Swing Trading: स्विंग ट्रेडिंग क्या है? शेयर मार्केट में पैसा कमाने की आसान तकनीक

By: Manju Chaudhary  Published May 15, 2025

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं या ट्रेडिंग में रुचि रखते हैं, तो आपने स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का नाम जरूर सुना होगा। यह एक ऐसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसमें ट्रेडर्स कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक शेयर या अन्य वित्तीय संपत्तियों को होल्ड करते हैं। ताकि छोटे से मध्यम अवधि के प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमा सकें। जानते हैं- स्विंग ट्रेडिंग क्या है? शेयर मार्केट में पैसा कमाने की आसान तकनीक। Swing Trading Kya hai. 
                                                                                           
Swing Trading


अगर आप शेयर मार्केट ट्रेडिंग में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको मार्क डगलस द्वारा लिखित ट्रेडिंग इन द जोन बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

स्विंग ट्रेडिंग क्या है?

स्विंग ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग टेक्निक है, जिसमें ट्रेडर्स स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी या अन्य फाइनेंशियल एसेट्स को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक होल्ड करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य शॉर्ट-टर्म प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमाना होता है। Swing traders अक्सर सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल्स की पहचान करके ट्रेड में एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स तलाश करते हैं। 

डे ट्रेडिंग के विपरीत, जो अक्सर एक सेशन में कई ट्रेड करते हैं और प्रत्येक दिन के अंत में सभी पोजीशन बंद कर देते हैं। स्विंग ट्रेडर बड़े मूव की तलाश करते हैं और लॉन्ग-टर्म के लिए अपनी पोजीशन बनाए रखते हैं। स्विंग ट्रेडिंग में ट्रेडर्स टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis) और फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis) का उपयोग करते हैं, ताकि वे सही समय पर ट्रेड में एंट्री और एग्जिट कर सकें। 

स्विंग ट्रेडर्स कई दिनों से लेकर कई सप्ताह तक अपनी ट्रेडिंग पोजीशनों को होल्ड कर सकते हैं। ये ज्यादातर RSI (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडिकेटर) और MACD (मूविंग कन्वर्जेन्स/डायवर्जेंस) का उपयोग करते हैं। इंस्टीटूशनल ट्रेडर्स की तुलना में रिटेल ट्रेडर्स ज्यादा Swin gtrading करते हैं। 

स्विंग ट्रेडिंग का मूल सिद्धांत यह है कि शेयर प्राइस कभी भी सीधे एक ही दिशा में नहीं बढ़ते हैं। प्राइस कभी ऊपर और कभी नीचे की तरफ चलते हैं। इस तरह शेयर प्राइस कभी टॉप बनाते हैं और कभी बॉटम लेवल। यह मार्केट साइकोलॉजी के कारण होता है। जिसे अक्सर मार्केट सेंटीमेंट के नाम से पुकारा जाता है। 

मार्केट सेंटीमेंट के कारण ही शेयर मार्केट में वोलैटिलिटी होती है। स्विंग ट्रेडिंग में सफल होने की कुंजी टेक्निकल एनालिसिस में छुपी है। जिसके द्वारा आप टर्निग पॉइंट्स की पहचान करके ट्रेड में सफल एंट्री और प्रॉफिट के साथ एग्जिट कर सकते हैं। Swing trading में आमतौर पर इस्तेमाल किये जाने वाले RSI, MACD, ADX, ATR जैसे टेक्निकल इंडीकेटर्स का उपयोग किया जाता है। 

बहुत से स्विंग ट्रेडर्स ट्रेड लेने के लिए ट्रेंड रिवर्सल का इंतजार करते हैं। उनके लिए ट्रेड में एंट्री और एग्जिट करने के पूर्वनिर्धारित लक्ष्य होते हैं। बहुत सारे ट्रेडर्स वोलेटाइल और प्राइस फल्क़चुएशन वाले स्टॉक का चुनाव स्विंग ट्रेडिंग के लिए करते हैं। प्रत्येक स्विंग ट्रेडर को सही रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो के अनुसार ही ट्रेड प्लान करना चाहिए। 

बहुत से अनुभवी शेयर मार्केट ट्रेडर्स 1:3 का रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो रखते हैं। स्विंग ट्रेडर्स को पहले से ही यह निश्चित करना चाहिए कि वे ट्रेड में एंट्री किस प्राइस पर करेंगे और प्रॉफिट बुक किस प्राइस पर करेंगे। मार्केट जोखिम भरा है इसलिए किसी भी नुकसान को कम करने के लिए एक सख्त स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगाना चाहिए।

स्विंग ट्रेडिंग कैसे करें?

अगर आप Swing trading शुरू करना चाहते हैं, तो आपको कुछ निम्नलिखित महत्वपूर्ण स्टेप्स को फॉलो करना चाहिए-
  • सही स्टॉक या एसेट चुनें: स्विंग ट्रेडिंग के लिए ऐसे स्टॉक्स या एसेट्स चुनें जिनमें मूल्य में उतार-चढ़ाव (Volatility) अधिक हो।
  • टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करें: चार्ट पैटर्न, ट्रेंड्स, और इंडिकेटर्स का उपयोग करके संभावित ट्रेडिंग अवसरों की पहचान करें।
  • स्टॉप-लॉस और टेक-प्रॉफिट सेट करें: अपने ट्रेड्स में स्टॉप-लॉस और टेक-प्रॉफिट सेट करें ताकि आप अपने जोखिम को नियंत्रित कर सकें।
  • ट्रेडिंग प्लान बनाएं: स्विंग ट्रेडिंग में एक स्पष्ट ट्रेडिंग प्लान बनाएं और उसे फॉलो करें।
  • भावनात्मक नियंत्रण रखें: स्विंग ट्रेडिंग में धैर्य और अनुशासन बहुत जरूरी होता है। भावनात्मक निर्णय लेने से बचें। 

स्विंग ट्रेडिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ इंडिकेटर्स

स्विंग ट्रेडिंग में कई technical Indicators का उपयोग किया जाता है। आइए कुछ प्रमुख इंडिकेटर्स पर नजर डालते हैं-
  • मूविंग एवरेज (Moving Average): मूविंग एवरेज (MA) एक स्टॉक इंडिकेटर है। जिसका उपयोग टेक्निकल एनालिसिस में ट्रेंड की दिशा को समझने के लिए किया जाता है। इसमें शेयर के एवरेज प्राइस डाटा को लगातार अपडेट किया जाता है। बढ़ता हुआ MA प्राइस के अपट्रेंड को दर्शाता है। जबकि घटता हुआ मूविंग एवरेज डाउनवर्ड ट्रेंड को दर्शाता है। 
  • रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI): RSI एक मोमेंटम ऑसिलेटर है। जिसका उपयोग शेयर प्राइस के ओवरबॉट और ओवरसोल्ड कंडीशंस को पहचानने के लिए किया जाता है। आमतौर पर 30 से नीचे का आरएसआई रीडिंग शेयर के ओवरसोल्ड प्राइस को इंगित करता है। जबकि 70 से ऊपर का ओवरबॉट प्राइस को इंगित करता है।
  • MACD (Moving Average Convergence Divergence): MACD एक मोमेंटम इंडिकेटर है जिसका उपयोग बुलिश और बेयरिश सिग्नल को पहचानने के लिए किया जाता है।
  • बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands): बोलिंजर बैंड्स का उपयोग वोलैटिलिटी को समझने के लिए किया जाता है। साथ ही बोलिंगर बैंड यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि कीमतें सापेक्ष आधार पर हाई या लो हैं। इनका उपयोग जोड़े में, ऊपरी और निचले दोनों बैंड में और मूविंग एवरेज के साथ संयोजन में किया जाता है। 

Swing Trading स्ट्रेटेजी 

स्विंग ट्रेडिंग में सफलता पाने के लिए सही रणनीति अपनाना बहुत जरूरी होता है। यह रणनीतियाँ आपको ट्रेड में सही समय पर एंट्री और एग्जिट करने में मदद करेंगी। जिससे आप शॉर्ट-टर्म प्राइस मूवमेंट से अधिकतम प्रॉफिट कमा सकते हैं। 

1. ट्रेंड पुलबैक: प्रसिद्ध निवेशक राकेश झुनझुनवाला भी अक्सर कहा करते थे। "Trend is your friend" यही कारण है, एक स्ट्रांग ट्रेंड में शार्ट-टर्म पुलबैक में स्विंग ट्रेडिंग पोजीशन बनाना। उदाहरणस्वरूप मान लेते हैं। जैसे abc स्टॉक स्ट्रांग अपट्रेंड में चल रहा है। 

अगर किसी कारण से उसके शेयर में गिरावट होती है। जैसे ही उस शेयर में पुलबैक शुरू होता है। आप उसमे लॉन्ग पोजीशन बना सकते हैं। यह स्विंग ट्रेडिंग की सबसे फेमस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है। इसी तरह यदि कोई स्टॉक डाउनट्रेंड में है, अगर उसके शेयर में उछाल आता है तो आप उछाल पर आप उस शेयर में शार्ट-सेल की पोजीशन बना सकते हैं। 

2. ब्रेकआउट ट्रेडिंग: जब किसी share का प्राइस महत्वपूर्ण सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल्स को तोड़ देते हैं। इसे ब्रेकआउट कहा जाता है। शेयर प्राइस द्वारा सपोर्ट लेवल को तोड़ने पर बेयरिश ब्रेकआउट होता है। तब शार्ट-सेल की पोजीशन बनाई जाती है। जब रेजिस्टेंस लेवल टूटता है, तब बुलिश ब्रेकआउट होता है। रेजिस्टेंस लेवल को तोड़ने पर लॉन्ग पोजीशन बनानी चाहिए। इसी को सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस ट्रेडिंग भी कहते हैं। 

3. रिवर्सल रणनीति (Reversal Strategy): इस रणनीति में ट्रेडर्स ट्रेंड रिवर्सल की पहचान करते हैं। जब कोई स्टॉक अपट्रेंड में होता है और अचानक डाउनट्रेंड में बदलता है तो यह बेयरिश रिवर्सल होता है। जब ट्रेंड डाउनट्रेंड से अपट्रेंड में बदलता है, तो यह बुलिश रिवर्सल होता है।

ओवरबॉट और ओवरसोल्ड कंडीशंस को पहचानने के लिए आप रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं। साथ ही कैंडलस्टिक पैटर्न (Candlestick Patterns) का उपयोग ट्रेंड रिवर्सल की पुष्टि करने के लिए करना चाहिए।संभावित रिवर्सल स्तरों को समझने के लिए फिबोनाची रिट्रेसमेंट (Fibonacci Retracement) का उपयोग कर सकते हैं। 

अगर किसी स्टॉक का RSI 30 से नीचे चला जाता है और फिर ऊपर बढ़ता है, तो यह बुलिश रिवर्सल हो सकता है, और आप बाय कर सकते हैं। जब किसी शेयर का RSI 80 के ऊपर चला जाता है, तब बेयरिश ट्रेंड रिवर्सल हो सकता है। 

4. मूविंग एवरेज क्रॉसओवर रणनीति (Moving Average Crossover Strategy): इस स्ट्रेटेजी में ट्रेडर्स दो मूविंग एवरेज का उपयोग करते हैं। जब शॉर्ट-टर्म मूविंग एवरेज लॉन्ग-टर्म मूविंग एवरेज को पार करता है तो यह बुलिश सिग्नल होता है। जब नीचे गिरता है, तो यह बेयरिश सिग्नल होता है। 

जब शार्ट-टर्म मूविंग एवरेज लॉन्ग-टर्म मूविंग एवरेज को नीचे की तरफ तोड़ता है तब आपको शार्ट-सेल की पोजीशन बनानी चाहिए। इसी तरह जब शार्ट टर्म मूविंग एवरेज लॉन्ग टर्म मूविंग एवरेज से ऊपर निकल जाता है तब आपको शेयर में लॉन्ग पोजीशन बनानी चाहिए। उदाहरण: अगर 50-दिन की मूविंग एवरेज 200-दिन की मूविंग एवरेज को पार करती है, तो यह बाय सिग्नल होता है। 

स्विंग ट्रेडिंग में सफलता पाने के लिए आपको निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-
  • जोखिम को कम करने के लिए हमेशा स्टॉप-लॉस सेट करना चाहिए। 
  • ट्रेडिंग में अनुशासन बनाए रखें और भावनात्मक निर्णय लेने से बचना चाहिए। 
  • टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करें और ट्रेड में सही समय पर एंट्री और एग्जिट करें। 
  • सही ट्रेडिंग अवसरों की पहचान करने के लिए ट्रेडिंग वॉल्यूम और वोलैटिलिटी पर ध्यान देंना चाहिए। 
  • बिना योजना के ट्रेडिंग न करें, इसके लिए ट्रेडिंग प्लान बनाएं और उसे फॉलो करें। 
    अगर आप स्विंग ट्रेडिंग में सफल होना चाहते हैं, तो आपको टेक्निकल एनालिसिस, भावनात्मक नियंत्रण, और सही ट्रेडिंग प्लान का पालन करना होगा
स्विंग ट्रेडिंग में सफलता पाने के लिए सही ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी अपनाना बहुत जरूरी है। ट्रेंड फॉलोइंग, ब्रेकआउट, रिवर्सल, मूविंग एवरेज क्रॉसओवर, और सपोर्ट-रेसिस्टेंस जैसी रणनीतियाँ आपको ट्रेड में सही समय पर एंट्री और एग्जिट करने में मदद करेंगी। 

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