म हो चुका है। अब रिवर्सल आ सकता है यानि मार्केट के ऊपर जाने की अच्छी संभावना है। यदि प्राइस नेकलाइन को क्रॉस करता है तो एक अच्छा अपमूव आ सकता है। बॉटम बनने पर मार्केट में इन्वेस्ट करके अच्छा प्रॉफिट कमाया जा सकता है। 

2. Head and Shoulders Pattern हेड एंड शोल्डर एक बुलिश टु बेयरिश ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न है जब यह फॉर्म में आता है तब एक पीक (शोल्डर) के बाद उसे फॉलो करती हुई दूसरी पीक (हैड) और उसके बाद तीसरी लोअर पीक ( दूसरा शोल्डर) बनती है। 
                                                                               

एक नेकलाइन सबसे निचले बिंदुओं को छूते हुए खींची जाती है, दूसरी पीक का हैड सबसे ऊँचा पॉइंट (बिंदु) होता है। दोनों शोल्डर भी पीक बनाते हैं लेकिन वे head के हाई पॉइंट को पार नहीं कर पाते हैं। इस पैटर्न में आपको neck line के नीचे एंट्री आर्डर लगाना चाहिए। 

इस पोजीशन में आप टार्गेट हैड के हाई पॉइंट से नेकलाइन तक का लगा सकते हैं। यदि प्राइस नेकलाइन से भी नीचे जाता है तो आपको हैड और नेकलाइन के बीच डिस्टेंस का टार्गेट रख सकते हैं। नेकलाइन के नीचे sell order प्लेस करना है।  

4. Trendlines 

ट्रेंड लाइन प्राइस की वर्तमान दशा को दर्शाने के लिए पिवट हाई और पिवत लो के नीचे खींची जाती हैं। ट्रेंड लाइन सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस को किसी भी टाइम फ्रेम में दिखती है। ट्वीज़र्स बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न ये प्राइस की स्पीड और दिशा को दर्शाती है। ट्रेंड लाइन किसी समय शेयर प्राइस के संकुचन (फैलना और सिकुड़ना) का वर्णन करती हैं। दो मेजर टॉप और दो मेजर बॉटम को जोड़कर ट्रेंड लाइन बनती है। 
                                                                               
Trend line

 ट्रेंड लाइन तीन प्रकार की होती हैं- 

1. Uptrend Line- अपट्रेंड लाइन का मतलब प्रत्येक अगला बॉटम, पिछले बॉटम से ऊपर होगा और अगला हाई पिछले हाई से ऊपर होगा। 

2. Downtrend Line- डाउनट्रेंड का मतलब प्रत्येक अगला बॉटम पिछले बॉटम से नीचे होगा और प्रत्येक अगला हाई पिछले हाई से निचे होगा। 

3. Sideways Trend Line- साइडवे में सभी हाई एक समान होते हैं और इसी तरह सभी लो भी एक समान होते हैं। 
4. Trendlines ट्रेडिंग- ट्रेंडलाइन ट्रेडिंग दो प्रकार से कर सकते हैं- (A) Bounce तथा (B) Break

A. The Bounce- ज्यादातर रिटेल ट्रेडर आर्डर सेट करने में गलती कर देते हैं, वो आर्डर सीधे सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल पर लगा देते हैं। उसके बाद आर्डर के किर्यान्वित होने का इंतजार करते हैं, यह एक बार को काम भी कर सकता है। परन्तु यह मानकर चलना चाहिए सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल होल्ड भी कर सकते हैं। 

किसी भी शेयर को खरीदने से पहले सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल पर bounce का इंतजार करना चाहिए। Bounce आने पर सपोर्ट लेवल को क्रॉस करने पर ही ट्रेड में एंट्री करना चाहिए। B. The Break यह सबसे साधारण तरीका है Breakout Trading करने का, जब प्राइस बहुत convincingly सपोर्ट और रेजिस्टेंस को पार कर लेते हैं।

कन्विन्सिंगली से मतलब है प्राइस Significantly सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल को आसानी से पार कर ले तब शेयर में बाइंग और सेलिंग करना चाहिए। सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल पर बाइंग और सेलिंग को अवॉयड करना चाहिए। 

5. Channels एक चैनल बनाने के लिए सबसे पहले ऊपर की तरफ समानांतर लाइन बनाते हैं जो रीसेंट पीक (recent peak)  को टच करते हुए निकल रही हो। इसी तरह दूसरी समानांतर लाइन नीचे की तरफ बनांते हैं जो रीसेंट वैली को टच करते हुए निकल रही है। Demat Account जब प्राइस बॉटम ट्रेंड लाइन को टच करते हैं, तब आपको स्टॉक्स बेचने चाहिए।  
                                                                                                       

दोनों लाइन ऊपर और नीचे वाली एक दूसरे के समानांतर बननी चाहिए। चैनल के निचले जॉन को खरीदारी का जॉन मन्ना चाहिए। चैनल के ऊपरी जोन को बेचने का जोन मानना चाहिए। 

6. Triangles Pattern- 

ट्रायंगल पैटर्न में आप Breakout spot ढूढ़ करते हैं, ट्रायंगल पैटर्न निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं- 

1. Symmetrical Triangles- सयंमेट्रिकल ट्रायंगल जब बनता है तब मार्केट लोअर हाई और हायर लो बनता है तथा मार्केट दिशाहीन होता है। इसमें मार्केट एक रेंज में काम करता है इसका मतलब बुल और बेयर दोनों ही इस स्थिती में नहीं होते कि शेयर के प्राइस पर कंट्रोल कर सकें। 

यानि असमंजस कि स्थिती होती है। सयंमेट्रिकल ट्रायंगल यदि अपट्रेंड में आता है तो एक ट्रायंगल के बाद अपट्रेंड आगे भी चलता है। यदि ये डाउनट्रेंड में आता है तो एक ट्रायंगल बनने के बाद डाउनट्रेंड आगे भी चलता है। Bearish Flag Pattern यह एक तरह से कसोलिडेशन पीरियड होता है। 
                                                                                  


दोनों स्लोप एक दूसरे के करीब होती हैं। लेकिन कोई यह नहीं जनता कि ब्रेकआउट की दिशा कौन सी होगी। लेकिन यह जरूर जानते हैं कि ब्रेकआउट जरूर होगा। इसका एडवांटेज लेने के लिए आप एक एंट्री आर्डर स्लोप केलोअर हाई पर तथा दूसरा स्लोप के नीचे हायर लो पर लगा सकते हैं। प्राइस जिधर चले उधर राइडउप करें तथा दूसरे आर्डर को केंसिल कर दें। 

2. Ascending Triangles (असेंडिंग ट्रायंगल) यह पैटर्न तब बनता है जब प्राइस हायर लो बनाता और एक समान हाई बनाता है। असेंडिंग पैटर्न सामान्यतः अपट्रेंड में बनता है इसलिए इसे कॉन्टीनुअशन पैटर्न है क्योंकि इसमें शेयर खरीदारी की डिमांड बहुत ज्यादा रहतीं है। प्राइस टॉप रेजिस्टेंस की तरफ भागता है। यदि यह पैटर्न डाउनट्रेंड में बदल जाता है तो यह पावरफुल रिवर्सल सिग्नल होता है। 
                                                                             
आप चार्ट पर देख रहे हैं कि सेलर अपनी ताकत खो रहे हैं क्योंकि प्राइस हायर लो बना रहा है। लेकिन खरीददार फिर से रेसिस्टेन्स लेवल पर प्रेशर दे सकते हैं और रेसिस्टेन्स लेवल टूट सकता है। कभी-कभी रेसिस्टेन्स बहुत शक्तिशाली होता है इसलिए आपको दूसरी साइड में भी तैयार रहना चाहिए। 

इसलिए आप एक एंट्री आर्डर रेसिस्टेन्स लेवल के ऊपर लगाना चाहिए तथा दूसरा स्लोप के नीचे हायर लो के ऊपर लगाना चाहिए। प्राइस जिस तरफ भी घुमे आपको उसी तरफ प्रॉफिट कामना चाहिए। स्टॉपलॉस भी जरूर लगाना चाहिए या दूसरे आर्डर को केंसिल करना चाहिए। 

3. Descending Triangle (डिसेंडिंग ट्रायंगल) यह पैटर्न तब बनता है जब मार्केट हायर हाई बनता है और एक समान लो बनाता है। यह पैटर्न सामान्यतः डाउनट्रेंड का कॉन्टीनुअशन पैटर्न है। इस पैटर्न में मार्केट मंदी की चपेट में रहता है तथा इसमें मार्केट बॉटम लाइन पर सपोर्ट लेता है। यदि यह पैटर्न अप ट्रेंड के समय दिखाई दे तो आपको अलर्ट हो जाना चाहिए क्योंकि यह एक पावरफूल रिवर्सल सिग्नल हो सकता है। 
                                                                                     

 
डिसेंडिंग पैटर्न, असेंडिंग पैटर्न का उल्टा पैटर्न है, कभी-कभी सपोर्ट लाइन बहुत मजबूत होती है। प्राइस सपोर्ट लाइन पर बाउंस हो जाते हैं और शक्तिशाली breakout होता है। इसलिए आपको दो एंट्री आर्डर करने चाहिए पहला सपोर्ट लाइन के ऊपर दूसरा सपोर्ट लाइन के नीचे लगाना चाहिए। आपको स्टॉपलॉस लगाना नहीं भूलना चाहिए। 

Entry Point 

ट्रेडिंग के लिए एक अच्छा शेयर मिल जाने के बाद ट्रेडिंग प्लान तैयार करना चाहिए। आपको ब्रेकआउट की पोजीशन देखकर एंट्री पॉइंट तय करना चाहिए। यदि प्राइस रेसिस्टेन्स लेवल के ऊपर बंद हुआ है यानि ब्रेकआउट दिया है। तो आपको लॉन्ग पोजीशन बनानी चाहिए। इसी तरह यदि शेयर का प्राइस सपोर्ट लेवल के नीचे बंद हुआ तो उस शेयर में आपको शार्टसेल की पोजीशन बनानी चाहिए। 

फेकआउट से बचने के लिए आपको कन्फर्मेशन का इंतजार करना चाहिए। फेकऑउट तब आता है जब प्राइस सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल से आगे तो चले जाते हैं। लेकिन वे सस्टेन नहीं कर पाते हैं। रिवर्स ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी सेशन के आखिर में प्राइस वापस पुरानी रेंज में आ जाते हैं। 

ब्रेकआउट कन्फर्मेशन (Breakout Confirmation) 

ब्रेकआउट कन्फर्मेशन के लिए इंतजार करना अच्छा रहता है। यदि आप जल्दबाजी में बिना कन्फर्मेशन के ट्रेड ले लेते हैं। तब  इसकी कोई गारंटी नहीं है कि प्राइस नई टेरेटरी में आगे कंटिन्यू करेंगे। बहुत से ट्रेडर कन्फर्मेशन के लिए एवरेज से ज्यादा ट्रेडिंग वॉल्यूम देखते हैं या ट्रेडिंग सेशन के क्लोजिंग प्राइस का इंतजार करते हैं। प्राइस ब्रेकआउट लेवल पर सस्टेन कर पा  रहे हैं या नहीं। 

एग्जिट प्लान (Exit Plan) 

किसी ट्रेड को लेने से पहले ही उससे निकलने कि प्लानिंग कर लेने से उस ट्रेड में सफल होने के चांस बढ़ जाते हैं। Breakout trading से तीन तरह के एग्जिट प्लान हो सकते हैं। 

1. यदि वर्तमान चैंनल की रेंज छः पॉइंट की है, तो उस ब्रेकआउट ट्रेडिंग में छः पॉइंट का टार्गेट रख सकते हैं। Groww app से पैसे कैसे कमाएं? यानि छः पॉइंट बाद एग्जिट प्लान कर सकते हैं। 

2. दूसरा आईडिया एग्जिट प्राइस तय करने का यह भी हो सकता है कि आप वर्तमान स्विंग प्राइस के हिसाब से टार्गेट तय कर सकते हैं। यदि शेयर का एवरेज स्विंग प्राइस पाँच पॉइंट का है, तो उसके हिसाब से भी टार्गेट तय किया जा सकता है।  

3. पिछले स्विंग प्राइस के हिसाब से भी टार्गेट तय करके एग्जिट प्लान किया जा सकता है। 

उपर्युक्त कुछ विचारों के आधार पर प्राइस टार्गेट तय किये जा सकते हैं। इनके आधार पर आप भी अपना टार्गेट तय करके, उसके आधार पर एग्जिट प्लान तय करना चाहिए। टॉप फाइव बुलिश कैंडलस्टिक पैटर्न टार्गेट एचीव हो जाने पर पोजीशन से बाहर आ जाना चाहिए। 

Breakdown (प्राइस का नीचे गिरना) 

जब स्टॉक प्राइस में हेवी वॉल्यूम के साथ जाने-पहचाने सपोर्ट लेवल के आस-पास मूवमेंट होती है। तब टेक्निकल ट्रेडर्स अंडरलेइंग एसेट में शार्ट-सेल की पोजीशन बनाते हैं। जब प्राइस सपोर्ट लेवल को तोड़ देता है, क्योंकि यह एक साफ सिग्नल है कि प्राइस मंदड़ियों के कब्जे में है। इस स्थिती में शेयर पर बहुत ज्यादा सेलिंग प्रेशर होता है।
                                                                                      
Head &  shoulder pattern


टेक्निकल एनालिसिस मूविंग एवरेज, ट्रेंडलाइन और चार्ट पैटर्न मेथड का यूज़ करके शक्तिशाली सपोर्ट लेवल को जानने का प्रयास करते हैं। उपर्युक्त चार्ट की तरह शक्तिशाली सपोर्ट लेवल पर शार्ट-सेल की पोजीशन बनाते हैं। प्राइस के सपोर्ट एरिया को ब्रेक करने पर शार्ट-पोजीशन बनानी चाहिए। इसके लिए आप हेड एंड शोल्डर पैटर्न का भी यूज़ कर सकते हैं। A breakdown is a the bearish counterpart of a breakout. 

लॉस वाली पोजीशन से कैसे बंद करें?

Breakout trading में यदि आपका ट्रेड फेल हो जाता है यानि आपको पोजीशन में नुकसान होने लगता है। स्टॉक्स में ब्रेकआउट होने पर रेजिस्टेंस नए सपोर्ट का काम करता है तथा ब्रेकडाउन (स्टॉक प्राइस का गिरना) होने पर सपोर्ट नए रेजिस्टेंस का काम करता है। सपोर्ट और रेजिस्टेंस इसलिए इन्हे महत्व देना चाहिए तथा पोजीशन लेने से पहले इनके हिसाब से स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। ट्रेड फेल होने पर बहुत जल्दी उससे बाहर हो जाना चाहिए। लॉस को कभी भी ज्यादा नहीं बढ़ने देना चाहिए। 

ब्रेकआउट फेल होने पर आपको अपनी पोजीशन से बाहर निकलने के लिए सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के पीछे स्टॉपलॉस लगाना चाहिए। Stop Loss उपर्युक्त तरीके से स्टॉपलॉस लगाकर आप बहुत कम रिस्क पर ट्रेड कर सकते हैं Breakout Trading के वक्त आपको निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करना चाहिए-  

शेयर की पहचान कैसे करें? 

ब्रेकआउट ट्रेडिंग के लिए ऐसे शेयर को देखना चाहिए जिसके सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल शक्तिशाली हों। शक्तिशाली सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल ही आपको बेहतर परिणाम दे सकते हैं। जो शेयर लम्बे समय से एक रेंज में ट्रेड कर रहा हो ऐसे शेयर में ब्रेकआउट होने पर आप ट्रेड ले सकते हैं। 

ब्रेकआउट का इंतजार करें 

ट्रेडिंग के लिए एक अच्छा स्टॉक मिल जाने का मतलब यह नहीं है कि आप उसमे प्रीमेच्योर पोजीशन बना लें। आपको धैर्य के साथ ब्रेकआउट का इंतजार करना चाहिए यानि आपको प्राइस के सपोर्ट या रेसिस्टेन्स लेवल के बाहर ट्रेड करने का इंतजार करना चाहिए। 

प्रॉफिट का टार्गेट रीजनेबल रखें 

ट्रेड लेने से पहले अपनी अपेक्षा तय करें कि प्राइस कहाँ तक जा सकता है। यदि आप यह नहीं जानते कि आपको कहाँ पर पोजीशन से बाहर निकलना है। तो आप स्टॉक प्राइस के एवरेज मूव का केलकुलेशन कर सकते हैं। Price Action क्या है?  इसके लिए आप सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल को पैमाना बना सकते हैं। 

स्टॉक प्राइस के रीटेस्ट करने का इंतजार करें 

यह सबसे कठिन स्टेप है क्योंकि जब शेयर का प्राइस सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल को ब्रेक कर देता है। तो सपोर्ट लेवल न्यू रेसिस्टेन्स बन जाता है ऐसी तरह रेजिस्टेंस न्यू सपोर्ट लेवल बन जाता है। ज्यादातर ट्रेड में प्राइस कुछ दिनों के अंतराल पर पुराने लेवल को रीटेस्ट करते हैं। जब आप पोजीशन बना सकते हैं। 

आपका ट्रेड कब फेल हुआ, यह पता करें? 

शेयर ने कब पुराने सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल तक पहुंचने की कोशिश की या प्राइस कब वापस उन तक आया। यह वह लेवल है जहाँ पैटर्न या ब्रेकआउट विफल हो गया है। यह जरूरी है कि इस बिंदु पर नुकसान उठायें। अधिक नुकसान के साथ जुआ न खेलें। 

यदि आपको कोई शेयर ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन के लिए अच्छा लग रहा है। आप चार्ट पैटर्न के हिसाब से सही एंट्री लेवल और स्टॉपलॉस लगते हैं फिर  भी आपकी स्ट्रेट्जी सही काम नहीं करती है। तब आपके मन में बहुत सारे सवाल उठते हैं कि ऐसा क्यों हुआ इसे failed break कहते हैं। क्योंकि सिग्नल अनुकूल होते हुए भी ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन नहीं होता है। failed break की पोजीशन में अधिक नुकसान से बचने के लिए स्टॉपलॉस आर्डर लगाना चाहिए। 

ट्रेड को मार्केट के बंद होने से पहले क्लोज कर दें मार्केट के खुलने के साथ ही आप ये नहीं पहचान सकते कि प्राइस पर्टिकुलर लेवल को होल्ड करेगा या नहीं। इसके लिए आपको मार्केट के बंद होने तक इंतजार करना चाहिए। Rich Dad Poor Dad शेयर मार्केट के बंद होने से पहले नुकसान वाले ट्रेड को बंद कर देना चाहिए।

 
यदि  स्टॉक का प्राइस मार्केट के बंद होने तक पूर्वनिर्धारित सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल के आउट साइड ही घूमता रहता है तो आपको अपनी पोजीशन अगले दिन के लिए कंटीन्यू करना चाहिए। 

धैर्य रखें 

आप में अपने प्लान को लागु करने के लिए पर्याप्त धैर्य होना चाहिए। उपर्युक्त  स्टेप्स का पालन करें तथा अपनी भावनाओं को अपने ऊपर हावी ना होने दें। आपको एक ट्रेड में बहुत सारे विकल्प मिलते हैं। यदि आप नुकसान के साथ ट्रेड से बाहर होना नहीं चाहते हैं और आप ट्रेड में बनें रहते हैं। ऐसी स्थिति में आपको धैर्य के साथ उस ट्रेड में बनें रहना चाहिए। जब तक प्राइस आपके टार्गेट तक ना पहुंच जाय, या आप अपने लक्ष्य को हिट किये बिना अपने टाइम टार्गेट को पूरा कर लेते हैं। 

निष्कर्ष 

Breakout trading की वजह से स्टॉक्स में वोलेटिलिटी भी बढ़ जाती है, ब्रेकआउट की वजह से होने वाली वोलेटिलिटी की वजह से ट्रेडर पर भावनाएं हावी हो जाती हैं। उपर्युक्त स्टेप्स को फॉलो करके आप अपना ट्रेड प्लान कर सकते हैं। यदि आप का प्लान अच्छी तरह से लागु हो जाता है तो आप मैनेजेबल रिस्क पर अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं। 
 
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