शेयर मार्केट में रिस्क मैनेजमेंट (Risk management in Stock market) कैसे करें?
Risk management शेयर मार्केट ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग का एक महत्वपूर्ण पहलू है। शेयर मार्केट स्वभाविक रूप से वोलेटाइल और बहुत सारे जोखिमों से भरा होता है। इसलिए शेयर मार्केट ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग में थोड़ी सी लापरवाही से आपको भारी नुकसान हो सकता है। शेयर मार्केट ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग के जोखिम को कम करने के लिए अपनायी जाने वाली रिस्क मैनेजमेंट रणनीतियों (Risk management Strategy) को ही रिस्क मैनेजमेंट कहा जाता है।
सरल शब्दों में कहें तो रिस्क मैनेजमेंट, शेयर मार्केट ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट से जुड़े जोखिम को कम करने की निगरानी प्रक्रिया है। आइए विस्तार से जानते हैं- शेयर मार्केट में रिस्क मैनेजमेंट (Risk management in Stock market) कैसे करें? Risk management in Stock market in Hindi.
यदि आप शेयर मार्केट एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको शेयर मार्केट की सबसे ज्यादा बिकने वाली बुक द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर्स बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
Risk management in Stock market क्या है?
सभी प्रकार के ट्रेड और इन्वेस्टमेंट में जोखिम हमेशा से रहा है। और यह जोखिम शेयर मार्केट का एक अनिवार्य हिस्सा है। वैसे तो जोखिम उन सभी कामों में होता है, जो आपको करने नहीं आते हैं। कुछ जोखिम प्रकृति प्रदत भी होते हैं। जैसे खेत में फसल उगाने पर भी जोखिम होता है क्योंकि भारी बारिश और तूफान की वजह से फसल बर्बाद हो सकती है। इसी प्रकार शेयर मार्केट इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को अपने सभी लेनदेन में हर कदम पर जोखिम से गुजरना पड़ता है। इसी वजह से Stock Market Risk management स्ट्रेटेजीज की शुरुआत हुई है।
रिस्क मैनेजमेंट के शुरुआती प्रयास बहुत अनौपचारिक थे। एक अध्ययन के अनुसार ट्रेडिंग में अनौपचारिक रूप से रिस्क मैनेजमेंट टेक्नीक्स की शुरुआत द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हुई थी। 1950 के बाद रिस्क मैनेजमेंट, एसेट के बीमा के रूप में था। जिसमें कंपनियों और व्यक्तियों के लिए प्राइस में उतार-चढ़ाव से बचाव के लिए बीमा किया जाता था। जब धीरे-धीरे बीमा की कीमत बढ़ने लगी, तो अगले कुछ दशकों में इसके अलटर्नेटिव के रूप में अंतर्राष्ट्रीय जोखिम नियम बनें। और फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (डेरिवेटिव) की शुरुआत भी मार्केट के जोखिम को कम करने के लिए ही हुई थी।
Risk management in Stock market के प्रमुख सिद्धांत
रिस्क तो शेयर मार्केट में हमेशा से ही रहा है और आगे भी रहेगा। लेकिन कुछ ऐसे सिद्धांत हैं, जिन्हें अपनाकर आप भी शेयर मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग के दौरान अपने रिस्क को कम कर सकते हैं। स्टॉक मार्केट में रिस्क मैनेजमेंट करने के कुछ सिद्धांत निम्नलिखित हैं।
अपने पोर्टफोलियो Diversified को करें
पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन एक ऐसी स्ट्रेटेजी है। जो पोर्टफोलियो जोखिम को कम करने के प्रयास में एक पोर्टफोलियो के भीतर विभिन्न प्रकार के निवेशों को मिश्रित करती है। पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन अक्सर स्टॉक, बॉन्ड, रियल एस्टेट या क्रिप्टोकरेंसी जैसे विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करके किया जाता है।
शेयर मार्केट की अलग-अलग कंपनियों और सेक्टर में इन्वेस्ट करने को भी पोर्टफोलियो डावर्सिफिकेशन कहते हैं। यह शेयर मार्केट के रिस्क को कम करने का सबसे अच्छा उपाय है। इसमें आपको अलग-अलग सेक्टर्स की कंपनियों और अलग-अलग Asset Classes जैसे बांड्स, ईटीएफ आदि में इन्वेस्ट करना चाहिए। इससे आप किसी शेयर और सेक्टर के खराब प्रदर्शन की वजह से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।
क्योंकि आपके पोर्टफोलियो में शामिल कोई सेक्टर या शेयर अच्छा प्रदर्शन करेगा तो कोई खराब। खराब प्रदर्शन से होने वाले नुकसान की भरपाई, अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयरों और सेक्टर्स से हो जाएगी। अलग-अलग सेक्टर्स और शेयर, म्यूच्यूअल फंड्स, ईटीएफ और अन्य इन्वेस्टमेंट साधनों में निवेश करके आप डावर्सिफाइड पोर्टफोलियो बना सकते हैं।
एसेट एलोकेशन (Asset Allocation)
अपने लक्ष्यों के (जरूरत) के हिसाब से अलग-अलग एसेट में इन्वेस्टमेंट करना चाहिए। इसी को एसेट एलोकेशन कहा जाता है। इसमें आपको अपने इन्वेस्टमेंट को अलग-अलग एसेट में इन्वेस्ट करना होता है। जैसे शेयर, बांड्स, म्यूच्यूअल फंड्स, ईटीएफ आदि। अपको अपने पास कम से छः महीनें के खर्च के बराबर केश रखना चाहिए। आपकी एसेट एलोकेशन का निर्णय आपका व्यक्तिगत निर्णय होना चाहिए।
आपके लिए सबसे अच्छा एसेट एलोकेशन वह हो सकता है। जो समय के साथ आपकी बदलती और बढ़ती हुई जरूरतों को पूरा कर सकें। एसेट एलोकेशन आपकी रिस्क उठाने की क्षमता और आप कितने समय तक निवेशित रह सकते हैं, इस पर निर्भर करता है। एसेट एलोकेशन को एक इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी बनाकर कार्यान्वित किया जाता है। जिसमें रिस्क-रिवार्ड रेश्यो को अपनाया जाता है और जोखिम सहनशीलता, निवेश का लक्ष्य तथा समय सीमा का भी ध्यान रखा जाता है।
एसेट एलोकेशन का एक उदाहरण- विकास का एसेट एलोकेशन 50/50 प्रतिशत है। यानि उसने 50 प्रतिशत शेयर और 50 प्रतिशत बांड्स में निवेश किया हुआ है। इसमें पांच वर्ष बाद शेयरों का जोखिम 15 प्रतिशत कम हो जाता है। जिसके परिणामस्वरूप विकास पांच वर्ष बाद अपने 15 प्रतिशत शेयर बेचकर उस पैसे को शेयरों में इन्वेस्ट कर सकता है। जिससे उसका पोर्टफोलियो 65/35 प्रतिशत हो जायेगा। एक संतुलित एसेट एलोकेशन मार्केट के जोखिम को काफी कम कर देता है।
जोखिम सहने की क्षमता का आंकलन
जोखिम सहने की क्षमता बाज़ार की अस्थिरता और हानि की वह मात्रा है। जिसे आप एक निवेशक और ट्रेडर के रूप में स्वीकार करने को तैयार हैं। आपकी व्यक्तिगत जोखिम सहनशीलता का निर्धारण शायद सबसे बुनियादी कदम है। जिसे आप यह तय करके उठा सकते हैं कि आपको किस प्रकार का निवेश करना है। शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले आपको, अपनी रिस्क सहने की क्षमता को अच्छे से समझ लेना चाहिए।
जब शेयर मार्केट में गिरावट होती है, तब कुछ ही दिनों में आपके पोर्टफोलियो की कीमत बहुत कम रह जाती है। और यदि इस समय आपको पैसे की जरूरत है या आप में धैर्य नहीं है। तो आपको भारी नुकसान के बावजूद अपने शेयर बेचने पड़ सकते हैं। जिससे आपको पैसे का बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। और आप अपने लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर पाएंगे। अतः स्टॉक मार्केट वोलेटिलिटी का सामना करने की आपकी क्षमता और इच्छा के अनुसार ही आपको शेयरों में निवेश करना चाहिए। यह मूल्यांकन आपके पोर्टफोलियो में परिसंपत्तियों का उचित मिश्रण निर्धारित करने में आपकी सहायता करेगा।
रिसर्च एंड एनालिसिस
स्टॉक मार्केट रिसर्च, कंपनी की वित्तीय स्थिति, टीम नेतृत्व और प्रतिस्पर्धा जैसे कारकों के आधार पर स्टॉक का एनालिसिस करने की एक विधि है। स्टॉक एनालिसिस निवेशकों को किसी स्टॉक का मूल्यांकन करने और यह तय करने में मदद करता है कि क्या यह शेयर उनके पोर्टफोलियो में स्थान पाने का हकदार है अथवा नहीं है।
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करने से पहले आपको मार्केट और स्टॉक्स के बारे में गहन रिसर्च और एनालिसिस करना चाहिए क्योंकि जिस शेयर या इंडेक्स में आप इन्वेस्ट या ट्रेड करना चाहते हैं। पहले उसकी वित्तीय स्थिती, ट्रेंड, मैनेजमेंट और प्रॉस्पेक्ट्स को समझना बेहद जरूरी है।
किसी स्टॉक को खरीदने से पहले उस पर रिसर्च करने के निम्नलिखित छः तरीके हैं-
- जिस स्टॉक में आप निवेश करना चाहते हैं उसके बारे में जानें कि उसकी कंपनी क्या काम करती है और कैसे राजस्व उत्पन्न करती है।
- उस कम्पनी की वित्तीय स्थिति की जाँच करें, कहीं कंपनी पर ज्यादा कर्ज तो नहीं है?
- उस शेयर का प्राइस ट्रेंड जानने के लिए उसका टेक्निकल एनालिसिस करें और उसका प्राइस चार्ट देखें।
- किसी भी शेयर में इन्वेस्ट और ट्रेड करने से पहले और होल्डिंग पीरियड के दौरान स्टॉक को मॉनिटर करें।
- शेयर के तिमाही और वार्षिक रिजल्ट भी जरूर देखें कि कंपनी कैसा कमा रही है।
- जिस शेयर निवेश करना चाहते हैं, उसके बारे में मार्केट एक्सपर्ट के विचार भी आपको जरूर सुनने चाहिए।
स्टॉप-लॉस ऑर्डर
स्टॉप-लॉस ऑर्डर एक पूर्वनिर्धारित मूल्य स्तर है, जिस पर आप संभावित नुकसान को सीमित करने के लिए स्टॉक को बेचने के इच्छुक होते हैं। यदि किसी शेयर की कीमत में गिरावट शुरू हो जाए तो आप बहुत ज्यादा नुकसान को रोकने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर एक उपयोगी टेक्निकल टूल है।
स्टॉप-लॉस ऑर्डर भी एक Risk management टूल है, जो एक निश्चित प्राइस ( शेयर के मौजूदा मार्केट प्राइस के एक या दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर लगाया जाता है। इस प्राइस पर पहुंचने पर पोजीशन अपने आप (ऑटोमेटिकली) कट जाती है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर को ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के नुकसान को सीमित करने के लिए बनाया गया है। एक बार जब आपका पोर्टफोलियो प्रॉफिट में आ जाये। तो अपने प्रॉफिट को लॉक करने के लिए आपको ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस लगाना चाहिए।
नियमित निगरानी
अपने पोर्टफोलियो की लगातार निगरानी करते रहें और बाजार की स्थितियों से अपडेट रहें। जिससे मार्केट के नये डवलपमेंट का आपके पोर्टफोलियो पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? उसके बारे में आपको पता रहे और आप समय रहते अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस कर सकें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह आपके निवेश उद्देश्यों और जोखिम सहनशीलता के अनुरूप है। अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर पुनर्संतुलित करते रहना चाहिए।
रिस्क-रिटर्न रेश्यो के नियम का पालन करें
आपको इस बात का पता होना चाहिए कि Stock market में हाई रिटर्न आमतौर पर हाई रिस्क के साथ आते हैं। ऐसे निवेशों पर विचार करते समय सतर्क रहें जो असाधारण रूप से हाई रिटर्न का वादा करते हैं। क्योंकि हाई रिटर्न वाले इन्वेस्टमेंट अक्सर हाई वोलेटाइल होते है। ऐसे इन्वेस्टमेंट बहुत रिस्की होते हैं, इनमें नुकसान होने की आशंका बहुत ज्यादा रहती है।
फाइनेंशियल प्लानिंग
एक वित्तीय योजना बनाएं जो आपके निवेश लक्ष्यों, समय सीमा और जोखिम सहनशीलता को रेखांकित करे। एक अच्छी तरह से परिभाषित योजना आपको अनुशासित रहने और अपने दीर्घकालिक उद्देश्यों पर ध्यान देने में मदद कर सकती है।
बाजार की स्थितियों की परवाह किए बिना, नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश करें। यह स्ट्रेटेजी आपके पोर्टफोलियो पर Stock market की वोलेटिलिटी के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है। और बाजार को समयबद्ध करने की कोशिश से जुड़े जोखिम को भी कम कर सकती है।
आपातकालीन फंड
अप्रत्याशित खर्चों को कवर करने के लिए एक आपातकालीन फंड जरूर बनाए रखें ताकि वित्तीय आपात स्थिति के दौरान आपको अपने निवेश पोर्टफोलियो को बेचना नहीं पड़े। ऐसा होने पर आपके भविष्य के लक्ष्य पूरे नहीं हो पाएंगे। फाइनेंशियल मार्केट के एक्सपर्ट के अनुसार सभी लोगों के आपातकालीन खर्चों के लिए कम से कम अपने छः महीनों की सैलरी के बराबर पैसा रखना चाहिए।
एक आपातकालीन फंड, जिसे आकस्मिकता निधि के रूप में भी जाना जाता है। एक व्यक्तिगत बजट है, जिसे भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं या अप्रत्याशित खर्चों के लिए वित्तीय सुरक्षा जाल के रूप में अलग रखा जाता है।
लेवरेज से बचें
Leverage, ट्रेडर्स के लिए शेयर मार्केट से पैसा कमाने का एक शक्तिशाली टूल होता है लेकिन यह बहुत जोखिम भरा होता है। लेवरेज की वजह से ट्रेडर्स Stock market में बड़ी पोजीशन बना सकते हैं। जितना वे अकेले अपनी पूंजी से कभी नहीं बना सकते हैं। इसका मतलब यह है कि ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स संभावित रूप से बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन लेवरेज के कारण बड़ा नुकसान भी उठा सकते हैं। लेवरेज को मार्जिन ट्रेडिंग के नाम से भी जाना जाता है।
अतः मार्केट में लेवरेज का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करना चाहिए। और इसमें शामिल जोखिमों की आपको ठोस समझ जरूर होना चाहिए। बहुत अधिक लेवरेज का उपयोग करने से बचना चाहिए। Risk management in Stock market के लिए एक योजना बनानाआपका एकबहुत बुद्धिमानी भरा फैसला हो सकता है। इसके अतिरिक्त, यह ध्यान रखना भी बहुत महत्वपूर्ण है कि विभिन्न देशों में लेवरेज पर अलग-अलग नियम हैं। और आपको ट्रेड लेने से पहले हमेशा अपने देश के कानूनों की जानकारी जरूर होनी चाहिए।
रिस्क डाइवर्सिफिकेशन
अपने पोर्टफोलियो की स्टॉक होल्डिंग्स में विविधता लाने के अलावा, आपको अपने पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट करते समय अन्य प्रकार के जोखिमों, जैसे ब्याज दर जोखिम, मुद्रा जोखिम और भू-राजनीतिक जोखिम यानि वर्ल्ड वार का खतरा या दो देशों के बीच युद्ध (जैसे- रशिया-यूक्रेन और इजराइल-फिलिस्तीन) पर भी विचार करके अपना पोर्टफोलियो बनाना चाहिए।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि सभी इन्वेस्टमेंट जोखिम से भरे होता है। आप Stock market के जोखिम को पूर्णतया खत्म भी नहीं कर सकते हैं। लेकिन आप सावधानीपूर्वक रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रेटेजीज को अपनाकर अपने इन्वेस्टमेंट के संभावित जोखिम को कम जरूर कर सकते हैं। इस तरह आप अपने लॉन्ग-टर्म टार्गेट को हाँसिल करने की संभावना को बढ़ा सकते हैं।
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