Zero-Days To (0DTE) Expiration Options: ट्रेडिंग से क्या 24 घंटे में करोड़पति बन सकते हैं?

By: Manju chaudhary Published Jun 14, 2025

Zero Days to Expiration (0DTE) Options वे ऑप्शन्स होते हैं जिनकी एक्सपायरी डेट उसी दिन होती है। जिस दिन वे खरीदे या बेचे जाते हैं। इसका मतलब यह है कि ट्रेडर्स को बहुत ही कम समय में निर्णय लेना होता है और मार्केट ट्रेंड को समझकर तुरंत एक्शन लेना पड़ता है। आइए जानते हैं- जीरो-डेज- टू-एक्सपायरेशन ऑप्शन ट्रेडिंग से 24 घंटे में करोड़पति बन सकते हैं? Zero-Days-To-Expiration-Options (0 DTE) Trading in Hindi. 
                                                                                   
Zero DTE Expiry Trading
भारत में Zero DTE ट्रेडिंग संभव है?

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको श्यामसुन्दर गोयल द्वारा लिखित द आर्ट ऑफ ऑप्शन ट्रेडिंग बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

Zero Days to Expiration (0DTE) Options क्या होते हैं?

आज के तेज़ी से बदलते फाइनेंशियल मार्केट में Zero Days to Expiration (0DTE) Options ट्रेडिंग एक रोमांचक और जोखिम भरा तरीका बन चुका है। यह ऑप्शन उसी दिन एक्सपायर हो जाते हैं, जिस दिन वे खरीदे या बेचे जाते हैं। इस आर्टिकल में हम 0DTE ऑप्शन्स के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। ताकि आप इसे बेहतर तरीके से समझ सकें और इसका सही उपयोग कर सकें 

0DTE, एक्सपायरी के दिन जीरो दिन, इंट्राडे ऑप्शंस को संदर्भित करता है जो करंट ट्रेडिंग सेशन के बाद समाप्त होते हैं। 0DTE ऑप्शन बहुत वोलैटाइल होते हैं, यह नए ऑप्शन ट्रेडर्स के लिए बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं हैं। जो ट्रेडर्स इंट्राडे ऑप्शंस खरीदना या बेचना चाहते हैं, उन्हें इनके जोखिमों के बारे में पता होना चाहिए। ट्रेडर्स को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप उपयुक्त स्टॉकब्रोकर चुनना चाहिए। 

0DTE Options को कैसे ट्रेड करें? 

जीरो-डे-टू-एक्सपायरेशन (0DTE) ऑप्शंस, पारंपरिक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स से अलग होते हैं। इनकी ट्रेडिंग केवल इंट्राडे में ही हो सकती है, यानि इन्हें अगले दिन के लिए होल्ड नहीं किया जा सकता। इसमें अंडरलाइंग एसेट के प्राइस में शार्ट-टर्म मूवमेंट से प्रॉफिट कमाने की कोशिश की जाती है। 

0DTE Options की ट्रेडिंग में एक्सपायरी का कॉन्सेप्ट महत्वपूर्ण रोल ऐडा करता है क्योंकि एक्सपायरी के दिन तेज थीटा डिके की वजह से इनकी लाइफ बहुत कम होती है। जिससे जीरो-डे ऑप्टिव टाइम सेंसिटिव बन जाते हैं और इनकी वैल्यू में बहुत तेज गति से उतार-चढ़ाव होता है। यानि वोलैटिलिटी बहुत अधिक बढ़ जाती है जो ट्रेडर्स को शार्ट-टर्म ट्रेडिंग के मौके देती है। 

जैसे-जैसे एक्सपायरी नजदीक आती जाती है, 0DTE options के प्राइस में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होने लगता है। इनके हाई रिस्क और हाई रिटर्न नेचर के कारण ही ट्रेडर्स इनकी तरफ आकर्षित होते हैं क्योंकि इससे जल्दी परिणाम मिल जाते हैं। 0DTE ऑप्शंस का निपटान आम तौर पर ट्रेडिंग सेशन के आखिर में होता है। 

जिससे ऑप्शन बेकार हो जाते हैं या प्रयोग किए जाते हैं। निश्चित टाइम फ्रेम सीमित के कारण 0DTE ऑप्शंस में ट्रेडिंग करते समय स्टॉक मार्केट पर बारीक़ नजर बनाये रखनी चाहिए। ऑप्शन बाइंग और सेलिंग के निर्णय तेज गति से लेने चाहिए अन्यथा आपको भारी नुकसान का सामना करना पद सकता है।

जो ट्रेडर्स 0DTE ऑप्शन ट्रेडिंग करना चाहते हैं, उन्हें यह पता होना चाहिए कि उन्हें लगातार लेनदेन करना होगा। अतः उन्हें कम ब्रोकरेज फीस वाले stockbroker का चुनाव करना चाहिए। साथ ही उसके पास अच्छी टेक्निकल एनालिसिस टूल्स होने चाहिए। जिससे प्रॉफिटेबल ट्रेडिंग पोजीशन बनाने में मदद मिल सके। 

इसके साथ ही ट्रेड एक्जिक्यूट होने की स्पीड भी तेज होनी चाहिए। जिससे आप 0DTE trade को आसानी से अपने मन चाहे प्राइस पर पर buy or sell कर पाएं। आपको ऐसे स्टॉक ब्रोकर को वरीयता देनी चाहिए जो अपने क्लाइंट्स को ऑनलाइन शेयर मार्केट की शिक्षा भी देता हो। 

डेरिवेटिव मार्केट में ट्रेडिंग के लिए आपको ब्रोकर के साथ अपनी पहचान, फाइनेंसियल कंडीशन और पर्स्नल इन्फॉर्मेशन जैसे वार्षिक इनकम आदि की जानकारी भी साँझा करनी होगी। तभी स्टॉकब्रोकर आपको f&o trading की अनुमति दे सकता है क्योंकि SEBI (सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने ऐसा कानून लागू किया हुआ है। 

स्टॉक ब्रोकर्स को सेबी द्वारा लागू किये गए सभी कानूनों का पालन करना जरूरी होता है। जो स्टॉकब्रोकर सेबी द्वारा लागू कानूनों का पालन नहीं करते हैं। उनकी मान्यता रद्द कर दी जाती है या उनपर भारी जुर्माना लगाया जाता है।

0DTE ऑप्शंस  आउट थीटा डिके

जीरो-डेजटू एक्सपायरेशन (zero-days-to-expiration) ऑप्शन और थीटा डिके के संबंध के बारे में ऑप्शन ट्रेडर्स को जरूर जानकारी होनी चाहिए अन्यथा उन्हें लॉस का सामना करना पड़ सकता है। Theta decay के कारण की ऑप्शन प्रीमियम बहुत तेजी से कम होते हैं और एक्सपायरी के दिन थीटा डिके बहुत तेजी से होता है। 

विशेषकर एक्सपायरी के एकदम नजदीक यानि 2 to 30 pm के करीब थीटा डिके की वजह से ऑप्शन प्रीमियम जीरो हो जाते हैं। हालाँकि ट्रेडर्स Theta decay का उपयोग प्रॉफिट कमाने के लिए भी कर सकते हैं। विशेषकर ऑप्शन सेलर अक्सर थीटा डिके से प्रॉफिट कमाते हैं। 

जीरो-डेज- टू-एक्सपायरेशन ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

0dte ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए कौन सी ऑप्शन स्ट्रेटेजी सही रहेगी? 

बुल कॉल स्प्रेड और आयरन कोडोर सबसे अच्छी 0DTE ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज हैं। सामन्यतः अन्य ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रैटेजियों में कॉल और पुट को शेयर मार्केट में होने वाली घटनाओं के दौरान buy या sell किया जाता है। साथ ही लॉन्ग-टर्म पोर्टफोलियो को हैज भी किया जाता है। 

सबसे सफल ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कौन सी है? 

लॉन्ग-स्ट्रैडल ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को सबसे सफल ऑप्शन स्ट्रेटेजी माना जाता है। इसमें in-the-money कॉल और पुट ऑप्शन खरीदा जाता है। दोनों ही ऑप्शन एक समान अंडरलाइंग एसेट, स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट के होते हैं। इस स्ट्रेटेजी में प्रॉफिट अनलिमिटेड हो सकता है जबकि लॉस लिमिटेड ही होता है।  

एक्सपायरी पर कौन से ऑप्शन जीरो हो जाते हैं?

एक्सपायरी पर ओटीएम और एटीएम ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स बेकार हो जाते हैं। प्रीमियम के रूप में भुगतान की गई पूरी राशि जाती है लईकिन ब्रोकरेज केवल एक तरफ चार्ज किया जाता है।  जोकि ऑप्शन खरीदे जाने पर होता है न कि तब जब वे एक्सपायरी पर बेकार हो जाते हैं।

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