Gautam Adani पर इतने ज्यादा आरोप क्यों लग रहे हैं?
Adani Group के चेयरमैन गौतम अडानी, इन्हें भारतीय अरबपतियों का मुखिया कहना सही होगा। क्योंकि एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति Gautam Adani अब विश्व के 16 वे नंबर के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। फोर्ब्स मैगजीन की रियल टाइम लिस्ट के मुताबिक गौतम अडानी 83.8 डॉलर बिलियन की नेटवर्थ के साथ दुनिया के टॉप टेन बिलेनियर की लिस्ट में एक पायदान ऊपर चढ़कर चौथे नंबर पर पहुंच गए हैं।
सौ रूपये से शुरुआत करने वाला शख्स आज दुनिया के सबसे अमीर आदमियों में से एक है। आइए जानते हैं- Adani Group के गौतम अडानी की रंक से राजा बनने की कहानी। Adani group ke Gautam Adani ki biography in Hindi Mukesh Ambani
यदि आप गौतम अडानी के बारे में और ज्यादा जानने के इच्छुक हैं तो आप R N भास्कर द्वारा लिखित गौतम अडानी भारत और विश्व में बिजनेस की पुनर्स्थापना बुक जरूर पढ़नी चाहिए। अगर आपको बुक पसंद नहीं अति है तो आप इसकी तीस दिन की रिटन पॉलिसी का भी लाभ उठा सकते हैं।
Gautam Adani अडानी ग्रुप के चेयरमैन
लंबे समय से चौथे नंबर पर मौजूद बिल गेट्स (Bill Gate) एक पायदान नीचे खिसक कर पांचवें नंबर पर आ गए हैं। जबकि इसी लिस्ट में पहले से मौजूद रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) नवें नंबर पर बने हुए हैं। उनकी नेटवर्क 87.1 अरब डॉलर से अधिक है। 24 जून 1962 को गुजरात के अहमदाबाद में जन्मे गौतम अडानी कॉलेज ड्रॉपआउट हैं।
गौतम अडानी एक लोअर मिडिल क्लास जैन फैमिली से आते हैं, उनके पिता कपड़ों के छोटे व्यापारी थे। छह भाई-बहनों उनका परिवार अहमदाबाद में एक चांल में रहता था। वहीं से उन्होंने से चमनलाल नगरदास विद्यालय से स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। परंतु उन्होंने अपनी बीकॉम की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और मुंबई सौ रूपये लेकर आ गए।
गौतम अडानी में सरवाइव करने की क्षमता पहले से ही है, दो दशक पहले 1997 में उन्हें फिरौती के लिए अगवा किया गया था। 26/11 के आतंकवादी हमले में उन्हें मुंबई के ताज होटल मैं हो स्टेज बनना पड़ा था। तब वह होटल के बेसमेंट में छिपकर आतंकवादियों से बचे थे। तब से लेकर अब तक उन्होंने सभी बाधाओं को पार करके, इंडिया के ही नहीं बल्कि एशिया के भी सबसे धनी व्यक्ति बनने में सफलता पाई है। डोव थ्योरी
कोविड-19 के दौरान जब इंडिया एक गंभीर मंदी से गुजर रहा था, तब भी अडानी ग्रुप में अपनी ग्रोथ बरकरार रखी। देश की आजादी के बाद भारत की ग्रोथ स्टोरी में टाटा-बिरला (Tata-Birla) का बहुत योगदान है। इसी तरह 21वीं सदी में इंडिया की ग्रोथ स्टोरी में अडानी और Ambani का योगदान है। पांच महीने पहले बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार Gautam Adani की नेटवर्थ (Net Worth) 92 बिलियन डॉलर के करीब थी।
अंबानी और टाटा जैसे उद्योगपतियों के मुकाबले गौतम अडानी एक फर्स्ट जेनरेशन एंटरप्रेन्योर हैं। जो उनको दूसरों से रिमारकेबल बनाता है गौतम अडानी ने केवल 30 वर्ष के अंदर ऐसे अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज (Adani group) का निर्माण किया है। जिसके सात कंपनियां शेयर मार्केट में लिस्ट है और जिसका मार्केट केपीटलाइजेशन 111 बिलियन डॉलर से अधिक है।
1987 में मुंबई आकर गौतम अडानी डायमंड शार्टर का काम करने लगे, कुछ साल बाद उनके बड़े भाई मनसुख भाई अडानी एक प्लास्टिक फैक्ट्री को खरीद लेते हैं। उस प्लास्टिक कंपनी का काम देखने के लिए गौतम अडानी को 1981 में मुंबई से बुला लेते हैं। यह प्लास्टिक वेंचर अडानी के ग्लोबल ट्रेडर बनने का गेटवे में बनता है। बड़े भाई का बिजनेस सरवाइव करने के लिए संघर्ष कर रहा था। अडानी एंटरप्राइजेज
इस कंपनी को प्रत्येक महीने 20 टन पीवीसी की जरूरत पड़ती थी, जिसे इंडिया का एकमात्र सप्लायर आईपीसीएल सप्लाई नहीं कर पाता था। इस क्राइसिस को अपॉर्चुनिटी में बदलते हुए Gautam Adani ने 1988 से कांडला पोर्ट के द्वारा प्लास्टिक ग्रेन्यूल्स आयात करना शुरू कर दिया। अडानी शिपमेंट के लिए कस्टम क्लीयरेंस दिलवाने वाले एजेंट के अनुसार, जब ग्रेन्यूल्स की कीमतों में उतार-चढ़ाव के दौरान जब दूसरे ट्रेडर्स अपनी सौदे को पूरा करने से मना कर देते थे।
उस समय भी गौतम अडानी अपने प्रॉमिस को पूरा कर देते थे, इसके साथ ही अडानी के मृदुभाषी होने के कारण ही वह मार्केट में विश्वसनीय व्यक्ति बने। धीरे-धीरे अडानी ने गुजरात के छोटे-छोटे प्लास्टिक मेकर से लेटर ऑफ ऑथराइजेशन लेकर पीवीसी के बड़े-बड़े ऑर्डर लेना शुरू कर दिया। उन्हें गुजरात की सरकारी कंपनियों और गुजरात स्टेट एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन जीएसईसी (GSEC) से भी टाइअप किया। टाटा पावर
जो स्मॉल कंपनियों को इनपुट सप्लाई करता था, सभी रिक्वेस्ट को कंसोलिडेट कर जीएसईसी (GSEC) के अंडर आर्डर प्लेस करके अडानी ने लेटर ऑफ ऑथराइजेशन की जरूरत को भी खत्म कर दिया। आयात के बाद वह GSEC को उसके आवश्यक प्रोडक्ट देकर, बाकी बचे हुए प्रोडक्ट को मार्केट में ट्रेड कर, Gautam Adani ने बहुत प्रॉफिट कमाया था। इंडियन रेलवे फाइनेंस
इसी स्ट्रेटजी के तहत अडानी ने अपनी इंपोर्ट वॉल्यूम इतनी बढ़ा ली कि जल्दी ही राज्य की सरकार ने उन्हें एक लाइसेंस ग्रांट करते हुए 12 करोड़ तक के आयात बिना लेटर ऑफ ऑथराइजेशन के परमिशन दे दिया। इस दौरान अडानी का बिजनेस बहुत तेजी से बढ़ा, 1988 से 1992 के बीच केवल चार वर्ष में अडानी के आयात 100 मिट्रिक टन से बढ़ते हुए 40000 मीट्रिक टन तक बढ़ गए।
पीवीसी ग्रेन्यूल्स के अलावा Adani Group ने केमिकल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट का आयात करना भी शुरू कर दिया। Gautam Adani ने धीरे-धीरे खुद को निर्यात के क्षेत्र में भी उतारा और जल्दी ही एक स्टार ट्रेडिंग हाउस बनकर उभरे। जिसकी वजह से बैंक गारंटी की जरूरत खत्म हो गई, गौतम अडानी के इस उभार के कारण उन्हें राजनीतिज्ञों ने भी तवज्जो देना शुरू कर दिया। सुजलॉन एनर्जी
कहा जाता है कि नब्बे के दशक की शुरुआत में ही गौतम अडानी स्वर्गीय चिमनभाई पटेल और केशुभाई पटेल जैसे, राज्य के बड़े राजनेताओं के करीब आ चुके थे। इस ग्रोथ के साथ गौतम अडानी ने कुछ बुरे अनुभव भी किए, जिसमें उनके भाई राजेश एस अडानी को कोयले के आयत शुल्क में धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार होना भी शामिल है। लेकिन यह दुखद घटनाएं गौतम अडानी के उत्कर्ष को रोकने में नाकामयाब रही, Adani Group ने इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी अपने बिजनेस का विस्तार किया। 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर'
Adani Group की ग्रोथ और विस्तार
1997 से 1998 में Gautam Adani ने यह निर्णय लिया कि वह ट्रेडिंग के अलावा प्लांट, पोर्ट्स जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने ने भी काम करेंगे। मुंद्रा पोर्ट इनका पहला प्रोजेक्ट था, 1991 से 1992 में गुजरात की चिमन भाई सरकार ने मुद्रा पोर्ट की जमीन को एग्री बिजनेस ग्रुप कारगिल (CARGILL) और अडानी को सॉल्ट प्रोडक्शन के लिए दी थी।
जॉर्ज फर्नांडिस और अन्य कई नेताओं के विरोध प्रदर्शन के बाद कारगिल ग्रुप में इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिया। कांडला और मुंबई एयरपोर्ट में होने वाली देरी से अडानी ग्रुप को आठ से 10 करोड़रूपये प्रतिवर्ष का घाटा हो रहा था। इसी क्राइसिस में गौतम अडानी ने मुंद्रा पोर्ट को एक प्राइवेट कैपटिव पोर्ट में कन्वर्ट करने का प्लान बनाया। अब वह दौर आ चुका था, जब हमारा देश लिबरलाइजेशन की ओर तेजी से बढ़ रहा था। आलोक इंडस्ट्री
गुजरात के आर्थिक विकास के लिए गुजरात सरकार ने खुद के पोर्ट बनाने का प्लान बना लिया था। इस प्रोसेस को तेज करने के लिए गुजरात सरकार ने पोर्ट को स्टेट और प्राइवेट कंपनीज के ज्वाइंट वेंचर (public private partnership) के तौर पर मैनेज करने का फैसला किया था। दस पोर्ट्स की लिस्ट में मुद्रा पोर्ट भी शामिल था, मुंद्रा पोर्ट, कांडला पोर्ट से डीपर था।
यहां बहुत बड़े-बड़े शिप डॉक (SHIP DOCK) भी कर सकते हैं यहां से Adani Group में नई ग्रोथ देखी। 1994 में, गुजरात सरकार ने मुद्रा को संचालन के लिए प्राइवेट कंपनीज को कॉन्ट्रैक्ट पर देने का फैसला किया। यह कॉन्ट्रैक्ट Adani Group को मिला, मुंद्रा पोर्ट पर पहली शिप 1998 में (dock हुई) आई। पेटीएम कंपनी
जिस तरह धीरूभाई अंबानी ने यमन में काम किया और फिर आयात-निर्यात के बिजनेस में हाथ आजमाए। उसके बाद उन्होंने एक टेक्सटाइल मिल खोली, यह मिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के फ्यूचर एक्सपेंशन का जरिया बनी। इसके बाद Ambani Group में खुद को पेट्रोकेमिकल, टेलीकॉम, आईटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर, कैपिटल मार्केट आदि क्षेत्र में आगे बढ़ाया।
यही काम अदानी ग्रुप के लिए मुद्रा कोर्ट ने किया। इसी तरह मुद्रा पोर्ट ने Adani Group के विस्तार का काम किया, स्पेशल इकोनॉमिक जोन की स्थापना हुई। जहाँ मुद्रा पोर्ट में मिनरल्स लैंडिंग के साथ-साथ कंपनी ने कोयला ट्रेडिंग भी शुरू की, 2003-2004 में कंपनियों ने अपने आउटलेट स्टार्ट कर शिपमेन्ट भेजनी शुरू कर दी। इरेडा रिन्यूएबल एनर्जी
एसईजेड के इंडस्ट्रियल कस्टम और कोयले के ट्रेडर होने के कारण, अदानी ग्रुप में खुद को थर्मल पावर में एक्सपेंड करना शुरू कर दिया। लेकिन मुद्रा पोर्ट के अंतर्गत अडानी ग्रुप की इतनी ग्रोथ आसान नहीं थी। पहले तीन सालों तक मुंद्रा पोर्ट की ग्रोथ में कुछ विशेष नहीं थी। एक समय ऐसा भी आया कि जब निजी पोर्ट बनाने का गौतम अडानी का निर्णय बैक फायर करने वाला था।
लेकिन सन 2000 में कुछ ऐसा हुआ जिससे सपोर्ट की कहानी ही बदल गई। इस वर्ष कांडला पोर्ट ने अपने लिए एक गलत निर्णय कर लिया। उसने दुनिया के सबसे बड़े पोर्ट ऑपरेटर P & O Australia का ऑफर ठुकरा दिया।
अतः ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने मुद्रा पोर्ट में अपना टर्मिनल सेटअप करते हुए अडानी ग्रुप में इक्विटी भी इंफ्यूज की। यहीं से मुंद्रा पोर्ट की ग्रोथ को पर लग गए, मुंद्रा पोर्ट Adani Group के मुख्य आमदनी के स्रोतों में से एक है। पिछले करीब दस वर्षो से Adani Port & SEZ 71% ऑपरेटिंग मार्जिन को होल्ड करने में कामयाब रहा है। टॉप सोलर कंपनियां
इसके कुछ सालों के बाद शेल टोटल ने सिटी बैंक को एक कंपनी सेटअप करने का कॉन्ट्रैक्ट दिया। जिससे हजीरा पोर्ट पर एक नॉन एलएनजी टर्मिनल ऑपरेट किया जा सके। सिटी बैंक ने इस काम के लिए अडानी ग्रुप को चुना, 2008 में टेंडर लेने के बाद 2010 में कंस्ट्रक्शन का कार्य स्टार्ट हुआ। दो वर्ष बाद ही 2012 मेंटर्मिनल में ऑपरेशन स्टार्ट कर दिए।
Gautam Adani हमेशा बड़ा सोचते हैं और महत्वाकांक्षी बने रहते हैं। उन्होंने सबसे बड़ा ट्रेडिंग हाउस बनाने का सोचा और इसमें कामयाब भी हुए। मुद्रा में उन्होंने 5000 मेगावाट का पावर प्लांट लगाया। इससे पहले गुजरात में आजादी आजादी के बाद केवल 8000 मेगावाट पावर जेनरेशन की क्षमता ही विकसित हो पाई थी। आज Adani Power की थर्मल पावर जेनरेशन की क्षमता 4620 मेगावाट है।
बिजनेस विशेषज्ञ गौतम अडानी की अक्सर धीरूभाई अंबानी से तुलना करते हैं, जो छोटे भारतीय मार्केट के बावजूद बड़ी औद्योगिक इकाई लगाते थे। देखते ही देखते गौतम अडानी ने अपने ग्रुप के टर्नओवर को 2000 में 3300 करोड़ से बढ़ाते हुए 2013 में 4700 करोड रुपए तक पहुंचाया। 2024 में अडानी ग्रुप का टर्न ओवर 3.09 लाख करोड़ हो गया है। इसके साथ ही Adani Group ने खुद का इंटरनेशनल मार्केट में भी विस्तार किया।
इसके अंतर्गत इसने ऑस्ट्रेलिया में कोयले की खदानें खरीदी और कोयले के व्यापार को बीस वर्षों से भी ज्यादा समय से सफलतापूर्वक चला रहें हैं। हाल ही में सरकारी बिजली कंपनी NTPC से भी अडानी ग्रुप को कोयला सप्लाई करने का बड़ा कॉन्ट्रेक्ट मिला है।
इसके बाद गौतम अडानी ने अपने ग्रुप का भविष्य जैविक ईंधन से अलग देखना स्टार्ट किया और खुद को रिन्यूएबल एनर्जी के छेत्र में भी उतरा। यदि आप गौतम अडानी की कोयले के व्यापार के विवाद को जानना चाहते हैं और आपको हिंदी आती है, तो आप Quentin Beresford द्वारा लिखित किताब Adani and the war over coal book पढ़ सकते है।
यह ग्रुप आज इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा ग्रुप है, Adani Group आज पोर्ट, पावर प्लांट, माइनिंग, डाटा सेंटर, एयरपोर्ट के आलावा रक्षा के क्षेत्र के में भी काम रहा है। इसके साथ ही अब यह ग्रुप टेलीकॉम में भी उतरने जा रहा है क्योंकि इस ग्रुप में हाल ही में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में भी हिस्सा लिया है। अडानी ग्रुप में कोविड-19 के दौरान भी अपनी नेटवर्थ में 79 बिलियन डॉलर का इजाफा किया था, यह इसकी अब तक की सबसे अच्छी ग्रोथ है।
अडानी ग्रुप में फ्रांस की ऑयल कंपनी Total Energies और Warburg Pincus LLC ने निवेश करने का निर्णय लिया है। अडानी ग्रुप में यह है यह निवेश रिलायंस और टाटा ग्रुप के बाद, अब तक का किसी भारतीय कंपनी में किया गया सबसे ज्यादा निवेश है। कुछ साल पहले इस ग्रुप में इंडिया के सात एयरपोर्ट के रखरखाव का कॉन्ट्रैक्ट भी हासिल किया, यह इंडिया के कुल एयर ट्रैफिक का 25% के करीब है। आपको शेयर मार्केट का कड़वा सच अवश्य जानना चाहिए।
अड़ानी ने अपनी रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को 2025 तक, अब से 8 गुना बढ़ाने का प्लान बनाया है। कुछ समय पहले अडानी ग्रुप ने edge connect के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है, जिसके अनुसार Adani Group ने पूरे भारत में डाटा सेंटर डिवेलप करने और उनका संचालन करने का इनीशिएटिव लिया है. इस ग्रुप में रक्षा क्षेत्र में भी प्रवेश कर लिया है जिसकी वजह से इंडिया के रक्षा क्षेत्र के आयात में कमी आएगी।
यह ग्रुप सोलर पैनल और मॉड्यूस का निर्माण भी कर रहा है। अडानी ग्रुप के इन्हीं इनिशिएटिव को देखते हुए ही वारबर्ग ने Adani Port & SEZ मैं 110 मिलियन डॉलर निवेश किए हैं। वहीं फ्रांस के टोटल ग्रीन ने अडानी ग्रीन में 2.5 बिलीयन डॉलर का निवेश किया है। आपको शेयर मार्केट टर्म्स को जरूर जानना चाहिए।
शेयर मार्किट में अडानी ग्रुप की सात निम्नलिखित कंपनियां लिस्ट हैं -
1. Adani Port & SEZ भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट पोर्ट ऑपरेटर है, जो भारत के पूर्व और पश्चिमी कोस्टलाइन में तीस पोर्ट और टर्मिनल में फैला हुआ है।
2. Adani Enterprises यह अडानी ग्रुप की फ्लेगशिप कंपनी है। ऑल इंडिया की सबसे बड़ी कोयला ट्रेडिंग कंपनी के अलावा सबसे बड़ी कोयला माइनिंग और प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेट करने वाली कंपनी है। यह कंपनी आठ एयरपोर्टस को ऑपरेट करती हैं।
3. Adani Green, अडानी ग्रीन इंडिया की सबसे बडी सोलर पावर कंपनियों में से एक कंपनी है।
4. Adani Transmission अदानी ट्रांसमिशन भारत की सबसे बड़ी पावर वितरण और ट्रांसमिशन कंपनियों में से एक कंपनी है।
5. Adani Total Gas अडानी टोटल गैस आज भारत की सबसे बड़ी सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी बन चुकी है। 6. Adani power आज भारत की सबसे बड़ी थर्मल पावर कंपनियों में से एक है। इस कंपनी की 12540 मेगावाट विधुत जेनरेशन केपेसिटी है।
7. Acc इस सीमेंट कंपनी को भी अडानी ग्रुप ने खरीद लिया है।
8. Adani Willmar अडानी विल्मर इण्डिया के सबसे बड़े एडिबल ऑइल ब्रांड्स में से एक है। इन सबके साथ ही अडानी ग्रुप का साम्राज्य लॉजिस्टिक, इंडस्ट्रियल, डिफेंस, फ्रूट्स एंड रियल एस्टेट क्षेत्र में भी फैला हुआ है। आर्थिक मंदी
Adani Group के साथ जुड़े विवाद
ज्यादातर औद्योगिक घरानों के उत्थान और पतन के साथ कोई ना कोई विवाद जुड़ा हुआ होता है। चाहे वह टाटा ग्रुप, जेपी ग्रुप, रिलायंस, ग्रुप, बिडला ग्रुप या कोई भी ग्रुप हो। अडानी ग्रुप ने लोन लेकर और अपनी कंपनियों के शेयर बेचकर अपने ग्रुप का विस्तार किया है।
रेटिंग एजेंसी क्रेडिट स्विस अडानी ग्रुप को डेट बर्डन ग्रुप मानती है। लेकिन हिंडनबर्ग से जुड़े विवाद के बाद Gautam Adani ने कुछ कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर अपने कर्ज को कम किया है।
2006-2007 में अडानी ग्रुप का रेवेन्यू 16953 करोड रुपए था और इस ग्रुप का डेप्ट 4353 करोड रुपए था। क्रेडिट सुईस के अनुसार 2012-2013 में अडानी ग्रुप का रेवेन्यू 47,352 करोड रुपए था और इसका डेट 81,122 करोड रुपए था। आज भी इस ग्रुप का टोटल डेप्ट करीब 20 मिलियन डॉलर है। ऑप्शन ट्रेडिंग
इसके अतिरिक्त अडानी ग्रुप की कंपनियों की वैल्यूएशन को लेकर भी कई तरह के संशय हैं। इसी संशय को दूर करने के लिए अडानी ग्रुप का कहना है कि वह अपने ग्रुप की कंपनियों में पारदर्शिता लाने के लिए कंपनी फेमस इंटरनेशनल ऑडिट फर्म्स को अपने ग्रुप की ऑडिट के लिए हायर कर रही है।
इस ग्रुप के लिस्टेड शेयरों के बारह महीने के रेवेन्यू में यदि अडानी विल्मर के रेवेन्यू को भी इंक्लूड कर लिया जाए तो यह 14.5 billion-dollar होगा। जबकि इसके विपरीत इन कंपनियों की कंबाइन रेवेन्यू 1.14 बिलीयन डॉलर्स थी। इन आंकड़ों के बावजूद Adani group के स्टॉक्स की वैल्यू 1.8 मिलीयन डॉलर्स बताई जाती है। इससे यह सवाल पैदा होता है? कि क्या फंडामेंटल वैल्यू से इस ग्रुप के स्टॉक प्राइस को अलग कर दिया गया है। कॉफी कैन इन्वेस्टिंग
इसके अलावा गौतम अडानी और बड़े राजनेताओं के संबंध हमेशा से चर्चा में रहे हैं पॉलिटिकल विश्लेषक निरंजन मुखोपाध्याय जिन्होंने नरेंद्र मोदी जी द मेन. द टाइम। नाम की बायोग्राफी लिखी है। उनके अनुसार नरेंद्र मोदी जी और गौतम अडानी के 2003 से कनेक्शन थे। कई रिपोर्टस के अनुसार 2002 के गुजरात दंगों के बाद जब सीआईआई ने गुजरात में निवेश करने से मना कर दिया था।
तब गौतम अडानी ने क्षेत्रीय औद्योगिक लॉबी बनाकर वाइब्रेंट गुजरात समिट में 15100 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की थी। इसके अतिरिक्त जब यूएस में वार्टन इंडिया इकनॉमिक फोरम ने मिस्टर नरेंद्र मोदी को दिए गए निमंत्रण को कैंसिल कर दिया था। तब भी इन्होने मैन स्पॉन्सर के तौर पर स्पॉन्सरशिप बिना कोई कारण बताए वापस ले ली थी। यदि आप भी गौतम अडानी की तरह धनवान बनना चाहते हैं, तो रिच डैड पुअर डैड बुक आप का मार्गदर्शन कर सकती है।
इसी तरह गुजरात ऊर्जा पावर निगम (GUVA) 79.8 करोड़ की पेनल्टी लगाई। जबकि सीएजी की कैलकुलेशन के हिसाब से यह पेनल्टी अगस्त 2009 से जनवरी 2012 के बीच अडानी पावर द्वारा पावर सप्लाई न कर पाने के कारण से से ही 240 करोड रुपए होनी चाहिए थी।अहमदाबाद आईआईएम में बिजनेस इतिहास के रिटायर प्रोफेसर दिग्विजय त्रिपाठी के अनुसार आज गुजरात के कई आईएएस Adani Group ज्वाइन कर रहे हैं।
इस पैटर्न को आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि फॉर्मर सेक्रेट्री जीके पिल्लई ने भी अडानी पोर्ट के बोर्ड को ज्वाइन कर लिया था। इस सबके अतिरिक्त गौतम अडानी के भाई राजेश अड़ानी को इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट के द्वारा evasion duty के केस में गिरफ्तार भी किया गया था।
देश के बाहर भी गौतम अडानी का विवादों ने पीछा नहीं छोड़ा ऑस्ट्रेलिया में Stop Adani नामक आंदोलन भी चलाया गया था। जब इस ग्रुप में ऑस्ट्रेलिया के Carmichael में कोयला खदान को खरीदा और रेल तथा पोर्ट प्रोजेक्ट को शुरू किया। नैस्डेक
अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो, इसे सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें। ऐसी जानकारी के लिए इस साइट को सब्सक्राइब जरूर करें, आप मुझे facebook पर भी फॉलो जरूर करें। Adani Group के गौतम अडानी की रंक से राजा बनने की कहानी। Adani group ke Gautam Adani ki biography in Hindi- यह आर्टिकल आपको कैसा लगा प्लीज कमेंट करके जरूर बताएँ।
कोई टिप्पणी नहीं