फाइनेंशियल मार्केट ट्रेडर्स ( Trader in Finance ) कौन होते हैं?

ट्रेडर फाइनेंशियल मार्केट में वह व्यक्ति, फर्म या entity होता है। जो एजेंट, हेजर या स्पेक्युलेटर की क्षमता से स्टॉक्स, डेरिवेटिव, फॉरेक्स करेंसी, क्रिप्टोकरेंसी, बांड, कमोडिटी और म्यूच्यूअल फंड्स जैसे फाइनेंस इंस्ट्रूमेंटस को buy & sell ( खरीदता और बेचता ) करता है। आइए विस्तार से जानते हैं-  ट्रेडर्स क्या हैं ( Trader in Finance ) और ट्रेडर्स क्या करते हैं?  What is a Trader in Finance in Hindi. 

                                                                                       
Trader Finance


अगर आप स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट बनकर शेयर मार्केट से अथाह धन कमाना चाहते हैं तो आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसों का पेड कैसे लगाएं बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

Trader क्या होता है? 

ट्रेडर वह व्यक्ति होता है, जो अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति अथवा संस्था के लिए किसी भी फाइनेंशियल मार्केट में एसेट की खरीद और बिक्री करता है। ये मुख्यतः शेयर मार्केट में Stock trading करते हैं। एक ट्रेडर और इन्वेस्टर में मुख्य अन्तर एसेट को होल्ड करने के पीरियड का होता है। 

इन्वेस्टर्स लॉन्ग-टर्म के लिए किसी एसेट यानि स्टॉक्स, करेंसी आदि को होल्ड रखते हैं। जबकि ट्रेडर्स शार्ट-टर्म ट्रेंड का लाभ उठाने के लिए स्टॉक्स को कम समय के लिए होल्ड करते हैं। Traders प्रॉफिट कमाने के लिए कई तरह की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज का उपयोग करते हैं। 

जिसमे डे-ट्रेडिंग, स्केल्पिंग और स्विंग ट्रेडिंग आदि शामिल हैं। ट्रेडर्स की तुलना उन इन्वेस्टर्स से की जा सकती है, जो शार्ट -टर्म प्रॉफिट की बजाय लॉन्ग -टर्म कैपिटल गेन चाहते हैं। एक trader का मुख्य उद्देश्य कम प्राइस पर एसेट्स खरीदकर ज्यादा प्राइस पर बेचकर प्रॉफिट कमाना होता है। 

ट्रेडर्स फाइनेंशियल एसेट्स को खरीदते और बेचते हैं। जिनमें Stocks, करेंसी, बांड्स, डेरिवेटिव्स, कमोडिटी और म्यूच्यूअल फंड्स आदि शामिल हैं। प्रॉफिट कामने के लिए स्टॉक मार्केट और स्टॉक्स का कई तरीके से एनालिसिस किया जाता है। जैसे फंडामेंटल एनालिसिस, टेक्निकल एनालिसिस और क्वांटिटेटिव एनालिसिस आदि। 

Stock market एनालिसिस के द्वारा आप मार्केट ट्रेंड का पता लगाकर ट्रेडिंग के अवसरों की पहचान कर सकते हैं। Traders अपने प्रोफेशन से जुड़े रिस्क को भी मैनेज करते हैं। जिसमें मार्केट रिस्क, क्रेडिट रिस्क और लिक्विडिटी रिस्क आदि शामिल हैं। ट्रेडर्स फाइनेंशियल मार्केट से जुड़े रिस्क को कम करने के लिए हेजिंग स्ट्रेटेजीज का उपयोग करते हैं। 

ट्रेडर्स Indian Financial Market को लिक्विडिटी प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी गतिविधियां फाइनेंशियल मार्केट के सुचारुरूप से कामकाज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह उत्पादक उपयोगों के लिए पूँजी आवंटन के लिए जरूरी है। 

Traders के लिए स्किल की जरूरत 

शेयर मार्केट में सफल होने के लिए ट्रेडर्स के पास कई तरह की स्किल होनी चाहिए। जैसे उन्हें मार्केट का टेक्निकल एनालिसिस, फंडामेंटल एनालिसिस और क्वांटिटेटिव एनालिसिस करना आना चाहिए। साथ ही उन्हें चार्ट रीडिंग में भी महारत हाँसिल होनी चाहिए। 

ट्रेडर्स को Market trend, कैंडलस्टिक पैटर्न्स, सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस और टेक्निकल इंडीकेटर्स का भी सम्पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। साथ ही ट्रेडर्स को एसेट क्लास, मार्केट डायनेमिक्स और मार्केट में अपनायी जाने वाली विभिन्न trading strategies के बारे में गहरी समझ जरूर होना चाहिए। और उन्हें विश्लेषणात्मक होना चाहिए। 

ट्रेडर्स जिस भी फाइनेंशियल मार्केट में ट्रेडिंग कर रहे हों। उसके बारे में उन्हें गहरी समझ होनी चाहिए। साथ ही उन्हें उसके बारे में जल्दी से बड़ी मात्रा में सही डेटा निकलना और उसका विश्लेषण करके सही ट्रेडिंग डिसीजन लेना आना चाहिए। इसलिए ट्रेडर्स को अंकगणितीय स्किल का आना बहुत जरूरी है। Traders को कठिन फाइनेंशियल प्रॉब्लम को कैलकुलेट करना आना चाहिए।

ट्रेडर्स को रिस्क मैनेजमेंट में भी निपुण होना चाहिए। वे trade में कितना रिस्क उठा सकते हैं। इसका उन्हें अनुमान होना चाहिए और उन्हें अपनी trading position की लगातार निगरानी करनी चाहिए। ट्रेडर्स को प्रॉफिट और मार्जिन बनाये रखने के लिए स्टॉप-लॉस और लिमिट ऑर्डर का बखूबी उपयोग करना आना चाहिए। 

ट्रेडर्स के लिए कम्युनिकेशन भी महत्वपूर्ण स्किल होता है। उन्हें अपने सहकर्मियों, ग्राहकों, बॉस और अन्य स्टेकहोल्डर्स को प्रभावी ढंग से समझाना आना चाहिए कि उनका ट्रेडर क्या कर रहा है? Traders के पास हाई इमोशनल इंटेलिजेंस होनी चाहिए, जिससे वे सूचित निर्णय ले सकें। Trading एक इंटेंस प्रोफेशन है इसलिए ट्रेडर्स को तनावपूर्ण क्षणों में अपने इमोशंस को प्रभावी ढंग से मैनेज करना आना चाहिए। 

ट्रेडिंग रणनीतियाँ  ( Trading Strategies ) 

ट्रेडर्स शेयर मार्केट से प्रॉफिट कमाने के लिए कई ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज अपनाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज जैसे स्केलिंग, स्विंग ट्रेडिंग, डे-ट्रेडिंग, पोजीशनल ट्रेडिंग, इवेंट ट्रेडिंग आदि प्रमुख हैं। इसमें ध्यान देने योग्य बात यह है कि कोई भी trading strategies अपने आप में फूलप्रूफ नहीं होती है। सभी ट्रेडिंग स्ट्रेटजीस के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। Traders को अपनी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी को इम्प्लीमेंट करते समय रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो का ध्यान रखना चाहिए। 

Trading Strategies के बारे में संक्षिप्त जानकारी 
  1. Day Trading: डे ट्रेडिंग की स्ट्रेटेजी की एक ही दिन के अंदर फाइनेंशियल एसेट जैसे स्टॉक, करेंसी, इंडेक्स, डेरिवेटिव आदि को buy - sell करके पोजीशन को बंद कर दिया जाता है। Day traders अपनी ट्रेडिंग पोजीशन को कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटे तक ही होल्ड रखते हैं। वे बदलती मार्केट परिस्थितियों के हिसाब से अपने लेनदेन को संचालित करते हैं। डे ट्रेडर्स लेवरेज ( मार्जिन ) पोजीशन के द्वारा डे ट्रेडिंग करते हैं। 
  2. Scalping: स्केल्पिंग में छोटे-छोटे प्रॉफिट पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसमें stocks, फ्यूचर्स एंड ऑप्शन, करेंसी, कमोडिटी आदि की बहुत छोटे profit के लिए बहुत तेज गति से खरीद और बिक्री की जाती है। स्कैलपर्स शार्ट-टर्म में होने वाले प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं। स्कैलपर्स द्वारा स्केल्पिंग ट्रेडिंग पोजीशन को होल्ड करने की समय सीमा कुछ सेकेंड्स से लेकर मिनट तक होती है।
  3. Swing Trading: स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक, करेंसी, इंडेक्स, डेरिवेटिव, कमोडिटी आदि फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में शार्ट-टर्म से लेकर मीडियम टर्म तक के प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमाने की कोशिश की जाती है। स्कैलपर्स और डे ट्रेडर्स के विपरीत स्विंग ट्रेडर्स अपनी पोजीशन को कई दिनों, हफ्तों या महीनों तक होल्ड कर सकते हैं। आमतौर पर स्विंग ट्रेडिंग को स्कैल्पिंग और डे ट्रेडिंग की तुलना में कम रिस्की माना जाता है। क्योंकि स्विंग traders के पास निर्णय लेने के लिए अधिक समय होता है। लेकिन फिर भी इसमें जोखिम भी शामिल है क्योंकि न्यूज़ और इवेंट स्विंग ट्रेडर्स के पोर्टफोलियो के price trend को प्रभावित कर सकते हैं।
  4. Position Trading: पोजीशनल ट्रेडर्स या पोजीशन ट्रेडिंग करने वाली कोई फर्म या इंडिविजुअल व्यक्ति हो सकता है। जो लॉन्ग-टर्म के लिए स्टॉक, करेंसी, इंडेक्स, डेरिवेटिव, कमोडिटी आदि फाइनेंशियल एसेट को खरीदकर होल्ड कर सकते हैं। अथवा शार्ट-सेलिंग भी कर सकते हैं। पोजिशनल ट्रेडिंग में हफ्तों, महीनों या वर्षो तक पोजीशन को होल्ड किया जा सकता है। पोजीशन को होल्ड करने का टाइमफ्रेम इन्वेस्टर की थीसिस के साथ-साथ देश के इकोनॉमिक हालात और मार्केट के आउटलुक पर निर्भर करता है।लॉन्ग-टर्म दृश्टिकोण को वजह से पोजिशनल ट्रेडिंग को अन्य ट्रेडिंग रणनीतियों की तुलना में कम जोखिम भरा माना जाता है। 
  5. Event Trading: इवेंट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में किसी विशेष आर्थिक घटना, जैसे कंपनी का विलय या अधिग्रहण, कंपनी के वित्तीय परिणाम, आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी, कंपनी के बारे में नियामक का कोई निर्णय आदि। किसी भी कारण से प्रभावित कंपनी के stock के प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमाने की कोशिश की जाती है। इवेंट ट्रेडर्स को प्रॉफिट कमाने के लिए डेटा जारी होने से कुछ सेकेंड्स पहले मार्केट में पोजीशन बनानी होती है। इवेंट ट्रेडर्स भी अपने प्रॉफिट को बढ़ाने के लिए लेवरेज का उपयोग करते हैं। 
  6. Noise Trading: नॉइज़ ट्रेडिंग एक जरनल टर्म है, जिसका उपयोग ऐसे ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स का वर्णन करने के लिए किया जाता है। जो बिना प्रोफेशनल एडवाइस और टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के बिना ही स्टॉक, करेंसी, इंडेक्स, डेरिवेटिव, कमोडिटी आदि फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में ट्रेडिंग करते हैं। नॉइज़ मार्केट में असंतुलन पैदा करता है। जिसका लाभ प्रोफेशनल ट्रेडर्स उठाते हैं। अक्सर रिटेल और अनुभवहीन ट्रेडर्स को नॉइज़ ट्रेडर्स कहा जाता है। इनके पास trading से प्रॉफिट कमाने के लिए जरूरी टूल्स की भी कमी होती है। 

Trader कैसे बनें? 

फाइनेंशियल मार्केट में प्रोफेशनल ट्रेडर बनने के लिए पढ़ाई, ट्रेनिंग और लाइसेंसिंग की जरूरत हो सकती है। एंट्री लेवल ट्रेडिंग जॉब के लिए कम से कम स्नातक की डिग्री की जरूरत होती है। नियोक्ता ऐसे स्नातकों की तलाश करते हैं जिन्होंने कॉमर्स स्ट्रीम में ग्रेजुएशन किया है। ट्रेडिंग फर्म में हायर लेवल पदों के लिए MBA की डिग्री को ज्यादा महत्व दिया जाता है। 

ट्रेडर्स को नियुक्त करने वाली कंपनियां अक्सर कर्मचारी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती रहती हैं। जिसमें फर्म के द्वारा खरीदे-बेचे जाने वाले एसेट्स के बिजनेस के बारे में सिखाया जाता है। स्टॉक ब्रोकर और इन्वेस्टमेंट बैंकर के साथ काम करने के लिए ट्रेडर्स को वित्तीय नियामक SEBI से लाइसेंस लेना पड़ता है। 

जिसमें फाइनेंशियल मार्केट के बारे में आपके ज्ञान के स्तर को जानने के लिए परीक्षा पास करनी पड़ती है। चार्टड फाइनेंशियल एनालिस्ट ( CFA  ) और चार्टड मार्केट टेक्नीशियन ( CMT ) जैसे प्रोफेशनल प्रमाणपत्र ट्रेडर्स के कैरियर को और एडवांस उंचाईयों पर पहुंचा देते हैं। 

Finance में trading जरूरी क्यों है? 

कई ऐसे कारण है जिनकी वजह से फाइनेंशियल मार्केट में ट्रेडिंग बहुत महत्वपूर्ण है। ट्रेडिंग की वजह से फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में प्राइस डिस्कवरी और लिक्विडिटी जैनरेट होती है। साथ ही कैपिटल फ्लो भी बढ़ता है, जिससे एसेट्स की प्राइस एफिशिएंसी बढ़ती है। 

ट्रेडिंग के माध्यम से मार्केट पार्टिसिपेंट्स फाइनेंशियल एसेट्स की फेयर वैल्यू की तरफ बढ़ते हैं। ट्रेडिंग से एसेट्स में ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ता है। जिससे स्टॉक, करेंसी, इंडेक्स, डेरिवेटिव, कमोडिटी आदि फाइनेंशियल एसेटस का त्वरित ट्रांसफर संभव हो पाता है। 

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