Expiry Day Trading: एक्सपायरी डे ट्रेडिंग की फुल गाइड हिंदी में।
By: Manju chaudhary Published Jun 10, 2025
शेयर मार्केट से पैसे कमाने के कई तरीके हैं। जिनमें से एक एक्सपायरी डे ट्रेडिंग भी है। ट्रेडर्स द्वारा अपनाई जाने वाली ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज में से Expiry day trading ने ट्रेडर्स को अपनी तरफ सबसे ज्यादा खींचा है। इस ट्रेडिंग को ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट्स के आखिरी दिन किया जाता है। जानते हैं- एक्सपायरी डे ट्रेडिंग की फुल गाइड हिंदी में। Expiry day trading in Hindi.
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यदि एक्सपायरी डे ट्रेडिंग सही ज्ञान, रणनीति और अनुशासन के साथ किया जाए, तो यह काफी प्रॉफिटेबल हो सकता है। |
अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको श्याम सुंदर गोयल द्वारा लिखित द आर्ट ऑफ ऑप्शन ट्रेडिंग बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
एक्सपायरी डे ट्रेडिंग क्या है?
Expiry day के दिन मार्केट में ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रीमियम में बहुत ज्यादा वोलैटिलिटी होती है। ट्रेडर्स प्रीमियम में इसी उतार-चढ़ाव से प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं। इस दिन टाइम डिके की वजह से ऑप्शन प्रीमियम बहुत सस्ते प्राइस पर मिल जाते हैं। आप वर्थलैस एक्सपायर होने की उम्मीद में ऑप्शंस को सेल भी कर सकते हो। आपका लक्ष्य शार्ट-टर्म प्राइस मूवमेंट से प्रॉफिट कमाना होना चाहिए।
आप इसे निम्नलिखित उदाहरण के द्वारा इस तरह समझ सकते हैं-
- अगर आपको लगता है कि आज मार्केट चढ़ेगा तो आपको कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए।
- यदि आपको लगता है कि आज मार्केट के गिरने के ज्यादा चांस हैं तो आपको पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए।
- अगर आपको लगता है कि आज मार्केट साइडवे रहेगा तो आपको ऑप्शन सेल करना चाहिए।
एक्सपायरी डे ट्रेडिंग का महत्व (Expiry day trading)
एक्सपायरी डे ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स का अंतिम दिन होता है इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसका महत्व निम्नलिखित कारणों की वजह से होता है-
- कॉन्ट्रैक्ट सेटलमेंट: सभी ओपन पोजीशन एक्सपायरी डे के दिन क्लोज या एक्सपायर हो जाती हैं। इस दिन ऑप्शन बायर को अपने ऑप्शन का प्रयोग करना होता है अन्यथा वह शून्य हो जाता है। यदि ऑप्शन बायर अपने ऑप्शन का प्रयोग करता है तो ऑप्शन सेलर को उसे पूरा करना जरूरी होता है।
- तेजी से टाइम डिके: Expiry Day को जैसे-जैसे एक्सपायरी का समय नजदीक आता है ऑप्शंस के प्रीमियंम बहुत तेजी से गिरते हैं। इसे थीटा डिके के नाम से भी जाना जाता है। एक्सपायरी के नजदीक यह बहुत तेजी से कम होता है जिससे ऑप्शन के प्राइस बहुत अधिक प्रभावित होते हैं।
- वोलैटिलिटी का बढ़ना: एक्सपायरी के दिन ट्रेडर्स द्वारा अपनी पोजीशनों को सैटल करते हैं। जिसके कारण मार्केट में वोलैटिलिटी और ट्रेडिंग वॉल्यूम बहुत अधिक बढ़ जाते हैं। जिससे ट्रेडिंग के अवसर को मौके दोनों बढ़ जाते हैं।
- रिस्क मैनेजमेंट: ट्रेडर्स को अपनी पोजीशनों को प्रभावी रूप से मैनेज करने के लिए expiry day के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहिए।
- Expiry day का मार्केट पर प्रभाव: बहुत सारे f&o कॉन्ट्रेक्ट्स के सेटलमेंट की वजह से सम्पूर्ण मार्केट प्रभावित होता है। जिसकी वजह से अंडरलाइंग एसेट्स के प्राइस भी प्रभावित हो सकते हैं।
Option Expiry Day Trading कैसे काम करती है?
एक्सपायरी के दिन ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- टाइम सेंसिविटी: ट्रेडर्स को अपनी पोजीशन को जल्दी कवर करना चाहिए क्योंकि इस दिन थीटा डिके बहुत तेजी से होता है। प्रॉफिट बुक करने या नुकसान को कम करने के लिए ट्रेड को बहुत तेजी से एक्जिक्यूट करना चाहिए।
- प्राइस मूवमेंट: ट्रेडर्स अंडरलाइंग एसेट के प्राइस पर बारीक़ नजर रखते हैं और ऐसे प्राइस मूवमेंट पर नजर रखते हैं। जिससे वे प्रॉफिट कमा सकें, यहाँ तक कि स्मॉल प्राइस मूवमेंट भी ऑप्शन प्रीमियम को काफी प्रभावित करते हैं।
- वॉल्यूम और लिक्विडिटी: एक्सपायरी के दिन अक्सर ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ाते हैं। जिससे पोजीशन में एंट्री करने या एग्जिट करने के लिए बेहतर लिक्विडिटी मिलती है।
- स्ट्राइक प्राइस का चयन: ट्रेडर्स अंडरलाइंग एसेट के करंट मार्केट प्राइस के करीब स्ट्राइक प्राइस वाले ऑप्शन चुनते हैं, क्योंकि ये प्राइस मूवमेंट के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं।
- रिस्क का मूल्यांकन: एक्सपायरी के दिन यदि ऑप्शन का यूज न किया जाय तो ऑप्शन निरर्थक एक्सपायर हो जाते हैं।
ऑप्शन एक्सपायरी डे पर ट्रेड कैसे करें?
ऑप्शन एक्सपायरी डे पर सफलतापूर्वक ट्रेडिंग करने के लिए निम्नलिखित रणनीतिक दृष्टिकोण होना चाहिए-
- मार्केट एनालिसिस: आपको ट्रेडिंग पोजीशन बनाने से पहले मार्केट ट्रेंड, समाचार और टेक्निकल इंडिकेटर का विश्लेषण करके मार्केट एनालिसिस करना चाहिए।
- ट्रेडिंग के मौके ढूंढे: ऐसे ऑप्शन की पहचान करें जो थोड़े out-of-the-monesy हों लेकिन जिनमें इतनी क्षमता हो कि अंडरलाइंग एसेट के प्राइस में थोड़े से परिवर्तन से ही आपको प्रॉफिट मिल सके।
- स्पष्ट उद्देश्य निर्धारित करें: किसी ट्रेड में एंटर करने से पहले, अपने प्रॉफिट टार्गेट और स्टॉप-लॉस लेवल पहले ही निर्धारित करें। मार्केट रिस्क को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए ट्रेडिंग प्लान का सख्ती से पालन करें।
- लगातार निगरानी करें: पूरे दिन मार्केट की मूवमेंट पर नज़र रखें। मौका मिलने पर ट्रेड में जल्दी से जल्दी एंट्री और एग्जिट करने के लिए तैयार रहें क्योंकि परिस्थितियाँ तेज़ी से बदल सकती हैं।
- लिमिट ऑर्डर का उपयोग करें: अपने पसंदीदा प्राइस पर ट्रेडिंग पोजीशन में एंट्री और एग्जिट करने के लिए आपको मार्केट ऑर्डर के बजाय लिमिट ऑर्डर लगाना चाहिए।
- स्प्रेड पर विचार करें: ऑप्शन स्प्रेड संभावित प्रॉफिट सुनिश्चित करते हैं। साथ ही रिस्क को भी सीमित करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए बुल कॉल स्प्रेड में एक कॉल ऑप्शन खरीदना और दूसरे को हाई स्ट्राइक मूल्य पर बेचना शामिल है।
- अलर्ट रहें: किसी भी समाचार या घटना पर नज़र रखें जो मार्केट या आपके द्वारा ट्रेड किए जा रहे विशिष्ट स्टॉक को प्रभावित कर सकती है।
- टाइम डिके को मैनेज करें: ट्रेडिंग पोजीशन बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि एक्सपायरी के दिन Time dicky तेज़ हो जाता है इसलिए पोजीशन को जल्दी क्लोज करना चाहिए।
मार्केट वोलैटिलिटी पर एक्सपायरी का प्रभाव:
Expiry Date मार्केट वोलैटिलिटी को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। यह निम्नलिखित कई कारणों से होती है-
- डेल्टा हेजिंग: ऑप्शन सेलर को डेल्टा-न्यूट्रल पोजीशन बनाए रखने के लिए अंडरलाइंग एसेट को खरीदने या बेचने की जरूरत हो सकती है। जिससे प्राइस में उतार-चढ़ाव बढ़ जाता है।
- पोजीशन स्क्वेरिंग: एक्सपायरी डे की वजह से ज्यादातर ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को अपनी पोजीशन बंद करनी पड़ती है। जिससे मार्केट में शेयरों की buy & sell खरीद की गतिविधि बढ़ जाती है।
- आर्बिट्रेज गतिविधियाँ: ट्रेडर्स स्पॉट और फ्यूचर्स मार्केट के बीच प्राइस के अंतर मूल्य का फायदा उठाते हैं। जिससे सभी स्टॉक एक्सचेंजों पर stocks प्राइस तेजी से एक समान होने लगते हैं।
- स्पेक्युलेशन में बढ़ोतरी: Expiry Day Trading के दौरान बड़ी संख्या में ट्रेडर्स इस बात का अनुमान लगाते हैं कि एक्सपायरी किस प्राइस पर होगी। इससे ट्रेडिंग में स्पेक्युलेशन बढ़ता है।
- फ्यूचर्स पोजीशनों का रोल-ओवर: प्रॉफिट टार्गेट हिट नहीं होने की वजह से बड़ी संख्या में इन्वेस्टर्स अपनी पोजीशन को अगली एक्सपायरी तक रोल ओवर कर लेते हैं। जिससे मार्केट में वोलैटिलिटी बढ़ सकती है।
Expiry Day पर ऑप्शन बाइंग एंड सेलिंग स्ट्रेटेजी
एक्सपायरी डे के दिन ट्रेडर्स बहुत सी ट्रेडिंग स्ट्रॅटजीज इस्तेमाल करते हैं। जिसमें ऑप्शन बाइंग और सेलिंग दोनों शामिल हैं-
ऑप्शन बाइंग (Option buying): इस दिन सस्ते ऑप्शन की तलाश करनी चाहिए जो अंडरलाइंग एसेट की संभावित गति के सापेक्ष कम कीमत वाले दिखाई देते हैं। साथ ही आपको At-the-money ऑप्शन की तलाश करनी चाहिए क्योंकि अंडरलाइंग एसेट के प्राइस में थोड़ा सा भी परिवर्तन होने पर इनके प्रीमियम में तेज उतार-चढ़ाव होता है।
आपको ऑप्शन बाइंग के लिए स्ट्रांग प्राइस मोमेंटम वाले स्टॉक की तलाश करनी चाहिए। जिनके ट्रेंड के आगे भी जारी रहने की संभावना हो। उदाहरण के लिए यदि कोई स्टॉक 200 रूपये पर ट्रेड करता है। साथ ही प्राइस ऊपर की ओर स्ट्रांग मूव दिखाता है तो कोई ट्रेडर्स उसे 202 के स्ट्राइक प्राइस के साथ कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं। जिससे आगे प्रॉफिट की उम्मीद की जा सकती है।
ऑप्शन सेलिंग (Option selling): आपको आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शन बेचने चाहिए क्योंकि एक्सपायरी के दिन इनकी सबसे ज्यादा वर्थलेश एक्सपायर होने की संभावना रहती है। जिससे ऑप्शन सेलर को प्रीमियम खाने को मिलता है।
इस दिन ऑप्शन स्प्रेड ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का उपयोग करने से रिस्क को सीमित किया जा सकता है और टाइम डिके से भी बचाव होता है। इस स्ट्रेटेजी में प्रॉफिट भले ही कम हो लेकिन रिस्क भी लगभग खत्म हो जाता है। मार्केट में जब वोलैटिलिटी ज्यादा हो तब ऑप्शन सेलिंग करनी चाहिए क्योंकि वोलैटिलिटी में प्रीमियम बढ़ जाते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि कोई स्टॉक 300 रूपये पर ट्रेड कर रहा है और आप उम्मीद करते हैं कि यह प्राइस स्थिर रहेगा तो आप उसकी 290 की स्ट्राइक प्राइस वाला पुट ऑप्शन बेच सकते हैं। यह अनुमान लगाते हुए कि यह बेकार हो जाएगा। Expiry Day Trading में ऑप्शन बाइंग और सेलिंग दोनों के लिए आपको सही ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बनाने की समझ की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
एक्सपायरी डे ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे (Expiry Day Trading):
- कम प्रीमियम: टाइम डिके के कारण एक्सपायरी के दिन ऑप्शन आमतौर पर सस्ते होते हैं। जिससे ट्रेडर्स कम पैसों से ऑप्शन ट्रेडिंग कर पाते हैं।
- लिमिटेड रिस्क: ऑप्शन ट्रेडिंग में अधिकतम रिस्क आपके द्वारा भुगतान किये गए प्रीमियम के बराबर ही हो सकता है। जिससे रिस्क की अधिकतम सीमा निर्धारित हो जाती है।
- त्वरित लाभ की संभावना: एक्सपायरी के दिन ऑप्शन प्रीमियम में तेजी से उतार-चढ़ाव से जल्दी ही पर्याप्त प्रॉफिट हो सकता है।
- लचीलापन: ट्रेडर्स इंट्राडे में मार्किट मूवमेंट के आधार पर आप अपनी ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को आसानी से समायोजित कर सकते हैं।
- हाई लेवरेज: Expiry Day को ऑप्शन प्रीमियम कम होने की वजह से कम लेवरेज में भी बड़ी पोजीशन बना सकते हैं। जिसकी वजह से ज्यादा प्रॉफिट कमा सकते हैं।
- वोलैटिलिटी में ट्रेडिंग के अवसर: वोलैटिलिटी की वजह से ऑप्शन प्रीमियम बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होते हैं। जिससे इस दिन बढ़ी हुई वोलैटिलिटी के कारण Expiry Day Trading के कई मौके मिलते हैं।
एक्सपायरी-डे ट्रेडिंग की तेज़ गति वाली प्रकृति के लिए त्वरित निर्णय लेने की जरूरत होती है। यदि शेयर बाजार की चाल ट्रेडर की अपेक्षाओं के विपरीत होती है तो इससे काफी नुकसान हो सकता है।
निष्कर्ष: ऑप्शन ट्रेडिंग में एक्सपायरी-डे ट्रेडिंग उन ट्रेडर्स के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करती है जो इसके मोमेंटम को समझते हैं। हालांकि यह संभावित रूप से प्रॉफिटेबल हो सकता है लेकिन इसमें तेजी से प्राइस मूवमेंट और समय की संवेदनशीलता के कारण बहुत जोखिम भी होते हैं।
इस स्ट्रेटेजी के लिए शेयर मार्केट ज्ञान, त्वरित निर्णय लेने और प्रभावी रिस्क मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है। सभी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज की तरह एक्सपायरी-डे ट्रेडिंग को ट्रेडिंग डिसिप्लिन और एक ट्रेडिंग प्लान के साथ करना जरूरी होता है।
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