Short Interest in Stock marke: शॉर्ट इंटरेस्ट से पता करें कि शेयरों के प्राइस गिरेंगे या बढ़ेंगें?

शॉर्ट इंटरेस्ट (Short Interest) शेयर मार्केट का एक महत्वपूर्ण संकेत है। जिसका उपयोग शेयर मार्केट इन्वेस्टर्स और ट्रेडर फ्यूचर्स और ऑप्शन्स (Futures and Options) में संभावनाओं का मूल्यांकन करने के लिए करते हैं। 

यह लेख शॉर्ट इंटरेस्ट के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाएगा। साथ ही, यह चर्चा करेगा कि शॉर्ट इंटरेस्ट को ट्रेडिंग में कैसे उपयोग किया जा सकता है और इसे निवेशक कैसे समझें। आइए विस्तार से जानते हैं- शॉर्ट इंटरेस्ट से पता करें कि शेयरों के प्राइस गिरेंगे या बढ़ेंगें? Short Interest in Stock market in Hindi.

शॉर्ट इंटरेस्ट किसी विशेष स्टॉक के उन शेयरों की कुल संख्या है। जिन्हें मार्केट पार्टिसिपेंट्स द्वारा शॉर्ट सेल किया गया है लेकिन अभी तक कवर या बंद नहीं किया गया है। इसे अक्सर कुल स्टॉक के कुल बकाया शेयरों के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
                                                                                    
Short Interest in Stock marke

अगर आप शेयर मार्केट एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको मुकुल अग्रवाल द्वारा लिखित सिम्पलेस्ट बुक फॉर टेक्निकल एनालिसिस जरूर पढ़नी चाहिए। 

Short Interest क्या है? 

शॉर्ट इंटरेस्ट किसी विशेष स्टॉक में कुल शॉर्ट सेल की गई मात्रा को दर्शाता है। सरल शब्दों में, यह वह संख्या है जो दर्शाती है कि कितने शेयर अभी तक शॉर्ट सेल किए गए हैं लेकिन अभी खरीदे नहीं गए हैं। शॉर्ट इंटरेस्ट हाई होने का मतलब है कि ट्रेडर्स  का एक बड़ा समूह उस स्टॉक के प्राइस गिरने की उम्मीद कर रहा है।

फ्यूचर्स और ऑप्शन्स, दोनों डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट हैं जो शेयरों और अन्य एसेट्स के प्राइस पर आधारित होते हैं। शॉर्ट इंटरेस्ट का उपयोग इन दोनों में ट्रेडिंग संभावनाओं का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। किसी शेयर में शार्ट इंट्रेस्ट में वृद्धि स्टॉक प्राइस में गिरावट का संकेत देती है। जबकि शार्ट इंट्रेस्ट में कमी शेयर प्राइस में वृद्धि का संकेत देती है। 

फ्यूचर्स एंड ऑप्शन में शार्ट इंट्रेस्ट 
  1. फ्यूचर्स में शार्ट इंट्रेस्ट दर्शाता है कि किसी स्टॉक मार्केट में कितनी शार्ट पोजीशन बनी हुई हैं। 
  2. हाई शार्ट इंट्रेस्ट का मतलब शेयर मार्केट में गिरावट की आशंका बनी हई है। 
  3. ऑप्शन्स में शॉर्ट, पुट या कॉल के आधार पर इसे समझा जाता है। Short Interest दर्शाता है कि निवेशक शेयर प्राइस को लेकर कितने नकारात्मक या सकारात्मक हैं। 

Short Selling को समझें 

शार्ट इंट्रेस्ट को समझने के लिए शार्ट सेलिंग को समझना बेहद जरूरी है। शार्ट सेलिंग एक ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसमें पहले ऐसे Stocks को उधार लेकर बेचा जाता है। जिसके प्राइस गिरने की आशंका होती है। ऐसे स्टॉक्स को पहले बेचकर फिर वापस खरीदकर स्टॉक ब्रोकर को वापस कर दिया जाता है। इसी को शार्ट सेलिंग कहा जाता है। ज्यादा प्राइस पर शेयर को बेचकर उसे कम प्राइस पर वापस खरीदकर ट्रेडर्स प्रॉफिट कमाते हैं। 

उदाहरण के लिए यदि कोई ट्रेडर्स XYZ स्टॉक को 100 रूपये प्रति शेयर के प्राइस पर 200 शेयर स्टॉक ब्रोकर से उधार लेकर सेल कर देता है। उसके बाद जब शेयर का प्राइस गिरकर 95 रूपये पर आ जाता है। तब उसे 95 रूपये प्रति शेयर के प्राइस पर वापस खरीदकर ब्रोकर को वापस कर देता है। 

इस ट्रेड में ट्रेडर को 5 रूपये प्रति शेयर का प्रॉफिट होता है। 200*5 = 1000 रूपये। इस तरह शार्ट सेलिंग की इस पोजीशन में ट्रेडर्स के पास शेयर ना होते हुए भी वह 1000 रूपये का प्रॉफिट कमा लेता है। 

शार्ट सेलिंग बहुत रिस्की होती है क्योंकि यदि शेयर के प्राइस गिरने के बजाय बढ़ने लगते हैं तो शार्ट ट्रेडर्स को बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है। अतः नुकसान से बचने के लिए  शार्ट सेलिंग की पोजीशन के लिए हैजिंग स्ट्रेटेजी अपनानी चाहिए।

ट्रेडिंग में शॉर्ट इंटरेस्ट का उपयोग कैसे करें? 

शॉर्ट इंटरेस्ट को सही तरीके से समझकर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को मजबूत किया जा सकता है। 

कॉन्ट्रेरियन ट्रेडिंग: हाई शॉर्ट इंटरेस्ट के बावजूद, अगर स्टॉक की कीमत स्थिर रहती है या बढ़ती है। तो यह शॉर्ट स्क्वीज (Short Squeeze) का संकेत हो सकता है। शॉर्ट स्क्वीज के दौरान शेयर की कीमत बहुत तेजी से बढ़ती है। जो शॉर्ट सेलर्स को मजबूर करती है कि वे अपनी पोजीशन बंद करें। 

सेंटिमेंट एनालिसिस: शॉर्ट इंटरेस्ट डेटा का उपयोग मार्केट सेंटीमेंट को समझने के लिए किया जा सकता है। हाई शॉर्ट इंटरेस्ट का मतलब मार्केट में गिरावट का संकेत देता है। जबकि निम्न शॉर्ट इंटरेस्ट मार्केट में बढ़त आने का संकेत देता है। 

लॉन्ग-टर्म पोजीशनिंग: यदि शॉर्ट इंटरेस्ट लगातार बढ़ रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि स्टॉक मार्केट में दीर्घकालिक गिरावट आ सकती है। शार्ट स्क्वीज वर्सेज शार्ट कवरिंग 

स्टॉक का शॉर्ट इंटरेस्ट कैसे जांचें?

शॉर्ट इंटरेस्ट को निम्नलिखित तरीकों से जांचा जा सकता है- 
  1. ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म्स: अधिकांश ब्रोकरेज फर्म अपने प्लेटफॉर्म पर शॉर्ट इंटरेस्ट डेटा प्रदान करती हैं।
  2. मार्केट रिसर्च टूल्स: TradingView आदि कई मार्केट एनालिसिस प्लेटफॉर्म्स पर शॉर्ट इंटरेस्ट डेटा उपलब्ध होता है। 
  3. स्टॉक एक्सचेंज रिपोर्ट्स: कई एक्सचेंज जैसे NSE & BSE नियमित रूप से शॉर्ट इंटरेस्ट डेटा प्रकाशित करते हैं। 
  4. थर्ड-पार्टी सेवाएं: कुछ विशेष फर्म और वेबसाइट शॉर्ट इंटरेस्ट के गहन विश्लेषण के लिए सेवाएं प्रदान करती हैं।

शार्ट इंटरेस्ट रेश्यो 

शार्ट इंट्रेस्ट रेश्यो शेयर मार्केट, स्टॉक्स और इंडेक्स (निफ़्टी, बैंक निफ़्टी) आदि के ट्रेंड का संकेत दे सकता है।  इंट्रेस्ट से आप मार्केट सेंटीमेंट का अनुमान लगा सकते हैं। मार्केट पार्टिसिपेंट्स शार्ट सेलिंग एक्टिविटी के आधार पर शेयरों के प्राइस में उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाने के लिए शार्ट इंट्रेस्ट रेश्यो का इस्तेमाल करते हैं। 

इस रेश्यो की गणना शार्ट सेल किये गए शेयरों की कुल संख्या को उसके एवरेज डेली ट्रेडिंग वॉल्यूम से डिवाइड करके की जाती है। अगर ट्रेडिंग वॉल्यूम स्थिर रहता है तो यह रेश्यो बताता है कि शार्ट सेलर्स को अपनी पोजीशन को कवर करने में कितने दिन लगेंगे। शार्ट इंट्रेस्ट रेश्यो मार्केट सेंटीमेंट और मार्केट वोलैटिलिटी का अनुमान लगाने में भी भी मदद करता है। 

शार्ट इंट्रेस्ट के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न 

क्या मुझे शॉर्ट सेलिंग पर ब्याज देना होता है? 

जब आप किसी स्टॉक को शॉर्ट करते हैं, तो आप उसे उधार लेते हैं और शेयर बाजार में बेचते हैं। इस प्रक्रिया में आमतौर पर आपको दो प्रकार के शुल्क का सामना करना पड़ सकता है-
  1. शेयर उधार लेने का शुल्क: यह शुल्क उन ब्रोकर्स द्वारा लिया जाता है, जिनसे आपने शेयर उधार लिए हैं।
  2. डिविडेंड और अन्य अधिकार: यदि शॉर्ट सेलिंग के दौरान स्टॉक डिविडेंड देता है, तो आपको वह डिविडेंड भुगतान करना पड़ता है। 
क्या 7% शॉर्ट इंटरेस्ट ज्यादा है? 

शॉर्ट इंटरेस्ट का मूल्यांकन उसके कुल फ्लोट (Float) के प्रतिशत के आधार पर किया जाता है। सामान्यतः 1% से 5% तक का शॉर्ट इंटरेस्ट कम माना जाता है। 5 से 10% से अधिक का शॉर्ट इंटरेस्ट मध्यम माना जाता है। 10% से अधिक का शार्ट इंट्रेस्ट बहुत ज्यादा माना होता है।  यह दर्शाता है कि इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को शेयर के प्राइस गिरने की आशंका है। 

क्या शार्ट इंट्रेस्ट हमेशा नेगेटिव होता है? 

शॉर्ट इंटरेस्ट बढ़ने से अक्सर मार्केट में गिरावट होने का नेगेटिव संकेत मिलता है, लेकिन यह हमेशा ऐसा नहीं होता। 
  1. नेगेटिव संकेत: उच्च शॉर्ट इंटरेस्ट का मतलब है कि ट्रेडर्स स्टॉक मार्केट में गिरावट की आशंका जता रहे हैं। 
  2. पॉजिटिव अवसर: शार्ट कवरिंग की वजह से शॉर्ट स्क्वीज के दौरान मार्केट में तेजी देखने को मिल सकती है। कभी-कभी, शॉर्ट इंटरेस्ट उन निवेशकों की अनदेखी को दर्शा सकता है जो स्टॉक के वास्तविक मूल्य को समझने में विफल रहे। 
निष्कर्ष: शॉर्ट इंटरेस्ट फ्यूचर्स और ऑप्शन्स के बारे में सही जानकारी देने वाला एक महत्वपूर्ण संकेतक है। इसे समझने और सही तरीके से उपयोग करने से निवेशक और ट्रेडर दोनों को शेयर मार्केट में बेहतर निर्णय लेने में मदद मिल सकती है। हाई शॉर्ट इंटरेस्ट को जोखिम और अवसर दोनों के रूप में देखा जा सकता है। 

नियमित रूप से शॉर्ट इंटरेस्ट डेटा का विश्लेषण करने से मार्केट के सेंटिमेंट को समझने में मदद मिलती है। इसे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में शामिल करके बेहतर रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है। फ्यूचर्स और ऑप्शन्स में सफल होने के लिए शॉर्ट इंटरेस्ट को ध्यान में रखते हुए व्यापक दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। 

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