Moneyness in the Options Trading: ऑप्शन ट्रेडिंग में मनीनेस क्या होती है?

मनीनेस किसी ऑप्शन के वर्तमान स्थिति में उसकी इन्ट्रिंसिक वैल्यू का वर्णन करता है। मनीनेस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर पुट और कॉल ऑप्शन के लिए किया जाता है । 

यह इस बात का संकेत देता है कि अगर ऑप्शन का तुरंत इस्तेमाल किया जाए तो क्या उससे पैसे बनेंगे अथवा नहीं। आइए विस्तार से जानते हैं- ऑप्शन ट्रेडिंग में मनीनेस क्या होती है? What is the Moneyness in the Options Trading. 
                                                                                
Moneyness in the Options Trading

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको साइकोलॉजी ऑफ ऑप्शन ट्रेडिंग बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

Moneyness क्या है? 

मनीनेस एक डेरिवेटिव की टर्म है, जो इसके स्ट्राइक प्राइस को इसके अंडरलाइंग एसेट के प्राइस से जोड़ता है। मनीनेस किसी ऑप्शन के वर्तमान स्थिति में उसकी इंस्ट्र्निक वैल्यू का वर्णन करता है। मनीनेस टर्म का इस्तेमाल आमतौर पर पुट और कॉल ऑप्शंस के साथ किया जाता है। 

यह इस बात का संकेत होता है कि अगर ऑप्शन का तुरंत इस्तेमाल किया जाए तो क्या यह पैसे कमा पाएगा। मनीनेस को underlying stock या अन्य एसेट के स्पॉट प्राइस या उसके भविष्य के प्राइस के संबंध में मापा जा सकता है। 

Moneyness, ऑप्शंस कॉन्ट्रेक्ट्स के होल्डर्स को बताता है कि उन्हें इससे उन्हें प्रॉफिट होगा या नहीं। यदि आप ऑप्शन को तुरंत इस्तेमाल करते हैं, तो मनीनेस से उसके के मूल्य का पता लगा सकते हैं कि क्या आप उस पोशण से प्रॉफिट कमाएंगे या नहीं।
 
मनीनेस ऑप्शन के निम्नलिखित प्रकार के होते हैं- 
  1. इन-द-मनी (In-The-Money)
  2. आउट-ऑफ-द-मनी (out-of-The-Money)
  3. एट-द-मनी (At-The-Money) 

इन-द-मनी ऑप्शन 

इस ऑप्शन में मनीनेस होता है, जिसका इस्तेमाल करने पर आपको प्रॉफिट होगा। जब किसी कॉल ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस उसकी अंडरलाइंग एसेट के स्पॉट प्राइस से कम होता है, तो उसे इन-द-मनी कॉल ऑप्शन कहा जाता है। 

मान लीजिए कि आप दिसंबर 2024 के लिए निफ्टी ऑप्शन देख रहे हैं। जहाँ स्ट्राइक प्राइस 24,800 के स्तर पर है और स्पॉट मूल्य ₹25,000 है। यहाँ आपके ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट की इंस्ट्रिन्क वैल्यू 200 रूपये होगी, जो एक इन-द-मनी कॉल ऑप्शन है। 

आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शन

जिस ऑप्शन में कोई मनीनेस नहीं होती है, तो उसे आउट-ऑफ-द-मनी कहा जाता है। जिसका अर्थ है कि आप इसे प्रयोग करके आप पैसा खो सकते हैं। यानि In-The-Money option खरीदने पर आपको नुकसान होगा।

उदाहरण के लिए, यदि आपके पास 50 रूपये के प्राइस पर XYZ के शेयर खरीदने का कॉल ऑप्शन है। लेकिन शेयर वर्तमान में 45 रूपये पर ट्रेड कर रहे हैं, तो ऑप्शन का प्रयोग करने पर आपको प्रत्येक शेयर के लिए अधिक भुगतान करना होगा। कॉल ऑप्शन में अधिक प्रॉफिट तब मिलता है, जब शेयर का मार्केट प्राइस ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस से और नीचे गिर जाता है। 

एट-द-मनी ऑप्शन 

जब किसी ऑप्शन में कोई मनीनेस नहीं होता है, जिसका अर्थ है कि आप इसे प्रयोग करके न तो पैसा कमाएंगे और न ही खोएंगे, तो उस ऑप्शन को At-The-Money ऑप्शन कहा जाता है। कॉल और पुट ऑप्शन दोनों के लिए, यह तब होता है। जब शेयर का मार्केट प्राइस और ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस बराबर होता है। 

जब शेयर का मार्केट प्राइस उसके स्ट्राइक प्राइस से अधिक होता है, तो पुट ऑप्शन आउट-ऑफ-द-मनी हो जाता है, क्योंकि आप ऑप्शन का इस्तेमाल करने की तुलना में ओपन मार्केट में शेयर बेचकर अधिक प्रॉफिट कमा सकते हैं। 

ऑप्शंस की इन्ट्रिंसिक और टाइम वैल्यू को समझें 

ऑप्शंस का मूल्य दो कंपोनेंट को मिलाकर बनता है- 
  1. इन्ट्रिंसिक वैल्यू 
  2. टाइम वैल्यू  
ऑप्शन की इन्ट्रिंसिक वैल्यू (Intrinsic Value) का वर्णन करने के लिए Moneyness टर्म का उपयोग किया जाता है। यह वह फाइनेंशियल वैल्यू है, जो ऑप्शन प्रदान करता है, यदि आप इसे आज प्रयोग करते हैं। आप ऑप्शन की मनीनेस निर्धारित करके इसकी गणना कर सकते हैं। 

कॉल ऑप्शन की मनीनेस निकालने का फार्मूला- 

मार्केट प्राइस  स्ट्राइक प्राइस = इन्ट्रिंसिक वैल्यू ऑफ कॉल 

स्ट्राइक प्राइस मार्केट प्राइस = इन्ट्रिंसिक वैल्यू ऑफ पुट 

दोनों मामलों में, आप ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट में शामिल शेयरों की संख्या से गुणा कर सकते हैं, जो आमतौर पर 100 होता है। सभी Options Contracts की एक्सपायरी डेट होती है। जब यह डेट आती है तो ऑप्शन खत्म यानि एक्सपायर हो जाते है। एक्सपायर ऑप्शन का एक्सपायरी के बाद इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। 

स्टॉक की कीमतें दैनिक आधार पर बदलती रहती हैं। किसी ऑप्शन के एक्सपायर होने में जितना अधिक समय होता है। उस ऑप्शन का Moneyness या Intrinsic value (आंतरिक मूल्य) बढ़ने के लिए उतना ही अधिक समय होता है। शॉर्ट इंटरेस्ट

इसका मतलब है कि यदि ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के एक्सपायर होने में अभी अधिक समय है तो ऑप्शन की टाइम वैल्यू ( Time value) अधिक होती है। टाइम वैल्यू एक्सपायरी डेट तक समय के साथ घटता जाता है, एक्सपायरी पर टाइम वैल्यू 0 रूपये पर पहुंच जाती है। 

Moneyness को समझना क्यों जरूरी है? 

ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय मनीनेस को समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि मनीनेस, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के प्रीमियम का आधा हिस्सा होता है, जबकि टाइम वैल्यू ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का दूसरा आधा हिस्सा होता है।

यदि आप मनीनेस के बारे में जानते हैं, तो आप ऑप्शन के प्रीमियम को देख सकते हैं और जल्दी से यह निर्धारित कर सकते हैं कि ऑप्शन की Intrinsic value से इसकी कीमत कितनी निर्धारित होती है और उस ऑप्शन की टाइम वैल्यू क्या है। शार्ट स्क्वीज़

ऑप्शन ट्रेड से प्रॉफिट कमाने के लिए आपको क्या करने की आवश्यकता है। यह समझने के लिए आपको मनीनेस को भी समझना होगा। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी शेयर के बढ़ने की उम्मीद करते हैं, तो आप आउट-ऑफ-द-मनी कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं और उम्मीद कर सकते हैं कि यह इन-द-मनी बन जाए। 

क्या इन-द-मनी या आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शन खरीदना बेहतर है?

इन-द-मनी ऑप्शन अपने हाई इन्ट्रिंसिक वैल्यू उच्च के कारण महंगे होते हैं। लेकिन आप खर्च किए गए कुछ पैसे वापस पाने के लिए आप इस ऑप्शन का उपयोग कर सकते हैं। आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शन सस्ते होते हैं, लेकिन उनकी कोई इन्ट्रिंसिक वैल्यू नहीं होती है।

ऑप्शन के प्रीमियम का कितना हिस्सा मनीनेस द्वारा निर्धारित होता है?

ऑप्शन का प्रीमियम उसके इन्ट्रिंसिक वैल्यू (मनीनेस) और टाइम वैल्यू का संयोजन से होता है। जैसे-जैसे एक्सपायरी का समय करीब आता है। उसका मनीनेस ऑप्शन के समग्र मूल्य का एक बड़ा हिस्सा बन जाता है।

क्या इन द मनी ऑप्शन का इस्तेमाल करना चाहिए?

इन द मनी ऑप्शन का इस्तेमाल करने से आपको प्रॉफिट हो सकता है। हालाँकि, ऑप्शन की टाइम वैल्यू भी होता है। ऑप्शन का इस्तेमाल करने का मतलब है, उस टाइम वैल्यू को छोड़ देना। आप टाइम वैल्यू से प्रॉफिट उठाने के लिए ऑप्शन को बेचने का विकल्प भी चुन सकते हैं या इस उम्मीद में कॉन्ट्रैक्ट को होल्ड कर सकते हैं कि इसकी मनीनेस बढ़ जाएगी। 

नियर-द-मनी होने का क्या मतलब है?

अगर स्ट्राइक प्राइस शेयर के मार्केट प्राइस के करीब है तो ऑप्शन को नियर-द-मनी या एट-द-मनी कहा जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास 200 रूपये की स्ट्राइक प्राइस वाला ऑप्शन है और शेयर 100.25 रूपये पर ट्रेड कर रहा है, तो वह ऑप्शन नियर-द-मनी है। 

अंत में, जो ऑप्शन इन-द-मनी होता है या उसमे मनीनेस होता है। इसका मतलब अंडरलाइंग एसेट का प्राइस इस ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस से अधिक होता है। अगर उसका इस्तेमाल किया जाता है तो ट्रेडर्स को प्रॉफिट हो सकता है। पुट ऑप्शन के लिए इसके विपरीत स्थिती सही होती है। भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग

इन-द-मनी होने के लिए, स्ट्राइक प्राइस स्टॉक की कीमत से अधिक होगी। ऑप्शन की इन्ट्रिंसिक वैल्यू को समझने के लिए मनीनेस को समझना जरूरी होता है। जिसका उपयोग ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के प्राइस की गणना करने के लिए सूत्र में किया जाता है।

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