फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग क्या है? futures and options (F&O) trading
फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) (वायदा और विकल्प ट्रेडिंग) फाइनेंशियल ट्रेडिंग का एक रूप है। इसमें ऐसे कॉन्ट्रेक्ट्स शामिल होता हैं। जो शेयर, इंडेक्स, कमोडिटी और करेंसी जैसी अंडरलेइंग एसेट से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं। ये कॉन्ट्रेक्ट्स ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को इन अंडरलेइंग एसेटस के प्राइस मूवमेंट का अनुमान लगाकर उनमें ट्रेडिंग करने का मौका देते हैं।
साथ ही F&O कॉन्ट्रेक्ट्स ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज और हेजिंग के द्वारा ट्रेडर्स और इन्वेस्ट्रोस को, अंडरलेइंग एसेट्स के प्राइस में होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाव करने का मौका देते हैं। एफ एंड ओ ट्रेडिंग फाइनेंशियल मार्केट्स का एक लोकप्रिय और आवश्यक हिस्सा है। और इसका उपयोग अक्सर जोखिम प्रबंधन, स्पेक्युलेशन और पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लिए किया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं- फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग (futures and options (F&O) trading) क्या है? futures and options (F&O) trading in Hindi.
यदि आप अंग्रेजी में कम्फर्टेबल हैं तो आपको जॉन जे. मर्फी द्वारा लिखित बुक TECHNICAL ANALYSIS OF THE FINANCIAL MARKETS जरूर पढ़नी चाहिए। अंग्रेजी में होने के बावजूद में इस बुक की सिफारिश इसलिए कर रही हूँ क्योंकि F & O और टेक्निकल एनालिसिस के बारे में यह सर्वश्रेष्ठ बुक है।
futures and options क्या हैं?
शेयर बाजार में वायदा और विकल्प स्टॉक डेरिवेटिव ट्रेडिंग के एक प्रमुख प्रकार हैं। ये बाद की तारीख में पूर्व निर्धारित प्राइस पर स्टॉक की अंडरलेइंग एसेट्स की ट्रेडिंग करने के लिए दो पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित कॉन्ट्रेक्ट्स (अनुबंध) होते हैं। इस तरह के कॉन्ट्रेक्ट्स पहले से तय प्राइस पर स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में शामिल बाजार जोखिमों से बचाव करने का प्रयास करते हैं।
फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस कॉन्ट्रेक्ट्स शेयर मार्केट ऐसे कॉन्ट्रेक्ट्स होते हैं। जो अंडरलेइंग एसेट्स से अपनी कीमत प्राप्त करते हैं। जैसे शेयर, शेयर मार्केट इंडेक्स (निफ्टी 50, बैंक निफ्टी, फिननिफ्टी आदि) कमोडिटी, ईटीएफ और बहुत कुछ। वायदा और विकल्प की मूल बातें व्यक्तियों को पूर्व-निर्धारित कीमतों के माध्यम से अपने निवेश के साथ भविष्य के जोखिम को कम करने की सुविधा प्रदान करती हैं। इसलिए futures and options (F&O) trading की जाती है।
चूंकि प्राइस मूवमेंट की दिशा यानि ट्रेंड की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। इसलिए यदि मार्केट की भविष्यवाणी गलत साबित होती। है तो यह लालच मार्केट में बड़े नुकसान का कारण बन सकता है। आमतौर पर, शेयर बाजार के संचालन से अच्छी तरह वाकिफ व्यक्ति मुख्य रूप से ऐसे ट्रेडों में भाग लेते हैं। futures and options (F&O) Contracts के द्वारा ट्रेडिंग दो प्रकार से होती है। इसलिए आपको यह भी जानना चाहिए कि फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स क्या होता हैं। इन दोनों को सम्मिलित रूप से डेरिवेटिव कहा जाता है।
- Futures Contracts
- Options Contracts
1. वायदा अनुबंध (Futures Contracts)
फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट में दो पार्टियों के बीच एक अनुबंध होता है। जिसमें अंडरलेइंग एसेट को किसी पूर्व-निर्धारित प्राइस और एक्सपायरी डेट पर या उससे पहले खरीदने या बेचने का कॉन्ट्रैक्ट होता है। फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट मान्यता प्राप्त अनुबंध होते हैं। जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किये जाते हैं। इनका एक स्टैंडर्ड कॉन्ट्रैक्ट साइज होता है। जिसे लॉट साइज कहते हैं। इसमें एक निश्चित संख्या में स्टॉक्स या इंडेक्स की यूनिट होती हैं।
साथ ही इन कॉन्ट्रैक्ट्स के समाप्त होने की एक फिक्स डेट होती है, जिसे एक्सपायरी डेट कहते हैं। हालाँकि कुछ एक्स्ट्रा चार्ज देकर फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स को एक्सपायरी डेट के बाद वाले महीनों के लिए आगे भी बढ़ाया जा सकता है। जिसे फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स रोलओवर कहते हैं। आप अपनी मर्जी से फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में पोजीशन बना सकते हैं। फिर वह चाहे लॉन्ग-टर्म हो या शार्ट-टर्म दोनों दोनों टाइमफ्रेम के ट्रेड ले सकते हैं। यहाँ तक कि आप इंट्राडे और कुछ मिनट या सैकेंड में भी फ्यूचर्स में शेयरों को खरीद और बेच सकते हैं। इसी को futures and options (F&O) trading कहते हैं।
जिससे आप स्टॉक मार्केट में शेयरों के प्राइस में होने वाले उतार-चढ़ाव से प्रॉफिट कमा सकते हैं। चूँकि futures trading के लिए स्टॉक ब्रोकर्स के द्वारा अपने क्लाइंट्स को मार्जिन दिया जाता है। इसलिए आप कम रुपयों में बड़ी पोजीशन बना सकते हैं। फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट्स का उपयोग शेयर मार्केट में हेजिंग के लिए भी किया जाता है। जिससे शेयरों के प्राइस में होने वाले उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम किया जा सके। खासकर कमोडिटी और करेंसी ट्रेडिंग में इसका उपयोग ज्यादा किया जाता है।
2. विकल्प अनुबंध (Options Contracts)
ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट में दो पार्टियों के बीच एक अनुबंध होता है। जिसमें अंडरलेइंग एसेट के कॉल और पुट ऑप्शंस को किसी पूर्व-निर्धारित मूल्य (स्ट्राइक प्राइस) पर खरीदने और बेचने का अधिकार होता है। लेकिन कॉल या पुट होल्डर इसके लिए बाध्य नहीं होते हैं। एक्सपायरी डेट पर या उससे पहले खरीदने या बेचने का कॉन्ट्रैक्ट होता है। क्योंकि एक्सपायरी डेट के बाद ऑप्शंस गल जाते हैं, यानि उनकी कोई वैल्यू नहीं रहती है।
ऑप्शंस वर्सेटाइल होते हैं, जिन्हें विभिन्न अलग-अलग ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज में अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे हेजिंग के लिए, शेयरों और इंडेक्स आदि के प्राइस स्पेक्युलेशन के आधार पर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बनाकर ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स का, इनकम जैनरेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
चूँकि Options trading के लिए स्टॉक ट्रेडर्स को केवल प्रीमियम चुकाना होता है। इसलिए आप ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स को कम रुपयों में खरीदकर इसमें बड़ा प्रॉफिट कमा सकते हैं। ऑप्शंस के खरीदार ऑप्शन पर अधिकार प्राप्त करने के लिए प्रीमियम का भुगतान करते हैं। जबकि ऑप्शन बेचने वाले प्रीमियम प्राप्त करते हैं लेकिन विकल्प का प्रयोग करने पर उनका दायित्व होता है। इस तरह आप भी futures and options (F&O) trading करके शेयर मार्केट से पैसे कमा सकते हैं।
Futures and Options में अंतर
व्यक्तियों पर लगाए गए दायित्वों के संदर्भ में फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग अलग-अलग हैं। एक फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट खरीदार को एक विशिष्ट परिसंपत्ति खरीदने के लिए बाध्य करता है। और फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट बेचने को उस परिसंपत्ति को भविष्य की एक्सपायरी डेट तक बेचने और वितरित करने के लिए बाध्य करता है।
क्योंकि Futures Contracts में पोजीशन बनाने वाले निवेशक और ट्रेडर पर उस पोजीशन को एक्सपायरी डेट तक सेटल करने की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है। यानि अगर फ्यूचर्स में शार्ट सेल किया है तो उसे एक्सपायरी डेट तक अनिवार्य रूप से खरीदना पड़ेगा या एक्स्ट्रा चार्ज देकर रोलओवर करना पड़ेगा। एक्सपायरी डेट तक उस पोजीशन में प्रॉफिट हो या नुकसान वह फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट धारक को वहन करना पड़ता है। जिसके लिए उसे पूर्व-निर्धारित नियत तारीख तक अनुबंध का पालन करने की आवश्यकता होती है।
जबकि एक option contract में व्यक्ति एक्सपायरी डेट तक सेटल करने के लिए बाध्य नहीं होता है। ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट धारक पर अपनी पोजीशन को एक्सपायरी डेट से पहले सेटल करने की कोई जिम्मेदारी नहीं होती। लेकिन वह अपनी मर्जी से जब चाहे (एक्सपायरी डेट तक) अपने ऑप्शन की पोजीशन को सेटल कर सकता है। यदि ऐसा नहीं करता है तो, उसे केवल options contracts के प्रीमियम को खोना पड़ता है।
फ़्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी डेट पर पूर्व-निर्धारित मूल्य पर अंडरलेइंग स्टॉक या अन्य परिसंपत्तियों को खरीदने या बेचने का एक अनुबंध है। दूसरी ओर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट निवेशक को एक्सपायरी डेट पर, जिसे ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति तिथि के रूप में जाना जाता है। एक विशिष्ट कीमत पर संपत्ति खरीदने या बेचने का अधिकार तो देता है, लेकिन दायित्व नहीं, यानि जिम्मेदारी नहीं देता है। यानि कि यह उसकी मर्जी पर निर्भर होता है। कि वह अपने ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को एक्ससरसाइज करे अथवा नहीं।
Futures and Options (F&O) trading किसे करना चाहिए?
Futures and Options (F&O) trading वाले ट्रेडर्स को निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-
हेजर्स (Hedgers) हेजिंग
एक रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी है, जिसका उपयोग मार्केट वोलेटिलिटी के कारण जो सिक्युरिटी के प्राइस में प्रतिकूल परिवर्तन होता है। उस प्रतिकूल परिवर्तन की वजह संभावित नुकसान को रोकने के लिए हेजिंग किया जाता है। ट्रेडर्स futures and options (F&O) trading के द्वारा मार्केट में हेजिंग करते हैं। विशेषकर ऑप्शंस ट्रेडिंग के द्वारा हेजिंग की जाती है। हेजिंग के द्वारा मार्केट रिस्क तो कम हो जाता है लेकिन इससे संभावित प्रॉफिट भी कम हो जाता है। किन्तु इससे इन्वेस्टर्स को सेफ्टी मिल जाती है। हेजिंग के लिए ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को पैसा देना पड़ता है। जिसे प्रीमियम कहा जाता है।
स्पेक्युलेटर्स (Speculators)
इन्हें शेयर मार्केट में सट्टेबाज के नाम से भी जाना जाता है। किसी शेयर या इंडेक्स को इस उम्मीद में खरीदना कि उसका प्राइस कम समय में ऊपर चला जायेगा, स्पेक्युलेशन कहलाता है। इसी तरह शेयरों को शार्ट सेल करना भी स्पेकुलेशन कहलाता है। जिसमें शेयरों को इस उम्मीद में शार्ट सेल किया जाता है कि कुछ समय बाद इनका प्राइस गिर जायेगा। ज्यादातर स्पेक्युलेटर्स किसी भी शेयर की फंडामेंटल वैल्यू पर ध्यान नहीं देते हैं। इसके बजाय वे पूरी तरह शेयर के प्राइस मूवमेंट पर ध्यान देते हैं और उसके अनुसार futures and options trading करते हैं।
स्पेक्युलेटर्स स्टॉक मार्केट और शेयरों के प्राइस मूवमेंट की दिशा यानि trend का अनुमान लगते हैं। मार्केट ट्रेंड का अनुमान लगाने के लिए स्पेक्युलेटर्स उसकी आर्धिक स्थिति और इन्ट्रिंसिक वैल्यूएशन निकलते हैं। और उसके बाद मार्केट की दिशा का अनुमान लगाकर वर्तमान मार्केट ट्रेंड के विपरीत पोजीशन बनाते है। उदाहरण के लिए-यदि किसी ट्रेडर को लगता है कि शेयर मार्केट में आने वाले समय में गिरावट होगी। तो वह अभी से फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस मार्केट में शार्ट सेल की पोजीशन बना लेगा। और प्राइस गिरने पर कम कीमत पर खरीदकर प्रॉफिट कमा लेगा।
इसके विपरीत अगर स्पेक्युलेटर्स को लगता है कि आने वाले समय में शेयरों के प्राइस बढ़ेंगे तो वह फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस मार्केट में अभी लॉन्ग पोजीशन बना लेगें और प्राइस बढ़ने पर बेचकर प्रॉफिट कमाएगें। इस तरह futures and options trading करके कम पैसे में बड़ी पोजीशन बनायीं जाती हैं। जयादातर स्पेक्युलेटर्स futures and options trading सौदों का सेटलमेंट नकद राशि में चुनते हैं। जिससे एसेट का भौतिक लेनदेन नहीं करना पड़ता है।
Futures & Options Trading में प्रॉफिट कमाना मुश्किल क्यों है?
आजकल फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हो रही है। विशेषकर शार्ट टर्म ट्रेडिंग, खासकर युवाओं में इसे लेकर बहुत क्रेज है। यहाँ तक की बहुत से कॉलेज स्टूडेंट भी इसमें हाथ आजमा रहे हैं। F & O trading करना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल इसमें पैसा कमाना है। सेबी के अनुसार भारत में प्रत्येक 10 में से 09 फ्यूचर्स एंड ऑप्शन्स ट्रेडर्स नुकसान कर रहे हैं। इसी से पता चलता है कि इसमें पैसा कमाना कितना मुश्किल है।
Futures and Options (F&O) Trading में नुकसान से बचने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं-
- खुद को सही ना समझें: यदि आप ऑप्शंस ट्रेडिंग में नुकसान उठा रहे हैं। तो आप बिना वक्त गवाएँ उस पोजीशन से बाहर निकल जाएँ। यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि आप सही हैं, शेयर मार्केट ही गलत है। इसके विपरीत जब आपकी पोजीशन प्रॉफिट में हो तो उस पोजीशन में जल्दी प्रॉफिट बुक न करें। बल्कि ज्यादा समय तक बने रहने की कोशिश करें।
- पेपर ट्रेडिंग से शुरुआत करनी चाहिए: शुरुआत में सीधे futures and options trading ही शुरू नहीं कर देनी चाहिए। क्योंकि इससे आपको भरी नुकसान हो सकता है अतः नुकसान से बचने के लिए आप पहले पेपर ट्रेडिंग करके प्रक्टिस कर लें। उसके बाद कम पैसों से अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की सफलता को जाँच लें। अगर आप उसमे सफल रहते हैं तो उसके बाद ही धीरे-धीरे रकम बढ़ाएं।
- कर्ज लेकर कभी भी ट्रेडिंग न करें: बहुत से लोग दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर इस उम्मीद में F&O trading करते हैं। कि इससे जल्दी ही बहुत सारा पैसा कमा लेगें। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता और लोग कर्ज के दलदल में फंस जाते हैं। इसलिए आपको ऐसा करने से बचना चाहिए।
उम्मीद है, आपको यह फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग (futures and options (F&O) trading) क्या है? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह futures and options (F&O) trading in Hindi. आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यदि इस आर्टिकल के बारे में आपके मन में कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट जरूर करें। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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