Options Trading Beginners: सरल ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज से नए इन्वेस्टर कम पैसों से लाखों कमाएं

By: Manju Chaudhary Published Jun 22, 2025

आज के समय में जब शेयर बाजार में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग एक ऐसा तरीका है जो कम पैसों में भी बड़ा प्रॉफिट दिला सकता है लेकिन अगर आप एक नए निवेशक हैं तो ऑप्शन ट्रेडिंग आपको थोड़ा कठिन लग सकता है। जानते हैं- सरल ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज से नए लोगों कम पैसों से लाखों कमाएं । Options Trading for Beginners In Hindi. 
                                                                       
Options Trading for Beginners
ऑप्शंस ट्रेडिंग की शुरुआती निवेशकों के लिए सुरक्षित और मुनाफ़ेदार रणनीतियाँ

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको महेशचंद्र कौशिक द्वारा लिखित ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसों का पेड़ कैसे लगाएं? बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

क्या आप स्टॉक मार्केट की भागदौड़ से हटकर कुछ नया और रोमांचक तलाश रहे हैं? क्या आप कम पैसों में ज्यादा प्रॉफिट कमाने का सपना देखते हैं? अगर हाँ, तो ऑप्शंस ट्रेडिंग आपके लिए एक बेहतरीन रास्ता हो सकता है। लेकिन यह कोई रातों-रात अमीर बनने की स्कीम नहीं है। 

ऑप्शंस ट्रेडिंग में जहां अपार संभावनाएं हैं। वहीं इसमें मार्केट जोखिम भी शामिल है इसलिए, नए (beginners) इन्वेस्टर्स के लिए यह समझना बेहद ज़रूरी है। ऑप्शंस ट्रेडिंग क्या है? यह कैसे काम करता है? और कौन सी रणनीतियाँ (strategies) उनके लिए सबसे सुरक्षित और प्रभावी हो सकती हैं।

Options trading क्या है?

ऑप्शन ट्रेडिंग एक प्रकार की डेरिवेटिव ट्रेडिंग है। जिसमें आप किसी स्टॉक को भविष्य में एक निश्चित प्राइस पर खरीदने या बेचने का अधिकार (ना कि ज़रूरत) खरीदते हैं। ऑप्शन ट्रेडर्स अंडरलाइंग स्टॉक को buy & sell करने के लिए ऑप्शन प्रीमियम का भुगतान करते हैं। 

ट्रेड के नुकसान में जाने पर ऑप्शन होल्डर्स को केवल प्रीमियम का लॉस होता है। यदि अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस ऑप्शन होल्डर्स की पोजीशन के विपरीत जाते हैं तो वे ऑप्शन को बेकार एक्सपायर होने देते हैं। यह जानते हुए कि संभावित नुकसान option premium से ज्यादा नहीं होगा इसलिए वे अपने अधिकार का उपयोग नहीं करते।

यदि अंडरलाइंग स्टॉक  का प्राइस ऑप्शन होल्डर की अनुकूल दिशा में बढ़ता है। तब वह अपने ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के अधिकार का प्रॉफिट कमाने के लिए उपयोग करता है। भारत में मुख्यतः निफ्टी, सेंसेक्स, बैंक निफ्टी, बैंकेक्स और बहुत सरे शेयरों में ऑप्शन ट्रेडिंग की जाती है। लॉन्ग कॉल, लॉन्ग पुट, कवर्ड कॉल, प्रोटेक्टिव पुट और स्ट्रैडल सरल ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज हैं जो नए ऑप्शन ट्रेडर्स के लिए सही हैं। 

ऑप्शन निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं- 
  1. कॉल ऑप्शन (Call options): यह किसी स्टॉक या इंडेक्स को भविष्य में एक निश्चित प्राइस पर खरीदने का अधिकार देता है। 
  2. पुट ऑप्शन (Put options): यह किसी स्टॉक या इंडेक्स को भविष्य में एक निश्चित प्राइस पर बेचने का अधिकार देता है। 
ये भी पढ़ें- कॉल और पुट ऑप्शन में अंतर

ऑप्शन ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा उपयोग किये जाने वाले शब्द निम्नलिखित हैं- 
  • ऑप्शन (Options): एक वित्तीय कॉन्ट्रैक्ट (financial contract) है जो खरीदार को एक निश्चित समय सीमा के भीतर, एक पूर्व-निर्धारित कीमत पर, किसी अंडरलाइंग स्टॉक (जैसे शेयर, इंडेक्स, कमोडिटी) को खरीदने या बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
  • प्रीमियम (Premium): यह वह फीस है जो ऑप्शन बायर को ऑप्शन सेलर को किसी अंडरलाइंग स्टॉक को एक निश्चित समय सीमा के भीतर पूर्व निर्धारित मूल्य पर खरीदने या बेचने के अधिकार के लिए देता है।
  • स्ट्राइक प्राइस (Strike Price): यह वह पूर्व-निर्धारित प्राइस है, जिस पर आप अंडरलाइंग स्टॉक को खरीद या बेच सकते हैं।
  • एक्सपायरी डेट (Expiry Date): यह वह तारीख है, जिसके बाद ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट समाप्त (expire) हो जाता है। इसके बाद आप अपने अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकते। 

ऑप्शन मनीनेस (Options Moneyness):

Options Beginners के लिए, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की मनीनेस को समझना बहुत ज़रूरी है। ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की मनीनेस, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के स्ट्राइक प्राइस और अंडरलाइंग एसेट के मौजूदा प्राइस के बीच का अंतर होता है।

जब अंडरलाइंग स्टॉक का प्राइस स्ट्राइक प्राइस से ज़्यादा होती है तो कॉल ऑप्शन को इन-द-मनी (ITM) कहा जाता है। अगर स्ट्राइक प्राइस अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस के समान है तो ऑप्शन एट-द-मनी (ATM) होता है। अगर ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस अंडरलाइंग के प्राइस से ज़्यादा है तो ऑप्शन आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) होता है।

अगर पुट ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस से कम है तो यह OTM है। अगर पुट ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस से ज़्यादा है तो यह ITM है। कॉल ऑप्शन की तरह, अगर पुट ऑप्शन की स्ट्राइक प्राइस अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस के समान है तो यह ATM है।

ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे 

Option trading के निम्नलिखित फायदे होते हैं- 
  1. लेवरेज (Leverage): कम पैसों में बड़ी पोजीशन कंट्रोल कर सकते हैं। यानी, अगर स्टॉक प्राइस 1% मूव करता है तो आपका ऑप्शन 5-10%  मूव कर सकता है।
  2. सीमित जोखिम (Limited Risk for Buyers): ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट्स खरीदने वाले के लिए अधिकतम नुकसान सिर्फ ऑप्शन प्रीमियम तक सीमित होता है।
  3. विविधीकरण (Diversification): आप अपने पोर्टफोलियो को हेज (hedge) करने या विभिन्न मार्केट आउटलुक पर दांव लगाने के लिए ऑप्शंस का उपयोग कर सकते हैं।
  4. इनकम (Income Generation): सही ऑप्शन स्ट्रेटेजीज के साथ, आप प्रीमियम बेचकर नियमित इनकम भी कमा सकते हैं।
  5. सभी तरह के मार्केट ट्रेंड्स में कमाई (Profit in Any Market Direction): शेयर मार्केट चाहे किसी भी दिशा में जाये आप सभी तरह में मार्केट ट्रेंड्स में ऑप्शन ट्रेडिंग के द्वारा पैसा कमा सकते हैं। यानि आप बाजार के ऊपर जाने, नीचे जाने या स्थिर रहने पर भी पैसा कमा सकते हैं। 

Option trading में जोखिम (risks) 

ऑप्शन ट्रेडिंग करने के कई फायदे तो हैं लेकिन इसके साथ मार्केट रिस्क भी जुड़ा है। आपका इस रिस्क के बारे में जानना बेहद जरूरी है - 
  • पैसों का नुकसान (Capital Loss): अगर मार्केट आपकी उम्मीद के मुताबिक नहीं चलता है तो ऑप्शन खरीदने वाले का पूरा प्रीमियम डूब सकता है।
  • जटिलता (Complexity): ऑप्शंस काफी जटिल हो सकते हैं और उन्हें ठीक से समझने के लिए समय और प्रयास की जरूरत होती है।
  • थीटा डिके (Time Decay - Theta): ऑप्शंस की कीमत समय के साथ घटती जाती है। भले ही स्टॉक की कीमत स्थिर रहे। एक्सपायरी डेट पास आने पर यह क्षय और तेज होता है।
  • हाई वोलैटिलिटी (High Volatility): ऑप्शंस की कीमतें स्टॉक की तुलना में अधिक तेजी से बदलती हैं।
  • असीमित नुकसान (Unlimited Loss for Sellers): ऑप्शन सेलिंग करने वालों के लिए सैद्धांतिक रूप से असीमित नुकसान हो सकता है। अतः नए लोगों को ऑप्शन बेचने से बचना चाहिए। उपयुक्त जोखिमों को समझना और उनका प्रबंधन करना ऑप्शंस ट्रेडिंग में सफलता की कुंजी है।

Beginners के लिए Options Trading Strategies 

अब बात करते हैं उन ट्रेडिंग रणनीतियों की जो नए ऑप्शन ट्रेडर्स के लिएअच्छी हैं। ये रणनीतियाँ अपेक्षाकृत कम जोखिम वाली हैं और इन्हें समझना आसान है।

1. ऑप्शन खरीदना (Long Call / Long Put): यह ऑप्शंस ट्रेडिंग की सबसे बुनियादी रणनीति है। इसमें आप या तो कॉल ऑप्शन खरीदते हैं या पुट ऑप्शन खरीदते हैं। 

(a) लॉन्ग कॉल (Long Call) ऑप्शन खरीदना: लॉन्ग कॉल ऑप्शन को तब खरीदा जाता है जब ट्रेडर्स को लगता है कि अंडरलाइंग एसेट का प्राइस ऊपर जायेगा। यदि आप कॉल ऑप्शन खरीदते हैं, अगर मार्केट ट्रेंड आपके विपरीत दिशा में चलता है तो आपको केवल ऑप्शन प्रीमियम का नुकसान हो सकता है। अगर मार्केट ट्रेंड आपके अनुमान की दिशा में चलता है तो आपको इस पोजीशन में आपको असीमित प्रॉफिट हो सकता है। 

इसे एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझ सकते हैं- माना रिलायंस का शेयर 2500 रूपये के प्राइस पर ट्रेड कर रहा है। आपको लगता है कि यह अगले महीने 2600 रूपये तक जा सकता है। आप 2500 रूपये स्ट्राइक प्राइस का कॉल ऑप्शन 50 रूपये प्रति शेयर के प्रीमियम पर खरीदते हैं (मान लीजिए एक लॉट 250 शेयर का है, तो कुल प्रीमियम = ₹50 * 250 = ₹12,500)।

अगर Reliance के शेयर का प्राइस 2650 रूपये पर चला जाता है। तब आपका कॉल ऑप्शन इन-द-मनी (In-the-money) हो जाएगा। आपका प्रॉफिट प्रीमियम से कहीं ज्यादा हो सकता है। अगर Reliance का शेयर 2450 रूपये पर रहता है या गिरता है तो आपका कॉल ऑप्शन बेकार हो सकता है। इस पोजीशन में आपका अधिकतम नुकसान 12,500 रूपये (प्रीमियम) होगा। 

इसमें ध्यान देने वाली बात यह है, टाइम डीके (time decay) आपके खिलाफ काम करेगा इसलिए आपको जल्दी और सही दिशा में प्राइस मूवमेंट चाहिए। 


(b) लॉन्ग पुट (Long Put) ऑप्शन खरीदना: पुट ऑप्शन को तब खरीदा जाता है जब ट्रेडर्स को लगता है कि अंडरलाइंग एसेट का प्राइस गिरेगा। यदि आप पुट ऑप्शन खरीदते हैं, अगर मार्केट ट्रेंड आपके विपरीत दिशा में चलता है तो आपको केवल ऑप्शन प्रीमियम का नुकसान हो सकता है। अगर मार्केट ट्रेंड आपके अनुमान की दिशा में चलता है तो इस पोजीशन में आपको असीमित प्रॉफिट हो सकता है। 

इसे एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझ सकते हैं- माना HDFC Bank का शेयर 1500 रूपये पर ट्रेड कर रहा पर है। अगर आपको लगता है कि यह शेयर अगले महीने 1400 रूपये के प्राइस तक गिर सकता है। तब आप 1500 रूपये स्ट्राइक प्राइस का पुट ऑप्शन 40 रूपये प्रति शेयर के प्रीमियम पर खरीदते हैं। 

अगर HDFC Bank का शेयर 1350 रुओये तक गिर जाता है। आपका पुट ऑप्शन इन-द-मनी हो जाएगा और आप अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं। अगर HDFC Bank 1550 रूपये पर रहता है या बढ़ता है तो आपका पुट ऑप्शन बेकार हो सकता है लेकिन आपका अधिकतम नुकसान प्रीमियम तक सीमित रहेगा। यह रणनीति उन स्थितियों के लिए है जहां आपको शेयर प्राइस में गिरावट की उम्मीद रहती है। 

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आप ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में क्या सोचते हैं, कमेंट करके जरूर बताएं। शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारियां प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। आप मुझे फेसबुक पर भी जरूर फॉलो करें।

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