इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन (IRFC) एक मल्टीबैगर शेयर?
इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉररेशन (IRFC) क्या एक मल्टीबैगर शेयर है? यह इंडियन रेलवे की डेडीकेटेड बोरोइंग आर्म है। यानी कि यदि भारतीय रेलवे को ब्याज पर मार्केट से पैसा उठाना होता है। तो वह IRFC के द्वारा ही उठाता है। भारत में रेलवे का इंफ्रास्ट्रक्चर इंडियन रेलवे खुद बनाता है।
इस तरह इंडियन रेलवे की रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में मोनोपोली है। इंडियन रेलवे की फाइनेंसिंग अकेला आईआरएफसी ही करता है, तो इस तरह इसकी भी मोनोपोली ही है। आइए विस्तार हैं- इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन (IRFC) क्या एक मल्टीबैगर शेयर है? ndian railway financial corporation in Hindi.
इंडियन रेलवे के जितने भी रोलिंग एसेट्स होते हैं, उनकी लगभग 70-80 परसेंट फाइनेंसिंग IRFC के द्वारा ही होती है। इंडियन रेलवे के जितने भी मूवेबल एसेट्स हैं, उन्हें रोलिंग स्टॉक एसेट्स कहा जाता है। जैसे लोकोमोटिव्स, वैगंस, कोच, इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट आदि। रिलायंस इंडस्ट्रीज
इनसे संबंधित जितना भी इंफ्रास्ट्रक्चर होता है उसे रोलिंग स्टॉक एसेट्स कहा जाता है। इनको खरीदने के लिए मार्केट से पैसा Indian Railway financial corporation ही उठाता है और उनको अपनाता (own) है। उसके बाद इंडियन रेलवे को लीज रेंटल पर दे देता है और लीज रेंटल लेता रहता है।
रोलिंग एसेट्स के अलावा IRFC इंडियन रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी फाइनेंस करते हैं। यहां पर भी वही मॉडल इस्तेमाल करता हैं, यानी कि मार्केट से पैसा उठाते हैं और इंफ्रास्ट्रक्चर में पैसा लगाते हैं। फिर लीज पर दे देते हैं,और अपना लीज रेंटल लेते रहते हैं। शेयर बाजार से पैसे कमाने के दस तरीके
आईआरएफसी 30 वर्ष के लिए अपने एसेट्स लीज पर देती है। जिसमें 15 वर्ष का प्राइमरी पीरियड होता है, जिसमें पूरा का पूरा प्रिंसिपल और ब्याज लिया जाता है। बाकी के 15 साल का समय होता है, जिसके अंतर्गत लीज रेंटल आते हैं। जो आमदनी की तरह IRFC के पास एकत्र होते रहते हैं।
तीस वर्ष तक एसेट्स का मालिक इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन ही होता है लेकिन उन्हें 30 वर्ष के बाद बहुत ही सस्ती कीमत पर इंडियन रेलवे को बेच दिया जाता है। क्योंकि इसे तो केवल अपनी ब्याज से मतलब है, उसकी आमदनी ब्याज से हो जाती है। आईआरएफसी 35-40 पैसे का ब्याज लेती है क्योंकि इंडियन रेलवे से इसका लीज एग्रीमेंट है।
IRFC को मार्केट से जिस भी ब्याज पर पैसा मिलता है। उसमे यह अपना मार्जिन जोड़कर, बनने वाली ब्याज पर ये Indian Railway को रेंटल लीज पर अपने एसेट्स दे देती है। यही है Indian Railway financial corporation यानि IRFC का लीज मॉडल। सुजलॉन एनर्जी
IRFC किस गति से ग्रोथ कर सकती है, इस पर विस्तार से प्रकाश डालते हैं। इंडियन रेलवे का पैसा सबसे ज्यादा नेटवर्क कंजेशन (Network congestion) के ऊपर खर्च होता है।अब भारतीय रेल अपने नेटवर्क का काफी विस्तार कर रही है। पहले भारतीय रेल का इतना विस्तार नहीं हुआ था। रूस के शेयर मार्केट
पिछले 10 वर्षों में भारतीय रेल के विस्तार पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। जिसके अंदर रेलवे का इलेक्ट्रिफिकेशन काफी हो रहा है, आज भी भारतीय रेल में काफी जगह पर डीजल लोकोमोटिव यूज़ होते हैं ,अब इनके इलेक्ट्रिफिकेशन पर काफी पैसा खर्च हो रहा है। इसी तरह जो अनमैंड रेलवे क्रॉसिंग है, उन पर गार्ड की नियुक्ति किया जा रहा है।
बहुत सारे रेलवे स्टेशनों को रीडवलप किया जा रहा है, उन्हें वर्ल्ड क्लास बनाया जा रहा है। करीब 400 शहरों के अंदर रेलवे स्टेशनों का डेवलपमेंट हो रहा है। हाई स्पीड ट्रेनों को चलाया जा रहा है। एलीवेटेड कॉरीडोर बन रहे हैं, आने वाले समय में बुलेट ट्रेन भी प्रस्तावित है। मनी कंट्रोल प्रो
इस तरह इंडियन रेलवे के अंदर नई-नई चीजें हो रही हैं, इसलिए रोलिंग स्टॉक भी सभी जगह चाहिए। इसके अंदर बढ़ाया जाएगा लोकोमोटिव को पहले भाप से डीजल में कन्वर्ट किया और अब उन्हें डीजल से इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट किया जा रहा है। यह भी एक एक्सपेंशन हो रहा है।
कोच की भी डीजल मल्टीपल यूनिट है, इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट हैं। जितनी भी शहरों को सबअर्बन ट्रैफिक से कनेक्ट करना होता है वहां पर यह EMU, DMU (डीजल मल्टीपल यूनिट) चलते हैं। इनके अंदर भी एक ग्रोथ स्टोरी देखने को मिल रही है। यही चीज अब हम नंबर्स में भी देख सकते हैं। ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग सीखें?
ऐसे ही वैगंस का ट्रैफिक भी बढ़ रहा है क्योंकि जैसे ही इकोनामी ग्रो करती है। वैसे ही गुड्स का मूवमेंट भी बढ़ता है। वैगनों की संख्या भी उसी हिसाब से बढ़ रही है, जिससे IRFC में भी काफी ग्रोथ देखने को मिल रही है। चाहे हम इसके इंस्टिट्यूशनल फाइनेंसिंग की बात करें या बॉन्ड्स के फाइनेंसिंग की बात करें।
हां हम यह कह सकते हैं कि पिछले साल, कोरोनावायरस चलते इसके फाइनेंस में गिरावट जरूर आई थी। लेकिन यह गिरावट अन्य सभी क्षेत्रों में भी हुई थी।
इसका कम रिस्क, बिजनेस मॉडल है क्योंकि यह नेट मार्जिन पर काम करता है। IRFC मार्केट से चाहे कितने ही ब्याज पर पैसा उठाएं, कॉस्ट प्लस पर यह काम करता है। सरकार को भी यह थोड़ा बहुत अपना मार्जिन जोड़कर ही पैसा देता है। इस तरह ब्याज दर का इसके ऊपर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है।
IRFC की पिछली फाइनेंसियल परफॉर्मेंस काफी मजबूत रही है। पिछले तीन चार सालों से लगातार 20 22% की ग्रोथ आईडीएफसी दिखा रहा है। इसका ऐसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट काफी मजबूत है। ऐसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट जितनी भी फाइनेंस कंपनी है उनके लिए जरूरी होता है क्योंकि यह cost-plus फार्मूले का इस्तेमाल करता है।
आईआरएफसी का ऐसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट अच्छा आ जाता है क्योंकि यह मार्केट से जो बॉन्ड की फॉर्म में पैसा उठा रहा है। वे लोंग टर्म के लिए होता है और उसे इंडियन रेलवे को भी लॉन्ग टर्म के लिए दे दिया जाता है। इस तरह ऐसेट लायबिलिटी मिसमैच नहीं होता है। आलोक इंडस्ट्री
यह भी इसके लिए एक स्ट्रेंथ का काम करता है। इसका अनुभवी मैनेजमेंट है क्योंकि 1986 से यह यही काम कर रही है,तो यह सभी काम इनको आता ही है।
Weakness अगर इनकी कमजोरी की बात करें तो इनकी एक ही कमजोरी दिखाई देती है। और वह कमजोरी है कि इनकी सारी रेवेन्यू इंडियन रेलवे से ही आती है। अगर कभी सरकार पॉलिसी में कोई बदलाव कर देती है तो इसको रिस्क हो सकता है।
यदि अपॉर्चुनिटी की बात की जाए तो रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर के अंदर बहुत बड़ा स्कोप है। इंडिया के अंदर डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर आ रहा है, वेयरहाउसिंग मैं बहुत बड़ा स्कोप है। प्रत्येक जगह पर रेलवे लाइंस की जरूरत होगी, इस तरह रेल इंफ्रास्ट्रक्चर का स्कोप तो बहुत ज्यादा है। भारतीय फाइनेंसियल मार्केट
यह बात अलग है कि सरकार कितना सपोर्ट करेगी कितना बजट रखेगी और आने वाले समय में ही पता चलेगा कि आईआरएफसी के लिए खतरा क्या हो सकता है। यदि सरकार की नीति में कोई परिवर्तन होता है या कहें कि वह आईएससी को कम फाइनेंस करती है या कम प्रोजेक्ट देती है।
यह चीजें सरकार के ऊपर निर्भर करती है, इसी से इसके लिए कोई खतरा हो सकता है। डेट मार्केट में भी कंपटीशन होता है, ऐसा नहीं है कि जब उन्हें मार्केट से पैसा उठाना होता है तो वह बहुत कम ब्याज दर पर पैसा उठा सकते हैं। वहां पर इनको कम्पटीशन फेस करना पड़ता है और मार्केट में जो भी ब्याज उस समय चल रहा होता है, इन्हें भी देना पड़ता है। SIP
प्रिय पाठकों,उम्मीद है कि अब आप Indian Railway financial corporation के बारे में अच्छे से जान गए होंगे कि यह कंपनी भविष्य में किसी ने कैसी ग्रोथ कर सकती है? इसमें क्या-क्या पॉजिटिव चीजें हैं तथा क्या-क्या नेगेटिव? यह निर्णय में आप पर ही छोड़ती हूँ। क्या इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन का SHARE और भी बड़ा मल्टीबैगर शेयर बन सकता है?
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यदि आप भी जिंदगी में कुछ बनना चाहते हैं तो एलोन मस्क के सक्सेस सीक्रेट बुक को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए।
आईआरएफसी रेलवे के लिए फाइनेंस करता है इसलिए इसकी कोई प्रतिस्पर्धा कंपनी नहीं है। इस आर्टिकल में इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन का बिजनेस मॉडल कैसा है? क्या यह अपने नेट मार्जिन बना पाता है? क्या यह कंपनी प्रॉफिटेबल है? इसका पुराना डाटा विश्लेषण करेंगे। टाटा पावर
IRFC का बिजनेस मॉडल
जब भी इंडियन रेलवे को अपना कुछ कैपिटल एक्सपेंडिचर करना होता है। पैसा उठाने के लिए इसके पास कई तरीके हैं। यदि उसे पैसा ब्याज पर उठाना है, तो वह आईआरएफसी के द्वारा ही मार्केट से पैसा ब्याज पर उठाती है।इंडियन रेलवे के जितने भी रोलिंग एसेट्स होते हैं, उनकी लगभग 70-80 परसेंट फाइनेंसिंग IRFC के द्वारा ही होती है। इंडियन रेलवे के जितने भी मूवेबल एसेट्स हैं, उन्हें रोलिंग स्टॉक एसेट्स कहा जाता है। जैसे लोकोमोटिव्स, वैगंस, कोच, इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट आदि। रिलायंस इंडस्ट्रीज
इनसे संबंधित जितना भी इंफ्रास्ट्रक्चर होता है उसे रोलिंग स्टॉक एसेट्स कहा जाता है। इनको खरीदने के लिए मार्केट से पैसा Indian Railway financial corporation ही उठाता है और उनको अपनाता (own) है। उसके बाद इंडियन रेलवे को लीज रेंटल पर दे देता है और लीज रेंटल लेता रहता है।
रोलिंग एसेट्स के अलावा IRFC इंडियन रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी फाइनेंस करते हैं। यहां पर भी वही मॉडल इस्तेमाल करता हैं, यानी कि मार्केट से पैसा उठाते हैं और इंफ्रास्ट्रक्चर में पैसा लगाते हैं। फिर लीज पर दे देते हैं,और अपना लीज रेंटल लेते रहते हैं। शेयर बाजार से पैसे कमाने के दस तरीके
आईआरएफसी 30 वर्ष के लिए अपने एसेट्स लीज पर देती है। जिसमें 15 वर्ष का प्राइमरी पीरियड होता है, जिसमें पूरा का पूरा प्रिंसिपल और ब्याज लिया जाता है। बाकी के 15 साल का समय होता है, जिसके अंतर्गत लीज रेंटल आते हैं। जो आमदनी की तरह IRFC के पास एकत्र होते रहते हैं।
तीस वर्ष तक एसेट्स का मालिक इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन ही होता है लेकिन उन्हें 30 वर्ष के बाद बहुत ही सस्ती कीमत पर इंडियन रेलवे को बेच दिया जाता है। क्योंकि इसे तो केवल अपनी ब्याज से मतलब है, उसकी आमदनी ब्याज से हो जाती है। आईआरएफसी 35-40 पैसे का ब्याज लेती है क्योंकि इंडियन रेलवे से इसका लीज एग्रीमेंट है।
IRFC को मार्केट से जिस भी ब्याज पर पैसा मिलता है। उसमे यह अपना मार्जिन जोड़कर, बनने वाली ब्याज पर ये Indian Railway को रेंटल लीज पर अपने एसेट्स दे देती है। यही है Indian Railway financial corporation यानि IRFC का लीज मॉडल। सुजलॉन एनर्जी
लैंडिंग मॉडल
ये रेलवे की सब्सिडियरी को भी ब्याज पर पैसा देता हैं, यहां पर इनके मार्जिन थोड़े से ज्यादा होते हैं। यहां पर इनको 1.5 से लेकर 2% तक का मार्जिन मिल जाता है। यह रेल विकास निगम को ज्यादातर पैसा देते हैं। कोंकण रेलवे, रेलटेल, पीपावाव रेलवे कारपोरेशन आदि रेल सब्सिडरी को भी आईआरएफसी पैसा ब्याज पर देता है।आईआरएफसी की बॉरोइंग
IRFC 32% पैसा टैक्सेबल बॉन्ड के रूप में उठाता है, 27% पैसा टैक्स फ्री बांड के रूप में उठाता है। 10 % पैसा इसने अपने प्रॉफिट रिजर्व से लेते हैं. 8% इंस्टीट्यूशनल फाइनेंसिंग के द्वारा उठाया जाता है। पहले इन्होंने 1.5 लाख करोड़ का एलआईसी से एमओयू साइन किया हुआ था जो 2020 में समाप्त हो गया। उससे इन्होंने डेढ़ लाख करोड़ उठाया था।उपर्युक्त बताये गए तरीकों के द्वारा आईआरएफसी मार्केट से पैसा उठाते हैं। P/E रेश्यो क्या है?IRFC के प्रमोटर और शेयर होल्डिंग
Indian Railway financial corporation कंपनी की स्थापना 1986 में नई दिल्ली में हुई थी। इसमें 86.34% गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की हिस्सेदारी है। 3.02% के करीब म्यूच्यूअल फंड्स, 1.44 एफआईआई, 7.06% पब्लिक तथा 1.02% अन्य की हिस्सेदारी है। मैंने यह आर्टिकल बार दिसंबर 2021 लिखा था तब IRFC share का प्राइस 23 के करीब था।आज जब मैं इस आर्टिकल को अपडेट कर रही हूँ, तब IRFC के शेयर का share का प्राइस 195 रूपये के करीब है। इससे तो साफ हो गया कि इस stock ने Multibagger रिटर्न तो दिए हैं। यह शेयर आगे भी और अच्छा प्रदर्शन करेगा। Solar energy stocks in India
2019 में 6. 9% ग्रोथ देखने को मिली लेकिन वह कवरअप हो गया और उसके बाद 14. 9% ग्रोथ देखने को मिली। इस तरह इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन की औसत प्रॉफिट दर 20 22% है। इरेडा रिन्यूएबल
IRFC की वैल्यूएशन पहले काफी कम थी, इस कंपनी का आईपीओ 2021 में आया था। जिसकेबाद इसने काफी समय तक नेगेटिव रिटर्न दिया था। इस कंपनी का मार्केटकैप 29 हजार करोड़ के करीब है। यानी कि यह एक मिडकैप कंपनी है। मार्केटकैप के हिसाब से इसकी रैंकिंग1059 पर है लेकिन यह पुरानी बात है। क्योंकि अब यह एक मल्टीबैगर स्टॉक बन चूका है और आगे भी इसका भविष्य उज्ज्वल है। बुफेट पोर्टफोलियो
इसका बिजनेस मॉडल काफी स्ट्रॉन्ग है, डिविडेंड की बात की जाए तो यह कंपनी 4.5 का डिविडेंड देती है। डिविडेंड यील्ड का मतलब आपके द्वारा मार्केट में इन्वेस्ट किए गए पैसे पर मिलने वाले डिविडेंड का प्रतिशत है। इस कंपनी का डिविडेंड यील्ड काफी अच्छा है।
ग्रोथ स्टोरी
IRFC की फाइनेंसियल स्थिति
INDIAN RAILWAYS FINANCIAL CORPORATION की पिछले तीन-चार सालों की फाइनेंसियल ग्रोथ इस प्रकार है। 2018 में 9200 करोड़ का इसका रेवेन्यू था,जो 19. 34% बढ़कर 11,100 करोड़ रुपए हो गया। 2020 में करीब 22% की बढ़त के साथ 13000 करोड़ रुपए हो गया। इसका मतलब आईआरएफसी 20 22% की दर से लगातार ग्रोथ कर रही है।2019 में 6. 9% ग्रोथ देखने को मिली लेकिन वह कवरअप हो गया और उसके बाद 14. 9% ग्रोथ देखने को मिली। इस तरह इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन की औसत प्रॉफिट दर 20 22% है। इरेडा रिन्यूएबल
IRFC का रिटर्न ऑफ नेटवर्थ
आईआरएफसी का रिटर्न ऑफ नेटवर्थ 11% है, साथ ही है कंपनी हाई डिविडेंड पेइंग कंपनी भी है। इसने 2020 के हाफ ईयर में परशेयर 0.53% डिविडेंड दिया। और उसके बाद 0.21% का डिविडेंड दिया। इसके बाद भी इसने 0. 48% और 0. 36% का लगातार डिविडेंड दिया।आईआरएफसी लगातार डिविडेंड इसलिए भी देती है, क्योंकि सरकार इससे इसके प्रॉफिट का 30% डिविडेंड के रूप में लेती है।वैल्यूएशन
इसका बिजनेस मॉडल काफी स्ट्रॉन्ग है, डिविडेंड की बात की जाए तो यह कंपनी 4.5 का डिविडेंड देती है। डिविडेंड यील्ड का मतलब आपके द्वारा मार्केट में इन्वेस्ट किए गए पैसे पर मिलने वाले डिविडेंड का प्रतिशत है। इस कंपनी का डिविडेंड यील्ड काफी अच्छा है।
ग्रोथ स्टोरी
IRFC किस गति से ग्रोथ कर सकती है, इस पर विस्तार से प्रकाश डालते हैं। इंडियन रेलवे का पैसा सबसे ज्यादा नेटवर्क कंजेशन (Network congestion) के ऊपर खर्च होता है।अब भारतीय रेल अपने नेटवर्क का काफी विस्तार कर रही है। पहले भारतीय रेल का इतना विस्तार नहीं हुआ था। रूस के शेयर मार्केट
पिछले 10 वर्षों में भारतीय रेल के विस्तार पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। जिसके अंदर रेलवे का इलेक्ट्रिफिकेशन काफी हो रहा है, आज भी भारतीय रेल में काफी जगह पर डीजल लोकोमोटिव यूज़ होते हैं ,अब इनके इलेक्ट्रिफिकेशन पर काफी पैसा खर्च हो रहा है। इसी तरह जो अनमैंड रेलवे क्रॉसिंग है, उन पर गार्ड की नियुक्ति किया जा रहा है।
बहुत सारे रेलवे स्टेशनों को रीडवलप किया जा रहा है, उन्हें वर्ल्ड क्लास बनाया जा रहा है। करीब 400 शहरों के अंदर रेलवे स्टेशनों का डेवलपमेंट हो रहा है। हाई स्पीड ट्रेनों को चलाया जा रहा है। एलीवेटेड कॉरीडोर बन रहे हैं, आने वाले समय में बुलेट ट्रेन भी प्रस्तावित है। मनी कंट्रोल प्रो
इस तरह इंडियन रेलवे के अंदर नई-नई चीजें हो रही हैं, इसलिए रोलिंग स्टॉक भी सभी जगह चाहिए। इसके अंदर बढ़ाया जाएगा लोकोमोटिव को पहले भाप से डीजल में कन्वर्ट किया और अब उन्हें डीजल से इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट किया जा रहा है। यह भी एक एक्सपेंशन हो रहा है।
कोच की भी डीजल मल्टीपल यूनिट है, इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट हैं। जितनी भी शहरों को सबअर्बन ट्रैफिक से कनेक्ट करना होता है वहां पर यह EMU, DMU (डीजल मल्टीपल यूनिट) चलते हैं। इनके अंदर भी एक ग्रोथ स्टोरी देखने को मिल रही है। यही चीज अब हम नंबर्स में भी देख सकते हैं। ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग सीखें?
ऐसे ही वैगंस का ट्रैफिक भी बढ़ रहा है क्योंकि जैसे ही इकोनामी ग्रो करती है। वैसे ही गुड्स का मूवमेंट भी बढ़ता है। वैगनों की संख्या भी उसी हिसाब से बढ़ रही है, जिससे IRFC में भी काफी ग्रोथ देखने को मिल रही है। चाहे हम इसके इंस्टिट्यूशनल फाइनेंसिंग की बात करें या बॉन्ड्स के फाइनेंसिंग की बात करें।
हां हम यह कह सकते हैं कि पिछले साल, कोरोनावायरस चलते इसके फाइनेंस में गिरावट जरूर आई थी। लेकिन यह गिरावट अन्य सभी क्षेत्रों में भी हुई थी।
स्वॉट एनालिसिस (SWOT Analysis)
स्ट्रेंथ- इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन डेडीकेटेड टाइप फाइनेंस कंपनी है तथा इंडियन रेलवे में इसकी मोनोपोली भी. है इसकी क्रेडिट रेटिंग काफी अच्छी है, इसके पीछे इसका सरकारी कंपनी होना भी है। इसके पास सरकार की गारंटी है, जिसकी वजह से इसकी कॉस्ट ऑफ बोरिंग भी कम काफी है। पेटीएमइसका कम रिस्क, बिजनेस मॉडल है क्योंकि यह नेट मार्जिन पर काम करता है। IRFC मार्केट से चाहे कितने ही ब्याज पर पैसा उठाएं, कॉस्ट प्लस पर यह काम करता है। सरकार को भी यह थोड़ा बहुत अपना मार्जिन जोड़कर ही पैसा देता है। इस तरह ब्याज दर का इसके ऊपर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है।
IRFC की पिछली फाइनेंसियल परफॉर्मेंस काफी मजबूत रही है। पिछले तीन चार सालों से लगातार 20 22% की ग्रोथ आईडीएफसी दिखा रहा है। इसका ऐसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट काफी मजबूत है। ऐसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट जितनी भी फाइनेंस कंपनी है उनके लिए जरूरी होता है क्योंकि यह cost-plus फार्मूले का इस्तेमाल करता है।
आईआरएफसी का ऐसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट अच्छा आ जाता है क्योंकि यह मार्केट से जो बॉन्ड की फॉर्म में पैसा उठा रहा है। वे लोंग टर्म के लिए होता है और उसे इंडियन रेलवे को भी लॉन्ग टर्म के लिए दे दिया जाता है। इस तरह ऐसेट लायबिलिटी मिसमैच नहीं होता है। आलोक इंडस्ट्री
यह भी इसके लिए एक स्ट्रेंथ का काम करता है। इसका अनुभवी मैनेजमेंट है क्योंकि 1986 से यह यही काम कर रही है,तो यह सभी काम इनको आता ही है।
Weakness अगर इनकी कमजोरी की बात करें तो इनकी एक ही कमजोरी दिखाई देती है। और वह कमजोरी है कि इनकी सारी रेवेन्यू इंडियन रेलवे से ही आती है। अगर कभी सरकार पॉलिसी में कोई बदलाव कर देती है तो इसको रिस्क हो सकता है।
यदि अपॉर्चुनिटी की बात की जाए तो रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर के अंदर बहुत बड़ा स्कोप है। इंडिया के अंदर डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर आ रहा है, वेयरहाउसिंग मैं बहुत बड़ा स्कोप है। प्रत्येक जगह पर रेलवे लाइंस की जरूरत होगी, इस तरह रेल इंफ्रास्ट्रक्चर का स्कोप तो बहुत ज्यादा है। भारतीय फाइनेंसियल मार्केट
यह बात अलग है कि सरकार कितना सपोर्ट करेगी कितना बजट रखेगी और आने वाले समय में ही पता चलेगा कि आईआरएफसी के लिए खतरा क्या हो सकता है। यदि सरकार की नीति में कोई परिवर्तन होता है या कहें कि वह आईएससी को कम फाइनेंस करती है या कम प्रोजेक्ट देती है।
यह चीजें सरकार के ऊपर निर्भर करती है, इसी से इसके लिए कोई खतरा हो सकता है। डेट मार्केट में भी कंपटीशन होता है, ऐसा नहीं है कि जब उन्हें मार्केट से पैसा उठाना होता है तो वह बहुत कम ब्याज दर पर पैसा उठा सकते हैं। वहां पर इनको कम्पटीशन फेस करना पड़ता है और मार्केट में जो भी ब्याज उस समय चल रहा होता है, इन्हें भी देना पड़ता है। SIP
प्रिय पाठकों,उम्मीद है कि अब आप Indian Railway financial corporation के बारे में अच्छे से जान गए होंगे कि यह कंपनी भविष्य में किसी ने कैसी ग्रोथ कर सकती है? इसमें क्या-क्या पॉजिटिव चीजें हैं तथा क्या-क्या नेगेटिव? यह निर्णय में आप पर ही छोड़ती हूँ। क्या इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन का SHARE और भी बड़ा मल्टीबैगर शेयर बन सकता है?
अगर आपको यह इंडियन रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन (IRFC) क्या मल्टीबैगर शेयर बन सकता है? आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। यदि आपके मन में इस आर्टिकल Indian Railway financial corporation in Hindi. के बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। शेयर मार्केट के बारे में ऐसे ही जानकारी के लिए इस साइट को सब्सक्राइब जरूर करें। आप मुझे facebook पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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