Select Stocks for Intraday Trading: इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुनें?
इंट्राडे ट्रेडिंग एक हाई रिस्क और हाई रिटर्न ट्रेडिंग टेक्निक है। इसमें ट्रेडर्स एक ही दिन में स्टॉक्स को खरीदते और बेचते हैं। इस तरह की ट्रेडिंग के लिए सही शेयरों का चुनाव करना बहुत जरूरी होता है।
इस आर्टिकल में विस्तार से बताया गया है कि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक्स कैसे चुनें, किन कारकों को ध्यान में रखें और किन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज का पालन करें। आइए जानते हैं- इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुनें? How to Select Stocks for Intraday Trading.
अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको मार्क डगलस द्वारा लिखित ट्रेडिंग इन द जोन बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
Intraday Trading
इंट्राडे ट्रेडिंग, इसे डे ट्रेडिंग के नाम से भी जाना जाता है। यह शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने का एक एक्टिव तरीका है। इसमें ट्रेडर्स जिस दिन स्टॉक्स को खरीदते हैं, उसी दिन बेच भी देते हैं। इसमें stocks प्राइस में में शार्ट-टर्म में होने वाले परिवर्तनों से प्रॉफिट कमाया जाता है।
लेकिन इस प्रकार की ट्रेडिंग में सफलता के लिए सही ट्रेडिंग प्लान और सही ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का पालन करना जरूरी होता है। इंट्राडे स्ट्रैटेजी को अपनाने वाले डे ट्रेडर कई तरह की तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। वे stocks के प्राइस में होने वाले बदलावों से प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक्स चुनने के लिए हज़ारों शेयर हैं। इनमें से डे ट्रेडर कोई भी स्टॉक चुन सकते हैं। हालाँकि, अगर आप इंट्राडे ट्रेड करना चाहते हैं, तो आपके लिए ऐसे स्टॉक चुनना बेहतर होगा जो वौलेटाइल हों। जिनमें अच्छी लिक्विडिटी हो और ट्रेडिंग वॉल्यूम भी ज्यादा रहता है।
इंट्राडे ट्रेडर्स को ऐसे स्टॉक्स चुनने चाहियें जो मार्केट ट्रेंड के साथ चल रहे हों। मार्केट में तेजी के दौरान, ट्रेडर्स को ऐसे स्टॉक की तलाश करनी चाहिए जो अच्छा प्रदर्शन कर रहे हों। जबकि Share market में गिरावट के दौरान, ट्रेडर्स को ऐसे स्टॉक की तलाश करनी चाहिए, जिनकी कीमत में गिरावट हो रही हो। लॉन्ग टर्म व शार्ट टर्म
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक्स चुनने के मानदंड
Intraday trading के लिए स्टॉक्स चुनते समय आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- हाई लिक्विडिटी (High Liquidity): इंट्राडे ट्रेडिंग वाले स्टॉक्स में लिक्विडिटी सबसे जरूरी होती है। लिक्विड स्टॉक्स वे होते हैं, जिनमें बड़ी मात्रा में ट्रेडिंग होती है। जिससे आपको आसानी से एंट्री और एग्जिट मिल सकती है। लिक्विड स्टॉक्स का स्प्रेड (बिड और आस्क प्राइस का अंतर) भी कम होता है। जिससे ट्रेडर्स को ज्यादा फायदा होता है।
- मार्केट ट्रेंड का अनुसरण (Follow Market Trends): इंट्राडे ट्रेडिंग में Trend बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर मार्केट अपट्रेंड में है, तो आपको बुलिश स्टॉक्स चुनने चाहिए। अगर मार्केट डाउनट्रेंड में है, तो बियरिश स्टॉक्स को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- हाई वोलैटिलिटी (High Volatility): इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ऐसे स्टॉक्स बेहतर होते हैं। जिनमें दिन भर में अच्छे उतार-चढ़ाव होते हैं। ज्यादा वोलैटिलिटी का मतलब है कि स्टॉक्स के प्राइस में मूवमेंट अधिक होगा। जिससे आपको तेजी से प्रॉफिट कमाने का मौका मिलेगा।
- सेक्टर और इंडस्ट्री एनालिसिस (Sector & Industry Analysis): सही सेक्टर में निवेश करने से प्रॉफिट बढ़ाने के मौके बढ़ जाते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आईटी सेक्टर मजबूत प्रदर्शन कर रहा है, तो आपको इन्फोसिस, टीसीएस जैसे स्टॉक्स पर ध्यान देना चाहिए।
- ओपनिंग रेंज ब्रेकआउट (Opening Range Breakout - ORB): यह एक प्रसिद्ध ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जहां ट्रेडर्स मार्केट खुलने के पहले 30-60 मिनट की कीमतों की रेंज को देखते हैं और उसके बाद ब्रेकआउट पॉइंट पर ट्रेड करते हैं।
- ट्रेडिंग वॉल्यूम (Trading Volume): हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले स्टॉक्स के प्राइस अधिक स्थिर होते हैं। जिससे इनमें मैनिपुलेशन की संभावना कम होती है। अतः हमेशा उन स्टॉक्स को चुनें, जिनका औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम अधिक हो।
- न्यूज़ एंड इवेंट का प्रभाव (Impact of News & Events): जब भी किसी कंपनी से जुड़ी कोई भी न्यूज आती है तो वह उसके शेयर प्राइस को जरूर प्रभावित करती है। अतः आप भी अच्छी न्यूज आने पर शेयर को खरीद सकते हैं और बुरी न्यूज आने पर शेयर को शार्ट-सेल कर सकते हैं। इसलिए इंट्राडे ट्रेडर्स को शेयर मार्केट की हमेशा ताजा खबरों पर नजर बनाये रखनी चाहिए।
- फ्यूचर और ऑप्शंस डेटा (F&O Data Analysis): F&O मार्केट डेटा से पता चलता है कि स्टॉक्स में कितनी गतिविधि हो रही है। हाई ओपन इंटरेस्ट और तेजी से बढ़ती ट्रेडिंग गतिविधि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए महत्वपूर्ण संकेत देती हैं।
- आप nseindia या bseindia और मनीकंट्रोल जैसी वेबसाइटों पर उस दिन के टॉप गेनर और टॉप लूजर की लिस्ट देखकर ट्रेडिंग पोजीशन बनाने के लिए सही शेयर का चुनाव कर सकते हैं।
- हाई बिड-आस्क स्प्रेड वाले स्टॉक्स में पोजीशन बनाने से बचना चाहिए। इंट्राडे ट्रेडिंग ऐसे स्टॉक्स चुनें, जिनका बिड-आस्क स्प्रेड प्राइस कम हो।
- 52-वीक हाई और लो स्टॉक्स का विश्लेषण करना चाहिए। यदि कोई स्टॉक 52- वीक हाई प्राइस को पार कर रहा है, तो वह मजबूत अपट्रेंड में हो सकता है। जबकि इसके विपरीत यदि कोई stock- 52 वीक लो प्राइस के नीचे ट्रेड कर रहा है। तो या मजबूत डाउनट्रेंड हो सकता है।
- अपट्रेंड वाले स्टॉक्स में बाइंग करनी चाहिए और डाउन ट्रेंड वाले स्टॉक्स में शार्ट सेलिंग करनी चाहिए।
- चार्ट पैटर्न का विश्लेषण करें, इसके लिए आपको कैंडलस्टिक पैटर्न जैसे डोजी, बुलिश एंगलफिंग, हेड एंड शोल्डर, डबल टॉप और डबल बॉटम आदि चार्ट पैटर्न्स पर ध्यान देंना चाहिए।
- टेक्निकल इंडिकेटर्स का उपयोग करना चाहिए। RSI, MACD, Bollinger Bands, Moving Averages जैसे टेक्निकल इंडिकेटर्स इंट्राडे ट्रेडिंग में मदद करते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज
Intraday trading के लिए कुछ निम्नलिखित मानत्वपूर्ण ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज बताई गयी हैं-
- मूविंग एवरेज क्रॉसओवर रणनीति (Moving Average Crossover Strategy): सबसे अच्छी MA क्रॉसओवर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी वह है, जिसका बुलिश और बेरियश संकेतों का MACD इंडिकेटर से कन्फर्मेशन हो जाता है। मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (MACD) यह पहचानने में मदद करता है कि मार्केट तेजी का है अथवा मंदी का है। जिसके द्वारा आप ट्रेड में सही एंट्री हुए एग्जिट पॉइंट निर्धारित कर सकते हैं। 50-day और 200-day मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर ज्यादा सटीक संकेत देता है।
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस रणनीति (Support & Resistance Strategy): सपोर्ट लेवल पर शेयरों में खरीदारी करनी चाहिए। जबकि रेजिस्टेंस लेवल पर बिकवाली करनी चाहिए।
- ब्रेकआउट ट्रेडिंग ट्रेडिंग (Breakout Trading Strategy): जब किसी शेयर का प्राइस बढ़े वॉल्यूम के साथ रेजिस्टेंस लेवल को तोड़ देता है। तब शेयर में लॉन्ग पोजीशन बनानी चाहिए। इसके विपरीत जब शेयर प्राइस बढ़े हुवे वॉल्यूम के साथ सपोर्ट लेवल को तोड़ देता है। तब शेयर में शार्ट सेल की पोजीशन बनानी चाहिए।
- न्यूज़ बेस्ड ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (News-Based Trading Strategy): कंपनियों से संबंधित ताजा समाचारों के आधार पर शेयर में बाइंग और सेलिंग की पोजीशन बनानी चाहिए।
- रेंज ट्रेंड ट्रेडिंग (Range Trading Strategy): जब स्टॉक प्राइस एक निश्चित रेंज में ट्रेड कर रहा हो, तो उसमें ब्रेकआउट का इंतजार करना चाहिए।
- अपने प्रत्येक ट्रेड में स्टॉपलॉस जरूर लगाएं ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
- इमोशनल ट्रेडिंग से बचना चाहिए साथ ही फियर एंड ग्रीड में भी नहीं फंसना चाहिए।
- सही पोजीशन साइज रखें। एक ट्रेड में अपनी पूँजी का 2 से 3 प्रतिशत ही लगाएं।
- प्रसिद्ध निवेशक राकेश झुनझुनवाला अक्सर कहते थे कि Trend is over friend. अतः मार्केट ट्रेंड के विपरीत कभी ट्रेडिंग पोजीशन नहीं बनानी चाहिए।
इंट्राडे ट्रेडिंग में सफल होने के लिए धैर्य, अनुशासन और सतत सीखने की आदत बहुत जरूरी है। इस लेख में बताए गए सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए। आप बेहतर निर्णय ले सकते हैं और अपनी इंट्राडे ट्रेडिंग को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
उम्मीद है, आपको यह इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुनें? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह How to Select Stocks for Intraday Trading? आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
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