Investor vs Trader: निवेशक और ट्रेडर, शेयर मार्केट की दो अलग दुनिया।
जब हम शेयर बाजार की बात करते हैं, तो दो शब्द बार-बार सुनने को मिलते हैं – निवेशक (Investor) और ट्रेडर (Trader)। ये दोनों ही अपने-अपने तरीके से मार्केट में पैसा लगाते हैं, लेकिन उनका नजरिया, स्ट्रेटेजी, धैर्य, और भावनात्मक जुड़ाव एकदम अलग होता है। आइए विस्तार से जानते हैं- निवेशक और ट्रेडर, शेयर मार्केट की दो अलग दुनिया। Investor vs Trader in Hindi.
अगर आप शेयर मार्केट में सफल होना चाहते हैं तो आपको वॉरेन बफे के गुरु बैंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
इस लेख में हम न केवल इन दोनों के बीच स्ट्रैटेजिक और टेक्निकल अंतर समझेंगे। बल्कि इस सफर में छुपे इमोशनल पहलुओं को भी जानेंगे। क्योंकि शेयर मार्केट केवल नंबरों का खेल नहीं है – यह विश्वास, धैर्य और Fear and Greed के बीच का संतुलन भी है।
निवेशक, भविष्य में विश्वास रखने वाला होता है?
एक निवेशक (investor) वो होता है जो लंबी दूरी की दौड़ का धावक होता है। यानि वह शेयरों में लॉन्ग-टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट करता है। वह स्टॉक मार्केट को एक बगीचे की तरह देखता है, जहाँ बीज बोए जाते हैं, पौधों को सींचा जाता है और वर्षों बाद फल मिलते हैं।
निवेशकों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
- निवेशक Long-Term Vision के साथ शेयरों में 5, 10 या उससे भी अधिक वर्षों के लिए इन्वेस्ट करते हैं।
- निवेशक वैल्यू इन्वेस्टिंग में विश्वास करते हैं इसलिए वे अपने पैसे को अच्छे फंडामेंटल वाली कंपनियों के स्टॉक्स में इन्वेस्ट करते हैं। जिनके प्राइस के भविष्य में मल्टीबैगर बनने के चांस होते हैं।
- लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर कंपनियों के डिविडेंड, बोनस, और लॉन्ग-टर्म ग्रोथ से फायदा उठाते हैं।
- निवेशक मार्केट के उतार-चढ़ाव को देखकर भावात्मक रूप से प्रभावित नहीं होते हैं। यानि अपना धैर्य बनाये रखते हैं।
जब अगस्त 2022 में उनका निधन हुआ था। तब वे अपने पीछे करीव 45 हजार करोड़ का एम्पायर छोड़कर गए थे। जो उन्होंने शेयर मार्केट इन्वेस्टिंग से ही बनाया था। राकेश झुनझुनवाला ट्रेडिंग के सख्त खिलाफ थे। यह होती है, शेयर मार्केट इन्वेस्टर की ताकत। जिसके लिए धैर्य और अनुशासन की सख्त जरूरत होती है।
ट्रेडर मौके का खिलाड़ी होता है?
ट्रेडर वह होता है जो शेयर मार्केट के हर उतार-चढ़ाव को पकड़ना चाहता है। उसके लिए शेयर की वोलैटिलिटी ट्रेडिंग का एक अवसर है। वह बेयर और बुल मार्केट दोनों में पैसा बनाना चाहता है।
शेयर मार्केट ट्रेडर्स निम्नलिखित कई प्रकार के होते हैं-
- इंट्राडे ट्रेडर्स: ये इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं यानि जिस दिन शेयर खरीदते हैं, उसी दिन बेच भी देते हैं।
- स्विंग ट्रेडर्स: कुछ दिनों या हफ्तों के लिए ट्रेडिंग पोजिशन को होल्ड रखते हैं।
- पोजिशनल ट्रेडर्स: कुछ महीनों तक ट्रेड को पकड़कर रखते हैं।
- फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडर्स: डेरिवेटिव्स के माध्यम से शॉर्ट-टर्म प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं।
- ट्रेडर्स तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis) जैसे- चार्ट्स, इंडिकेटर्स, कैंडलस्टिक पैटर्न का उपयोग करते हैं।
- ये रिस्क मैनेजमेंट रूल्स का पालन करते हैं। साथ ही रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो भी सही रखते हैं।
- ट्रेडर्स स्ट्रिक्ट स्टॉप लॉस, प्रॉफिट टार्गेट सेट करना, और मनी मैनेजमेंट आदि तकनीकों का पालन करते हैं।
- भावनात्मक अनुशासन यानि डर और लालच के बीच बैलेंस बनाना उनके लिए जरूरी होता है। अन्यथा इन्हें भरी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
वह हर दिन थोड़ा-थोड़ा कमा कर महीने के अंत में मोटा मुनाफा बनाता है। यह एक फुल टाइम जॉब की तरह है। लेकिन शेयर मार्केट के ज्यादातर ट्रेडर्स की सचाई यह है कि वे नुकसान कर रहे हैं। इसके जोखिमों को देखते हुए, ट्रेडिंग बहुत ही सोचविचार के बाद ही करनी चाहिए।
सेबी के अनुसार फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में 91% ट्रेडर्स नुकसान में हैं केवल 9% ही प्रॉफिट कमा रहे हैं। कहने का मतलब है कि Stock market में छोटी मछली बड़ी मछली को खा रही है। कहने का मतलब है कि ज्यादातर रिटेल ट्रेडर्स को नुकसान हो रहा है और स्मार्ट इन्वेस्टर्स बड़ा मुनाफा काट रहे हैं। अगर आप धैर्यवान, लॉन्ग-टर्म के लिए सोच सकते हैं तो निवेश आपके लिए है।
निवेश और ट्रेडिंग के भावनात्मक पक्ष
निवेश में भावना: निवेशक जब किसी कंपनी में निवेश करता है, तो वह एक तरह से उस कंपनी के भविष्य पर विश्वास करता है। यह विश्वास तब और मजबूत होता है, जब कंपनी घाटे में जाती है और बाजार उसे सजा देता है। लेकिन एक सच्चा निवेशक अपने रिसर्च पर कायम रहता है।
"शेयर प्राइस का गिरना उसका अंत नहीं, एक अवसर है" – यह समझने के लिए दिल चाहिए।
अगर आप जल्दी निर्णय लेने वाले, तेज सोच वाले हैं। साथ ही आप मार्केट के साथ तालमेल बना सकते हैं तो ट्रेडिंग आपकी राह है।
Share market में सफलता के लिए दिल और दिमाग दोनों की जरूरत होती है। आप इन्वेस्टर हों या ट्रेडर, सफलता केवल चार्ट को पढ़ लेने से नहीं मिलती है। आपको धैर्य रखना आना चाहिए और डिसिप्लिन और भावनाओं पर कंट्रोल करना भी आना चाहिए। तभी आप लॉन्ग-टर्म और शार्ट-टर्म इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग में सफल हो सकते हैं।
"शेयर बाजार आपके ज्ञान की परीक्षा कम और धैर्य की परीक्षा ज़्यादा लेता है।"
कई लोग ऐसे हैं जो निवेश भी करते हैं और ट्रेडिंग भी। दिन में 2-3 घंटे ट्रेडिंग करते हैं, और साथ ही लॉन्ग टर्म पोर्टफोलियो में अच्छे स्टॉक्स होल्ड करके रखते हैं।
ट्रेडिंग में भावना: ईगो और लालच, ट्रेडर का सबसे बड़ा दुश्मन है। एक गलत ट्रेड उसके पूरे दिन का मूड खराब कर सकता है। हर दिन एक युद्ध की तरह होता है। कभी जीत, कभी हार लेकिन जो ट्रेडर भावनाओं को नियंत्रण में रख लेता है, वही मार्केट में लम्बे समय तक टिकता है।
निष्कर्ष: अपने रास्ते को पहचानिए इस आर्टिकल का उद्देश्य केवल निवेशक और ट्रेडर (Investors & Traders) के बीच अंतर बताना नहीं था। बल्कि यह दिखाना था कि दोनों में लोगों के लिए स्ट्रगल, इमोशनल डिफरेंस और विश्वास भी जुड़ा होता है। शेयर मार्केट में लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिंग के लिए निफ्टी बीज एक बढ़िया इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है।
शेयर बाजार कोई जादुई जगह नहीं, बल्कि यह वो मैदान है जहाँ रोज़ लाखों लोग अपने सपनों को लेकर उतरते हैं। कोई लंबे सफर पर निकलता है तो कोई शॉर्टकट पकड़ता है लेकिन अंत में वही जीतता है जो अपने रास्ते को समझता है। कि उसे मार्केट से क्या चाहिए।
उम्मीद है, आपको निवेशक और ट्रेडर, शेयर मार्केट की दो अलग दुनिया आर्टिकल पसंद आया। अगर आपको यह Investor vs Trader in Hindi आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।
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