भारतीय शेयर मार्केट में इन्वेस्ट ( Invest in Stock Market ) कैसे करें?

समाचार शो, बॉलीवुड फिल्में और टीवी सभी मानते हैं कि आप जानते हैं कि शेयर बाजार क्या है? यह कैसे काम करता है? हर कोई जानता है और यदि आप भी जानते हैं कि आप क्या कर रहे हैं। तो आप शेयर बाजार में बहुत पैसा कमा सकते हैं। लेकिन शुरुआती लोग अक्सर यह नहीं समझ पाते हैं कि Stock Market कैसे काम करता है और स्टॉक का प्राइस ऊपर और नीचे क्यों जाता है? इस आर्टिकल में विस्तार से बताया गया है। कि शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट शुरू करने से पहले आपको शेयर बाजार के बारे में क्या-क्या जानना चाहिए? आइए जानते हैं- भारतीय शेयर मार्केट में इन्वेस्ट ( Invest in Stock Market ) कैसे करें? How to invest Stock Market in India in Hindi.  

                                                                         
Invest in stock Market




यदि आप स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग से बहुत धन कमाना चाहते हैं। तो आपको वॉरेन बफे के गुरु बैंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित बुक द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर जरूर पढ़नी चाहिए। यह वॉरेन बफे की सबसे ज्यादा पसंदीदा बुक है। 

शेयर मार्केट एक समुद्र है, जैसे लोग समुद्र पर अलग-अलग उद्देश्य से जाते हैं। कोई वहाँ घूमने जाता है, कोई समुद्र में मछलियाँ पकड़कर जीवनयापन करता है। और कोई बड़े-बड़े जहाज लेकर गहरे समुद्र में कीमती मिनरल्स लेने जाते है और उन्हें बेचकर अथाह धन कमाते हैं। यही चीज Stock Market investing पर भी लागू होती है। कि आप शेयर मार्केट से कितना धन कमाना चाहते हैं। 

विश्व की बात करें तो वारेन बफे साहब का नाम आपने सुना होगा। उन्होंने स्टॉक मार्केट से अथाह धन कमाया है। भारत की बात करें से जो लोग शेयर मार्केट के बारे में थोड़ा भी जानते हैं उन्होंने राकेश झुनझुनवाला जी का नाम जरूर सुना होगा। उन्होंने भी शेयर मार्केट से अपार धन कमाया है। झुनझुनवाला साहब तो अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन शेयर मार्केट में उनका नाम हमेशा अमर रहेगा। खैर, शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट कैसे करें? इसके लिए निम्नलिखित बातों के चीजों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। 

शेयर बाज़ार में वे सभी स्टॉक शामिल होते हैं जिन्हें आम जनता द्वारा विभिन्न एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता है। सही इन्वेस्ट करना इन्वेस्टमेंट का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अच्छी तरह से एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाए रखना समय के साथ आपके रिटर्न को बढ़ाने में मदद कर सकता है। निवेश का मतलब लंबी अवधि में धन बनाना होता है। अतः आपको शार्ट-टर्म ट्रेडिंग मानसिकता से बचना चाहिए। समय के साथ शेयर मार्केट में investment जारी रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। 

Stock Market क्या है? 

शेयर बाज़ार में investment एक लॉन्ग-टर्म प्रक्रिया है, जो आपको अपने वित्त का प्रबंधन करने में मदद कर सकती है। शेयर बाजार में इन्वेस्ट करना आपको कठिन लग सकता है। खासकर तब, जब आप शेयर मार्केट में शुरुआत कर रहे हों, तब आपको यह बहुत जटिल और जोखिम भरा लग सकता है। सावधानीपूर्वक सही शेयर मार्केट की जानकारी आपको इन्वेस्टिंग शुरू करने में मदद कर सकती है। 

शेयर बाजार में invest करने के दो मुख्य कारणों में से एक है। इन्वेस्टमेन्ट पर अधिक रिटर्न मिलने की संभावना और वित्तीय अनुशासन विकसित करना। उदाहरण के लिए, जब शेयर मार्केट की सावधि जमा जैसे बुनियादी बचत साधनों के साथ तुलना की जाती है। तो शेयरों में निवेश करने से पिछले दशक में रिटर्न की दर अधिक रही है। समय-समय पर इन्वेस्ट करने से वित्तीय अनुशासन की आदत विकसित होती है। जो आपको पैसे बचाने और सावधानीपूर्वक इन्वेस्ट करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

शेयर मार्केट क्या है? शेयर मार्केट एक ऐसा मार्केट है, जहाँ पर फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट ट्रेड होते है। ये स्टॉक, बॉन्ड, कमोडिटीज़, करेंसी आदि हो सकते हैं। भारत में दो प्राथमिक स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) हैं। 90% से अधिक नकद व्यापार के साथ एनएसई अब तक का सबसे बड़ा Stock Exchange है।

कमोडिटीज के लिए अन्य एक्सचेंज भी हैं जैसे मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) और पावर ट्रेडिंग के लिए इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) इत्यादि। सभी गतिविधियों के साथ-साथ मार्केट के प्रतिभागी, जिनमें दिन-प्रतिदिन के ट्रेड और ट्रेड किए जाने वाले इंस्ट्रूमेंट, स्टॉक एक्सचेंज जो फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट को ट्रेड करने में सक्षम बनाते हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा विनियमित होते हैं।

भारत में सबसे महत्वपूर्ण इंडेक्स निफ्टी और सेंसेक्स हैं। निफ्टी एनएसई पर सूचीबद्ध बाजार पूंजीकरण के शीर्ष 50 शेयरों की एक टोकरी है। सेंसेक्स बीएसई पर सूचीबद्ध 30 कंपनियों का एक इंडेक्स है। स्टॉक मार्केट इंडेक्स का उपयोग आमतौर पर फंड मैनेजरों और अन्य शेयरों के प्रदर्शन को बेंचमार्क करने के लिए किया जाता है। 

उदाहरण के लिए, यदि एक म्यूचुअल फंड जो अपने प्रदर्शन को निफ्टी पर बेंचमार्क करता है, ने इस वर्ष 15% रिटर्न दिया और निफ्टी ने 20% रिटर्न दिया, तो म्यूचुअल फंड ने वास्तव में अपने बेंचमार्क से "कम प्रदर्शन" किया। इसका मतलब यह है कि फंड मैनेजरों की विशेषज्ञता पर निर्भर रहने के बजाय बेहतर होगा कि आप उन निफ्टी 50 शेयरों को खरीद लें। 

स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट कैसे करें (How to invest Stock Market India) 

आप शेयर बाजार में सीधे Stocks खरीद या बेच नहीं सकते। इसके लिए, आपको उन स्टॉक ब्रोकरों के यहाँ अपना ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा, जो शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए अधिकृत हैं। या ऐसी स्टॉक ब्रोकरेज कंपनियों जो अपने प्लेटफॉर्म पर लोगों को ट्रेडिंग करने की अनुमति देती हैं। आजकल डीमैट अकाउंट खोलने की प्रक्रिया काफी सरल है। जो निम्न प्रकार है-
  • Investment शुरू करने के लिए, आपको ब्रोकर या स्टॉक ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म के साथ एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा। एक ट्रेडिंग अकाउंट वह जगह है, जहाँ आप वास्तव में "Stock Trading " करते हैं। यानि शेयर खरीदने और बेचने का आर्डर देते हैं। 
  • ब्रोकर या स्टॉक ब्रोकरेज प्लेटफ़ॉर्म आपके लिए एक डीमैट अकाउंट खोलता है। एक DEMAT account आपके नाम पर शेयरों को होल्ड रखता है। ये दोनों एकाउंट्स आपके बैंक अकाउंट से जुड़े होते हैं।
  • एक ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोलने के लिए, आपको अपने ग्राहक (KYC) प्रलेखन को जानने की जरूरत पड़ती है। जिसमें सरकार-अधिकृत पहचान पत्र जैसे कि पैन कार्ड और आपके आधार कार्ड के माध्यम से सत्यापन होता है।
  • अधिकांश स्टॉक ब्रोकर्स और ब्रोकरेज प्लेटफार्मों में अब एक ऑनलाइन KYC प्रक्रिया होती है। जो आपको डिजिटल रूप से ऑनलाइन अपना सत्यापन विवरण प्रस्तुत करके उसी दिन या एक-दो दिन में डीमैट अकाउंट खोलने की अनुमति देती है। यानि कि अब आप घर बैठे ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। 
  • डीमैट अकाउंट खोलने के बाद, आप अपने स्टॉक ब्रोकर या ब्रोकरेज कंपनी के साथ उसके ऑनलाइन पोर्टल पर या ऑफ़लाइन फोन कॉल के माध्यम से Stock Investing और trading कर सकते हैं।

Stock Market में Invest करने की लागत 

कुछ निम्नलिखित प्रकार की फीस हैं, जिनका भुगतान आपको शेयर इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग करते समय करना होगा।
  1. लेनदेन की लागत ( Transaction Cost): सभी स्टॉक ब्रोकर्स शेयर खरीदते और बेचते समय ब्रोकरेज फीस लेते हैं। जो आपको उनके प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग की सुविधा देने की फीस के रूप में लेते हैं। फुल सर्विस स्टॉक ब्रोकर और डिस्काउंट ब्रोकर अलग-अलग फीस लेते हैं। ब्रोकरेज के अलावा वे प्रत्येक लेनदेन पर सरकार द्वारा लगाये गए टेक्स (STT), GST और सेबी द्वारा लगाया गया टेक्स भी लेते हैं। 
  2. डीमैट फीस (Demat charges): जबकि आपका ब्रोकर या ब्रोकरेज प्लेटफ़ॉर्म आपके लिए आपका डीमैट अकाउंट खोलता है। लेकिन वे इसे संचालित नहीं करते हैं। डीमैट एकाउंट्स आपके हितों की सुरक्षा के लिए सरकार के अधिकार क्षेत्र के तहत एनएसडीएल या सीडीएसएल जैसे केंद्रीय प्रतिभूति डिपॉजिटरी द्वारा संचालित किए जाते हैं। आपसे अपने अकाउंट को बनाए रखने के लिए नाममात्र का वार्षिक शुल्क (आमतौर पर आपके ब्रोकर या ब्रोकरेज प्लेटफ़ॉर्म द्वारा एकत्र) का भुगतान करने की अपेक्षा की जाती है। ये शुल्क 100 रुपये से 750 रुपये के बीच कहीं भी हो सकते हैं।  
  3. टेक्स (TEXEX): सभी Investors को अपने प्रॉफिट का कुछ प्रतिशत सरकार को टेक्स के रूप में देना होता है। यदि आप किसी शेयर को एक वर्ष तक या उससे ज्यादा होल्ड करते हैं। तो आपको एक वर्ष बाद शेयर बेचने पर प्रॉफिट पर 10% केपिटल गेन टेक्स देना पड़ता है। यदि आप अपने शेयरों को एक वर्ष से पहले बेचते हैं। तो आपको 15% शार्ट-टर्म केपिटल गेन टेक्स चुकाना पड़ता है। ये दोनों दरें सरकार द्वारा लगाए गए सरचार्ज के अनुसार बदलती रहती हैं। 

शेयर मार्केट से आप किस प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट खरीद सकते हैं? 

शेयर मार्केट में ट्रेड किये जाने वाले प्रमुख फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट निम्नलिखित हैं-         
  • इक्विटी शेयर: कंपनियों द्वारा जारी किए गए, इक्विटी शेयर आपको लाभांश के रूप में कंपनी द्वारा भुगतान किए गए सभी भी लाभ का दावा प्राप्त करने का अधिकार देते हैं।     
  • म्यूच्यूअल फंड्स (Mutual Funds): Financial Institution द्वारा जारी और संचालित, म्यूच्यूअल फंड्स धन एकत्र करने के माध्यम हैं। जिसे बाद में विभिन्न फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट किया जाता है। Investment से होने वाले प्रॉफिट को इन्वेस्टरों के बीच उनके पास मौजूद इकाइयों की संख्या के अनुपात में वितरित किया जाता है। इन्हें "सक्रिय रूप से" प्रबंधित उत्पाद कहा जाता है, जहां फंड मैनेजर बेंचमार्क (जैसे निफ्टी) से बेहतर रिटर्न उत्पन्न करने के लिए आपकी ओर से क्या खरीदना और बेचना है? इस पर निर्णय लेता है।
  • बांड्स (Bonds): कंपनियों और सरकारों द्वारा जारी किए गए बांड इन्वेस्टर द्वारा जारीकर्ता को दिए गए ऋण का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये एक निश्चित अवधि के लिए निश्चित ब्याज दर पर जारी किए जाते हैं। इसलिए, इन्हें ऋण साधन या निश्चित आय साधन के रूप में भी जाना जाता है।   
  • एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF): तेजी से लोकप्रियता हासिल करते हुए, ईटीएफ अनिवार्य रूप से निफ्टी या सेंसेक्स जैसे सूचकांक को ट्रैक करते हैं। एक बार जब आप ईटीएफ की एक इकाई खरीद लेते हैं। तो आप निफ्टी 50 शेयरों का एक हिस्सा उसी वेटेज में रखते हैं, जो निफ्टी उन्हें रखता है। इन्हें "निष्क्रिय" उत्पाद कहा जाता है, जिनकी लागत आमतौर पर म्यूच्यूअल फंड्स की तुलना में बहुत कम होती हैं। ETF आपको इंडेक्स के समान जोखिम या रिटर्न प्रोफ़ाइल देते हैं।        
  • डेरिवेटिव (Derivative): एक डेरिवेटिव का मूल्य अंडरलाइंग एसेट या एसेट क्लास के प्रदर्शन से प्राप्त होता है। ये डेरिवेटिव कमोडिटी, करेंसी, स्टॉक, बांड, स्टॉक मार्केट इंडेक्स जैसे बैंकनिफ्टी, निफ़्टी50 आदि और ब्याज दरें हो सकते हैं।      

Investment के लिए विभिन्न प्रकार के stocks 

स्टॉक या म्युचुअल फंड्स पर रिसर्च करते समय, आपको "मार्केट कैप" शब्द का सामना करना पड़ेगा। मार्केट कैप या बाजार पूंजीकरण कंपनी का 100% मूल्य है। सीधे शब्दों में कहें तो, अगर मान लें कि किसी कंपनी का मार्केट कैप 10,000 करोड़ रुपये है। तो इसका मतलब है कि कंपनी के सभी शेयर खरीदने के लिए आपको कितने पैसे खर्च करने होंगे। 

बाज़ार पूंजीकरण के आधार पर, तीन प्रकार के स्टॉक होते हैं। यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कई म्यूचुअल फंड और ईटीएफ को मार्केट कैप के आधार पर बाँटा जाता है। मार्केट केपेटलाइजेशन के आधार पर Stocks के निम्नलिखित विभिन्न प्रकार होते हैं- 
  1. लार्ज कैप स्टॉक्स: सेबी द्वारा Large Cap Stocks को मार्केट कैप के हिसाब से शीर्ष 100 शेयरों के रूप में परिभाषित किया जाता है। ये कंपनियां राजस्व के हिसाब से देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से कुछ हैं और  अच्छी तरह से स्थापित हैं। आमतौर पर लार्ज कैप कंपनियाँ अपने संबंधित उद्योगों में बाजार में अग्रणी होती हैं। इन्हें कम से कम जोखिम भरा माना जाता है लेकिन इनके शेयरों का प्राइस मिड या स्मॉल कैप शेयरों जितनी तेजी से नहीं बढ़ता है। किन्तु इनके शेयर लंबी अवधि में हाई डिविडेंड देते हैं और इनमें आपका पैसा सुरक्षित रहता है क्योंकि जब शेयर मार्केट में गिरावट होती है तो लार्ज कैप stocks में मिड कैप और स्माल कैप स्टॉक्स की तुलना में कम गिरावट होती है। 
  2. मिड कैप स्टॉक्स: सेबी, मिड कैप स्टॉक्स को मार्केट कैप के हिसाब से शीर्ष 101-250 रैंक वाले स्टॉक के रूप में परिभाषित करता है। इसका तात्पर्य आमतौर पर 8,000 से 25,000 करोड़ रुपये के बीच मार्केट कैप वाली कंपनियों से है। ये कंपनियाँ लार्ज कैप से छोटी होती हैं, उच्च वृद्धि करने में सक्षम होती हैं। Mid Cap Companies, लार्ज कैप कंपनी में विकसित होने की क्षमता रखती हैं। उन्हें लार्ज कैप की तुलना में अधिक जोखिम भरा माना जाता है लेकिन स्मॉल कैप की तुलना में कम जोखिम भरा माना जाता है। 
  3. स्माल कैप स्टॉक्स: मार्केट कैप के आधार पर शीर्ष 251 और उससे नीचे के सभी शेयरों को सेबी द्वारा Small Cap Stock माना जाता है। ये छोटी कंपनियों के स्टॉक हैं और अक्सर अत्यधिक अस्थिर होते हैं। अन्य दो की तुलना में, इन्हें काफी अधिक जोखिम भरा माना जाता है। लेकिन इनमें उच्च रिटर्न की संभावना होती है। स्मॉल कैप स्टॉक कम लिक्विड होते हैं, यानि इनमें ट्रेडिंग वॉल्यूमचाहिए। कम होता है। जिसका अर्थ है कि इन शेयरों के लिए लार्ज कैप स्टॉक की तरह उतने बायर और सेलर नहीं होते हैं। 

कैसे जानें कि कौन सा स्टॉक खरीदना है? (How to know Which Stock to Buy)  

यह कैसे जाने कि आपको कौन से शेयरों में investment करना चाहिए। सभी शेयर मार्केट Investors की अपनी अलग-अलग प्राथमिकताएँ होती हैं। अतः आपको अपनी जरूरतों के हिसाब से इन्वेस्टमेंट संबंधी प्राथमिकताएं खुद तय करनी चाहिए। निम्नलिखित कुछ पॉइंट्स हैं जिनके आधार पर आप अपनी जरूरत के हिसाब से सही stocks का चयन कर सकते हैं। 
  
रिस्क उठाने की क्षमता तय करें

Stock Market में रिस्क उठाने की क्षमता रिस्क की वह मात्रा है, जिसे आप झेल सकते हैं। यानि अगर आपके शेयर का प्राइस आपकी उम्मीद के अनुसार नहीं चलता है। तो आप कितना नुकसान सहन कर सकते हैं, इसी को मार्केट में रिस्क उठाने की क्षमता कहा जाता है। 

रिस्क उठाने की क्षमता को प्रभावित करने वाले कई कारकों में इन्वेस्टमेंट की समयसीमा, आयु, टार्गेट और पूंजी शामिल हैं। ध्यान में रखने योग्य एक अन्य सबसे जरूरी बात, आपकी वर्तमान देनदारियाँ हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं। तो आप ज्यादा जोखिम लेने के इच्छुक नहीं होंगे। यहां, शायद आपके पोर्टफोलियो में बांड्स और लार्ज कैप स्टॉक ज्यादा होंगे। आपको अपने इन्वेस्टमेंट में रिस्क-रिवार्ड रेश्यो का ध्यान जरूर रखना चाहिए। 

दूसरी ओर, यदि आप युवा हैं और आप पर कोई आश्रित नहीं है। तो आपमें रिस्क उठाने की क्षमता अधिक हो सकती है। इससे आप बांड्स के मुकाबले स्टॉक्स में अधिक इन्वेस्ट कर सकते हैं। स्टॉक्स के भीतर भी, आप स्मॉल कैप शेयरों में अधिक investment कर सकते हैं। Small Cap Stocks अधिक जोखिम वाले स्टॉक होते हैं। इस बात  का आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि "डर के आगे जीत है"। यानि कि रिस्क उठाने वालों को  ही रिवार्ड मिलता है, जोखिम और इनाम साथ-साथ चलते हैं।

Stock Market में नियमित रूप से Invest करें 

अब जब आपके पास एक डीमैट अकाउंट खोल लिया है। तो आपको नियमित रूप से इन्वेस्टमेंट के लिए धन आवंटित करने की आवश्यकता है। अपना व्यक्तिगत बजट निर्धारित करें, अपने खर्चों पर नज़र रखें और देखें कि Stock Market Investment के लिए आप कितना पैसा अलग रख सकते हैं। बाजार में इन्वेस्ट करने का सबसे अच्छा तरीका सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का उपयोग करना है। 

एक एसआईपी, मान लीजिए, एक म्यूचुअल फंड में आप हर महीने समान राशि का निवेश कर रहे हैं। यह आपको शेयर मार्केट के विभिन्न स्तरों का औसत निकालने, निवेश की अच्छी आदतें बनाए रखने में मदद करता है। और आपको आत्मविश्वास हासिल करने के साथ-साथ धीरे-धीरे अपना निवेश बढ़ाने का हौंसला भी देता है।

Diversified पोर्टफोलियो बनाएं 

किसी भी पोर्टफोलियो के निर्माण का मूल नियम अलग-अलग प्रकार की एसेट में पैसा इन्वेस्ट करना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि कोई एसेट खराब प्रदर्शन करती है तो यह प्रभाव को कम कर देता है। अलग-अलग एसेट क्लास, उद्योग और चक्रों के भीतर विस्तारित होता है। अपना सारा पैसा किसी ऐसे उद्योग में लगाना आकर्षक हो सकता है जो उन्नति की ओर अग्रसर है। 

लेकिन रिस्क को कम करने के लिए अपने जोखिम को अलग-अलग उद्योगों के बीच बाँट देना चाहिए। यानि अलग-अलग सेक्टर से स्टॉक्स में invest करना चाहिए। यानि अपना सारा पैसा एक ही कंपनी के stock में इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए। इसी को पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन कहा जाता है।  साथ ही समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो को रीबेलेंसिंग करते रहना चाहिए। 

कम रिटर्न वाले बॉन्ड के साथ इक्विटी शेयरों के जोखिम को संतुलित करना हमेशा बेहतर होता है। अंत में, यह सुनिश्चित करने के लिए एसआईपी का उपयोग करें कि आपने विभिन्न बाजार चक्रों ( अपट्रेंड और डाउनट्रेंड) में शेयरों में निवेश किया है।  

अपने पोर्टफोलियो को रीबेलेंसिंग करें 

जैसे-जैसे समय के साथ आपकी प्राथमिकताएँ बदलती हैं।   उसी के अनुसार समय-समय पर आपके पोर्टफोलियो में भी बदलाव होना चाहिए। आपको यह सुनिश्चित करने के लिए हर दो तिमाहियों में अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करना चाहिए कि आपने किसी एक स्टॉक या एसेट क्लास में जरूरत से अधिक investment तो नहीं कर रखा है। इसी को Rebalance portfolio कहते हैं। 

जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है और आपकी प्राथमिकताएं बदलती हैं। उस के अनुरूप ही आपका इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो भी होना चाहिए। उदाहरण के लिए, जब आप परिवार शुरू करते हैं या जब आप सेवानिवृत्ति की आयु के करीब होते हैं। तब आप अपने जोखिम कम करना चाह सकते हैं और तब आपको अपने पैसे पर कम रिस्क लेना भी चाहिए। 

 में कोई भी Stock Market में निवेश कर सकता है। यह एक जीवन कौशल है, जिसे निखारने की जरूरत होती है। और सभी अच्छी चीजों की तरह इसमें भी थोड़ा धैर्य, समय और अध्ययन की जरूरतहोती है। सोच-समझकर किए गए निवेश से, आप अपने पैसे को काम में लगा सकते हैं और अपने लक्ष्यों और सपनों को हासिल कर सकते हैं।
 
उम्मीद है, आपको यह भारतीय शेयर मार्केट में इन्वेस्ट ( Invest in Stock Market ) कैसे करें? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह How to invest Stock Market in India in Hindi. आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। यदि इस आर्टिकल के बारे में आपके मन में कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट जरूर करें। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।                                       

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