Portfolio Diversification: पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के 7 फायदे जो हर निवेशक को जानने चाहिए?
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति चाहता है कि उसका भविष्य सुरक्षित हो। वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र बना रहे और इसी के लिए लोग शेयर मार्केट में निवेश करते हैं। लेकिन क्या सिर्फ निवेश करना ही काफी है? बिल्कुल नहीं! सही निवेश रणनीति के बिना जोखिम बहुत बढ़ सकता है। जानते हैं- पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के 7 फायदे जो हर निवेशक को जानने चाहिए? Portfolio Diversification ke 7 Fayde.
अगर आप सही तरीके से शेयर मार्केट इन्वेस्टिंग करना सीखना चाहते हैं तो आपको वॉरेन बफे के इन्वेस्टिंग गुरु बैंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर जरूर पढ़नी चाहिए।
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन क्या है?
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन का मतलब है, अपने निवेश को अलग-अलग एसेट्स (assets) में बाँटना। ताकि रिस्क को कम किया जा सके। जब आप अपना सारा पैसा एक ही जगह निवेश करते हैं तो उस एक निवेश के खराब प्रदर्शन से पूरा पैसा डूब सकता है। लेकिन जब आप अलग-अलग सेक्टर्स की कंपनियों और एसेट्स में निवेश (invest) करते हैं, तो एक जगह के नुकसान की दूसरी जगह के प्रॉफिट से भरपाई हो जा सकती है।
उदाहरण के लिए, अगर आपने अपने पैसे को केवल Share market में लगाया है। अगर मार्केट में गिरावट आ जाती है तो आपको भारी नुकसान होगा। लेकिन अगर आपने कुछ पैसा शेयरों में, कुछ फिक्स्ड डिपॉजिट में, और कुछ म्यूचुअल फंड्स, गोल्ड, सिल्वर आदि में लगाया है तो एक का नुकसान दूसरे के प्रॉफिट से बैलेंस हो सकता है।
Portfolio Diversification के अंतर्गत निम्नलिखित प्रकार के निवेश शामिल हो सकते हैं-
- इक्विटी (Equity) – स्टॉक्स या शेयर: स्टॉक/शेयर एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है जो कंपनियों के आंशिक स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करता है। स्टॉक कंपनियों द्वारा शेयर नामक इकाइयों में जारी किए जाते हैं। शेयर खरीदने वाले इन्वेस्टर कंपनी को धन जुटाने में मदद करते हैं। बदले में शेयरहोल्डर्स कंपनियों की एसेट्स और मुनाफे में हिस्सा लेते हैं।
- बॉन्ड्स (Bonds) – निश्चित इनकम वाले इन्वेस्टमेंट: बांड एक डेब्ट सिक्युरिटी होते हैं, उधारलेने वाले एक निश्चित समय के लिए उन्हें पैसे उधार देने के इच्छुक निवेशकों से पैसे जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करते हैं। जब आप बॉन्ड खरीदते हैं तो आप बॉन्ड जारीकर्ता को उधार दे रहे होते हैं। Bonds सरकार, नगर पालिका या निगमों और कंपनियों आदि के द्वारा जारी किये जाते हैं।
- म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) – डायवर्सिफाइड इन्वेस्टमेंट ऑप्शन: म्यूचुअल फंड कंपनियां होती हैं जो बहुत सारे निवेशकों से पैसे एकत्र करके उसे स्टॉक, बॉन्ड और अल्पकालिक ऋण जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करती है। म्यूचुअल फंड की संयुक्त होल्डिंग्स को इसके पोर्टफोलियो के रूप में जाना जाता है। निवेशक म्यूचुअल फंड में शेयर खरीदते हैं
- रियल एस्टेट (Real Estate) – अचल संपत्ति में निवेश: रियल एस्टेट को जमीन और स्थायी संरचना के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। रियल एस्टेट में वास्तविक संपत्ति जैसे घर, फ्लैट, प्लॉट आदि को शामिल किया जाता है।
- सोना और कीमती धातु (Gold & Precious Metals) – सुरक्षित निवेश: गोल्ड और कीमती मेटल्स बहुत रेयर होते हैं इसलिए इनकी कीमत हमेशा बढ़ती रहती है। निवेशकों के बीच सबसे लोकप्रिय कीमती धातुएँ सोना, प्लैटिनम और चांदी हैं। आप जानते होगें की आजकल सोने और चाँदी के प्राइस अपने ऑल टाइम हाई पर चल रहे हैं।
- क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) – डिजिटल एसेट: क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन को सत्यापित करने के लिए किसी केंद्रीय बैंक या वित्तीय संस्थान की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लेनदेन को ब्लॉकचेन तकनीक के साथ सत्यापित और रिकॉर्ड किया जाता है। जिससे एक अपरिवर्तनीय बहीखाता बनता है जो ट्रेडों और डिजिटल एसेट्स की खरीद-बिक्री को ट्रैक करता है। ट्रंप के USA के राष्ट्रपति बनने के बाद कई क्रिप्टो के प्राइस डबल से भी ज्यादा बढ़ गए हैं।
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के फायदे
जब आप अपनी मेहनत की कमाई निवेश करते हैं, तो यह सिर्फ पैसों का खेल नहीं होता है। बल्कि इसमें आपकी भावनाएं, परिवार के सपने और भविष्य की उम्मीदें जुड़ी होती हैं। ऐसे में अगर कोई एक गलत फैसले की वजह से आपको नुकसान हो जाए, तो वो केवल आर्थिक ही नहीं, मानसिक नुकसान भी दे सकता है।
डायवर्सिफिकेशन इसी डर को कम करता है। पोर्टफोलियो डायवेसिफिकेशन आपको मानसिक सुकून और वित्तीय स्थिरता देगा।आप भी शेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट करते समय इसका लाभ उठा सकते हैं। Portfolio Diversification के निम्नलिखित फायदे होते हैं-
- स्थिर रिटर्न प्रदान करता है (Stable Returns): डायवर्सिफिकेशन से निवेश में स्थिरता आती है। जब किसी एक एसेट का प्रदर्शन कमजोर होता है तो दूसरी एसेट्स अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। जिससे कुल मिलाकर आपका पोर्टफोलियो संतुलित रहता है।
- जोखिम को कम करता है (Risk Reduction): यदि आपका पूरा निवेश एक ही प्रकार की संपत्ति में है। अगर उसके प्राइस नहीं बढ़ते हैं तो आपको भारी नुकसान हो सकता है। लेकिन यदि आपने विभिन्न एसेट्स में investment किया है। तब किसी एक निवेश में नुकसान होने पर अन्य निवेशों से आपको प्रॉफिट मिल सकता है।
- निवेश के नए अवसर (New Investment Opportunities): विभिन्न एसेट्स में निवेश करने से आपको नए अवसरों की जानकारी मिलती है। इससे आप नए सेक्टर्स में निवेश कर सकते हैं और अपने पोर्टफोलियो को और मजबूत बना सकते हैं।
- मार्केट वोलैटिलिटी से बचाव (Protection Against Market Volatility): शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव आम बात है। यदि आपका पूरा निवेश केवल स्टॉक्स में है। तब मार्केट में गिरावट आने पर आपको भारी नुकसान हो सकता है। यदि आपने बॉन्ड्स, गोल्ड और रियल एस्टेट में भी निवेश किया है तो मार्केट के वोलेटाइल होने पर भी आपका पोर्टफोलियो सुरक्षित रहेगा।
- लॉन्ग-टर्म टार्गेट अचीव (Long-Term Financial Goals): डायवर्सिफिकेशन से निवेशकों को अपने लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल टार्गेट को प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह स्ट्रेटेजी सेवानिवृत्ति योजना, बच्चों की शिक्षा, घर खरीदने आदि के लिए धन संचय करने में सहायक होती है।
- टैक्स बचत में मदद (Tax Savings benefits): कुछ निवेश विकल्पों में टैक्स बचत की सुविधा भी मिलती है। जैसे कि ELSS म्यूचुअल फंड्स, PPF, और NPS। यदि आप अपने पोर्टफोलियो को सही तरीके से डायवर्सिफाई करते हैं, तो आप टैक्स बचत का लाभ भी उठा सकते हैं।
- मानसिक शांति (Peace of Mind): निवेश के नुकसान में आने और मार्केट रिस्क के कारण कई निवेशक तनाव में रहते हैं। लेकिन यदि आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन की कला आती है तो आपको मानसिक शांति मिलेगी क्योंकि आप जानते हैं कि आपका निवेश सुरक्षित है।
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन कैसे करें
निवेश में Portfolio Diversification करते समय आपको निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए-
- अपने फाइनेंशियल लक्ष्य को जानें: आपको यह साफ-साफ पता होना चाहिए कि आप लॉन्ग-टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं या शार्ट-टर्म में प्रॉफिट कमाना चाहते हैं।
- विभिन्न एसेट्स में निवेश करें: आपको केवल एक सेक्टर के स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड्स में ही निवेश नहीं करना चाहिए। बल्कि बॉन्ड्स, रियल एस्टेट, गोल्ड, और अन्य एसेट्स में भी निवेश करना चाहिए।
- अपने रिस्क टॉलरेंस का आंकलन करें: प्रत्येक इन्वेस्टर की रिस्क उठाने की क्षमता अलग होती है। यदि आप कम रिस्क लेना चाहते हैं तो आपको बांड्स और फिक्स डिपॉजिट में इन्वेस्ट करना चाहिए। यदि आप रिस्क उठाने को तैयार हैं तो आपको Stocks & Cryptocurrency में भी निवेश करना चाहिए।
- Portfolio की नियमित समीक्षा: फाइनेंसियल मार्केट में बदलाव होते रहते हैं। अतः आपको अपने पोर्टफोलियो की समय-समय पर समीक्षा करते रहना चाहिए।
- विशेषज्ञों की सलाह लें: यदि आप निवेश के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखते हैं, तब आपको किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लेना चाहिए।
यदि आप एक सफल निवेशक बनना चाहते हैं तो पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन को जरूर अपनाना चाहिए। सही योजना और स्ट्रेटेजी के साथ Portfolio Diversification करके अपने पोर्टफोलियो को स्ट्रांग बना सकते हैं। इस तरह लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट से आप फाइनेंशियल फ्रीडम हांसिल कर सकते हैं।
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