IPO ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या होता है? Grey Market Premium |

ग्रे मार्केट प्रीमियम आखिर होता क्या है, कई लोगों को यह भी शक होता है कि यह जो ग्रे शब्द आ रहा है। कहीं यह गैरकानूनी का संकेत तो नहीं दे रहा है। ग्रे मार्केट प्रीमियम के साथ और भी दो टर्म्स जुड़ी हुई हैं-
  1. कोष्टक रेट (kostak Rate) 
  2. एसएस सब्जेक्ट टू सौदा (SS- subject to sauda) 
साथ में ग्रे मार्केट से जुड़े हुए क्या-क्या रिस्क फैक्टर्स हैं। उनके बारे में भी इस आर्टिकल में बताया गया है। अगर आपको किसी आईपीओ का ग्रे मार्केट प्रीमियम पता चलता है, तो उसे आप सही तरीके से कैसे यूज कर सकते हैं? इस आर्टिकल में IPO में ग्रे मार्केट प्रीमियम (Grey Market Premium) क्या होता है? GMP की पूरी जानकारी विस्तार से दी गई है। चलिए जानते हैं- Grey Market Premium in Hindi.
                                                               
ग्रे मार्केट प्रीमियम होता क्या है? Grey market


अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करना सीखना चाहते हैं तो आपको वारेन बफेट के गुरु बैंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर जरूर पढ़नी चाहिए। 

 Grey Market Premium होता क्या है? 

एक तरफ होती है वाइट मार्केट, जो पूरी तरह लीगल होती है उदाहरण स्वरूप यदि आप स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदते और बेचते हैं। यह लीगल है क्योंकि इसकी अनुमति है। इसलिए  इसे वाइट मार्केट कहेंगे। दूसरी तरफ होता है ब्लैक मार्केट यानी जो गैरकानूनी होता है क्योंकि यहाँ कानून के हिसाब से काम नहीं होता है।  

जैसा कि आपने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देखा था कि लोग ब्लैक मार्केट में कोरोना की दवाइयाँ कई गुना महंगे दामों पर बेच रहे थे, इसे कहते हैं ब्लैक मार्केट। इसी तरह क़ानूनी और गैर क़ानूनी के बीच के एरिया को Grey market कहते हैं। यानी कि वह अवैध भी नहीं है लेकिन इसके लिए कानून नहीं बना है। 

ऐसा ही एक उदाहरण है IPO Grey market का जिसके अंदर शेयरों की ट्रेडिंग होती है लेकिन इनके ऊपर सेबी  के रेगुलेशन लागू नहीं होते हैं। आईपीओ ग्रे मार्केट में सेबी के रूल्स इसलिए लागू नहीं हो पाते क्योंकि सेबी के रूल्स तब लागू होते हैं जब कोई आईपीओ शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाता है।

इसलिए जब तक IPO लिस्ट नहीं होता तब तक उस पर सेबी के रेगुलेशंस लागू नहीं होते इसलिए ही यह अनरेगुलेटेड मार्केट है। अब प्रश्न उठता है कि आईपीओ ग्रे मार्केट में किस-किस समय पर ट्रेड होता है। जब भी कोई आईपीओ आता है सबसे पहले उसका इश्यू प्राइस घोषित किया जाता है।

इसके बाद इसके लिस्ट होने तक दस, पांच दिन का समय होता है। इस समय के अंदर ही ट्रेडिंग शुरू हो जाती है, एप्लीकेशन को भी खरीदा बेचा जाता है। जिस किसी को भी शेयर अलॉट हो जाते हैं उससे भी शेयर एडवांस में ही खरीदे लिए जाते हैं। अब आप जान गए होंगे कि ग्रे मार्केट होता क्या है? वारेन बुफेट पोर्टफोलियो

IPO में लोग Grey Market में ट्रेडिंग क्यों करते हैं?

मान लीजिए कोई बहुत ही फेमस कंपनी का आईपीओ आया है उदाहरण स्वरूप पेटीएम का नाम ले लेते हैं। पेटीएम का आईपीओ आया है, लोगों को लग रहा है कि बहुत ही प्रसिद्ध तथा बड़ी कंपनी है। इसकी लिस्टिंग काफी अच्छे प्रीमियम पर होनी चाहिए। इससे हम पचास प्रतिशत या इससे भी ज्यादा का प्रीमियम कमा सकते हैं।

मान लेते हैं कि यदि 1000 रूपये का परशेयर का इश्यू प्राइस है। तो बहुत से लोग कहेंगे कि क्यों न किसी को 30 से 40 % का प्रॉफिट देकर उनसे शेयर बल्क में ले लिए जाएँ और इस तरह जो 50 % या इससे भी ज्यादा प्रॉफिट हो होने की संभावना है। उससे दस,पांच दिन में अच्छा प्रॉफिट कमा लिया जाय। IPO से पैसे कैसे कमायें?

इस वजह से बहुत सारे लोग Grey market के अंदर डील करते हैं। यह अनऑफिशियल मार्केट है, यहां पर जितनी भी ट्रेडिंग होती है वह सभी मौखिक होती है। उसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता, इस तरह की मार्केट कुछ ही शहरों में होती है। इसमें डील, डीलर्स के द्वारा करवाई जाती है। 

डीलर का काम खरीददार और बेचने वाले को मिलाकर सौदा पूरा करवाना होता है। यह पक्का करना होता है कि खरीदार और बेचने वाले अपने अपने सौदे पर बनी रहे। इसके लिए डीलर्स को कमीशन मिलता है। अब आप यह तो समझ गए होंगे कि Grey market कैसे काम करता है।

Grey Market Premium कैसे काम करता है?

यहां पर एक उदाहरण लेकर चलते हैं जैसे कि पेटीएम का आईपीओ आया। उसका इश्यू प्राइस 1000 रूपये रखा गया। इसका मिनिमम लॉट साइज 15 शेयरों का है। इस तरह इस आईपीओ में यदि कोई निवेश करना चाहता है तो उसे कम से कम 15000 रूपये का निवेश करना होगा। शेयर बाजार क्या होता है?

मान लीजिए एक व्यक्ति अपने लॉट को बेचने के लिए तैयार है, इसी तरह दूसरा व्यक्ति उसे खरीदने के लिए तैयार है। खरीददार बेचने वाले को परशेयर 30% यानी 300 रूपये का प्रीमियम देने के लिए भी तैयार है। इस खरीदार को लगता है कि यह शेयर इश्यू प्राइस से  60-70 % से भी ज्यादा हो सकता है। इसलिए उसे 300 रूपये का प्रीमियम  बेचने वाले को देने के बाद भी अच्छा प्रॉफिट हो सकता है।

इस तरह के खरीददार आईपीओ में बल्क में माल उठाते हैं। यानि कि बहुत सारे लोगों से इस तरह की डील करते हैं क्योंकि उसे लगता है कि इस तरह कुछ ही दिन में इतने अच्छे रिटर्न बनते हैं तो यह रिस्क लिया जा सकता है। इसमें बेचने वाले से खरीददार की तरफ रिस्क ट्रांसफर हो जाता है। कैंडलस्टिक पैटर्न

इस केस में बेचने वाले को कोई नुकसान नहीं है। आखिर इसे तो 300 रूपये परशेर का फायदा ही हो रहा है। अगर हम इसे 15 से गुणा कर देते हैं तो बेचने वाले को एक लॉट पर 4500 रूपये का फायदा हो रहा है। इस बेचने वाले को 15 शेयर ट्रांसफर करने होंगे जब भी खरीदार कहेगा या बेचने होंगे, खरीदार के कहने पर।

इस तरह जो भी नेट प्रॉफिट या नुकसान होगा, वह खरीददार की तरफ ट्रांसफर हो जाएगा। यह जो सारी डील है, इसके बीच में डीलर रहता है क्योंकि शेयर बेचने वाले और खरीदने वाले एक दूसरे को जानते नहीं हैं। इसलिए डीलर पूरी डील को एग्जीक्यूट करवाते हैं।

इस केस में बेचने वाले को तो उसका 300 रूपये परशेयर का फिक्स प्रॉफिट मिल ही जाएगा। लेकिन यदि बेचने वाले को लगता है कि शेयर बहुत ज्यादा प्रीमियम पर लिस्ट होगा तो यह और भी ज्यादा प्रीमियम मांग सकता है।

इस तरह डिमांड और सप्लाई आ जाती है। जिसकी जितनी ज्यादा डिमांड उतनी ही ज्यादा कीमत। इस तरह इस आईपीओ में 500 रूपये Grey market premium भी हो सकता है। इस केस में खरीदार जो भी प्रीमियम बेचने वाले को दे रहा है, इसी को ग्रे मार्केट प्रीमियम कहा जाता है।

इस केस में खरीदार और बेचने वाले का फायदा और नुकसान कैसे होगा?

मान लेते हैं अगर 1800 रूपये पर इसकी लिस्टिंग होती है, इस आईपीओ का इश्यू प्राइस 1000 रूपये था। 300 रूपये, खरीदने वाले ने बेचने वाले को प्रीमियम दिया। अब यदि 1800 रूपये में से 1000 और 300 रूपये घटा दिये जाएँ,। जो खरीदने वाले ने, अपने लॉट बेचने वाले को दिए थे। इस तरह खरीदने वाले को परशेयर प्रॉफिट 500 रूपये का हुआ। सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल

यदि आप 500 को 15 से गुणा कर देंगे तो खरीदार को एक लॉट पर टोटल 7500रूपये का प्रॉफिट हुआ। इस तरह यदि खरीददार ने और भी लोगों से डील की होगी, तो यह कुछ ही  दिन के अंदर काफी ज्यादा मुनाफा कमा सकता है। ऐसे ही यदि शेयर की लिस्टिंग 1200  रूपये पर होती है। आईपीओ से तो फायदा ही हो रहा है, लेकिन इसमें बेचने वाला यदि grey market में सौदा नहीं करता। तब उसको 200 रूपये प्रतिशेयर का फायदा होता है।

ग्रे मार्केट में सौदा करने के कारण बेचने वाले को 300 रूपये  प्रतिशेयर का फायदा हुआ। दूसरी तरफ खरीदने वाले को नुकसान हो गया। इस केस में खरीददार ने 1000 रूपये इश्यू प्राइस के साथ-साथ 300 रूपये का premium भी दिया। इस तरह खरीददार को एक शेयर 1300 रूपये का पड़ा और इस तरह खरीदार को परशेयर 100 रूपये का नुकसान हुआ। मनी कंट्रोल प्रो

एक लॉट पर उसे 1500 रूपये का नुकसान हुआ। यदि उसने और भी लोगों से डील की होगी तो उसे काफी बड़ा नुकसान हुआ होगा। इस तरह  ipo Grey market premium दोधारी तलवार की तरह है। यह तो निश्चित है कि बेचने वाले को कोई नुकसान नहीं होगा परंतु खरीदार के लिए काफी बड़ा रिस्क है

कोष्टक रेट क्या है? (Kostak Rate) 

जब खरीदार  बेचने वाले (जिसे आईपीओ में अप्लाई किया है) से कहता  हैकि मैं आपकी एप्लीकेशन खरीदने के लिए तैयार हूं। अभी तक तो अलॉटमेंट भी नहीं हुआ है फिर भी खरीदार बोला है कि आप मेरे से 500 रूपये ले लीजिए। आपको अलॉटमेंट हो या ना हो आपको 500 रूपये मिलेंगे ही मिलेंगे।

इस तरह खरीदार बहुत सारी एप्लीकेशन बुक कर सकता है, यहां पर खरीदार संभावना पर खेल रहा है। अगर उसने 20 एप्लीकेशन भी बुक कर ली, तो हो सकता है क़ि उनमे से 5 लोगों का अलॉटमेंट हो जाए। इस तरह उसकी पांच एप्लीकेशन भी लग गई और आईपीओ की लिस्टिंग अच्छे प्राइस पर हो गयी तो खरीदार को काफी ज्यादा फायदा हो सकता है। हर्षद मेहता ने शेयर मार्केट स्कैम 1992 कैसे किया?

इस केस में बेचने वाला खरीदार के कहने पर शेयर बेच देगा या उसे ट्रांसफर कर देगा। जो भी प्रॉफिट या नुकसान होगा वह भी खरीददार की तरफ ही ट्रांसफर हो जाएगा। इन सभी ट्रांजैक्शन की जिम्मेदारी डीलर्स की होती है। Kostak rate में सौदा करने पर यदि शेयर इश्यू प्राइस से नीचे लिस्ट होता है, तो खरीदार बेचने वाले के नुकसान की भरपाई करेगा।

Kostak rate पर लॉट कोट होता है। जैसे उपर्युक्त उदाहरण में एक लॉट में जो 15 शेयर हैं उन सभी  के लिए केवल 500 रूपये दिए जा रहे हैं। चाहे बेचने वाले को अलॉट हों या नहीं। GMP में प्रॉफिट और लॉस प्रति शेयर गिना जाता है।

एसएस-सब्जेक्ट टू सौदा (SS-subject to sauda) क्या है?

कोष्टक रेट में खरीदार बेचने वाले से कहता है कि आप को शेयर अलॉट हो या ना हो। मैं आपको 500 रूपये दूंगा। इसके विपरीत सब्जेक्ट टू सौदा में खरीदार, बेचने वाले से कहता है कि यदि आपको शेयर अलॉट हो जाते हैं तो मैं आपको पूरी एप्लीकेशन के लिए 1500 रूपये दूंगा।

इस स्थिति में बेचने वाले को1500 रूपये तो मिलने ही हैंऔर पूरा रिस्क, बेचने वाले से खरीदार की तरफ ट्रांसफर हो रहा है। इसमें भी आईपीओ के लिस्ट होने पर बेचने वाला खरीदने वाले को शेयर ट्रांसफर कर देगा अथवा शेयर बेचकर प्रॉफिट-लॉस खरीदार को दे दिया जाएगा।

Subject to sauda में भी kostak rate की ही तरह लॉट ही गिने जाते हैं। सब्जेक्ट यशोदा GMP को  प्रति शेयर गिना जाता है। उम्मीद है अब आप ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या है? इस कांसेप्ट को समझ गए होंगे। शेयर मार्केट निवेश के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

Grey market में सौदा करने पर रिस्क

Grey market में सबसे बड़ा रिस्क यह है कि यह मार्केट ही अनरेगुलेटेड है। यहां पर लिखकर एग्रीमेंट नहीं होते, सभी एग्रीमेंट मौखिक होते हैं। अगर खरीददार और बेचने वाले में से किसी के भी मन में बेईमानी आ जाती है, और वह अपने वादे से मुकर जाता है। तब उसके खिलाफ कोई लीगल एक्शन नहीं लिया जा सकता। 

Grey market premium
 की कोई गारंटी नहीं है, डीलर जो भी प्राइस बताता है। वही  मानना पड़ता है क्योंकि कहीं भी लाइव ट्रेडिंग नहीं होती है। इसलिए प्रीमियम की कीमत सही हो यह जरूरी नहीं है, फिर भी ग्रे मार्केट प्रीमियम सोशल मीडिया पर फैल जाता है। जिसकी वजह से प्राइस को किक मिल जाता है।

आप भी शेयर मार्केट से बेशुमार धन कमा सकते हैं क्योंकि एक कहावत है कि शेयर मार्केट एक ऐसा कुआं है जो सभी की प्यास बुझा सकता है। इसी वजह से शेयर मार्केट में काम करने वाले बहुत सारे लोग ग्रे मार्केट को क्लोज ली फॉलो करते हैं। 

यदि grey market में किसी आईपीओ का प्रीमियम अच्छा जा रहा हो तो बहुत सारे लोग अंदाजा लगा लेते हैं कि इस आईपीओ की लिस्टिंग अच्छी होगी। Stock Market and its Working system

Grey market premium
 का कंपनी के फंडामेंटल से कोई लेना देना नहीं होता है। केवल लिस्टिंग गेन के लिए यह एक इंडिकेटर की तरह काम करता है। यानि कि यदि लिस्टिंग पर आपको 30 % का गेन  मिल गया तो जरूरी नहीं है कि वह कंपनी प्रत्येक साल  30 % की दर से ही ग्रोथ करेगी। Grey market premium को जब तक आईपीओ लिस्ट होता है। तब तक के लिए  प्राइस का इंडिकेटर समझ सकते हैं। इसके बाद इसकी कोई वैल्यू नहीं है। 

उम्मीद है, अब आप  IPO में ग्रे मार्केट प्रीमियम (Grey Market Premium) क्या होता है? के बारे में अच्छे से जान गए होंगे? अगर आपको यह आर्टिकल  Grey Market Premium in Hindi पसंद आया हो तो इस साइट को जरूर सब्सक्राइब करें।आप मुझे facebook पर भी फॉलो कर सकते हैं। इस आर्टिकल से सम्बन्धित कोई सवाल या सुझाव हो तो प्लीज कमेंट करके जरूर पूछें। 

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