Intraday Trading Stocks: इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयर सिलेक्शन की सही रणनीति!

Intraday Trading Stocks: इंट्राडे ट्रेडिंग यानी एक ही दिन में शेयर खरीदना और बेचना। इसमें सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कौन सा शेयर चुना। अगर आप सही स्टॉक चुन लेते हैं तो छोटे-छोटे प्राइस मूवमेंट से भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आइए जानते हैं कि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयर सिलेक्शन की सही रणनीति क्या हो सकती है। How to select Intraday Trading Stocks in Hindi. 

How to select Intraday Trading Stocks

इंट्राडे ट्रेडिंग में सही शेयर का चुनाव ही सफलता की कुंजी है। अगर आप लिक्विडिटी, वोलैटिलिटी, सेक्टर ट्रेंड्स और टेक्निकल एनालिसिस पर ध्यान देंगे तो आपकी ट्रेडिंग और भी प्रोफेशनल लगेगी। याद रखें – इंट्राडे ट्रेडिंग तेज़ है लेकिन रिस्की भी, इसलिए हमेशा रिस्क मैनेजमेंट करें

अगर आप एक ऐसे ट्रेडर हैं जो रोज़ सुबह बाज़ार खुलने से पहले उत्साहित होते हैं, लेकिन शाम को अक्सर निराशा होकर घर लौटते हैं, ऐसा अकेले आप से साथ ही नहीं होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) एक ऐसी कला है। जहाँ समय और चुनाव का सही तालमेल बिठाना ज़रूरी होता है। सच कहूँ तो 90% ट्रेडर्स इसलिए शेयर मार्केट में नुकसान उठाते हैं क्योंकि वे गलत शेयरों में ट्रेड करते हैं। 

वे केवल किसी की 'टिप' या सोशल मीडिया के 'हॉट स्टॉक' (Hot Stocks) पर भरोसा कर लेते हैं। लेकिन कल्पना कीजिए, अगर आपके पास एक ऐसा 'जादुई फ़िल्टर' हो जो आपको हर दिन उन सर्वश्रेष्ठ 5-10 शेयरों को चुनकर दे। जिनमें बड़ा मूव आने की सबसे ज़्यादा संभावना है?

यह आर्टिकल कोई 'टिप' या 'शॉर्टकट' नहीं देगा, बल्कि आपको वह वैज्ञानिक तरीका सिखाएगा। जिससे आप एक अनुभवी प्रो ट्रेडर की तरह, कम रिस्क पर अधिक प्रॉफिट देने वाले शेयरों को खुद से पहचानना सीखेंगे। यह गाइड समय-सिद्ध रणनीतियों (Time-tested Strategies) पर आधारित है। 

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Intraday Trading क्या है?

इससे पहले कि आप शेयर चुनने की प्रक्रिया शुरू करें, आइए संक्षेप में समझ लें कि आप क्या करने वाले हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग का मतलब है, किसी शेयर को आज खरीदना और बाज़ार बंद होने (शाम 3:30 बजे) से पहले उसे बेचना। इसमें शेयर की डिलीवरी नहीं ली जाती बल्कि केवल stock के प्राइस उतार-चढ़ाव पर मुनाफ़ा (Profit) कमाया जाता है।

यह पोज़ीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) से अलग है क्योंकि यहाँ आपका पूरा ध्यान छोटे टाइम-फ़्रेम और तेज़ गति (Momentum) पर होता है। मानवीय अनुभव (Human Touch): यह एक 100 मीटर की दौड़ की तरह है, न कि मैराथन। आपको तेज़, सटीक और फुर्तीला होना पड़ेगा। और 100 मीटर की दौड़ जीतने के लिए सबसे ज़रूरी है सही जूते चुनना (यानी, सही शेयर चुनना)।

Intraday Trading के लिए Stocks चुनने के आधार

इंट्राडे के लिए शेयर चुनने की प्रक्रिया एक फ़नल (Funnel) की तरह होती है। आपको हज़ारों शेयरों में से अपनी ज़रूरत के शेयर छाँटने होते हैं। यहाँ वे निम्नलिखित 3 आधारभूत कारक हैं, जिन्हें कभी भी इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयर चुनते समय नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए-

1. तरलता (Liquidity): शार्ट टर्म ट्रेडिंग में तरलता यानी लिक्विडटी आपका सबसे अच्छा दोस्त होती है। तरलता का मतलब है कि आप कितनी आसानी से किसी शेयर को खरीद या बेच सकते हैं। जिस शेयर को खरीदने और बेचने वाले ज्यादा लोग होते हैं। उस शेयर को आप सही प्राइस पर आसानी से सेशन के दौरान कभी भी buy & sell कर सकते हैं। 

क्यों ज़रूरी? अगर आप 1000 शेयर खरीदते हैं लेकिन बेचने के समय कोई खरीदार नहीं मिलता, तो आप फंस जाएंगे। हाई लिक्विडिटी (High Liquidity) का मतलब है कि बाज़ार में हर समय खरीदार और विक्रेता मौजूद हैं। हमेशा उन शेयरों को चुनें जिनमें औसतन उच्च दैनिक वॉल्यूम (High Daily Volume) होता है। आमतौर पर Nifty 50 या F&O सेगमेंट के स्टॉक सबसे ज़्यादा लिक्विड होते हैं।

2. वोलैटिलिटी (Volatility): मुनाफ़े की चाबी वोलैटिलिटी यानी शेयर की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव की सीमा। क्यों ज़रूरी? इंट्राडे में मुनाफ़ा कमाने के लिए शेयर की कीमत का हिलना (चलना) ज़रूरी है। अगर कोई शेयर पूरे दिन ₹100 पर ही स्थिर रहता है, तो आप उसमें ट्रेड करके एक रुपया भी नहीं कमा पाएंगे। ऐसे स्टॉक तलाशें जिनमें पिछले कुछ दिनों से अच्छी मूवमेंट (₹5 से ₹20 तक का मूवमेंट) देखने को मिल रही हो। कम वोलैटाइल स्टॉक (जैसे कुछ सरकारी बैंक) से बचें।

3. बाज़ार की चाल (Market Momentum): आपका चुना हुआ शेयर, पूरे बाज़ार के रुझान के विपरीत नहीं जाना चाहिए। अगर पूरा बाज़ार (Nifty 50) तेज़ी में है लेकिन आपके चुनें हए शेयर के प्राइस में गिरावट है तो आपकी सफलता की संभावना कम हो जाती है। 

टिप: हमेशा मार्केट ट्रेंड को समझें। अगर Nifty 50 ऊपर जा रहा है तो लॉन्ग (खरीदने) के मौके तलाशें। अगर नीचे जा रहा है, तो शॉर्ट-सेलिंग (बेचने) के मौके तलाशें।

हमेशा बाज़ार के ट्रेंड को समझें। अगर Nifty 50 ऊपर जा रहा है तो लॉन्ग (खरीदने) के मौके तलाशें। अगर नीचे जा रहा है तो शॉर्ट-सेलिंग (बेचने) के मौके तलाशें।

Intraday Trading के लिए Stocks कैसे चुनें 

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयरों का चुनाव करने के लिए आपको शेयरों को निम्नलिखित फ़िल्टर से छानकर चुनना चाहिए। ये वो फ़िल्टर हैं जो आपको हर दिन की ट्रेडिंग के लिए सबसे बेहतरीन स्टॉक चुनने में मदद करेंगें।

1: केवल हाई वॉल्यूम वाले स्टॉक चुनें (Volume is King): ट्रेडिंग वॉल्यूम किसी भी स्टॉक की आत्मा होती है इसलिए आपको हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले स्टॉक्स में से इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक चुनना चाहिए। इसके लिए आप अपने ब्रोकर (Broker) की स्क्रीनर (Screener) या NSE की वेबसाइट पर जाएँ।

ऐसे स्टॉक फ़िल्टर करें, जिनका पिछले 5 दिन का औसत वॉल्यूम (Average Daily Volume) 5 लाख (5,00,000) शेयरों से ज़्यादा हो। यह सुनिश्चित करता है कि आपके पास लिक्विडिटी की कमी नहीं होगी।

2: हाई-वोलैटिलिटी स्टॉक पर ध्यान दें (Avoid Lazy Stocks): सभी जानते हैं कि सोए हुए शेर के साथ शिकार नहीं किया जा सकता। Intraday Trading हाई वोलेटाइल स्टॉक के लिए सही रहते हैं क्योंकि इनके प्राइस जल्दी-जल्दी ऊपर नीचे होते रहते हैं। एवरेज ट्रू रेंज (ATR): ATR एक टेक्निकल इंडिकेटर है जो वोलैटिलिटी को मापता है।

अतः शेयरों की वोलैटिलिटी मैके के लिए  ATR indicator को देखें। ऐसे स्टॉक चुनें। जिनका ATR उनकी कीमत का कम से कम 1% से 3% हो। उदाहरण के लिए ₹1000 के शेयर में ₹10 से ₹30 का मूवमेंट होना चाहिए।वोलैटिलिटी एक डबल-एज तलवार है। यह तेज़ी से प्रॉफ़िट भी दे सकती है और तेज़ी से लॉस भी इसलिए स्टॉप-लॉस (Stop-Loss) जरूर लगाना चाहिए। यहाँ 'लाइफ़ जैकेट' की तरह अनिवार्य है।

3: न्यूज़ और इवेंट्स का विश्लेषण (News is Catalyst): मार्केट में 'ख़बर' एक ऐसा 'उत्प्रेरक' (Catalyst) है जो किसी भी स्थिर शेयर को रातों-रात तूफ़ानी बना सकता है। अतः मार्केट खुलने से पहले (सुबह 9:00 बजे से 9:15 बजे के बीच) उन कंपनियों की सूची बनाएँ। जिनके बारे में कोई बड़ी ख़बर आई हो।

पॉज़िटिव ख़बरें जैसे कंपनी का क़र्ज़ कम होना, शानदार तिमाही नतीजे, बड़ा सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिलना। पॉजिटिव न्यूज वाले stocks को आप buy करने के लिए चुन सकते हैं। नेगेटिव ख़बरें जैसे कंपनी के ख़राब नतीजे, किसी बड़े अधिकारी का इस्तीफ़ा, सरकारी जुर्माना। ऐसे शेयर में आपको बेचने के मौके यानि शॉर्ट सेलिंग के मौके देखने चाहिए। 

4: हमेशा अपने सेक्टर के लीडर को चुनें (Sectoral Strength): जब किसी एक सेक्टर में तेज़ी आती है (जैसे आईटी, फ़ार्मा या बैंक), तो उस सेक्टर के सभी शेयर चलते हैं। लेकिन लीडर सबसे तेज़ी से चलता है। सेक्टर इंडेक्स: पहले सेक्टर इंडेक्स (जैसे Nifty Bank) का ट्रेंड देखें।

जैसे अगर Nifty Bank तेज़ी में है तो आपको उस सेक्टर के लीडिंग स्टॉक (जैसे HDFC Bank, ICICI Bank) को चुनना चाहिए न कि किसी छोटे, अनजाने बैंक को। लीडर में लिक्विडिटी और तेज़ी दोनों ज़्यादा होती हैं। लेकिन गिरावट स्मॉलकैप स्टॉक्स में सबसे ज्यादा होती है। 

5: एक समय में 3 से अधिक स्टॉक पर ट्रेड न करें (Focus is Power): नए ट्रेडर्स अक्सर एक साथ 10-15 शेयरों पर नज़र रखते हैं। जिससे वे किसी भी शेयर पर सही एंट्री/एग्ज़िट नहीं ले पाते। इसे ओवर-ट्रेडिंग कहते हैं।
अत: रोज़ाना के लिए केवल 3-5 सबसे बेहतरीन स्टॉक की एक "वॉचलिस्ट" (Watchlist) बनाएँ। 

उनमें से भी केवल 2-3 पर ही ट्रेड करें। आपका पूरा ध्यान और पूंजी (Capital) इन्हीं पर लगी होनी चाहिए। रिस्क मैनेजमेंट करने के लिए हर ट्रेड में अपनी कुल पूंजी का 2% से अधिक जोखिम (Risk) न लें।

Intraday Trading Stocks चुनने के लिए टेक्निकल टूल्स

सही शेयर चुनने के बाद, सही समय पर ट्रेड में एंट्री और एग्जिट लेने के लिए निम्नलिखित सर्वश्रेठ 3 टेक्निकल टूल्स का उपयोग करना चाहिए-

1. सपोर्ट और रेजिस्टेंस (Support & Resistance): यह इंट्राडे ट्रेडिंग की रीढ़ है।
  • सपोर्ट: शेयर का वह प्राइस, जहाँ से वह नीचे नहीं जाता पाता (खरीदार सक्रिय होते हैं)।
  • रेजिस्टेंस: शेयर का वह प्राइस, जहाँ से वह ऊपर नहीं जाता पाता (विक्रेता सक्रिय होते हैं)।
  • उपयोग: आप रेजिस्टेंस टूटने (Breakout) पर खरीदते हैं या सपोर्ट पर पहुँचने पर खरीदते हैं। यह आपको ट्रेड में स्पष्ट एंट्री और एग्ज़िट पॉइंट देता है।

2. मूविंग एवरेज (Moving Averages): 9 EMA (Exponential Moving Average) और 20 EMA इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए बहुत उपयोगी हैं।
  • अगर शेयर प्राइस 9 EMA से ऊपर है तो यह तेज़ी (Uptrend) का संकेत है। 
  • अगर 9 EMA ने 20 EMA को नीचे से ऊपर की ओर काटा है (जिसे क्रॉसओवर कहते हैं), तो यह एक मजबूत खरीदारी का संकेत है।

3. वॉल्यूम ब्रेकआउट (Volume Breakout): जब कोई शेयर किसी महत्वपूर्ण रेजिस्टेंस को तोड़ता है, तो साथ ही वॉल्यूम भी अचानक बढ़ जाना चाहिए।
  • अगर शेयर प्राइस ऊपर जा रही है, लेकिन वॉल्यूम सामान्य है, तो ब्रेकआउट कमज़ोर हो सकता है। 
  • अगर कीमत और वॉल्यूम दोनों तेज़ी से बढ़ रहे हैं तो यह एक सच्चा और मज़बूत ब्रेकआउट है।

Intraday Trading वॉचलिस्ट कैसे बनाएँ?

यह एक ऐसा रूटीन है जिसे आपको हर दिन मार्केट खुलने से पहले (सुबह 9:00 बजे से पहले) अपनाना चाहिए-

समयचरण (Action)उद्देश्य
सुबह 8:30ग्लोबल बाज़ारों का विश्लेषणSGX Nifty, Dow Futures देखें। अगर ग्लोबल संकेत मज़बूत हैं तो मार्केट में खरीदारी का माहौल बनेगा।
सुबह 8:45न्यूज़ स्कैनिंगफ़ाइनेंशियल न्यूज़ पोर्टल्स पर "आज की टॉप ख़बरें" देखें। उन शेयरों को नोट करें, जिनमें इवेंट-ड्रिवन मूव आ सकता है (नियम 3)।
सुबह 9:00वॉल्यूम और ATR फ़िल्टर लगाएँअपने सभी लिक्विड स्टॉक्स में से, आज के लिए सबसे ज़्यादा वोलैटिलिटी दिखाने वाले 5-7 स्टॉक्स को फ़िल्टर करें (नियम 1 और 2)।
सुबह 9:15प्री-ओपन और 5 मिनट का चार्ट देखेंबाज़ार खुलते ही, 5-मिनट के चार्ट पर सपोर्ट/रेजिस्टेंस (नियम 5) मार्क करें। केवल स्पष्ट सेटअप वाले स्टॉक को अंतिम वॉचलिस्ट में रखें।
सुबह 9:30ट्रेडिंग शुरू करेंअब, केवल अपनी 3-स्टॉक वॉचलिस्ट पर नज़र रखें और रिस्क मैनेजमेंट के साथ ट्रेड करें।

नए ट्रेडर्स के लिए सलाह

तकनीक अपनी जगह है लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग में 80% सफलता आपकी साइकोलॉजी पर निर्भर करती है।

  • डर और लालच: इसे ज्यादातर Fear & Greed के नाम से जाना जाता है। जब शेयर आपकी दिशा में तेज़ी से जा रहा हो तो लालच आता है कि और रुकूँ। और जब विपरीत दिशा में जाए, तो डर आता है कि लॉस बुक न करूँ। सफल ट्रेडर इन दोनों भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। अपने ट्रेडिंग प्लान से कभी न भटकें।
  • हर दिन बड़ा प्रॉफिट नहीं होता: बाज़ार हर दिन आपको बड़ा जैकपॉट नहीं देगा। कुछ दिन छोटे प्रॉफ़िट या छोटे लॉस के साथ भी ख़त्म होते हैं। रोज़ाना छोटे और स्थिर प्रॉफ़िट पर ध्यान केंद्रित करें।
  • टिप: हमेशा पहले रिस्क तय करें, फिर प्रॉफ़िट। "मैं ₹500 का रिस्क ले सकता हूँ, तो ₹1000 प्रॉफ़िट कमाने की कोशिश करूँगा।"
निष्कर्ष: इंट्राडे ट्रेडिंग में सफलता का मंत्र, इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयर चुनना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। लेकिन फिर भी यह एक अनुशासित और डेटा-आधारित प्रक्रिया है। याद रखें, सबसे बेहतरीन स्टॉक वह नहीं होता जो सबसे ज़्यादा ख़बरों में हो, बल्कि वह होता है। जिसमें हाई लिक्विडिटी, अच्छी वोलैटिलिटी, और एक स्पष्ट टेक्निकल सेटअप हो।

आज से ही 'टिप्स' पर भरोसा करना बंद करें और उपर्युक्त जादुई नियमों को अपने दैनिक ट्रेडिंग रूटीन का हिस्सा बनाएँ। जब आप खुद से अच्छे स्टॉक चुनना सीख जाएंगे, तभी आप इंट्राडे ट्रेडिंग में लंबे समय तक टिक पाएंगे और मुनाफ़ा कमा पाएंगे।

उम्मीद है, आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयर सिलेक्शन की सही रणनीति! आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको How to select Intraday Trading Stocks in Hindi विस्तृत गाइड पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें जो ट्रेडिंग में संघर्ष कर रहे हैं। शेयर मार्केट के बारे में ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारियां प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. शुरुआती ट्रेडर को इंट्राडे के लिए कौन से शेयर चुनने चाहिए?

A. शुरुआती ट्रेडर्स को हमेशा Nifty 50 के सबसे लिक्विड स्टॉक्स (जैसे Reliance, HDFC Bank, TCS, Infosys) से शुरुआत करनी चाहिए। ये कम वोलैटाइल होते हैं और तेज़ी से मैनिपुलेट नहीं होते हैं।

Q2. इंट्राडे ट्रेडिंग में कितना रिस्क लेना सुरक्षित माना जाता है?

A. एक नियम के तौर पर, किसी भी एक ट्रेड में अपनी कुल ट्रेडिंग पूंजी का 1% से 2% से अधिक रिस्क नहीं लेना चाहिए। यह रिस्क मैनेजमेंट का सबसे महत्वपूर्ण नियम है।

Q3. क्या इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉप-लॉस लगाना ज़रूरी है?

A. जी हाँ, 100% ज़रूरी है। स्टॉप-लॉस (Stop-Loss) एक तरह का बीमा है जो आपको बड़े नुकसान से बचाता है। इंट्राडे में बिना स्टॉप-लॉस के ट्रेडिंग करना, अपनी पूंजी को खतरे में डालना है।

Q4. इंट्राडे के लिए सबसे अच्छा टाइम-फ़्रेम (Time-Frame) कौन सा है?

A. ज़्यादातर अनुभवी ट्रेडर्स 5 मिनट या 15 मिनट के चार्ट का उपयोग करते हैं। 5 मिनट का चार्ट एंट्री और एग्ज़िट के लिए बेहतर माना जाता है।

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