Jio Financial service: जियो फाइनेंशियल सर्विसेज शेयर के बारे में जानें?
जियो फाइनेंशियल सर्विसेज भारत की एक वित्तीय सेवाएं देने वाली भारतीय (NBFC ) कंपनी है। यह पहले रिलायंस इंडस्ट्री की सब्सिडियरी कंपनी थी। लेकिन अब अगस्त 2023 में इसे अलग से स्टॉक मार्केट में लिस्ट करा लिया गया है।
चूँकि यह अभी नई कंपनी है इसलिए इसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। यह कंपनी किस-किस क्षेत्र में अपना विस्तार करेगी इस आर्टिकल में विस्तार से बताया गया हैं। आइए जानते हैं- जियो फाइनेंशियल सर्विसेज शेयर के बारे में। Jio Finance Services Share Price in Hindi.
Jio Financial Services लोन, बीमा, डिजीटल पेमेंट, डिजिटल ब्रोकिंग और एसेट मैनेजमेंट के क्षेत्र में काम करना चाहती है। इसलिए इसने दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकरॉक के साथ जॉइंट वेंचर भी बनाया है।
यदि आप सही मायने में शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना सीखना चाहते हैं। तो आपको वारेन बफे के गुरु बैंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित बुक द इंटेलीजेंट इन्वेस्टर एक बार जरूर पढ़नी चाहिए।
Jio Financial Share price ( जियो फाइनेंसियल शेयर प्राइस )
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल ही में अपने फाइनेंशियल बिजनेस को अलग किया है। जिसे उसने जियो फाइनेंशियल सर्विसेज नाम दिया है। 20 जुलाई को इसकी प्री-लिस्टिंग में इसका प्राइस 261.85 रूपये निकलकर आया था। जोकि ब्रोकरेज कंपनियों के अनुमान से ज्यादा था। 21 अगस्त 2023 को BSE पर इसकी लिस्टिंग 265 रूपये पर हुई थी। जबकि NSE पर यह 262 रूपये पर लिस्ट हुआ था।
लेकिन इस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स और पैसिव फंड्स की बिकवाली के कारण यह शेयर तीन दिनों तक लगातार लोअर सर्किट में फंसा रहा। फ़िलहाल ( 26-09-2023 ) Jio financial Services का शेयर 230 रूपये के करीब ट्रेड कर रहा है।
रिलायंस इंडस्ट्री ने अपने शेयरहोल्डर्स से वादा किया था। 20 जुलाई को इसके सभी शेयरहोल्डर्स को 1:1 के अनुपात में जियो फाइनेंशियल का शेयर मिलेगा। यानि, यदि किसी के पास रिकॉर्ड डेट को रिलायंस इंडस्ट्री के 100 शेयर थे। तो उसे 100 शेयर Jio Financial Services ( JFS ) के भी मिलेंगे। उस समय रिलायंस इंडस्ट्री के शेयर प्राइस में उछाल, इस बात का संकेत था कि लोग JFS के शेयर अग्रिम रूप से लेना चाहते थे।
Jio financial services पहले रिलायंस इंडस्ट्री के फाइनेंस विभाग का हिस्सा थी। तब इसका नाम रिलायंस स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंटस लिमिटेड हुआ करता था। बाद में इसे बदलकर जियो फाइनेंशियल सर्विसेज कर दिया गया था। रिलायंस की वार्षिक एकीकृत रिपोर्ट 2022-23 की प्रेस रिलीज में मुकेश अंबानी जी ने कहा कि जियो फाइनेंशियल का लक्ष्य सरल किफायती और इनोवेटिव डिजिटल-फर्स्ट सॉल्यूशन प्रदान करना है।
आज का भारत बहुत तेज गति से डिजिटल फाइनेंस को अपना रहा है। आगे उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति जनधन खातों, डिजीटल पेमेंट और स्मार्ट फोन के उपयोग और कम लागत वाले डेटा के माध्यम से देश के कौने-कौने तक पहुंच चुकी है। इसमें जियो फाइनेंशियल भी अपना अहम योगदान देगी। अडानी पावर
Jio Financial services ( JFS ) क्या काम करती है?
यह कंपनी जमा स्वीकार नहीं करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है। कंपनी अपने बुनियादी ढांचे, फिजिकल और डिजिटल पहुंच के साथ समाज के सभी वर्गों के लोगों तक पहुंच रखती है। और उनके विश्वास को बनाये रखने के लिए व्यापक समाधान प्रदान करती है।
जियो फाइनेंशियल सर्विस एक वित्तीय सेवाएं देने वाली कंपनी है। जिसके अंतर्गत अलग-अलग कारोबार करने वाली 6 कंपनियाँ आती हैं। यानि जियो फाइनेंशियल की 6 निम्नलिखित सब्सिडियरी कंपनियां हैं- अडानी इंटरप्राइजेज
- रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट एंड होल्डिंग्स ( RIILHL )
- रिलायंस पेमेंट सोल्यूशंस
- जियो पेमेंट बैंक
- रिलायंस रिटेल इंश्योरेंस बैंकिंग
- रिलायंस रिटेल फाइनेंस
- जियो इन्फॉर्मेशन एग्रीगेटर सर्विसेज
जियो फाइनेंस शुरुआत में कंज्यूमर ड्यूरेबल ( रेफ्रिजरेटर्स, एयरकंडीशनर्स, वाशिंग मशीन, टेलीविजन आदि ) के उपभोक्ताओं द्वारा लिए जाने वाले लोन पर फोकस करना चाहती है। क्योंकि इसके रिलायंस रिटेल स्टोर्स पर पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम खरीदने के लिए लोन लेने वाले ग्राहक भी हैं।
Jio Financial services के डीमर्जर के कारण
पिछले कई वर्षों से रिलायंस इंडस्ट्री से रिलायंस रिटेल और जियो को अलग करने की खबरें मार्केट में आती रही हैं। परन्तु रिलायंस इंडस्ट्री से जियो फाइनेंशियल को अलग किया। मार्केट के जानकर अधिकांश लोगों के लिए यह बड़ी आश्चर्य की बात थी। रिलायंस इंडस्ट्री द्वारा अपने फाइनेंशियल सर्विस बिजनेस को अलग करने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं- जियोजित फाइनेंशियल
- सबसे पहली बात तो यह है, कि फाइनेंशियल सर्विस बिजनेस के विकास और विस्तार के लिए। अलग रणनीति और अलग तरह के निवेशकों की जरूरत होती है। कुछ निवेशक रिलायंस में अपने पैसे को रखने के बजाय, किसी बढ़ते हुए बिजनेस में लगाना चाह सकते हैं।
- दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि जियो फाइनेंशियल अन्य NBFCs के साथ पर्तिस्पर्धा करेगी। फाइनेंशियल सर्विस कंपनी लोगों को लोन देने के बिजनेस में होती है। बैंकों की तरह NBFCs, लोगों के सेविंग और करंट अकाउंट खोलकर पैसा एकत्र नहीं कर सकती हैं। अतः इन्हें पहले मार्केट से पैसा उधार लेना होता है और उसके बाद लोगों को पैसा उधार देना होता है। वारेन बफे की बायोग्राफी
- यदि फाइनेंशियल सर्विस कारोबार रिलायंस इंडस्ट्री के अंतर्गत ही रहता। तो इससे रिलायंस इंडस्ट्री की बेलैंस शीट पर कर्ज अधिक दिखाई देता। जो कंपनी और उसके शेयरहोल्डर्स पसंद नहीं करते और इससे कंपनी के फंडामेंटल भी कमजोर दिखाई पड़ते। क्योंकि अधिक कर्ज वाली कंपनियों को अच्छा नहीं माना जाता है।
- एसेट मैनेजमेंट कंपनी, इंश्योरेंस सेलिंग कंपनी और लोन देने वाली कंपनियों को अलग इकाई के रूप में चलाना बहुत अच्छा रहता है। क्योंकि इनके रूल्स और रेग्युलेशंस अलग होते हैं और इनको लागू करने वाली सरकारी संस्थाएं भी अलग होती हैं। अतः फाइनेंशियल कंपनियों को अलग इकाई के रूप में चलाने के लिए लाइसेंस लेना भी आसान हो जाता है। मार्केट सेंटीमेंट
क्या जियो फाइनेंशियल का इतना प्रचार उचित है?
निवेशकों द्वारा हाल ही में शुरू किए गए व्यवसाय को प्रीमियम मूल्यांकन देने का मुख्य कारण रिलायंस का इतिहास है। हर कोई जानता है कि रिलायंस ने भारत के टेलीकॉम सेक्टर में कैसे अपनी इतनी जबरदस्त पैठ बनायीं है। निवेशकों को रिलायंस से वित्तीय क्षेत्र में भी इसी तरह अपनी पैठ बनाने की उम्मीद है।
इसकी संभावना से कोई इनकार नहीं कर सकता है। लेकिन निवेशकों को यहां एक महत्वपूर्ण बात समझने की जरूरत है - एनबीएफसी क्षेत्र में रूल्स एंड रेग्युलेशंस बेहद सख्त है। Jio financial Services को ऊपरी स्तर की एनबीएफसी के रूप में टैग किया गया है। कंपनी के लिए बैंक बने बिना बैंक की तरह कार्य करना कठिन है। इसे NBFCs के लिए बनें रूल्स एंड रेग्युलेशंस का सख्ती से पालन करना होगा। इलियट वेव थ्योरी
Jio Financial Service के शेयर की मांग का एक और कारण यह है कि ज्यादातर निवेशकों का मानना है कि लगभग 25 करोड़ खुदरा ग्राहक और 44 करोड़ दूरसंचार ग्राहक कम समय में इसके कारोबार को मजबूत कर सकते हैं। जेएफएस अभी बहुत शुरुआती चरण में है। अतः अभी यह अनुमान लगाना कठिन होगा कि क्या यह उस स्तर तक पहुंच पाएगा जिसकी निवेशक उम्मीद कर रहे हैं और क्या मूल्यांकन उचित है?
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