Nifty Futures for Beginners: फ्यूचर्स ट्रेडिंग की नए लोग कैसे शुरुआत करें पूरी जानकारी हिंदी में।
क्या आप शेयर मार्केट की दुनिया में नये हैं और निफ्टी फ्यूचर्स ट्रेडिंग में अपना पहला कदम रखना चाहते हैं? अगर हां, तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं! काई नए ट्रेडर्स को निफ्टी फ्यूचर्स एक मुश्किल विषय लगता है लेकिन सही जानकारी और ज्ञान के साथ, आप भी इसमें सफल हो सकते हैं। जानते हैं- फ्यूचर्स ट्रेडिंग की नए लोग कैसे शुरुआत करें पूरी जानकारी हिंदी में। How to trade nifty futures for beginners.
अगर आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको अंकित गाला द्वारा लिखित फ्यूचर्स एंड ऑप्शन की पहचान बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
Nifty Futures क्या है?
Nifty Futures एक प्रकार का डेरिवेटिव (Derivative) कॉन्ट्रैक्ट होता है, जो Nifty 50 इंडेक्स पर आधारित होता है। इसका मतलब है कि आप सीधे शेयर नहीं खरीदते, एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट खरीदते हैं जो भविष्य में Nifty के प्राइस पर आधारित होता है।
इसे एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझ सकते हैं। अगर आपको लगता है कि Nifty 50 इंडेक्स बढ़ेगा तो आपको Nifty Futures खरीदना चाहिए। अगर निफ्टी इंडेक्स का प्राइस बढ़ता है तो आपको प्रॉफिट होगा।
निफ्टी फ्यूचर्स मूल रूप से एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट है, जिसमें आप निफ्टी 50 इंडेक्स की फ्यूचर वैल्यू पर सट्टा लगाते हैं। इसका मतलब यह है कि आप निफ्टी में उछाल या गिरावट पर पैसा कमा सकते हैं, बिना वास्तविक शेयर खरीदें। ये एक समझौता होता है, जहां आप भविष्य की एक निश्चित तारीख पर, एक निश्चित कीमत पर निफ्टी को खरीदते हैं या बेचने का वादा करते हैं।
निफ्टी 50 इंडिया की शीर्ष 50 कंपनियों का एक इंडेक्स है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर सूचीबद्ध है। जब आप निफ्टी फ्यूचर्स ट्रेड करते हैं, तो आप 50 कंपनियों के सामूहिक प्रदर्शन पर ट्रेड कर रहे होते हैं।
निफ्टी फ्यूचर्स में ट्रेड करने के फायदे
निफ्टी में फ्यूचर्स ट्रेडिंग करने के निम्नलिखित फायदे हैं-
- लेवरेज (Leverage): निफ्टी फ्यूचर्स में ट्रेडिंग लॉट साइज में होती है और निफ्टी के एक लॉट में 75 यूनिट होती हैं। जिसे buy & sell करने के लिए बहुत ज्यादा पूँजी की जरूरत पड़ती है। जिसे चुकाना सभी लोगों के लिए संभव नहीं है। अतः ब्रोकर्स द्वारा फ्यूचर्स ट्रेडिंग के लिए लेवरेज (margin) की सुविधा दी जाती है। जिसकी वजह से रिटेल ट्रेडर्स भी निफ्टी फ्यूचर्स में ट्रेडिंग कर पाते हैं। उन्हें ट्रेडिंग के लिए पूरे पैसे चुकाने की जरूरत नहीं पड़ती है। यही इसका सबसे बड़ा फायदा है।
- लिक्विडिटी (Liquidity): निफ्टी फ्यूचर्स में बहुत ज्यादा लिक्विडिटी होती है। जिसका मतलब है कि आप आसानी से ट्रेड में एंट्री और एग्जिट कर सकते हैं। आपको Nifty futures के खरीदार और विक्रेता आसानी से मिल जायेंगे।
- हेजिंग (Hedging): अगर आपके पास कैश मार्केट में निफ्टी से जुड़े शेयर हैं तो आप निफ्टी फ्यूचर्स के द्वारा अपने पोर्टफोलियो को हैज करके मार्केट में होने वाले बड़े उतार-चढ़ाव से बचा सकते हैं।
- सरलता (Simplicity): व्यक्तिगत स्टॉक की तुलना में निफ्टी फ्यूचर्स को ट्रैक करना थोड़ा आसान हो सकता है, क्योंकि आपको सिर्फ एक इंडेक्स पर ध्यान देना होता है।
- दोतरफा प्रॉफिट की संभावना (दोनों तरफ़ मुनाफ़ा): आप बाज़ार के ऊपर जाने (long) और नीचे आने (short-selling) दोनों ही स्थितियों में पैसा कमाते हैं। अगर आपको लगता है कि निफ्टी गिर जाएगा तो आप शॉर्ट सेल कर सकते हैं।
Beginners को निफ्टी फ्यूचर्स ट्रेडिंग शुरू करने से पहले कुछ जरूरी निम्नलिखित बुनियादी बातों को समझना बहुत जरूरी होता है-
- डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें? स्टॉक्स की तरह ही, निफ्टी फ्यूचर्स ट्रेड करने के लिए भी आपका एक डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ेगी। ये कोई भी सेबी-पंजीकृत स्टॉकब्रोकर के पास खुलवाया जा सकता है। आजकल ज्यादातर ब्रोकर्स ऑनलाइन अकाउंट खोलने की सुविधा देते हैं।
- मार्जिन आवश्यकताएं: जैसा कि ऊपर बताया गया है, आपको फ्यूचर्स की कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू का पूरा पैसा नहीं देना होता। ब्रोकर मार्जिन मनी मांगते हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू का एक छोटा सा हिस्सा होता है। ये मार्जिन मनी मार्केट वोलैटिलिटी और stockbroker की नीतियों पर निर्भर करती है। आपको पोजीशन बनाने के लिए इनिशियल मार्जिन मनी जमा कराना पड़ता है। अगर आपके खाते का बैलेंस लेवल से नीचे गिरता है, तो ब्रोकर आपसे अतिरिक्त फंड जमा करने के लिए कहता है, जिसे मार्जिन कॉल कहते हैं।
- लॉट साइज: निफ्टी फ्यूचर्स एक Lot में ट्रेड होते हैं। एक लॉट में निफ्टी की एक निश्चित संख्या होती है। अभी निफ्टी फ्यूचर्स के एक लॉट में 75 यूनिट रहती हैं लेकिन ये बदल भी सकती हैं। आपको एक ट्रेड में कम से कम एक लॉट खरीदना या बेचना होगा। आप निफ्टी फ्यूचर्स की 10 यूनिट खरीद या बेच नहीं सकते हैं।
- कॉन्ट्रैक्ट मंथ और एक्सपायरी डेट: निफ्टी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स हर महीने उपलब्ध होते हैं। चालू महीना, अगला महीना, और दूर का महीना। हर कॉन्ट्रैक्ट की एक एक्सपायरी डेट होती है, जो उस महीने के आखिरी गुरुवार (गुरुवार) को होती है। एक्सपायरी होने पर, सारी ओपन पोजीशन अपने आप सेटल हो जाती हैं। जो लोग अपने कॉन्ट्रेक्ट को अगले महीने के लिए रोलओवर करवाना चाहते हैं उन्हें अतिरिक्त चार्ज देना होता है।
- निफ्टी फ्यूचर मार्केट का समय: एनएसई पर निफ्टी फ्यूचर्स की ट्रेडिंग सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक होती है।
नए लोगों के लिए निफ्टी फ्यूचर्स ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी (Nifty Futures Trading Strategy for Beginners)
ट्रेडिंग में कोई "जादुई" फॉर्मूला नहीं होता लेकिन कुछ बेसिक स्ट्रेटेजीज हैं जो आपको शुरू में मदद कर सकती हैं।
1. ट्रेंड फॉलोइंग स्ट्रेटेजी: प्रसिद्ध निवेशक राकेश झुनझुनवाला कहा करते थे "Trend is Over Friend" . ये सबसे सरल और शुरुआत करने वालों के लिए अच्छी स्ट्रेटेजी है। इसमें आप मार्केट के ट्रेंड को पहचानते हैं और उसके साथ ट्रेड करते हैं।
- ऊपर जाने वाला ट्रेंड (अपट्रेंड): जब निफ्टी लगातार हाई हाई और हायर लो बनता है, तो ये अपट्रेंड होता है। आप लॉन्ग पोजीशन ले सकते हैं।
- नीचे जाने वाला ट्रेंड (डाउनट्रेंड): जब निफ्टी लगातार हाई और लोअर लो बनाता है, तो ये डाउनट्रेंड होता है। आप शॉर्ट पोजीशन ले सकते हैं।
- साइडवेज़ ट्रेंड: जब निफ्टी एक रेंज में मूव करता है बिना किसी क्लियर डायरेक्शन के। ऐसे में ट्रेडिंग से बचना या बहुत छोटे ट्रेड लेना बेहतर होता है।
- मार्केट ट्रेंड कैसे पहचाने: मूविंग एवरेज जैसे इंडिकेटर इसमें मदद करते हैं। जब शॉर्ट-टर्म मूविंग एवरेज लॉन्ग-टर्म मूविंग एवरेज को ऊपर से क्रॉस करे तो ये अपट्रेंड का संकेत हो सकता है।
- स्कैल्पिंग: ये बहुत ही छोटी कीमत में उतार-चढ़ाव पर मुनाफा बनाने की कोशिश है। इसमें बहुत तेजी से ट्रेड एक्जिक्यूट करने होते हैं और बड़ी पूंजी की जरूरत पड़ सकती है। शुरुआती लोगों के लिए ये थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
- मोमेंटम ट्रेडिंग: आप उन स्टॉक्स या इंडेक्स में ट्रेड करते हैं जहां महत्वपूर्ण मूल्य मूवमेंट (मोमेंटम) होता है। बाजार समाचार, घटनाक्रम या बड़े वॉल्यूम इसके ट्रिगर हो सकते हैं।
- सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस ट्रेडिंग: जब निफ्टी एक मूल्य स्तर से बार-बार बाउंस बैक करता है (समर्थन) या एक मूल्य स्तर से नीचे गिरता है (प्रतिरोध), तो एक स्तर पर व्यापार करना।
- स्विंग ट्रेडिंग (कुछ दिनों के लिए पोजीशन रखना): स्विंग ट्रेडिंग में आप पोजीशन को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्ते तक होल्ड कर सकते हैं। ताकि आप छोटे से मध्यम अवधि के मूल्य में उतार-चढ़ाव का फ़ायदा उठा सकें। इसमें आपको हर दिन मार्केट को देखना नहीं पड़ता।
रिस्क मैनेजमेंट (Risk management)
ट्रेडिंग में पैसा कमाना मुश्किल है लेकिन उन्हें नुकसान से बचाना भी मुश्किल है। रिस्क मैनेजमेंट निफ्टी फ्यूचर्स ट्रेडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है-
- स्टॉप-लॉस का महत्व: Stoploss एक पूर्व-निर्धारित प्राइस लेवल होता है। जहां आप अपनी पोजीशन को बंद कर देते हैं। ताकि आपका नुकसान एक निश्चित सीमा से ज्यादा न हो। ये आपके कैपिटल को बड़े नुकसान से बचाता है। अतः Nifty Futures trading में हमेशा स्टॉप-लॉस का प्रयोग करें।
- कैपिटल प्रोटेक्शन टिप्स: कभी भी अपनी पूँजी का 1 से 2% से ज्यादा एक ट्रेड में नहीं लगाना चाहिए। अगर आपके पास एक लाख रूपये की कैपिटल है तो आपको एक ट्रेड में 1000 से 2000 रूपये से ज्यादा नहीं लगाने चाहिए।
- पोजीशन साइजिंग (Position Sizing): आपको अपनी कैपिटल और रिस्क सहने की क्षमता के हिसाब से ही पोजीशन साइज डिजाइन करना चाहिए। कभी भी जरूरत से ज्यादा Lot size नहीं लेना चाहिए अन्यथा आप मुसीबत में पड़ सकते हैं।
- पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन: कभी भी एक ही इंडेक्स या स्टॉक में फ्यूचर ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। हमेशा अपनी पोजीशन को हैज करके चलना चाहिए।
- भय और लालच से बचें (Fear & Greed): शेयर मार्केट में ये दो सबसे बड़े दुश्मन हैं। डर के चलते आप अच्छे ट्रेडों से जल्दी निकल सकते हैं, और लालच के चलते आप बड़े नुकसान ले सकते हैं।
- ट्रेडिंग डिसिप्लिन (Trading Discipline): आपको हमेशा अपने ट्रेडिंग प्लान का रिस्क मैनेजमेंट के साथ पालन करना चाहिए। तभी आप Nifty Futures Trading में सफल हो सकते हैं।
Nifty Futures के लिए टेक्निकल एनालिसिस कैसे करें?
निफ्टी फ्यूचर्स में ट्रेडिंग के लिए आपको टेक्निकल एनालिसिस करना भी जरूर आना चाहिए। इससे आप प्राइस चार्ट और इंडीकेटर्स का उपयोग करके फ्यूचर प्राइस मोमेंटम का अनुमान लगा सकते हैं-
1. कैंडलस्टिक पैटर्न की समझ: कैंडलस्टिक चार्ट प्राइस मोमेंटम को देखने का सबसे अच्छा तरीका है। प्रत्येक कैंडलस्टिक चार्ट एक निश्चित टाइम फ्रेम (1 मिनट, 5 मिनट, 15 मिनट, 30 मिनट, 1 ऑवर और डेली आदि) को दर्शाता है। जिसमें वह ओपन प्राइस, क्लोजिंग प्राइस, हाई और प्राइस को दर्शाता है।
2. महत्वपूर्ण इंडीकेटर्स: बहुत सारे टेक्निकल इंडीकेटर्स जैसे RSI, MACD, ADX, SMA, MA आदि हैं। जिनकी मदद से आप प्राइस ट्रेंड की दिशा को जान सकते हैं। कुछ मत्वपूर्ण टेक्निकल इंडिकेटर्स निम्नलिखित हैं-
- RSI: ये इंडिकेटर आपको बता देगा कि निफ्टी ओवरबॉट है या ओवरसोल्ड है। यदि निफ्टी का RSI 70 के ऊपर है तो यह ओवरसोल्ड माना जायेगा। अगर यह 30 के नीचे है तो निफ़्टी ओवरबॉट माना जायेगा
- बोलिंगर बैंड्स:
- MACD: यह मोमेंटम और प्राइस ट्रेंड में बदलाव को दर्शाता है।
- बोलिंगर बैंड: यह निफ़्टी की वोलैटिलिटी और प्राइस रेंज को बताता है। जब बैंड का आकर टाइट होता है , तब वोलैटिलिटी कम और जब इसका आकर फैल जाता है तब वोलैटिलिटी बढ़ जाती है।
3. सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल: चार्ट पर सपोर्ट लेवल वह होता है, जहाँ से प्राइस गिरना बंद हो जाता है। अतः आपको निफ्टी के सपोर्ट लेवल पर buying करनी चाहिए। इसी तरह रेजिस्टेंस लेवल वह प्राइस होता है, जिससे ऊपर प्राइस नहीं जा पाता है। यानि जिस लेवल से प्राइस बार-बार गिरता है, आपको रेजिस्टेंस लेवल पर निफ़्टी में बिकवाली (short selling) करनी चाहिए।
उम्मीद है, आपको फ्यूचर्स ट्रेडिंग की नए लोग कैसे शुरुआत करें पूरी जानकारी हिंदी में आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह How to trade nifty futures for beginners.आर्टिकल पसंद आया हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।
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