Swing Trading: क्या है और स्विंग ट्रेडिंग से पैसे कैसे कमायें?
स्विंग ट्रेडिंग, ट्रेडिंग का एक तरीका है जिसमे शेयरों के कुछ दिन से लेकर महीनों तक के प्राइस मूवमेंट से लाभ कमाने का प्रयास किया जाता है। साथ ही रिस्क/रिवार्ड रेश्यो का भी ध्यान रखा जाता है। Swing traders ट्रेड में सूटेबल एंट्री और एग्जिट के लिए टेक्निकल एनालिसिस टूल्स का उपयोग भी करते हैं।
ट्रेड की अतिरिक्त सतर्कता के लिए फंडामेंटल एनालिसिस का भी सहारा लेते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं- स्विंग ट्रेडिंग क्या है और स्विंग ट्रेडिंग से पैसे कैसे कमायें? Swing Trading in Hindi.
यदि आप स्विंग ट्रेडिंग के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आप रवि पटेल द्वारा लिखित स्विंग ट्रेडिंग विथ टेक्निकल एनालिसिस बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
आप स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज का उपयोग शेयर मार्केट के साथ-साथ क्रिप्टोकॉरेन्सी, कमोडिटी और फोरेक्स ट्रेडिंग के लिए भी कर सकते हैं। यदि आप डेली चार्ट के ऊपर सिर्फ कैंडलस्टिक के ऊपर एक साल तक काम करके, स्विंग ट्रेडिंग करते रहें।
अगर आप चार्ट के हिसाब से सही टाइम स्विंग ट्रेड लेते रहें और सही टाइम पर उस ट्रेड से निकलते रहें। तो आप अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं। इस तरह आप साल में कम से कम पचास प्रतिशत प्रॉफिट करेंगे या इससे भी ज्यादा सिर्फ कैंडलस्टिक पैटर्न का यूज करके कमा सकते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग पर ट्रेड बहुत अच्छे मिलते हैं। दस-पाँच दिन वाले, इस तरह के ट्रेड करने में अपने आप को परफेक्ट बनाये। जिससे कुछ और करने की जरूरत ही नहीं पड़े। इसमें स्केनिंग भी आसान है ट्रेड ढूढ़ना भी आसान है, आपको कुछ एक्स्ट्रा करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
स्विंग ट्रेडिंग क्या है?
इसे एक प्रकार से फंडामेंटल ट्रेडिंग के रूप में वर्णित किया गया है। जिसमे पोजीशन एक दिन से अधिक दिन तक रखी जाती है। ट्रेडर्स शार्ट-टर्म प्रॉफिट के लिए टेक्निकल एनालिसिस टूल्स का यूज करते हैं। फंडामेंटल एनालिसिस का यूज करने वाले ट्रेडर्स ज्यादातर स्विंग ट्रेडिंग ही करते हैं।
यदि किसी कंपनी के फंडामेंटल बदलते हैं तो उनका असर उस कंपनी के शेयर पर आने में कुछ समय तक रहता है। Swing trading का तरीका इंट्राडे ट्रेडिंग या डेट्रेडिंग और ट्रेंड (trend) ट्रेडिंग के बीच कहीं होता है।
- Day Trading डे ट्रेडिंग में शेयर होल्डिंग का समय वैरी शार्ट-टर्म, यानि एक दिन से भी कम का होता है। इसमें प्रॉफिट प्रति ट्रेड बहुत कम होता है, इसे इंट्राडे ट्रेडिंग भी कहते हैं।
- Swing Trading स्विंग ट्रेडिंग में शेयर होल्डिंग का समय शार्ट से मीडियम टर्म होता है। इसमें प्रॉफिट प्रति ट्रेड, डे ट्रेडिंग से अधिक होता है लेकिन ट्रेंड, डे ट्रेडिंग से कम होता है।
- Trend Trading ट्रेंड ट्रेडिंग में शेयर होल्डिंग समय सबसे अधिक होता है। इसमें ब्रोकरेज कम होने के कारण प्रॉफिट ज्यादा हो सकता है।
- स्विंग ट्रेडिंग, डे ट्रेडिंग और ट्रेंड ट्रेडिंग के बीच की ट्रेडिंग होती है।
- स्विंग ट्रेडर्स जब पोजीशन लेते हैं तो उसे सप्ताह से लेकर महीनों तक होल्ड करते हैं। उसके बाद उम्मीद के मुताबिक प्रॉफिट लेकर पोजीशन से बाहर होते हैं।
- सफल Swing trading की सफलता की पहली कुंजी ट्रेडिंग के लिए सही शेयर का चुनाव करना है। ऐसे शेयर चुनने चाहिए जो वोलेटाइल हो और जिनमें हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम रहता हो।
- स्विंग ट्रेडिंग मार्केट की स्थितियों पर निर्भर करती हैं हालाँकि हर प्रकार मार्केट के लिए अलग-अलग ट्रेड होते हैं।
- Swing trading में टेक्निकल एनालिसिस, प्राइस चैनल और फंडामेंटल एनलिसिस का प्रयोग किया जाता है।
स्विंग ट्रेडिंग के लिए सही शेयर का चुनाव कैसे करें?
स्विंग ट्रेडिंग में प्रॉफिट कमाने के लिए सही शेयर का चुनाव करना जरूरी है। सही शेयर के चुनाव में दो तथ्यों वोलेटिलिटी और हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
स्विंग ट्रेडिंग के लिए ऐसे लार्ज-कैप शेयर का चुनाव करना चाहिए, जिसमे प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज पर हाई वॉल्यूम, एक्टिव ट्रेडिंग होती हो। एक्टिव मार्केट में इन शेयरों में ज्यादा लेन-देन होता है। यदि सिक्युरिटी में कम वॉल्यूम होगा तो ऐसे शेयर को बेचना मुश्किल हो जायेगा या डिस्काउंट पर भी बेचना पड़ सकता है।
किसी भी शेयर में volatility स्विंग ट्रेडर्स के लिए अच्छी होती है। शेयरों के प्राइस में बिना उतार-चढ़ाव के पैसे कमाने का कोई अवसर नहीं होता है। वोलेटिलिटी को अच्छा नहीं समझा जाता है, लेकिन वोलेटिलिटी की ही वजह से शेयर के प्राइस में उतार-चढ़ाव आता है।
जिन स्टॉक्स में ज्यादा वौलेटिलिटी होती है उन्हें Swing trading के लिए अच्छा माना जाता है। इनमें प्रॉफिट कमाने के ज्यादा अवसर मिलते हैं। शेयर मार्केट से पैसा कामना इतना भी आसान नहीं है, यह भी शेयर मार्केट का एक कड़वा सच है।
फाइनेंशियल मार्केट या शेयर मार्केट में तीन तरह के ट्रेंड्स होते हैं-
- Bull Market Trend (बुल मार्केट ट्रेंड)
- Bear Market Trend (बेयर मार्केट ट्रेंड)
- Sideway Market Trend (साइडवे मार्केट ट्रेंड)
बुल मार्केट स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी
बेयर मार्केट की तुलना में Bull Market में ट्रेडिंग से पैसा कामना आसान होता है क्योंकि बुल मार्केट में प्राइस में तेजी का दौर होता है। सिक्युरिटी को खरीदने के कुछ समय बाद उसके प्राइस में वृद्धि का अनुभव करना आसान होता है। फिर भी बुल मार्केट के दौरान Swing trading करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बुल मार्केट में प्राइस हायर हाई बनाता है, जिसकी वजह से अपनी ट्रेडिंग पोजीशन को प्रॉफिट में क्लोज करने की संभावना अधिक होती है। इससे शेयर के प्राइस मंहगे हो जाते हैं इसलिए आपको भी स्टॉक्स मंहगे खरीदने के लिए तैयार रहना चाहिए।
Bull market में अक्सर ट्रेडिंग की बुरी आदतें बन जाती हैं। स्टॉक्स को खरीदकर होल्ड करने से पहले परिश्रम करना चाहिए। यानि कि शेयरों के बारे में रिसर्च करें और अच्छे शेयरों को ही होल्ड करें, स्टॉक्स में डायवर्सिफिकेशन रखें। यदि आप सोचते हैं कि प्रत्येक शेयर में ट्रेड करके पैसा कमा लेंगे तो यह संभव नहीं है।
लेवरेज पर विचार करें, लेवरेज ट्रेडिंग जिसे मार्जिन ट्रेडिंग भी कहा जाता है। यह सभी के लिए नहीं है, इसमें जोखिम बहुत ज्यादा है। अतः मार्जिन ट्रेडिंग करने से पहले अपनी रिस्क उठाने की क्षमता पर विचार करना चाहिए। अगर आपको निश्चित रूप से लगता है कि मार्केट में आपके अनुमान के अनुसार ही ट्रेंड जारी रहने वाला है तो ही आपको मार्जिन ट्रेडिंग करना चाहिए।
बेयर मार्केट स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी
बेयर मार्केट स्विंग ट्रेडिंग नॉर्मल buy and sell ट्रेड से अधिक कठिन है। डाउनट्रेंड के समय लॉन्ग-टर्म में Stock market में कीमतें गिरती हैं। इसलिए स्टॉक्स को खरीदकर कुछ दिन या कुछ महीनें के लिए प्रॉफिट कमाने के लिए होल्ड करना लाभप्रद नहीं रहता है। लेकिन बेयर मार्केट में भी कई तरह की Swing trading स्ट्रेटजीज बनाई जा सकती हैं। इसके लिए आप RSI टेक्निकल इंडिगेटर का यूज कर सकते हैं।
बेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए शेयर के होल्डिंग टाइम को कम रखना चाहिए। अपनी पोजीशन को ज्यादा समय तक होल्ड करने के बजाय तेजी से टर्नअराउंड करने के लिए तैयार रहें। अपने पास नकद पैसा ज्यादा रखें। किसी इवेंट के कारण प्राइस नीचे आने पर आप भी शेयर खरीदकर Swing trading कर सकते हैं। मार्केट एक्सपर्ट बनने के लिए market terms को सीखना चाहिए।
अगर आपको लगता है कि मार्केट में गिरावट आने वाली है तो अभी खरीदने और बाद में बेचने के बजाय। अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग करना जानते है तो पहले बेचे फिर खरीदें। इसे शार्ट-सेलिंग कहते हैं, इसमें शेयरों को पहले बेचा जाता है और बाद में खरीदा जाता है। यह भी एक स्विंग ट्रेडिंग की स्ट्रेटजी है।
साइडवे मार्केट स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी
स्विंग ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छी परिस्थतियाँ तब होती हैं। जब मार्केट साइडवे ट्रेंडिंग होता है। जब मार्केट Bull और Bear के बीच झुल रहा होता है। जब मार्केट में अनिश्चित और अस्थिरता का माहौल होता है। तब Swing trading की अच्छी ट्रेडिंग पोजीशन स्ट्रेटजी बनायीं जा सकती हैं। टाटा पावर
वोलेटिलिटी, ट्रेडिंग के लिए अच्छी होती है, जब मार्केट दोनों साइड में वोलेटाइल होता है। जब वोलेटिलिटी एक तरफा (Bull or Bear) हो जाती है। तब स्विंग ट्रेड से अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। यदि प्राइस एक ही जगह पर स्थिर होते होते हैं तब ट्रेड करना मुश्किल होता है।
यदि आपने अपनी पोजीशन को होल्ड कर रखा है तो आपका नुकसान कम हो सकता है। एल्गो ट्रेडिंग मजबूत डाउनट्रेंड के बाद मार्केट में दोबारा उछाल आने के बहुत ज्यादा चांस रहते हैं।
ईएमए (EMA) स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटेज
सिक्युरिटी के कुछ निश्चित दिन के एवरेज प्राइस को मूविंग एवरेज कहा जाता है। दिन आप अपने हिसाब से तय कर सकते हैं। बुलिश और बेयरिश पैटर्न में सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) स्टॉन्ग सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल का काम करते हैं।
सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस का उपयोग शेयर खरीदने और बेचने के लिए किया जाता है। बुलिश और बेयरिश क्रॉसओवर उस प्राइस का सिग्नल देते हैं। जिस पर आपको शेयर खरीदने और बेचने चाहिए।
आपको स्टॉक मार्केट में यूज होने वाले टेक्निकल टर्म यानि टेक्निकल शब्दों को भी सीखना चाहिए। ये आपके बहुत काम आएंगे। एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) का ही एक प्रकार है। EMA नये डेटा बिन्दुओ पर अधिक जोर देता है। साथ ही SMA औसत प्राइस की तुलना में तेज और साफ ट्रेड में एंट्री और एग्जिट के संकेत देता है।
बेसिक EMA क्रॉसओवर में 30 डे और 50 डे एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज क्रॉसओवर महत्वपूर्ण होता है। बुलिश क्रॉसओवर तब आता है, जब 30 दिन का एवरेज प्राइस नीचे रहने के बाद 50 दिन के मूविंग एवरेज से ऊपर चले जाते हैं। यह दर्शाता है कि ट्रैंड रिवर्सल आ रहा है, अपट्रेंड स्टार्ट हो सकता है।
इसी तरह जब प्राइस ऊपर रहने के बाद 30 दिन का मूविंग एवरेज 50 दिन के मूविंग एवरेज के नीचे चला जाता है। इसका मतलब डाउनट्रेंड स्टार्ट हो रहा है। तब शार्ट-सेल की पोजीशन बनाई जा सकती है। EMA क्रॉसओवर का उपयोग Swing trading के लिए किया जा सकता है।
जब शेयर के 9 दिन के प्राइस का EMA 13 दिन के EMA को ऊपर की तरफ क्रॉस करे जब लॉन्ग ट्रेड लेना चाहिए। इसी तरह जब सिक्युरिटी के 13 दिन के प्राइस का मूविंग एवरेज 20 दिन के मूविंग एवरेज को ऊपर की तरफ क्रॉस करे तब भी मार्केट में खरीदारी करना चाहिए। इसी तरह और भी बहुत से मूविंग एवरेज क्रॉसओवर होते हैं। कड़वा सच
इसी तरह जब सिक्युरिटी के 13 दिन के प्राइस का मूविंग एवरेज 20 दिन के मूविंग एवरेज को नीचे की तरफ क्रॉस करे। इसका मतलब अब डाउनट्रेंड स्टार्ट हो रहा है आप शार्ट-सेल की पोजीशन बना सकते हैं।
बेस लाइन वैल्यू का उपयोग करना
ऐतिहासिक डेटा पर बहुत अधिक शोध से साबित हुआ है कि Swing trading के लिए अनुकूल मार्केट में शेयर के प्राइस की बेसलाइन के ऊपर और नीचे स्विंग ट्रेडिंग के लिए बहुत अच्छी अपॉर्चुनिटी होती है। एक बार जब स्विंग ट्रेडर्स, स्टॉक चार्ट पर चित्रित EMA की बेसलाइन को पहचानकर उसका उपयोग ट्रेडिंग के लिए करते हैं। जब स्टॉक बेसलाइन के ऊपर जाता है, तब वे शेयर में खरीदारी करते हैं। जब स्टॉक बेसलाइन के नीचे जाता है, तब वे उसे बेचते हैं।
Swing trading के अनुकूल माहौल में स्विंग ट्रेडर्स स्टॉक प्राइस के बेसलाइन पर पहुंचने का इंतजार करते हैं। ट्रेड लेने से पहले ट्रेंड (दिशा) को पहचानते हैं फिर trend के हिसाब से लॉन्ग या शार्ट की पोजीशन बनाते हैं।
प्रॉफिट बुक करना
यानि मुनाफा लेना, स्विंग ट्रेडर को चैनल लाइन के करीब ऊपर या नीचे अपना प्रॉफिट ले लेना चाहिए। ज्यादा सटीक होने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे जोखिम बढ़ सकता है। यदि ट्रेंड ज्यादा स्टॉन्ग है तो चैनल लाइन पर भी प्रॉफिट ले सकते हैं।
यदि मार्केट ट्रेंड कमजोर है तो प्राइस के चैनल लाइन को हिट करने से पहले प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए। क्योंकि कमजोर ट्रेंड में प्राइस रिवर्सल जल्दी आ सकता है। रिलेटिव स्ट्रेंथ
स्विंग ट्रेडिंग के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs
मैं स्विंग ट्रेडिंग कैसे कर सकता हूँ?
Swing trading करने के लिए अग्रिम पूँजी की आवश्यकता होती है। यह चार्टिंग सॉफ्टवेयर और टेक्निकल एनालिसिस पर बहुत निर्भर करता है। स्विंग ट्रेडिंग शुरू करने से पहले आपको सिंपल मूविंग एवरेज और ट्रेडिंग चैनल, सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल आदि को भी समझना चाहिए।
मैं स्विंग ट्रेडिंग से कितने पैसे कमा सकता हूँ?
यदि आप स्विंग ट्रेडिंग करने में सफल रहते हैं तो आप इससे काफी पैसा कमा सकते हैं। लेकिन स्विंग ट्रेडिंग से बहुत ज्यादा पैसा कमाने के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत होती है। क्योंकि इसमें पोजीशन को कुछ दिन से लेकर कुछ सप्ताह और कुछ महीनें तक होल्ड करने की जरूरत पड़ती है। इस वजह से कम पैसे में ट्रेडिंग की अन्य ट्रेडिंग स्ट्रेटजी ज्यादा पैसा कमाकर दे सकती हैं।
Swing trading के लिए टेक्निकल एनालिसिस की जरूरत पड़ती है। उचित कौशल के बिना नये ट्रेडर्स इसमें नुकसान उठा सकते हैं। मार्केट में वोलेटिलिटी से स्विंग ट्रेडिंग के अनुकूल स्थिति पैदा होती है। स्थिर मार्केट में स्विंग ट्रेडिंग से अच्छा पैसा नहीं कमाया जा सकता है।
क्या स्विंग ट्रेडिंग रिस्की है?
अन्य शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग स्ट्रेटजीज की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग कम रिस्की है। टेक्निकल एनालिसिस का सही यूज और शेयरों को कुछ समय तक होल्ड करने के से जोखिम कम होता है। स्विंग ट्रेडर्स को ट्रेड में एंट्री और एग्जिट करने के बिंदुओं की ट्रेड लेने से पहले पहचान कर लेनी चाहिए। जिससे पोजीशन में फंस ना जाएँ। एल्गो ट्रेडिंग भी मार्केट से प्रॉफिट कमाने का एक अच्छा तरीका है।
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