Divergence meaning in trading: डाइवर्जेंस का मतलब और इसका उपयोग ट्रेडिंग में कैसे करें?

By: Manju Chaudhary  Published: May 13, 2025

ट्रेडिंग में डाइवर्जेंस (Divergence) एक महत्वपूर्ण तकनीकी संकेत है, जो यह दर्शाता है कि किसी संपत्ति (Asset) की कीमत और तकनीकी संकेतक (Technical Indicator) विपरीत दिशाओं में बढ़ रहे हैं। यह संकेत देता है कि मौजूदा ट्रेंड कमजोर हो सकता है और संभावित रूप से उलट सकता है। जानते हैं- डाइवर्जेंस का मतलब और इसका उपयोग ट्रेडिंग में कैसे करें? Divergence meaning in trading in Hindi. 
                                                                                    
Divergence meaning in trading
डाइवर्जेंस से मार्केट की दिशा का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

अगर आप शेयर मार्केट टेक्निकल एनालिसिस सीखना चाहते हैं तो आपको जितेंद्र गाला और अंकित गाला द्वारा लिखित टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

डाइवर्जेंस क्या है?

डाइवर्जेंस तब होता है जब किसी शेयर की कीमत और टेक्निकल इंडिकेटर (जैसे RSI, MACD, स्टोकास्टिक्स) अलग-अलग दिशाओं में बढ़ते हैं। तब इसका मतलब होता है कि बाजार का मोमेंटम (Momentum) बदल रहा है और अब ट्रेंड रिवर्सल होने की आशंका है। 

टेक्निकल एनालिसिस में Divergence तब होता है, जब शेयर प्राइस टेक्निकल इंडीकेटर्स या ऑसिलेटर्स की विपरीत दिशा में चलने लगता है। यह संकेत देता है कि स्टॉक प्राइस में trend reversal आ रहा है। इससे आप ट्रेंड की दिशा का अनुमान लगा सकते हैं कि शेयर के प्राइस गिरने वाले हैं या बढ़ने वाले हैं। 

शेयर मार्केट ट्रेडर्स डायवर्जेंस पर निगाह बनाये रखते हैं क्योंकि इससे मार्केट मोमेंटम के कमजोर और मजबूत होने के संकेत मिलते हैं। Divergence तब होता है, जब प्राइस टेक्निकल इंडिकेटर के विपरीत दिशा में चलने है। ट्रेंड रिवर्सल हमेशा डायवर्जेंस के बाद ही नहीं होता, कभी-कभी बिना डायवर्जेंस के भी ट्रेंड रिवर्सल हो जाता है। 

पॉजिटिव डाइवर्जेंस तब होता है, जब शेयर कीमत गिरती है लेकिन टेक्निकल इंडिकेटर बढ़ता है, तो यह संकेत देता है कि कीमत जल्द ही बढ़ सकती है। नेगेटिव डाइवर्जेंस तब होता है, जब शेयर कीमत बढ़ती है लेकिन टेक्निकल इंडिकेटर गिरता है, तो यह संकेत देता है कि कीमत जल्द ही गिर सकती है। 

डायवर्जेंस, प्राइस और टेक्निकल इंडिकेटर के बीच विसंगति को उजागर करता है। सामान्य मार्केट कंडीशन में जब शेयर प्राइस में मोमेंटम बढ़ता है, तब शेयर प्राइस बढ़ते हैं। शेयर के बढ़ते प्राइस आमतौर पर बढ़ते हुए मोमेंटम के साथ मेल खाते हैं (और इसी तरह, शेयर प्राइस घटते मोमेंटम के साथ घटते हैं)। 

रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) जैसे इंडीकेटर्स प्राइस बढ़ने पर नए हाई लेवल को छूने में विफल हो सकते हैं। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं की करंट मार्केट ट्रेंड कमजोर हो रहा है। अब ट्रेंड रिवर्सल आ सकता है क्योंकि प्राइस में परिवर्तन होने से पहले मोमेंटम में परिवर्तन होता है।

डाइवर्जेंस के प्रकार

डाइवर्जेंस को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है- 
  1. पॉजिटिव डायवर्जेंस: positive or bullish Divergence ऐसी स्थिती को संदर्भित करता है, जब प्राइस निचले लेवल स्तर पर होते हैं लेकिन टेक्निकल इंडिकेटर जैसे RSI, MACD आदि हाई लेवल पर होते हैं। तब यह संकेत देते हैं कि अब मार्केट में ट्रेंड रिवर्सल हो सकता है।  
  2. नेगेटिव डायवर्जेंस: जब ज्यादातर टेक्निकल इंडीकेटर्स मार्केट ट्रेंड के अनुरूप नहीं चल रहे होते हैं। तब इसे नेगेटिव डायवर्जेंस कहा जाता है। Negative Divergence तब होता है, जब शेयर प्राइस हाई लेवल पर होते हैं लेकिन टेक्निकल इंडीकेटर्स लोअर लेवल पर होते हैं। 

डाइवर्जेंस को कैसे पहचानें?

डाइवर्जेंस को पहचानने के लिए निम्नलिखित टेक्निकल इंडीकेटर्स का उपयोग किया जाता है- 

मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स डायवर्जेंस (MACD): यह एक ट्रेंड फॉलोविंग मोमेंटम इंडिकेटर है, जिसे अक्सर सिग्नल लाइन और हिस्टोग्राम के साथ देखा जाता है। MACD Divergence तब होता है, जब शेयर प्राइस हायर हाई बना रहे होते हैं। तब एमएसीडीइंडिकेटर हिस्टोग्राम पर लोअर हाई बना रहा होता है। यह बुलिश मोमेंटम के घटने का संकेत होता है। इसी शेयर प्राइस लोअर लो बना रहा होता है लेकिन MACD हिस्टोग्राम हायर हाई बना रहा होता है। यह बेयरिश मोमेंटम का कम होने का संकेत होता है। 

रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI): इसमें Divergence तब होता है, जब शेयर प्राइस हायर हाई बना रहे होते हैं लेकिन आरएसआई अपने लोअर लेवल (40) पर होता है। तब यह बेयरिश डायवर्जेंस का संकेत हो सकता है। इसी तरह जब शेयर प्राइस लोअर लो बना रहा होता है लेकिन आरएसआई अपने हाई लेवल (70) के आस-पास होता है। तब यह बुलिश डायवर्जेंस का संकेत होता है। 

स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर (Stochastic oscillato): यह इंडिकेटर शेयर प्राइस की तुलना उसके क्लोजिंग प्राइस की वर्तमान रेंज से करता है। डायवर्जेंस तब होता है, जब शेयर प्राइस और स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर के लेवल अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, यदि प्राइस बढ़ने के दौरान स्टोकेस्टिक लोअर हाई बनाता है, तो यह bearish divergence को दर्शाता है। इसी तरह, कम प्राइस के लोअर लेवल के मुकाबले हाई स्टोकेस्टिक bullish Divergence को दर्शाते हैं। 

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