Coffee Can Investing Book: "कॉफी कैन इन्वेस्टिंग" बुक समरी हिंदी में।
By: Manju Chaudhary Jul 19, 2025
Coffee Can Investing Book: सौरभ मुखर्जी की कंपनी, मार्सेलुस इन्वेस्टमेंट के भारत में सबसे बड़े धन प्रबंधकों में से एक है। जो इस दृष्टिकोण के साथ निवेश करती है और शानदार रिटर्न देती है। कॉफ़ी कैन इन्वेस्टिंग बुक में, सौरभ मुखर्जी आपको दिखाएंगे कि कम जोखिम वाले निवेश कैसे करें? जो शानदार रिटर्न देते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं- कॉफी कैन इन्वेस्टिंग बुक समरी हिंदी में। Coffee Can Investing Book Summary in Hindi.
यदि आप अंग्रेजी में बुक को पढ़ और समझ सकते हैं तो आपको सौरभ मुखर्जी द्वारा लिखित कॉफी कैन इन्वेस्टिंग बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
Coffee Can Investing बुक के बारे में
"कॉफी कैन इन्वेस्टिंग" बुक जिसे सौरभ मुखर्जी, रक्षित रंजन और प्रणब उनियाल ने लिखा है। सौरभ मुखर्जी मार्सेलुस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर और फाउंडर हैं। एशिया मनी पोल्स ने 2015 से 2017 में उन्हें भारत का लीडिंग इक्विटी स्ट्रैटिजिस्ट का नाम दिया था। काफी पहले वह cnbc tv 18 चैनल पर भी शेयर मार्केट के बारे में एडवाइस दिया करते थे। अभी भी कभी-कभी आते हैं।
यह बुक "कॉफ़ी कैन पोर्टफोलियो" की अवधारणा पर आधारित एक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी का परिचय देती है। यह दृष्टिकोण हाई-क्वालिटी वाले stocks को चुनकर और उन्हें long-term के लिए होल्ड करके, निवेश को सरल बनाने के बारे में है। जैसे लोग मूल्यवान वस्तुओं को कॉफी कैन में रखकर भूल जाते हैं और सही समय पर उनका उपयोग करते हैं। यह इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी भी इसी तरह की है।
रक्षित रंजन एम्बिट कैपिटल पोर्टफोलियो को लॉन्च करने के लिए जाने जाते हैं। इनके नेतृत्व में "कॉफी कैन" भारत का सबसे अच्छा पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस बन गया है। प्रणव उनियाल ने अपने कैरियर की शुरुआत कैमिकल इंजीनियर के तौर पर की थी। आईआईएम से MBA करने के बाद उन्होंने इन्वेस्टिंग में अपना कैरियर बनाया। उन्होंने HSBC, स्टैंडर्ड चार्टर्ड और एम्बिट कैपिटल में ऊँची पोजीशन पर काम किया है।
इनकी लिखी बुक Coffee Can Investing और इसकी समरी आपको सिखाएगी कि कैसे आप अपने पैसों को जोखिम में डाले बिना। एक प्रोफेशनल इन्वेस्टर की तरह पैसे कमा सकते हैं। क्या आप अपनी मेहनत की कमाई का फायदा ले रहे हैं या फिर आप ने अपने पैसे को किसी सेविंग अकाउंट में रखा हुआ है?
शायद आपने फिक्स डिपॉजिट, गोल्ड या रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट करने की कोशिश की होगी। क्या आपको उस इन्वेस्टमेंट से बड़ा फायदा हुआ है? बहुत से लोग शेयर मार्केट में इन्वेस्ट नहीं करना चाहते हैं क्योंकि वो इसे बहुत ही रिस्की समझते हैं। ज्यादातर लोग शेयर मार्केट को एक तरह से जुआ खेलना के समान ही मानते हैं।
"कॉफी कैन इन्वेस्टिंग" बुक की समरी आपको इन्वेस्टिंग का कॉफी कैन स्टाइल सिखाएगी। जो फिक्स डिपॉजिट जितना ही सुरक्षित है किन्तु इससे आपको मिलने वाला रिटर्न बहुत ज्यादा होगा। इन्वेस्टमेंट पर होने वाले खर्चे आपके रिटर्न को काफी कम कर सकते हैं। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि ब्रोकरेज फीस उनके पोर्टफोलियो पर कितना और कैसे असर करती है?
Coffee Can Investing Book आपको सिखाएगी कि आप जो ब्रोकरेज दे रहे हैं उसे कैसे कम से कम कर सकते हैं। इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनियां जो हिडन फीस लेती हैं, आप उसके बारे में भी जानेंगे। आप ये भी सीखेंगे कि अच्छी क्वालिटी के स्टॉक्स को कैसे पहचानते हैं। इन शेयरों को धैर्य के साथ होल्ड रखना होता है। आप उन यूनिक फायदों के बारे में भी जानेंगे, जिन्हें इंडेक्स और छोटी-मोटी कंपनियां अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में ला सकती हैं।
बहुत से लोगों ने स्टॉक मार्केट में अपना नुकसान किया है। उनकी गलती ये है कि उन्होंने सोच समझकर या स्मार्टली मार्केट में इन्वेस्ट नहीं किया। रिसर्च और धैर्य पर आधारित इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी हमेशा बहुत अच्छा रिटर्न देती है। आपके लिए इन्वेस्टमेंट करने का सबसे अच्छा समय दस वर्ष पहले था या अब वर्तमान समय आपके इन्वेस्टमेंट करने का सबसे अच्छा समय है।
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आपके इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न मॅहगाई ( इन्फ्लेशन ) के हिसाब से होना चाहिए। तभी आपकी संपत्ति में वृद्धि हो सकती है। क्योंकि सभी लोग अपने लक्ष्य ( गोल ) को हांसिल करने के लिए इन्वेस्टमेंट करते हैं। आप जब इन्वेस्टमेंट का अपनी जरूरत के लिए उपयोग करते हैं। तब उस समय की महंगाई के हिसाब से उस में वृद्धि होनी चाहिए। तभी आप अपना लक्ष्य हांसिल कर सकते हैं।
यह कोई जरूरी नहीं है कि कोई व्यक्ति किसी क्षेत्र में बेहद सफल है तो वह इन्वेस्टमेंट भी सफलतापूर्वक कर सकता है। सभी जानते हैं कि अल्बर्ट आइंस्टाइन कितने बुद्धिमान साइंटिस्ट थे लेकिन उन्हें भी Stock market में बेहद नुकसान हुआ था। यदि आप शेयर मार्केट के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं तो आप म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं। या किसी इन्वेस्टमेंट मैनेजर (फाइनेंशियल एक्सपर्ट) की सलाह ले सकते हैं।
Coffee Can Investing के बारे में एक किस्सा मशहूर है, रॉबर्ट किर्बी कैपिटल ग्रुप लॉसएंजिल्स में इन्वेस्टमेंट मैनेजर हैं। वो जो महसूस करते हैं, उसके हिसाब से इन्वेस्ट करते हैं न कि रिसर्च के हिसाब से, उनकी कंपनी अपने अमीर क्लाइंट्स को इन्वेस्टमेंट की सलाह देती है। रॉबर्ट किर्बी के पास उनके क्लाइंट की सफलता के बहुत से किस्से मौजूद है लेकिन उनमे एक किस्सा बेहद दिलचस्प है।
जिसकी वजह से कॉफी कैन थ्योरी का जन्म हुआ है। हुआ यूँ कि उनके एक क्लाइंट सीनियर सिटीजन रिटायर्ड व्यक्ति थे। रॉबर्ट किर्बी समय-समय पर उस क्लाइंट को बहुत से स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट करने की सलाह देते रहते थे। फिर वो किर्बी के बताये स्टॉक्स में से 5000 डॉलर के स्टॉक्स खरीदते थे। लेकिन वे कभी भी स्टॉक्स को बेचते नहीं थे।
करीब दस वर्ष बाद वो बढ्ढे व्यक्ति करोड़पति (मिलेनियर) बनने के करीब थे। इससे किर्बी बहुत खुश हुए उन्होंने इस तरह के इन्वेस्टमेंट को कॉफी कैन इन्वेस्टमेंट कहा। इसी से Coffee Can Investing की शुरुआत हुई थी।
जब बैंक नहीं हुआ करते थे लोग अपने पैसे गद्दे के नीचे कॉफी कैन में रखा करते थे। और वर्षों बाद उन्हें अपना कॉफी कैन पैसों से भरा हुआ मिलता था। स्टॉक्स खरीदने से पहले आपको अपने मन से दो सवाल पूछने चाहिए। पहला सवाल यह है कि मुझे कौन सा शेयर खरीदना चाहिए? जो शेयर मैने खरीदा है, उसे कितने समय के लिए अपने पास रखना चाहिए?
सुनने में तो ये सवाल बहुत आसान लगते हैं परन्तु इनका जवाब देना उतना ही मुश्किल है। ज्यादातर लोग दूसरों की देखा-देखी स्टॉक्स में इन्वेस्ट करते हैं ऐसे लोग सच्चे इन्वेस्टर्स नहीं होते हैं। उन्हें शेयर मार्केट में पंटर कहा जाता है। पंटर अपने दोस्तों से मिले टिप्स के हिसाब से स्टॉक्स खरीदते हैं।
ये बिना जाने की यह कंपनी आखिर क्या काम करती है और इसका भविष्य कैसा है? ऐसे लोग अपने इन्वेस्टमेंट से जुड़े जोखिम को नहीं समझते है इसलिए शेयर मार्केट सभी पंटर फेल ही होते हैं। कॉफी कैन इन्वेस्टिंग सबसे अच्छी स्ट्रेटेजी है। इस स्ट्रेटेजी के अनुसार आपको 15-25 बहुत अच्छी क्वालिटी के स्टॉक्स को सुनना चाहिए। उसके बाद फिर उन्हें कम से कम तीन या दस वर्ष तक होल्ड करना चाहिए।
अच्छी क्वालिटी के स्टॉक्स कैसे चुनें?
अच्छे स्टॉक पहचानने के निम्नलिखित मुख्य तरीके हैं-
कंपनी का सौ करोड़ से जयादा मार्केट कैपेटलाइजेशन होना चाहिए। मार्केट कैपेटलाइजेशन उस कंपनी के टोटल स्टॉक्स का टोटल वैल्यू होता है। भारत में इस वैल्यूएशन की 1500 सौ कंपनियां हैं। जरूरी नहीं है कि आप अपने आप को इन 1500 कंपनियों तक ही सीमित रखें।
इससे कम मार्केट केपेटलाइजेशन वाली कंपनियां भी ग्रो कर सकती हैं। लेकिन छोटी कंपनियों के बारे में मार्केट में जयादा जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। जो जानकारी होती भी है उस पर भी पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता है।
रिटर्न आप केपिटल इम्प्लॉइड यानि ROCE, आरओसीई फाइनेंशियल रेश्यो को संदर्भित करता है। जिसका उपयोग किसी कंपनी की प्रोफिटेबिल्टी और पूँजी दक्षता मापने के लिए किया जाता है। आसान शब्दों में किसी कंपनी का ROCE रेश्यो यह समझने में मदद करता है कि कोई कंपनी अपनी पूँजी के उपयोग से कितना अच्छा मुनाफा कमा रही है।
आपके Coffee Can Investment में व्ही स्टॉक्स होने चाहिए। जिनका ROCE 15% से ज्यादा है। किसी भी कंपनी का मुख्य फेक्टर ROCE ही होता है। इसी से पता चलता है कि किसी शेयर की वैल्यू (price) भविष्य में कितनी ग्रोथ कर सकती है। शेयर मार्केट में कई अन्य कारणों की वजह से कंपनियां बहुत तेजी से ऊपर जा सकती है या नीचे गिर सकती है। लेकिन लॉन्ग-टर्म में कोई भी बिजनेस अपने ROCE से ज्यादा रेट पर नहीं बढ़ता है।
कभी-कभी अपने इन्वेस्टर्स को फायदा दिए बिना भी बिजनेस बहुत बड़े प्राइस से बढ़ सकता है। बहुत सी कंपनियां अच्छा प्रॉफिट कमाने के बावजूद शेयरहोल्डर्स को कोई डिविडेंड नहीं देती हैं। और अपने सारे प्रॉफिट को अपने बिजनेस को बढ़ाने में ही लगा देती हैं। लेकिन उनके शेयर का प्राइस तो बढ़ता ही है जिससे उसके शेयरहोल्डर्स के इन्वेस्टमेंट की वैल्यू भी बढ़ती है और उनको भी अच्छा मुनाफा होता है।
Coffee Can Investing में ऐसी कंपनियों के शेयरों इन्वेस्टमेंट करने के लिए नहीं चुनना चाहिए जो अपनी ग्रोथ के लिए कर्ज के भरोसे नहीं रहती हैं। ऐसी कंपनियों के मैनेजमेंट का पूरा फॉक्स कर्ज चुकाने पर ही रहता है। ऐसी कंपनियों शेयरहोल्डर्स के लिए ज्यादा प्रॉफिट कमाने पर ध्यान नहीं दे पाती हैं।
साथ ही इन कंपनियों की ROCE इन कंपनियों के लोन पर निर्भर होती है। जिससे इनके स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट बहुत जोखिम भरा बन जाता है। स्टील, रियल एस्टेट और पावर सेक्टर्स की कंपनियों के साथ लोन की दिक्क्त बहुत ज्यादा होती है।
कंपनियों के पास स्ट्रटेजिक एसेट्स होते हैं, कंपनी का अच्छा सीईओ और प्राकृतिक संसाधनों तक उसकी पहुंच होना। एक टाइम टेबल स्ट्रटेजिक एसेट्स होते हैं। परन्तु जो चीज किसी कंपनी को स्पेशल बनाती है। वह है, कंपनी इंटेलिजेंट एसेट इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इनटेंजिबल एसेट्स। जिसका मतलब पेटेंट, लाइसेंस और किसी विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञता जैसी विशेषतायें किसी भी कंपनी को मार्केट में बादशाहत दिला सकती हैं।
कंपनी का कल्चर भी एक इनटेंजिबल एसेट है। कंपनी का अच्छा कल्चर उसके कर्मचारियों, ग्राहकों और उसके सप्लायरों के साथ अच्छा रिश्ता बनाता है। ऐसी कंपनियां लम्बे समय तक कामयाब रहती हैं। बिजनेस टू कंज्यूमर या b2c कंपनियों पर ध्यान देना। इसका मतलब है ऐसी कंपनी जिसके क्लाइंट लौटकर बार-बार, हमेशा उसके पास आते हैं।
इसका मतलब है, इसका दूसरा अलटरनेटिव है बिजनेस टू बिजनेस यानि b2b कंपनी जिनके क्लाइंट दूसरे बिजनेस होते हैं। b2c कंपनी ज्यादातर फ़ूड, ब्यूटी और बैंकिंग के सेक्टर में होती हैं। ऐसी कंपनियां अपने ग्राहकों को लगातार सामान या अपनी सर्विसेस बेचती हैं। ऐसी कंपनियों का अपने ग्राहकों के साथ करीबी रिश्ता होता है। ये कंपनियां ट्रेंड्स बनाती हैं। इसीलिए b2c कंपनी लम्बे समय में अच्छा बिजनेस करती हैं। Coffee Can Investing के लिए ऐसी कंपनियां सही रहती हैं।
Coffee Can Investing Book के कॉन्सेप्ट्स और विचार
कॉफी कैन इन्वेस्टिंग बुक की अवधारणा और विचार निम्नलिखित हैं-
कॉफी कैन पोर्टफोलियो: कॉफी कैन इन्वेस्टमेंट का मैंन कॉन्सेप्ट हाई क्वालिटी वाले स्टॉक्स का चयन करके पोर्टफोलियो बनाना है। उसके बाद आपको यह निर्णय लेना है कि इस पोर्टफोलियो को कब तक होल्ड करना चाहिए। इस बारे में 2,000 से लेकर 2017 तक एक अध्ययन किया गया था।
जिसमे यह पता चला कि कॉफी कैन पोर्टफोलियो लगातार दूसरी तरह के इन्वेस्टमेंट को हरा सकता है। तीन वर्ष तक स्टॉक्स को होल्ड करने पर कॉफी कैन पोर्टफोलियो के प्रॉफिट में आने की संभावना 95% तक बढ़ जाती है। जिसका मतलब है कि आपके पैसे बर्बाद नहीं होंगे। पांच वर्ष तक स्टॉक्स को होल्ड करने पर आपके पैसों का 9% की वार्षिक दर बढ़ने की संभावना 95% बढ़ जाती है।
ऊपर बताये गये 17 वर्ष वर्ष के अध्ययन में Coffee Can Investing प्रत्येक वर्ष 24-25% की दर से बढ़ा था। किसी भी शेयर को लम्बे समय तक होल्ड करने से कम्पाउंडिंग का लाभ मिलता है। यह समय के साथ आपके प्रॉफिट को बहुत ज्यादा बढ़ा देता है इसलिए स्टॉक्स को खरीदकर लॉन्गटर्म के लिए होल्ड करना है।
ठीक उसी तरह जैसे आप कॉफ़ी कैन में क़ीमती सामान डालते हैं और उनके बारे में भूल जाते हैं। यह दीर्घकालिक दृष्टिकोण निवेशकों को कंपाउंडिंग की शक्ति से लाभ उठाने और शेयरों की लगातार खरीद और बिक्री से बचने में मदद करता है।
इन्वेस्टिंग के खर्चे: यदि आप यूलिप इन्वेस्टमेंट प्लान लेते हैं तो आपके मूलधन का 16% फीस देने में खर्च हो जाता है। ना कि प्रॉफिट कमाने में। ऐसे खर्चे इन्वेस्टर्स को बहुत ज्यादा पैसे कमाने से रोकते हैं। स्टॉक ब्रोकर्स और बैंक्स इन खर्चों को छुपाते हैं ताकि उन्हें ज्यादा पैसे मिलें। इन्वेस्टमेंट के दौरान तीन तरह के खर्चे होते हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए।
- पैसे निकलने की फीस: शेयर खरीदने और बेचने के लिए आप जो भी ट्रांसक्शन करते हैं आपका ब्रोकर उसमें से कुछ फीस चार्ज करता है। अगर उसकी फीस 0.5% है तब भी दस बार ट्रांसक्शन करने का मतलब है कि आपके पोर्टफोलियो का 5% स्टॉक ब्रोकर के पास चला गया। Coffee Can पोर्टफोलियो उस फीस को कम से कम कर देता है। ऐसा इसलिए कि आप दस साल में दो बार ट्रांसक्शन करते हैं।
- वार्षिक फीस: वार्षिक फीस ज्यादातर म्यूच्यूअल फंड्स जैसी चीजों में होता है। फंडस का मैनेजर इन्वेस्टर्स से प्रत्येक वर्ष एक फीस लेता है। म्यूच्यूअल फंड्स परफॉर्मेंस बोनस भी चार्ज कर सकता है। इसे भी वर्ष में एक बार लिया जाता है।
- हिडन फीस: यह फीस ज्यादातर काम्प्लेक्स प्रोडक्ट जैसे यूनिट लिंक्ड प्लान यानि यूलिप में मिलती है। यूलिप प्लान आपको इन्वेस्टमेंट और इंश्योरेंस दोनों का फायदा देने का दावा करते हैं। लेकिन यह क्लाइंट्स को दिए जाने वाले बेनिफिट्स के बारे में साफ-साफ जानकारी नहीं देते हैं। यूलिप को बनाने वाले और बेचने वाले उसके इन्वेस्टर्स को बिना बताये बहुत ज्यादा फीस ले लेते हैं। हिडन फीस से बचने का एक ही तरीका है, जिन इन्वेस्टमेंट प्लान के बारे में आप जानते नहीं हैं। उनमें इन्वेस्टमेंट करने से बचें,तभी आप छुपी हुई फीस के जाल में फंसने से बच सकते हैं। आपके इन्वेस्टमेंट की ही तरह आपके खर्चे भी समय के साथ कंपाउंड होते हैं। इसका मतलब है कि आपके पैसों के साथ आपकी फीस भी बढ़ती जाती है।
- उदाहरण स्वरूप- यदि आपके शेयर मार्केट में सौ रूपये का इन्वेस्टमेंट किया। जिस पर आपने एक प्रतिशत की दर से एक रूपये ब्रोकरेज दी। कुछ वर्ष बाद बढ़कर आपका इन्वेस्टमेंट बढ़कर एक हजार रूपये हो जाता है। तो उसे बेचते समय आपको एक प्रतिशत की दर से एक हजार रूपये पर दस रूपये ब्रोकरेज फीस चुकानी होगी। इसीलिए कहते हैं कि आपके इन्वेस्टमेंट के साथ-साथ आपके खर्चे भी बढ़ जाते हैं।
मात्रा से अधिक गुणवत्ता: आपके कॉफी कैन पोर्टफोलियो के लिए स्टॉक का चयन करते समय सौरभ मुखर्जी stocks की संख्या से अधिक गुणवत्ता के महत्व पर जोर देते हैं। वह मजबूत फंडामेंटल्स, अपने सेक्टर की प्रतिस्पर्धी कंपनियों पर बढ़त और लगातार ग्रोथ के इतिहास वाली कंपनियों को चुनने का सुझाव देते हैं।
ब्ल्यू चिप्स कंपनियों पर ध्यान दें: Coffee Can Investing book के लेखक ब्लू-चिप शेयरों में निवेश करने की सलाह देते हैं। जोकि शेयर मार्केट में स्थिर प्रदर्शन करने वाली, अच्छी तरह से स्थापित कंपनियां हैं। इन कंपनियों के पास अक्सर मजबूत ब्रांड, बड़ी बाजार हिस्सेदारी और लाभांश भुगतान यानि डिविडेंड देने का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड होता है। फांग शेयर
लगातार मंथन से बचें: Sourabh Mukherjee इस बुक में इन्वेस्टर्स को बार-बार स्टॉक्स को खरीदने और बेचने से (ट्रेडिंग से) बचने की सलाह देते है। और पोर्टफोलियो टर्नओवर को कम रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इससे स्टॉक्स के लेनदेन लागत और टैक्स में वृद्धि हो सकती है। कॉफी कैन इन्वेस्टिंग स्ट्रेटेजी कई वर्षों तक स्टॉक को होल्ड रखने की रणनीति पर जोर देती है। जिससे स्टॉक्स के प्राइस में वृद्धि होने के चांस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं और आप उसका फायदा उठा सकते हैं।
बाज़ार का समय: Coffee Can Investing book बताती है कि stock market की टाइमिंग को पकड़ना बहुत कठिन है और हमेशा यह हानिकारक ही होता है। इसके बजाय, मार्केट में समय पर ध्यान केंद्रित करें और लंबी अवधि में चक्रवृद्धि प्रभाव (Compounding Effect) को काम करने दें। इससे लम्बे समय में आपके शेयरों के प्राइस में कई गुना वृद्धि हो सकती है।
Portfolio Diversification: जबकि कॉफी पोर्टफोलियो Buy and Hold दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। इस बुक में सौरभ मुखर्जी पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के महत्व पर बहुत जोर देते हैं। पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के ऊपर एक प्रसिद्ध कहावत भी है - कभी भी अपने सभी अंडे एक ही टोकरी में नहीं रखने चाहिए क्योंकि टोकरी के गिरने पर सभी अंडे एक साथ टूट सकते हैं।
अतः इसी तरह एक ही कंपनी या एक ही सेक्टर से पोर्टफोलियो के सभी स्टॉक्स नहीं खरीदने चाहिए। आपके निवेश वाली कंपनी या सेक्टर में गिरावट होने पर आपका पूरा पोर्टफोलियो नुकसान में आ जायेगा। इस बुक में जोखिम को कम करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों का एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो रखने का सुझाव दिया गया है। स्टॉक मार्केट टर्म
इन्वेस्टमेंट साइकोलॉजी: Coffee Can Investing book निवेश के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर भी प्रकाश डालती है। यह निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव और भावनाओं से प्रेरित आवेगपूर्ण निर्णय लेने से बचने की सलाह देता है। अतः दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है। इसके लिए अपने पोर्टफोलियो को लम्बे समय तक होल्ड करना चाहिए।
Tax Efficiency: इस बुक में लेखक ने आपके निवेश पर लगने वाले टेक्स के महत्व को समझने के महत्व पर बहुत जोर दिया है। कॉफी कैन दृष्टिकोण के द्वारा आप अपने पोर्टफोलियो पर लगने वाले टेक्स को प्रभावी ढंग से कैसे मैनेज कर सकते हैं, इस बुक में यह सिखाया गया है। यानि आपको कम से कम टेक्स देना पड़े, यह इस स्ट्रैटजी में सिखाया जाता है।
नियमित निगरानी: भले ही कॉफी कैन इन्वेस्टिंग स्ट्रेटेजी दीर्घकालिक निवेश के बारे में है। लेकिन आपके शेयरों के प्राइस में वृद्धि हो रही है या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर आपको अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहना चाहिए। यानि कि आपके द्वारा चुने गए स्टॉक अभी भी आपके निवेश लक्ष्यों के हिसाब से प्रदर्शन कर रहे हैं या नहीं।
विरासत योजना: Legacy Planning पर सौरभ मुखर्जी का सुझाव है कि Coffee Can Investing पोर्टफोलियो भविष्य की पीढ़ियों के लिए विरासत के रूप में भी काम कर सकता है। क्योंकि चक्रवृद्धि प्रभाव ( Compounding Effect ) से समय के साथ महत्वपूर्ण धन संचय हो सकता है।
इस आर्टिकल का सारांश यह है, "कॉफी कैन इन्वेस्टिंग" गुणवत्ता, विविधीकरण और अनुशासन पर ध्यान देने के साथ उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश के लिए एक धैर्यवान, दीर्घकालिक दृष्टिकोण की वकालत करता है। यह स्ट्रेटेजी निवेश प्रक्रिया को सरल बनाने और समय के साथ चक्रवृद्धि की शक्ति का लाभ उठाने के लिए डिज़ाइन की गई है। जिससे कॉफी कैन पोर्टफोलियो कई निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन जाता है।
उम्मीद है, आपको यह कॉफी कैन इन्वेस्टिंग बुक समरी हिंदी में। आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Coffee can Investing Book Summary in Hindi.आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
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