Types of Stock: शेयर कितने प्रकार के होते हैं?

शेयर मार्केट में स्टॉक और शेयर दोनों शब्दों को शेयर मार्केट इक्विटी के लिए यूज किया जाता है। आप इक्विटी (प्रतिभूति) के स्टॉक या शेयर किसी भी शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस आर्टिकल में शेयर (stocks) क्या होते हैं? कंपनी अपनी पूंजी को शेयरों में क्यों डिवाइड करती है? Share/stocks कितने प्रकार के होते हैं? के बारे में विस्तार से बताया गया है। 

शेयर  निवेश (investment) करने का एक साधारण तरीका है। जिसके द्वारा आप आसानी से शेयर मार्केट के द्वारा वेल्थ क्रिएट कर सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं- शेयर कितने प्रकार के होते हैं? Stocks/share aur stocks kitne types ke hote hai Hindi. 

                                                                                
Stocks kya hote hai


अगर आप भी शेयर मार्केट से वेल्थ क्रिएट करना चाहते हैं तो आप मार्क डगलस द्वारा लिखित मैंने शेयर मार्केट से 0 से 10 करोड़ रूपये कैसे कमाए पढ़ सकते हैं। 

Share/Stocks क्या होते हैं?

शेयर का हिंदी में मतलब होता है, अंश या हिस्सा। शेयर किसी कंपनी की पूंजी का सबसे छोटा हिस्सा होता है।  उदाहरण स्वरूप मान लेते हैं कि XYZ एक कंपनी है। जिसकी संपूर्ण पूंजी 100 रूपये है। यदि इस कंपनी की 100 रूपये की पूंजी को 100 बराबर भागों में डिवाइड कर दिया जाए। तो इसका प्रत्येक हिस्सा एक शेयर कहलाएगा। इस तरह इस कंपनी की पूंजी में 100 शेयर होंगे और प्रत्येक शेयर की कीमत एक रूपये होगी।

जिस व्यक्ति के पास XYZ  कंपनी के जितने शेयर होंगे। वह उतने ही प्रतिशत हिस्से का मालिक होगा। XYZ  कंपनी में व्यक्तियों की हिस्सेदारी, (shareholding) को आसानी से इस तरह समझ सकते हैं। जैसे किसी व्यक्ति के पास कंपनी के 10 शेयर हैं तो इस कंपनी के 10% हिस्से का मालिक होगा। यदि किसी व्यक्ति के पास इस कंपनी के 50 शेयर हैं तो वह 50% हिस्से का मालिक होगा।

किसी कंपनी के 1% या इससे ज्यादा का हिस्सेदार बनने के लिए करोड़ों अरबों में रूपये चुकाने पड़ते हैं। क्योंकि शेयर मार्केट में लिस्ट कंपनियों के शेयरों की संख्या करोड़ों में होती है। इसे समझने के लिए रिलायंस कंपनी का उदाहरण लेते हैं। 

रिलायंस इंडस्ट्रीज के stocks की संख्या लगभग 644.51 करोड़ है। वैसे तो कोई आम आदमी रिलायंस कंपनी में इतनी बड़ी हिस्सेदारी नहीं खरीद सकता है। लेकिन फिर भी हम और आप कल्पना तो कर ही सकते हैं। वैसे मैं एक उदाहरण के तौर पर बता रही हूँ। यदि कोई व्यक्ति रिलायंस कंपनी के 1% का मालिक बनना चाहते हैं। तो इसके लिए उसको को रिलायंस इंडस्ट्रीज के लगभग 645,00000 शेयर खरीदने होंगे। 

यदि अभी की बात की जाए तो मार्केट में रिलायंस के एक शेयर की कीमत करीब 2933. 00 रूपये के आसपास चल रही है। इस तरह रिलायंस के 1% हिस्से के मालिक बनने के लिए आपको हजारों करोड रुपए चुकाने पढ़ सकते हैं। वैसे तो आप कंपनी का एक शेयर खरीद कर भी उसके छोटे से हिस्से के मालिक बन सकते हैं। यदि आप किसी कंपनी के 100-200 शेयर भी खरीदते हैं, तो यह भी उस कंपनी का बहुत ही छोटा हिस्सा होगा। 

कंपनी अपने Stocks क्यों बेचती है? 

अब यहां पर सवाल उठता है कि कंपनियों को अपनी पूंजी को शेयर में क्यों डिवाइड करना पड़ता है? जैसे कि रिलायंस कंपनी ने अपनी पूंजी को इतने  ज्यादा करोड़ों Stocks में क्यों डिवाइड किया हुआ है? इसके क्या कारण हैं? कंपनी को अपना बिजनेस बहुत बड़ा करने के लिए पैसों की जरूरत होती है और कंपनी इतना ज्यादा पैसा वह बैंकों से लोन पर भी नहीं लेना चाहती है। 

अतः कंपनी अपने शेयर आईपीओ के द्वारा लोगों को बेचकर पैसा जुटाती है। इस पैसे से कंपनी अपने बिजनेस को बढ़ाती हैं और अपने लोन को भी चुकती हैं। जैसे-जैसे कंपनी ग्रो करती है और प्रॉफिट कमाती है। वैसे-वैसे ही उस कंपनी के शेयर की कीमत भी बढ़ती जाती है। बहुत सारी कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स  को डिविडेंड भी देती हैं।

शेयरों में पैसा निवेश करने वाले लोगों को दो तरह से फायदा होता है, पहला- उन्हें डिविडेंड मिलता है। दूसरा फायदा यह है कि जब कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है तो उसके शेयरों की कीमत भी बढ़ती है, बढ़ी हुई कीमत पर शेयरों को बेचकर लोग उनसे profit भी कमा सकते हैं। 

कंपनियों के प्रकार 

कंपनियां निम्नलिखित चार प्रकार की होती है- 
  1. Sole Proprietor Business Company: सोल प्रोपराइटर बिजनेस कंपनी में अकेला व्यक्ति की 100% हिस्से का मालिक होता है। इसमें मालिक ही संपूर्ण पूँजी लगाता है इसलिए वही पूरी कंपनी का मालिक होता है।
  2. Partnership Business Company: पार्टनरशिप बिजनेस कंपनी में कम से कम दो लोग या इससे अधिक लोग कंपनी के मालिक होते हैं। सभी पार्टनर के बीच में प्रॉफिट व लॉस का रेश्यो पहले से ही तय होता है। किसी कंपनी में तो उनके मध्य 50-50% का प्रॉफिट-लॉस का फार्मूला तय होता है। यह भी हो सकता है कि दोनों ही पार्टनर ने उस कंपनी में 50-50% पैसा लगाया हो। उपर्युक्त उदाहरण से यह पता चलता है कि उपयुक्त कंपनी के दोनों पार्टनर कंपनी के 50-50% हिस्से के मालिक हैं। ट्विटर कंपनी 
  3.  Private Limited Company: प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में भी इसी तरह होता है। इसमें भी कम से कम 2 या इससे ज्यादा लोग मालिक होते हैं।  इसमें भी अलग-अलग मालिकों का फिक्स्ड कैपिटल होता है। साथ ही उनके प्रॉफिट और लॉस का रेश्यो भी पहले से फिक्स होता है। सभी पार्टनर अपने हिस्से के अनुसार ही कंपनी में पूंजी लगाते हैं। पार्टनरशिप बिजनेस हो या फिर प्राइवेट लिमिटेड बिजनेस यहां पर आपको शेयर्स का कांसेप्ट देखने को मिलेगा। प्राइवेट लिमिटेड और पार्टनरशिप बिजनेस में पार्टनर की एक लिमिट होती है।
  4.  Public Limited or Listed Company: पब्लिक लिमिटेड और लिस्टेड कंपनी में कम से कम सात मालिक होते हैं। अधिकतम सदस्यों की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं होती है। यानी कि किसी पब्लिक लिमिटेड कंपनी में लाखों और करोड़ों लोग भी मालिक बन सकते हैं। यह लाखों और करोड़ों लोग कंपनी के स्टॉक्स खरीदकर मालिक बन सकते हैं। यदि मैं, आप या कोई भी व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर खरीदता है तो वह अपने शेयर के हिस्से के बराबर भाग का, उस कंपनी का मालिक बन जाता है। 
इस तरह आप देखेंगे कि पब्लिक लिमिटेड कंपनी में शेयर का जो कांसेप्ट है, वह काम करता है। पब्लिक लिमिटेड कंपनी की संपूर्ण पूँजी शेयरों में बंटी होती है। अगर आप इंडिया की बात करें तो आप देखेंगे कि यहां पर बड़ी-बड़ी कंपनियां जैसे कि टीसीएस, एचयूएल, एचडीफसी,आईटीसी, टाटा पावर आदि कंपनियों की संपूर्ण पूंजी लाखों-करोड़ों शेयरों में बंटी हुई है। 

आशा है, अब आप समझ गए होंगे की क्यों सोल (sole) छोटी कंपनियों में शेयरों का कांसेप्ट देखने को नहीं मिलता है। जबकि पार्टनरशिप बिजनेस कंपनी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और पब्लिक लिमिटेड कंपनी में आपको शेयर्स का कांसेप्ट देखने को मिलता है। इस आर्टिकल में आपने जाना कि शेयर क्या होते हैं? कंपनी अपनी पूंजी को शेयर में क्यों डिवाइड करती है? किस तरह की कंपनी में आपको शेयर का कांसेप्ट देखने को मिलता है?

Types of Share (शेयरों के प्रकार)

शेयर मार्केट में हजारों शेयर लिस्ट है, इनमें से अपने लिए सही शेयर चुनना बहुत ही मुश्किल है। इसलिए इन्वेस्टर्स और स्टॉक ट्रेडर्स की सहायता करने के लिए शेयरों को निम्नलिखित कैटेगरी में विभाजित किया गया है।

मार्केट कैपेटलाइजेशन के आधार पर Stocks का वर्गीकरण 

कंपनी की संपूर्ण शेयरहोल्डिंग को उसका मार्केट केपीटलाइजेशन कहा जाता है। इसे कैलकुलेट करने के लिए कंपनी के संपूर्ण शेयरों को उसके करंट शेयर प्राइस से गुणा किया जाता है। मार्केट केपीटलाइजेशन के आधार पर शेयर तीन तरह के होते हैं- लार्ज कैप (Large Cap) और मिड कैप (Mid Cap) स्मॉल कैप (Small Cap) 

Large Cap में ज्यादातर  ब्लू चिप कंपनियों के शेयर आते हैं, जो कि स्थापित शेयर होते हैं। जिनका मार्केट केपीटलाइजेशन बहुत ज्यादा होता है, ज्यादातर लार्ज कैप कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 25000 करोड रुपए से ज्यादा होता है। लार्ज कैप शेयरों में इन्वेस्टर्स को अन्य कंपनियों (मिड कैप और स्माल कैप) के मुकाबले हाई डिविडेंड मिलता है। 

Mid Cap मिड कैप स्टॉक्स में मीडियम साइज की कंपनियां आती है, जिनकी मार्केट केपीटलाइजेशन 5000 करोड़ से लेकर 25000 करोड़ तक होती है। मिड-कैप कंपनियों का अच्छा ट्रेक रिकॉर्ड होता है, इनमें अच्छी ग्रोथ  देखने को मिलती है।

Small Cap स्मॉल कैप शेयरों की, शेयर मार्केट में सबसे कम वैल्यू होती है।  इसमें वह कंपनियां होती है, जिनकी मार्केट कैप 5000 करोड़ रुपए से कम होती है। यह कंपनियां भविष्य में तेजी से ग्रोथ करने का की सामर्थ्य रखती है। ज्यादातर मल्टीबैगर स्टॉक्स स्मॉल कैप कंपनियों से ही निकलते हैं स्मॉल-कैप कंपनियों के शेयर हाई वोलेटाइल होते हैं। 

2. Ownership के आधार पर Stocks वर्गीकरण

ओनरशिप के आधार पर share को तीन भागों में विभाजित किया गया है। जो उनको अलग राइट और ग्रोथ प्रदान करते है। ओनरशिप स्टॉक्स के प्रकार निम्नलिखित होते हैं- 
  1. Preferred Stocks: प्रेफर्ड स्टॉक इन्वेस्टर्स को प्रत्येक वर्ष फिक्स अमाउंट में डिविडेंड देते हैं। प्रिफर्ड स्टॉक्स का प्राइस वोलेटाइल नहीं होता है। प्रेफर्ड स्टॉक होल्डर्स के पास वोटिंग राइट नहीं होते हैं।
  2. Common Stocks: कॉमन स्टॉक्स का प्राइस वोलेटाइल होता है। कंपनी के प्रॉफिट का पहला हिस्सा कॉमन स्टॉक होल्डर्स को जाता है। इनके पास वोटिंग राइट्स होते हैं। 
  3. Hybrid Stocks: हाइब्रिड स्टॉक्स उन कंपनियों के होते हैं। जिनमें प्रेफरड शेयर को, कॉमन शेयर में कन्वर्ट करने का ऑप्शन दिया जाता है। कुछ कंडीशन और टाइम पीरियड के साथ इन्हें कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर भी कहा जाता है। 

3. Dividend Payment के आधार पर Stocks का वर्गीकरण

इसमें भी निम्नलिखित दो प्रकार के स्टॉक्स होते है-
  1. ग्रोथ स्टॉक्स (growth stocks)  
  2. इनकम स्टॉक्स (Income stocks) 

Growth Stocks: ग्रोथ स्टॉक्स में हाई डिविडेंड नहीं मिलता है क्योंकि यह कंपनियां अपने प्रॉफिट को कंपनी में इन्वेस्ट कर देती है। जिसकी वजह से ऐसी कंपनियां तेज ग्रोथ करती है। जिसके कारण से ऐसी कंपनियों के शेयर की कीमत भी ज्यादा तेजी से बढ़ती है। 

जिसके कारण इन्वेस्टर को हाई रिटर्न मिलता है। यह शेयर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के लिए अच्छे माने जाते हैं। लेकिन ग्रोथ स्टॉक हाई रिस्क वाले होते हैं। डब्बा ट्रेडिंग क्या है?

Income Stocks इनकम स्टॉक्स में बहुत अच्छा डिविडेंड मिलता है इसीलिए इन्हें इनकम स्टॉक्स कहा जाता है।  जिसके कारण इनके इन्वेस्टर्स को डिविडेंड से लगातार हाई इनकम होती रहती है। हालांकि इन कंपनियों की ग्रोथ हाई नहीं होती इसलिए इन कंपनियों का share प्राइस भी ज्यादा नहीं बढ़ता है। 

डिविडेंड से मिलने वाली इनकम पर, इनकम टैक्स भी नहीं लगता है। ऐसे शेयर उन लोगों के लिए सही रहते हैं, जो  कम रिस्क के साथ निश्चित आमदनी भी चाहते हैं। शेयर मार्केट स्कैम 1992

4. Fundamentals के आधार पर Share वर्गीकरण

किसी भी शेयर की ट्रू वैल्यू (true value) को जानने के लिए उसकी इंस्ट्रिक्ट वैल्यू (Intrinsic value) का पता लगाते हैं। जिसमें शेयर प्राइस की अलग-अलग component के आधार पर तुलना करते हैं। जैसे कि अर्निग्स और प्रॉफिट आदि के आधार  पर तुलना करते हैं। इसमें भी निम्नलिखित दो तरह के शेयर होते हैं- 
  1. अंडरवैल्यू शेयर 
  2. ओवर वैल्यू शेयर। 
Undervalue Share: अंडरवैल्यू शेयर का प्राइस इनकी इंस्ट्रीक्ट वैल्यू (Intrinsic value)  से कम होता है। इस तरह के शेयरों में ज्यादातर वैल्यू इन्वेस्टर निवेश करते हैं। उनका यह मानना होता है कि अंडरवैल्यू शेयर का प्राइस भविष्य में जरूर बढ़ेगा। 

Overvalue Share: ओवर वैल्यू शेयरों का प्राइस इन शेयरों की इंस्ट्रीक्ट वैल्यू से ज्यादा होता है। उसे ओवर वैल्यू शेयर कहते हैं। ऐसे स्टॉक्स में इन्वेस्ट करने से बचना चाहिए। 

5. Risk रिस्क के आधार शेयरों का वर्गीकरण

ज्यादा रिस्क वाले शेयरों में ही ज्यादा लाभ होने की संभावना छिपी रहती है। इसी तरह कम रिस्क वाले शेयरों में रिटर्न भी कम मिलता है। रिस्क वाले शेयर भी दो तरह के होते हैं- बीटा स्टॉक्स (Beta Stocks) ब्लू चिप स्टॉक्स (Blue Chip Stocks 

1. Beta Stocks बीटा स्टॉक्स में रिस्क मैनेजमेंट को शेयर की वोलेटीलिटी के आधार पर मापा जाता है। बीटा पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों प्रकार का हो सकता है। Beta यह बताता है कि स्टॉक, Share Market के साथ move करेगा या उससे अलग। 

स्टोक्स का Beta जितना अधिक होता है, उतना ही उसमें रिस्क होता है। अगर Beta की वैल्यू, एक से ज्यादा होती है। इसका मतलब है कि share, स्टॉक मार्केट से ज्यादा volatile है। बहुत सारे इन्वेस्टर हाई बीटा स्टॉक्स के मेजरमेंट की जानकारी का उपयोग करके, शेयरों में इन्वेस्टमेंट के निर्णय लेते हैं।

 2. Blue Chip Stocks: ब्लू चिप स्टॉक्स में वह कंपनियां होती हैं, जो कर्जमुक्त होती है या उन पर बहुत कम कर्ज होता है। ब्लू चिप कंपनियों  के प्रॉफिट में स्टेबिलिटी अधिक होती है। जिसकी वजह से यह कंपनियां अपने इन्वेस्टर्स को लगातार डिविडेंड दे पाती हैं। 

इसमें बहुत बड़ी-बड़ी और जानी-मानी कंपनियां होती है। जैसे कि आईसीआईसी बैंक, एसबीआई, इंफोसिस आदि। ब्लू चिप कंपनियों का बहुत सालों से लगातार फाइनेंसियल प्रदर्शन अच्छा रहता है। इसीलिए इन्वेस्टर इन में किए गए इन्वेस्टमेंट को सेफ इन्वेस्टमेंट समझते हैं। 

 6. Price Trend के आधार पर Stocks वर्गीकरण 

प्राइस ट्रेंड में यह देखा जाता है कि कंपनी की अर्निग्स के आधार पर शेयर का प्राइस ट्रेंड रहता है। इसमें भी निम्नलिखित दो तरह के स्टॉक होते हैं- 
  1. डिफेंसिव स्टॉक (Defensive Stocks)   
  2. सिक्लिकल स्टॉक्स (Cyclical Stocks) 
1. Defensive Stocks: डिफेंसिव शेयर वे होते हैं, जिन पर देश की आर्थिक स्थिति अच्छी हो या बुरी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। वे अपने फंडामेंटल के हिसाब से चल रहे होते हैं। जब शेयर मार्केट खराब प्रदर्शन कर रहा होता है तब शेयर मार्केट के दिग्गज निवेशक इनमें निवेश करते हैं। इसके अंतर्गत एफएमसीजी और बेवरेज कंपनियों के शेयर आते हैं। 

2. Cyclical Stocks सिक्लिकल स्टॉक वे होते हैं, जो देश की आर्थिक स्थिति से बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं। शेयर मार्केट ट्रेंड की वजह से इनके प्राइस में बहुत ज्यादा चेंज आता है। इस तरह ये शेयर, बुल मार्केट में बहुत तेजी से ग्रो करते हैं। इसी तरह मार्केट में गिरावट होने पर इस तरह के शेयरों  में बहुत ज्यादा गिरावट होती है जैसे कि ऑटोमोबाइल स्टॉक्स आदि। 

उम्मीद है, अब आप जान गए होंगे कि Share/stocks क्या होते हैं और stocks कितने प्रकार के होते हैं? Stocks/share kya hai aur stocks kitne type ke hote hai Hindi.  आशा है, आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे आपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। आप मुझे facebook पर भी फॉलो जरूर करें। 

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