अदृश्य योगी NSE की सीईओ Chitra Ramakrshanan को नियंत्रित कर सकता है?

हिमालय पर्वत पर रहने वाला वह कौन सा बाबा है? जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को चला रहा था। एनएसई की पूर्व चेयरमैन चित्रा रामकृष्णा पर यह आरोप है कि वह हिमालय पर्वत पर रहने वाले एकआध्यात्मिक योगी के कहने पर ही सारे महत्वपूर्ण निर्णय लिया करती थी। 

चित्रा रामकृष्ण ई-मेल के जरिए हिमालय पर रहने वाले अपने धार्मिक गुरु के संपर्क में रहती थी और उनको एनएसई से संबंधित गोपनीय महत्वपूर्ण सूचनाएं भेजती थी। इस आर्टिकल में क्या एक अदृश्य योगी NSE की सीईओ/एमडी के वर्क और लाइफ को नियंत्रित कर सकता है? के बारे में विस्तार बताया गया है। चलिए जानते हैं- NSE scam faceless Yogi took control of the life & work NSE CEO/MD Hindi?  


                                                               

Nse scam mysterious baba



अगर आप शेयर मार्केट के रहस्यों के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको सोमा वल्लियपन द्वारा लिखित शेयर बाजार के सीक्रेट्स बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

Chitra Ramkrishna के बारे में 

चित्रा रामाकृष्णन इस सोकॉल्ड योगी को (faceless Yogi) एनएससी की महत्वपूर्ण सूचनाएं लीक ही नहीं करती थी। बल्कि उनसे पूछकर एनएसई से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय भी लेती थी। जब चित्रा रामाकृष्ण के विरुद्ध सीबीआई ने जांच शुरू की तब ईमेल्स पकड़े गए। 

जाँच में  यह सामने आया है कि Anand Sunramaniam ही हिमालय पर्वत पर विचरण करने वाला अदृश्य Yogi है। अब तो सीबीआई ने आनंद सुब्रमण्यम को NSE scam  में गिरफ्तार भी कर लिया है। डिविडेंड देने वाले स्टॉक्स

आनंद सुब्रमण्यम ही हिमालय में रहने वाले रहस्यमी faceless Yogi का ढोंग करने वाला व्यक्ति है। जिससे पूछकर चित्रा रामकृष्ण एनएसई से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिया करती थी। साथ ही उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए आनंद सुब्रमण्यम को एनएसई में महत्वपूर्ण पद और धन का लाभ भी दिलाया था। 

चित्रा रामाकृष्णन ने आनंद सुब्रमण्यम को NSE का चीफ स्ट्रेटेजिक ऑफिसर भी बनाया था। Chitra Ramkrishna पर आरोप है कि वह ईमेल्स के द्वारा अपने रहस्यमी आध्यात्मिक गुरु से NSE की सभी  कॉन्फिडेंशियल जानकारियां शेयर करती थी। स्टॉक चार्ट्स

साथ ही एनएसई से सम्बन्धित सभी महत्वपूर्ण निर्णय भी अपने गुरु के निर्देश पर ही करती थी। जब Chitra Ramkrishna के विरुद्ध जांच की गई तो जांच में चित्रा और उसके गुरु के ऐसे ईमेल्स  पकड़े गए हैं। जिनकी वजह से उन पर ऐसे आरोप लगे हैं। 

इस मामले में चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम के साथ-साथ NSE के दूसरे पूर्व अधिकारियों से भी पूछताछ की गई है। जिसके बाद ही चित्रा रामकृष्ण पर 3 करोड रुपए और आनंद सुब्रमण्यम पर 2 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। 

NSE scam को समझने के लिए आपको पहले एनएसई को समझना चाहिए तभी आप NSE scam how a faceless Yogi took control of the life & work NSE CEO/MD? को समझ पाएगें।

NSE क्या है?

एनएसई का पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है, एनएससी की स्थापना 1992 में हुई थी। यह भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, इसकी स्थापना हर्षद मेहता स्कैम के बाद ऐसे घोटालों को रोकने के उद्देश्य से की गई थी। हर्षद मेहता पर कई फिल्में और एक वेब सीरीज 1992 भी बन चुकी है।

NSE से पहले भारतीय शेयर बाजार में बीएससी (BSE) मुंबई स्टॉक एक्सचेंज अकेला ही स्टॉक एक्सचेंज था।  इसीलिए शेयर ट्रेडिंग को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से एनएसई की स्थापना हुई थी। NSE scam के उजागर होने से ऐसा लगता है कि एनएसई अपने लक्ष्य में कामयाब नहीं हुआ है।

NSE की पूर्व CEO/MD चित्रा रामकृष्णन

Chitra Ramakrshanan की कहानी एनएसई  की स्थापना से शुरु होती है। 1992 में इसकी स्थापना हुई थी, यह भारत का सबसे बड़ा Stock Exchange है। यह भी एक संयोग है कि जिस सेबी ने चित्रा रामकृष्ण न के खिलाफ जाँच की, उसकी स्थापना में Chitra Ramkrishana भी एक सहयोगी थी। 

आज सेबी उनके खिलाफ जाँच कर रहा है, जिसकी स्थापना में चित्र रामकृष्ण ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। 2013 में चित्रा रामकृष्ण को एनएसई का सीईओ बनाया गया था। उसके 3 वर्ष बाद 2016 में उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया था क्योंकि उन पर यह आरोप लगे थे कि उन्होंने एनएसई में होने वाली स्टॉक ट्रेडिंग की गोपनीय जानकारी शेयर मार्केट के प्रभावशाली लोगों तक लीक की थी। इंट्राडे ट्रेडिंग से रोज पैसे कमायें?

ऐसा करके उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है, जब सेबी ने इस मामले की जांच की तो उसे उनके लैपटॉप से अजीबोगरीब ईमेल्स मिले। जो उन्हें एक खास ईमेल एड्रेस से भेजे गए थे। यह ईमेल एड्रेस rigyajursama@outlook.com है। 

इस ईमेल एड्रेस में तीनों वेदों के नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के नाम पर बनाया गया है। सेबी ने जब इसकी जांच की चित्रा रामकृष्ण ने उन्हें बताया कि यह ईमेल एड्रेस हिमालय में तपस्या करने वाले उनके आध्यात्मिक गुरु एक YOGI (योगी) का है।  90% ट्रेडर्स नुकसान करते हैं?

जिसके निर्देश पर चित्रा NSE से सम्बन्धित बड़े निर्णय कर रही थी। कहने का तात्पर्य है कि जैसा कथित योगी एनएसई के बारे में चित्रा को आर्डर देते थे। चित्रा वही निर्णय लेती थी, एनएसई की को-लोकेशन (Co Location) से किस-किस ब्रोकर, एफआईआई और अफपीआई को फायदा पहुंचाना है। 

किस कंपनी के प्रमोटर को फायदा पहुंचाना है और किस कंपनी के प्रमोटर का फायदा उठाना है। यहाँ यह प्रश्न उठता है कि क्या एक अदृश्य योगी NSE की सीईओ/एमडी के काम और लाइफ को नियंत्रित कर सकता है? 

एनएसई की नई नीतियां क्या होनी चाहिए, स्टॉक ट्रेडिंग में किन बड़े लोगों को फायदा पहुंचाना है। सब कुछ यही आध्यात्मिक योगी चित्रा रामकृष्ण को बताता था। SEBI के अनुसार चित्रा पिछले 20 वर्षों से इस योगी के संपर्क में थी। सेबी ने अपनी जांच में यह भी पाया है कि चित्रा रामकृष्ण ने इस योगी के कहने पर एनएसई  के नियमों में बदलाव ही नहीं किए बल्कि चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर का पद भी क्रिएट भी किया था। डब्बा ट्रेडिंग

Anand Sunramaniam कौन हैं?

अदृश्य योगी के निर्देश पर ही Chitra Ramkrishna ने आनंद सुब्रमण्यम को अपना चीफ स्ट्रेटेजिक एडवाइजर नियुक्त कर दिया था। चित्रा ने आनंद सुब्रमण्यम की सालाना सैलरी को भी बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था। 15 लाख रुपए सालाना से 4.50 करोड़ रुपए सालाना कर दिया था। 

NSE scam में जो बात सबसे ज्यादा खटक रही है, वह यह है कि जिस योगी ने आनंद सुब्रमण्यम को एनएसई में इतनी बड़ी नौकरी दिलाई। उस योगी की कोई तस्वीर और एड्रेस किसी के पास नहीं है। साथ ही आनंद सुब्रमण्यम की भी ज्यादा तस्वीरें मीडिया में नहीं है।

चित्रा रामकृष्ण के हिसाब से आनंद सुब्रमण्यम के सिर पर योगी बाबा का हाथ था। मार्केट रेग्युलेटर SEBI के मुताबिक Chitra Ramkrishna, योगी से गंगा के किसी घाट पर मिली थी। लेकिन यह कौन सा घाट है, यह भी तक पता नहीं चला है। अंडरवैल्यूड शेयर

चित्र रामकृष्ण ने सेबी को बताया कि यह परम सिद्ध योगी ज्यादातर हिमालय क्षेत्र में विचरण करते हैं। सेबी को इस योगी के जो ईमेल्स मिले हैं, उसके अनुसार इस योगी को शेयर ट्रेडिंग के अलावा हनीमून डेस्टिनेशन पर भी घूमने का काफी शौक है।

17.2. 2015 को यह योगी चित्रा को किए एक ईमेल में लिखते हैं कि अगले महीने वे शैसेल्स घूमने जा रहे हैं और चित्रा को भी अपने बैग पैक कर के वहीं आ जाना चाहिए। अगर उन्हें स्वीमिंग आती है तो वह उनके साथ सी बाथ (समुद्र में नहाना) भी कर सकती हैं। साथ ही बीच पर एन्जॉय भी कर सकते हैं। 

इसके बाद 18.2. 2015 को लिखे एक और ईमेल में वह चित्रा को लिखते हैं कि आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो। यदि तुम अपना हेयरस्टाइल बदल लो, तो और भी सुंदर लगोगी। मार्च के मध्य में समय जरूर निकाल कर रखना।  'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर'

इस ईमेल से ऐसा लगता है कि यह योगी कोई काल्पनिक नहीं है। इससे चित्रा रामकृष्ण का मिलना-जुलना भी रहता था। दोनों साथ में विदेश यात्रा भी करते थे, इसी वजह से लोगों को विश्वास नहीं हो रहा कि हिमालय में रहने वाला कोई साधु नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को भी चला सकता है।

सीबीआई के साथ-साथ और भी एजेंसियां NSE scam  की जांच कर रही है। आने वाले समय में और भी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ सकती हैं। चित्रा रामकृष्ण 2013 से 2016 तक एनएसई  की सीईओ और एमडी रही है। उनका 2016 में एक स्कैम में नाम आने के कारण और पद के दुरुपयोग के कारण एनएसई से उन्हें निकाल दिया गया था। चित्रा रामकृष्ण पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐसे निर्णय लिए जो शेयर मार्केट के पक्ष में नहीं थे। 

आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति का फैसला भी ऐसा ही था, आनंद सुब्रमण्यम एनएसई में नियुक्त होने से पहले बामर एंड लोरी नामक कंपनी में सालाना 15 लाख के पैकेज पर काम करते थे। उन्हें शेयर मार्केट में काम करने का कोई अनुभव भी नहीं था। इसके बावजूद चित्रा रामकृष्ण ने उन्हें NSE में 1.8 करोड़ सालाना के पैकेज पर रख लिया। IPO में invest

Chitra Ramkrishna ने आनंद सुब्रमण्यम हो अपना चीज स्ट्रैटेजिक ऑफिसर भी बनाया, सीबीआई को जांच में ऐसा पता चला है कि हिमालय के अदृश्य बाबा कोई और नहीं आनंद सुब्रमण्यम ही है। सीबीआई के हाथ ऐसे कई सबूत लगे होने की जानकारी मिल रही है। 190 पन्नों की रिपोर्ट में ऐसी जानकारी सामने आई है कि चित्रा रामकृष्ण को rigyajursama@outlook.com ईमेल आईडी से ई-मेल के द्वारा निर्देश देने वाला, अदृश्य योगी कोई और नहीं आनंद सुब्रह्मण्यम ही है। 

इस ईमेल आईडी से Anand Sunramaniam का मोबाइल लिंक है। सीबीआई ने शेयर मार्केट घोटाले के आरोप में आनंद सुब्रमण्यम को गिरफ्तार किया है। आनंद सुब्रमण्यम चित्रा रामकृष्ण के चीफ एडवाइजर भी रहे हैं और यह इसी के साथ एनएसई में कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे हैं। जिसके निर्देश पर ही चित्रा रामकृष्ण 20 वर्षों NSE स्टॉक एक्सचेंज के बड़े-बड़े निर्णय लेती रही।

ऐसा लगता है कि आनंद सुब्रमण्यम की गिरफ्तारी के बाद चित्रा रामकृष्ण को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। CBI की तरफ से दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि चित्रा रामकृष्ण ने पहले सुब्रमण्यम को अपना चीज स्ट्रैटेजिक एडवाइजर नियुक्त किया और बाद में उन्हें प्रमोट करते हुए ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर बना दिया था। इस दौरान उनकी सैलरी में भी बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई और उसका प्रमोशन भी हुआ। सेंसेक्स और निफ्टी क्या हैं ?

NSE scam का खुलासा तब हुआ, जब 13.2.2022 को सेबी ने अपनी आंतरिक जांच रिपोर्ट में पाया कि Anand Sunramaniam को 1.4. 2003 को एनएसई में नियुक्ति बहुत बड़े पैकज पर दी गई थी। जबकि इससे पहले वह बहुत कम सालाना पैकेज पर एक दूसरी कंपनी में काम करते थे। इसी दिन उनकी पत्नी सुनीता आनंद को 7 लाख रुपए सालाना के पैकेज पर चेन्नई के रीजनल NSE ऑफिस में एडवाइजर नियुक्त किया गया था।

कम समय में ही इन दोनों पति पत्नी की सैलरी में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की गई थी। सुनीता आनंद भी की सैलरी 3 वर्ष में 3 गुनी होकर 1.33 करोड रुपए हो गई थी। Anand Sunramaniam की सालाना सैलरी 2. 4 करोड़ के करीब हो गई थी। एनएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक चावला ने सेबी को चिट्ठी लिखी थी जिसमें उन्होंने लिखा था कि अदृश्य हिमालय योगी कोई और नहीं आनंद सुब्रमण्यम ही है। सीबीआई का फोकस इस चिट्ठी पर भी है। स्टॉक ऑपरेटर्स

What is Co-location scam of NSE

एनएसई की  को-लोकेशन सुविधा के तहत, ट्रेडिंग सदस्य अपने सर्वर को स्टॉक एक्सचेंज के डेटा सेंटर में रख सकते हैं। जहां उन्हें प्राइस फीड, तेजी से करने में मदद  मिलती है।  जिससे Stock traders अन्य ट्रेडर्स के मुकाबले तेजी से में सौदे कर पाते हैं। एनएसई की को-लोकेशन सुविधा का गलत तरीके से उपयोग करने वाले शेयर ट्रेडर को, दूर के ट्रेडर्स के मुकाबले कुछ सेकेंड एडवांटेज मिल जाता है। जिसका फायदा उठाकर यह घपला किया गया है।
  
सीबीआई ने सुब्रमण्यम को जिस आरोप में गिरफ्तार किया है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण है Co-location scam है, इस आरोप में कहा गया है कि एनएसई की एक टेक्नोलॉजिकल फैसिलिटी (तकनीकी सुविधा) की आड़ में कुछ ब्रोकर, बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स को-लोकेसन फैसिलिटी का फायदा भी पहुंचाया गया था। 

Co-location फैसिलिटी क्या है?  

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज मुंबई में है लेकिन स्टॉक ट्रेडिंग हजारों किलोमीटर दूर-दूर तक इंडिया और इंडिया के साथ ही विदेशों में भी की जाती है। स्टॉक प्राइस से जुड़े डाटा के दूर-दूर तक ट्रांसफर होने में कुछ सेकेंड की देरी हो जाती है। शेयर ट्रेडिंग में माइक्रोसेकंड की देरी भी बहुत मायने रखती है। यदि किसी को भी एक सेकंड पहले पता चल जाए तो वह पहले शेयर को कम प्राइस पर खरीद लेंगे और प्राइस बढ़ने पर बेच देंगे।

इस तरह वह इसका एडवांटेज ले लेंगे, इस टाइम गैप को खत्म करने के लिए ही स्टॉक एक्सचेंज, स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियों को Co-location की फैसिलिटी देती है। इसके तहत सभी  Stockbrokers को समान रूप से सर्वर स्टॉक एक्सचेंज के डाटा सेंटर में, या उसके बहुत करीब रखने की सुविधा दी जाती है। इसके लिए नियम और फीस भी तय होती है, जो सभी के लिए समान होती है। 

सीबीआई का एनएसई के इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने कुछ बड़े ब्रोकर्स और विदेशी संस्थागत निवेशकों को स्टॉक Co-location फैसिलिटी की आड़ में, स्टॉक प्राइस डेटा अन्य लोगों के मुकाबले जल्दी प्रोवाइड करवाया था। एक अन्य आरोपी यह भी है कि चित्रा रामकृष्णन के खिलाफ सेबी की जांच शुरू होते ही कई बड़े एफआईआई ने अपने शेयरों को बेच दिया था।

Chitra Ramkrishna के ठिकानों पर CBI के छापे? 

21-05-2022 को सीबीआई ने दस से भी अधिक ठिकानों पर छापा मारा, को-लोकेशन घोटाले की जाँच के सिलसिले में ये छापेमारी की गई। ये ठिकाने एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकष्णन और पूर्व ग्रुप संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम से जुड़े बताये जा रहे हैं। 

सीबीआई ने शनिवार को गुरुग्राम, नोएडा, दिल्ली, गांधीनगर,मुंबई, कोलकाता में कई स्थानों पर छापे मारे। यह जाँच 2018 से चल रही है, सीबीआई ने इसी साल अप्रैल में इस मामले में चार्जशीट दाखिल की है। स्टॉप लॉस ऑर्डर 

अब देखते हैं कि जब NSE scam के सबसे बड़े सुत्रधारों के नाम सामने आ गए हैं, तो यह कितना बड़ा स्कैम साबित होगा। इसे शेयर मार्केट का सबसे बड़ा तक का सबसे बड़ा स्कैम बताया जा रहा है।

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