ऑप्शन मार्केट में शार्ट कवरिंग (Short Covering, Short squeeze ) कैसे करें?
"शार्ट कवरिंग" किसी शेयर या इंडेक्स को शार्ट सेल करने के लिए शुरू में उधार लेकर मार्केट में बेचे गए। शेयरों को वापस खरीदकर पोजीशन को बंद कर देती है। शार्ट कवरिंग के परिणामस्वरूप प्रॉफिट तब होता है, जब शेयरों, इंडेक्स को शार्ट सेल प्राइस से कम पर खरीदा जाता है। इसके विपरीत शार्ट कवरिंग में लॉस तब होता है, जब स्टॉक्स या इंडेक्स को शार्ट सेल प्राइस से ज्यादा पर खरीदा जाता है।
आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में स्टॉक्स और इंडेक्स ( बैंक निफ्टी, निफ्टी 50 आदि ) को शार्ट सेल कर सकते हैं। यदि आप चाहें तो अपनी शार्ट सेल की पोजीशन को एक्सपायरी डेट तक होल्ड भी कर सकते हैं। इसके अलावा फ्यूचर्स में अपनी पोजीशन को एक्सपायरी डेट के बाद और आगे के लिए रोलओवर भी कर सकते हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए शार्ट सेल की पोजीशन बनाने के लिए पुट (PE ) खरीदना पड़ता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में भी आप केश मार्केट के शेयरों को शार्ट सेल कर सकते हैं। लेकिन उन्हें उसी दिन कवर करना अनिवार्य होता है। वर्ण वो ऑक्शन में चले जाते हैं और शार्ट सेलर को पेनल्टी चुकानी पड़ती है। चलिए विस्तार से जानते हैं- ऑप्शन मार्केट में शार्ट कवरिंग (Short Covering ) से प्रॉफिट कैसे कमायें? Short Covering, Short Squeeze in Stock market in Hindi.
यदि आप शेयर मार्केट एक्सपर्ट बनाना चाहते हैं, तो आपको पावर ऑफ़ इंवेस्टोनोमि बुक्स को जरूर पढ़ना चाहिए।
शार्ट कवरिंग को Short Squeeze ( शार्ट स्क्वीज़ ) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जो स्टॉक मार्केट में होती है। विशेषकर स्टॉक ट्रेडिंग के दौरान ऐसा होता है। जिन इन्वेस्टर्स ने विशेष रूप से किन्ही स्टॉक्स या इंडेक्स में शार्ट सेल की पोजीशन बनाई होती है। उन्हें अपनी पोजीशन को वापस खरीदने के लिए यानि कवर करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
ऐसा तब होता है, जब स्टॉक, इंडेक्स का प्राइस काफी बढ़ने लगता है। जिसके कारण शार्ट सेलर को नुकसान होने लगता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है,कि जब शार्ट सेलर पर प्राइस के कारण Short Covering का दबाव पड़ता है उसी को short squeeze कहा जाता है। शेयरों को पहले बेचकर बाद में खरीदना ही शार्ट कवरिंग कहलाता है। एक्टिव स्टॉक ट्रेडिंग
ट्रेडर्स पर Short Covering का दबाव कैसे बनता है?
एक होता है, प्रॉफिट में अपनी पोजीशन को बंद करना यानि प्रॉफिट बुक करना। दूसरा होता है, स्टॉपलॉस हिट होने पर पोजीशन का अपने आप कट जाना। शार्ट कवरिंग इन सबसे अलग होता है जिसके निम्नलिखित निम्नलिखित कारण होते हैं-
शार्ट सेलिंग ( Short Selling )
एक ट्रेडर्स या इन्वेस्टर्स अपने ब्रोकर से स्टॉक्स और इंडेक्स उधार लेकर मार्केट में बेच देता है। इस उम्मीद में कि उसके प्राइस में गिरावट आयेगी और वह उन्हें वापस कम प्राइस पर खरीदकर प्रॉफिट कमा लेगा। इसी को शार्ट सेलिंग कहते हैं। फिबोनाची रिट्रेसमेंट
प्राइस का बढ़ना ( Price Increase )
अगर स्टॉक्स और इंडेक्स के प्राइस गिरने के बजाय बढ़ने लगते हैं। तो ट्रेडर्स को इस पोजीशन में प्रॉफिट के बजाय नुकसान होने लगता है। ऐसा उस पर्टिकुलर स्टॉक या इंडेक्स के बारे में स्ट्रांग अर्निग्स रिपोर्ट, सकारात्मक समाचार, या मार्केट के सेंटीमेंट में सुधार होने की वजह से हो सकता है। अथवा इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं।
Short Covering करने का दबाव ( Pressure to Cover )
जैसे-जैसे स्टॉक्स का प्राइस बढ़ने लगता है. ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स पर अपनी ओपन शार्ट पोजीशन को कवर करने का प्रेशर पड़ने लगता है। यानि की शार्ट सेल की पोजीशन को बंद करने के लिए, बेचे गए स्टॉक्स को खरीदने के लिए। ऐसा इसलिए करना पड़ता है क्योंकि स्टॉक्स के प्राइस बढ़ने पर शार्ट सेलर को बहुत ज्यादा नुकसान का जोखिम उठाना पड़ सकता है। ट्रेंड रिवर्सल
खरीदारी का दबाव ( Buying Pressure )
जिन स्टॉक्स में बहुत सारे शार्ट सेलर अपनी पोजीशन में Short Covering कर रहे होते हैं। उसमे बहुत ज्यादा खरीदारी की मार्केट डिमांड पैदा हो जाती है। इस बढ़ी हुई डिमांड के कारण उन स्टॉक्स के प्राइस तेजी से ऊपर चढ़ने लगते हैं हुए ऐसा प्राइस शार्ट कवरिंग के कारण होता है।
चैन रिएक्शन ( Chain Reaction )
यदि पर्याप्त मात्रा में शार्ट सेलर अपनी शार्ट पोजीशन को कवर करना शुरू कर देते हैं। इससे एक चैन रिएक्शन होता है, जिससे स्टॉक्स के प्राइस बहुत कम समय में नाटकीय रूप से बढ़ने लगते हैं। स्टॉक्स के प्राइस में अचानक आये इस उछाल को Short Squeeze के नाम से भी जाता है। स्केल्पिंग ट्रेडिंग
तेज प्राइस मूवमेंट ( Rapid Price movement )
शार्ट कवरिंग की वजह से जब स्टॉक्स के प्राइस तेजी से चढ़ते हैं। तब शार्ट सेलर पर अपनी पोजीशन को कवर करने के लिए मजबूर हो जाते हैं क्योंकि वे अपने नुकसान को कम रखने की कोशिश करते हैं। इसी वजह से बहुत ज्यादा बाइंग डिमांड पैदा हो जाती है। जिसके कारण स्टॉक्स के प्राइस और भी बहुत तेजी से बढ़ने लगते हैं।
शार्ट कवरिंग के परिणामस्वरूप स्टॉक्स के प्राइस में अप्रत्याशित उछाल और वोलेटिलिटी बहुत बढ़ जाती है। यह स्थिति शार्ट सेलर के लिए बड़ी विकट होती है क्योंकि उन्हें स्टॉक्स को पहले बेचे गए प्राइस से ज्यादा प्राइस पर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है। दूसरी तरफ यह लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि वे अपने होल्ड किये स्टॉक्स के प्राइस के बढ़ने का इंतजार कर रहे होते हैं। शेयर मार्केट में ज्यादातर लोग सफल क्यों नहीं हो पाते?
शार्ट कवरिंग ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के लिए बहुत ही जोखिम भरी होती है। इसकी सक्रियता Stock market को प्रभावित करती है। इसलिए ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को मार्केट में शार्ट सेलिंग करने से पहले गहन शोध करना चाहिए। साथ ही शार्ट कवरिंग सावधानीपूर्वक और समय रहते कर लेनी चाहिए।
Short Covering in Stock Market
शार्ट कवरिंग एक शब्द है, जिसका उपयोग शेयर मार्केट और अन्य वित्तीय मार्केट्स में पहले से ओपन शार्ट सेल की पोजीशन को बंद करने या वापस खरीदने की प्रक्रिया के लिए किया जाता है। जिन स्टॉक्स का प्राइस भविष्य में गिरने की आशंका होती है। इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स उन स्टॉक्स को ब्रोकर से उधार लेकर शार्ट सेल करते हैं। इसमें ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स का उद्देश्य अधिक प्राइस पर स्टॉक्स को शार्ट सेल करके और कम प्राइस पर वापस खरीदकर, प्राइस के अंतर से प्रॉफिट कमाना होता है। राइजिंग वेज चार्ट पैटर्न
Short Covering तब होती है, जब ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स अपनी शार्ट पोजीशन को बंद करने के लिए उधार लिए गए स्टॉक्स को वापस खरीदने का फैसला करता है। स्टॉक मार्केट में शार्ट कवरिंग के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
- लाभ लेना (Profit Taking )- यदि शार्ट सेलर के अनुमान के अनुसार स्टॉक्स के प्राइस गिर जाते हैं। तो ट्रेडर्स कम प्राइस पर स्टॉक्स को वापस खरीदकर प्रॉफिट बुक कर सकता है।
- घाटे को कम करना ( Reducing Losses )- यदि स्टॉक्स का प्राइस अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाता है। तब ट्रेडर्स short covering करके और अधिक नुकसान को रोकने की कोशिश करते हैं।यानि ट्रेडर्स जल्दी से जल्दी स्टॉक्स को वापस खरीदकर अपनी short selling की पोजीशन को बंद करने की कोशिश करते हैं। शेयर बाजार
- मार्केट सेंटीमेंट ( Market Sentiment )- शेयरों के बारे में अच्छे समाचार और कोई इवेंट होने पर स्टॉक्स के प्राइस में बहुत तेजी वृद्धि होती है। ऐसे समय में शार्ट सेलर संभावित नुकसान से बचने के लिए Short Covering करते हैं।
- जबरन बायबैक ( Forced Buyback )- शार्ट किये गए स्टॉक्स का प्राइस काफी बढ़ जाता है। तो ब्रोकर मार्जिन कॉल जारी कर सकते हैं। इसके लिए शार्ट सेलर को या तो अधिक राशि जमा करानी होती है। अथवा तुरंत अपनी पोजीशन को कवर करना होता है। एवरेज ट्रू रेंज इंडिकेटर
Short Covering स्टॉक मार्केट की गतिशीलता का एक अनिवार्य हिस्सा है। इससे मार्केट में लिक्विडिटी आती है, जो स्टॉक्स के प्राइस को स्थिर रखने में मदद करती है। हालाँकि इससे मार्केट में वोलेटिलिटी बढ़ सकती है। खासकर जब मार्केट की अनिश्चितता के दौरान इसके बारे में कोई सकारात्मक समाचार आ जाता है। ओएनजीसी
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