Liquidity in Stock market: कम लिक्विडिटी वाले शेयर में फँसने से कैसे बचें?

किसी स्टॉक की लिक्विडिटी का मतलब आमतौर पर यह होता है कि स्टॉक के प्राइस पर कोई खास असर डाले बिना उसके शेयर कितनी तेजी से खरीदे या बेचे जा सकते हैं। 

कम लिक्विडिटी वाले स्टॉक को बेचना मुश्किल हो सकता है और अगर आप जब चाहें शेयर नहीं बेच पाते हैं तो आपको बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं- कम लिक्विडिटी वाले शेयर में फँसने से कैसे बचें? निवेश से पहले जानें। What is Liquidity in Stock market in Hindi.
                                                                                   
Liquidity in Stock market
शेयर मार्केट में लिक्विडिटी क्या होती है और यह क्यों जरूरी है

अगर आप शेयर मार्केट के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

शेयर मार्केट में लिक्विडिटी का क्या मतलब है? 

"हर निवेश के पीछे सिर्फ पैसा नहीं, एक सपना होता है। लेकिन उस सपने की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप उसे कब और कैसे भुना सकते हैं।" 

शेयर बाजार, जहां लोग पैसा कमाने के सपने लेकर आते हैं। यहां हर निवेशक की आंखों में चमक होती है, भविष्य को सुरक्षित करने की एक आशा होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपने किसी स्टॉक में निवेश किया और उस वक्त जब आपको पैसे की सबसे ज्यादा ज़रूरत हो, तब आप उस स्टॉक को बेच ही न पाएं?

जी हां, ये सुनने में डरावना लगता है, लेकिन यही वह सच्चाई है जो हमें लिक्विडिटी यानी तरलता का महत्व समझाती है। लिक्विडिटी का मतलब है किसी एसेट को बिना उसके प्राइस पर असर डाले, जल्दी और आसानी से नकदी में बदल सकना।

Share market में यह दर्शाता है कि आप किसी स्टॉक को कितनी जल्दी बेच सकते हैं और उस बेचने के लिए मार्केट में कितने खरीदार उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए - टीसीएस कंपनी के शेयर को आप किसी भी दिन शेयर मार्केट खुलने पर खरीद और बेच कर सकते हैं क्योंकि यह high liquid stock है। 

लेकिन किसी छोटी या कम लोकप्रिय कंपनी का शेयर बेचना मुश्किल हो सकता है क्योंकि ऐसे शेयर कम लिक्विड होते हैं। कम लिक्विड शेयर को ज्यादातर लोग  नहीं  हैं क्योंकि ऐसे स्टॉक्स में फ्रंट रनिंग और पंप एंड डंप स्कीम में लोगों को आसानी से फँसाया जा सकता है। 

लिक्विड शेयर को खरीदना और बेचना उतना ही आसान होता है। इसमें इन्वेस्टर्स को मार्केट ऑपरेटर्स अपने जाल में नहीं फंसा सकते हैं। कम लिक्विड शेयर को खरीदने और बेचने में अधिक समय  लगता है। अगर आपको जल्दी यह तो उन्हें कम प्राइस पर भी बेचना पड़ सकता है। 

लिक्विडिटी मुख्यत निम्नलिखित दो प्रकार की होती है- 
  1. मार्केट लिक्विडिटी (Market Liquidity): यह दर्शाता है कि किसी विशेष स्टॉक को आप कितनी जल्दी और कितनी कीमत पर खरीद और बेच सकते हैं। 
  2. एकाउंटिंग लिक्विडिटी (Accounting Liquidity): कंपनियों के लिए यह उनकी करंट एसेट्स और देनदारियों के अनुपात को दर्शाता है। इस आर्टिकल में हम केवल "मार्केट लिक्विडिटी" पर फोकस करेंगे। 

शेयर मार्केट में लिक्विडिटी (Liquidity in Stock market) क्यों जरूरी है? 

  1. आपात स्थिति में मददगार: कल्पना कीजिए कि किसी की अचानक मेडिकल इमरजेंसी हो जाती है। अब अगर आपने जो स्टॉक्स खरीदे हैं उन्हें तुरंत नकदी में बदलना चाहें और खरीदार न मिले, तो क्या होगा? 
  2. प्राइस पर नियंत्रण: ज्यादा लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स में बायिंग और सेलिंग दोनों ज्यादा होती है। जिससे शेयर के प्राइस में उतार-चढ़ाव कम होता है। कम लिक्विड स्टॉक्स में थोड़े से ऑर्डर से भी प्राइस बहुत ऊपर या नीचे चला जाता है। 
  3. ट्रेडिंग में सुगमता: ट्रेडर्स के लिए high liquidity जरूरी है क्योंकि मार्केट मेकर्स शेयरों की कम समय में बार-बार खरीद-बिक्री करते हैं। 
शेयर में लिक्विडिटी निम्नलिखित प्रकार से मापी जाती है- 
  1. ट्रेडिंग वॉल्यूम (Trading Volume): जितनी ज्यादा बार कोई स्टॉक खरीदा-बेचा जाता है, उतना ही ज्यादा उसका ट्रेडिंग वॉल्यूम होता है, और वह उतना ही लिक्विड माना जाता है। 
  2. बिड-आस्क स्प्रेड (Bid-Ask Spread): शेयर के खरीददार द्वारा ऑफर किये जाने वाला प्राइस (Bid) और विक्रेता द्वारा ऑफर किये जाने वाला प्राइस (Ask) के बीच का अंतर होता है। अगर buy & sell प्राइस के बीच अंतर कम होता है तो लिक्विडिटी अच्छी होती है। अगर यह अंतर ज्यादा होता है तो लिक्विडिटी कम होती है। 
  3. डेप्थ ऑफ मार्केट: यह बताता है कि किसी स्टॉक के लिए अलग-अलग कीमतों पर कितने बायर्स और सेलर्स मौजूद हैं। इसके बारे में बताता है। 

हाई लिक्विडिटी के फायदे 

  • त्वरित कैश निकासी: हाई लिक्विड शेयर को पैसे की जरूरत पड़ने पर इन्वेस्टर्स जब चाहें तब बेचकर नकदी में बदल सकते हैं। अतः लिक्विड शेयर इन्वेस्टर्स के लिए वरदान होते हैं। 
  • कम रिस्क: कम लिक्विड स्टॉक्स में फँसने का डर बना रहता है। High liquidity शेयर आपको समय पर बाहर निकलने का मौका देता है। 
  • प्राइस स्टेबिलिटी: जब खरीदार और विक्रेता दोनों ज्यादा हों, तो शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी सीमित रहता है। 
  • HUL, रिलायंस, SBI, आईटीसी, HDFC Bank आदि कुछ हाई लिक्विड इंडियन स्टॉक्स के उदाहरण हैं। 

कम लिक्विडिटी के नुकसान

  • बिक्री में देरी: कम लिक्विड शेयर को आप चाहकर भी तुरंत खरीद या बेच नहीं सकते हैं। 
  • प्राइस स्लिपेज: इस तरह के शेयर आपको अधिक प्राइस पर खरीदने पड़ सकते  हैं और कम प्राइस में बेचना पड़ सकते हैं। 
  • इमरजेंसी में काम ना आ पाना: जरूरत के समय अगर पैसा न निकले, तो वित्तीय संकट बढ़ सकता है। Laxmi Dental, Natco Pharma, Guj Pipavav Port आदि कुछ कम लिक्विडिटी वाले शेयरों के उदाहरण हैं।  
उम्मीद है, आपको यह कम लिक्विडिटी में फँसने से कैसे बचें? निवेश से पहले जानें ये बातें आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Liquidity in Stock market in Hindi आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। 

शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं। 

कोई टिप्पणी नहीं

Jason Morrow के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.