Options Trading Disadvantages: ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे में ज़्यादा नुकसान हैं, सच्चाई जानिए?

भारतीय शेयर मार्केट में इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग करने के कई ऑप्शंस मौजूद हैं। जिनमें स्टॉक्स (Shares), म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds), फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (Futures and Options) शामिल हैं। इनमें ऑप्शन ट्रेडिंग सबसे लोकप्रिय है लेकिन यह इतनी भी आसान नहीं है, जितना इसे समझा जाता है। अक्सर इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स इसमें कम समय में मिलने वाले हाई रिटर्न से बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं। लेकिन वे हाई इसके साथ जुड़े रिस्क को नजरअंदाज कर देते हैं। आइए जानते हैं- ऑप्शंस ट्रेडिंग के फायदे से ज्यादा नुकसान हैं, पूरी सच्चाई हिंदी में। Disadvantages of Options Trading in Hindi.  
                                                                                        
Disadvantages of Options Trading
ऑप्शन्स ट्रेडिंग जितनी आकर्षक लगती है, उतनी ही जोखिम से भरी होती है।

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसे कमाना चाहते हैं तो आपको प्रमोद कुमार द्वारा लिखित बैंक निफ्टी से पैसे कैसे कमाएं बुक जरूर पढ़नी चाहिए। 

ऑप्शन ट्रेडिंग के क्या नुकसान हैं और यह कैसे काम करती है? ऑप्शन ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिए। इस आर्टिकल में विस्तार से बताया गया है। 

ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? 

Options trading डेरिवेटिव ट्रेडिंग का एक हिस्सा है। जहां आप किसी स्टॉक या इंडेक्स का भविष्य में एक निश्चित प्राइस पर buy & sell का अधिकार (लेकिन बाध्यता नहीं) खरीदते हैं। 

यह ट्रेडिंग मुख्यतः समय-सीमा यानि एक्सपायरी डेट पर आधारित होती है और इनका प्राइस कई कारकों जैसे वोलैटिलिटी, समय (Time Decay), अंडरलाइंग एसेट की कीमत पर निर्भर करता है। 

ऑप्शंस मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- 
  1. कॉल ऑप्शंस (Call Options) खरीदने का अधिकार 
  2. पुट ऑप्शंस (Put Options) बेचने का अधिकार  

ऑप्शंस ट्रेडिंग के नुकसान (Disadvantages of Options Trading) 

1 बहुत जटिल: ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स खरीदना और बेचना स्टॉक मार्केट से शेयर खरीदने और बेचने की तुलना में बहुत कठिन काम होता है। क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए आपको ऑप्शन ग्रीक्स, स्ट्राइक प्राइस, ऑप्शन प्रीमियम, एक्सपायरी डेट, थीटा डिके, ऑप्शन चैन सहित कई चीजों को भी समझना पड़ता है। 

इसी के साथ आपको इन द मनी (ITM), आउट ऑफ़ द मनी (OTM) एट द मनी (ATM), ओपन इंट्रेस्ट आदि कॉन्सेप्ट को समझना पड़ता है। तब जाकर कहीं आप ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसा कमाने के बारे में सोच सकते हैं। 

2. सीमित समय सीमा (Time Decay): सभी ऑप्शंस की एक निश्चित एक्सपायरी डेट होती है। जिसके बाद उसका प्राइस जीरो हो जाता है। जैसे-जैसे एक्सपायरी नजदीक आती है, ऑप्शन का प्रीमियम घटता जाता है। इसे "थेटा डिके" या टाइम डिके कहा जाता है। 

इसे एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझ सकते हैं- आपने किसी स्टॉक का 100 रूपये का कॉल ऑप्शन खरीदा जो अगले हफ्ते एक्सपायर होने वाला है। अगर स्टॉक उस समय तक नहीं बढ़ता, तो आप ऑप्शन प्रीमियम पूरी तरह गंवा सकते हैं। क्रिप्टो ट्रडिंग

3. पूंजी का नुकसान (Capital Loss): ऑप्शंस में 100% पूंजी गंवाने की आशंका बनी रहती है। खासकर यदि आप ऑप्शन बायर्स की भूमिका में हैं। एक बार ऑप्शन एक्सपायर हो गया और अगर वह “Out of the Money” रहा, तो आपकी पूरी इन्वेस्ट की गई राशि डूब सकती है।

4. कम समय में निर्णय लेने का दबाव: ऑप्शंस ट्रेडिंग तेज़गति से निर्णय की मांग करती है क्योंकि इसमें ऑप्शन प्रीमियम (price) में बहुत तेजी से बदलाव होते हैं। प्राइस में छोटे-छोटे बदलावों पर तुरंत प्रतिक्रिया देनी पड़ती है क्योंकि समय सीमित होने के कारण प्रीमियम गलने का खतरा रहता है। इससे मानसिक तनाव और गलत निर्णय की संभावना बढ़ जाती है। टेक्निकल एनालिसिस बुक्स 

5. ब्रोकरेज और अन्य फीस: ऑप्शंस ट्रेडिंग में ब्रोकरेज फीस, एक्सचेंज फीस, SEBI शुल्क और GST आदि मिलाकर ऑप्शंस ट्रेडिंग की कुल लागत अधिक हो जाती है। जो आपके प्रॉफिट को कम कर सकती है। 

6. मार्जिन की आवश्यकता: यदि आप ऑप्शंस सेलिंग कर रहे हैं (Option Writing), तो ब्रोकरेज फर्म आपसे भारी मार्जिन की मांग करती है। यह विशेष रूप से नए ट्रेडर्स के लिए जोखिम भरा होता है। साथ ही रिटेल ट्रेडर्स क्व लिए इतना ज्यादा पैसा अरेंज कर पाना भी मुश्किल है। 

7. अत्यधिक वोलैटिलिटी का प्रभाव: ऑप्शंस के प्राइस अत्यधिक वोलैटाइल होते हैं। कई बार बिना किसी ठोस कारण के भी दिशा भी बदल सकते हैं। जिसका आपके लिए अनुमान लगाना मुश्किल होता है। जिसकी वजह से आपको भारी नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है। 

8. भावनात्मक ट्रेडिंग और लालच: ऑप्शन ट्रेडिंग में अक्सर ट्रेडर्स पर "Fear and Greed" हावी हो जाता है। ऑप्शंस में जल्दी प्रॉफिट कमाने की चाह, ट्रेडर्स को अत्यधिक रिस्क लेने के लिए प्रेरित करती है। कई बार लोग ज्यादा प्रॉफिट के लालच में आकर गलत पोजीशन बना लेते हैं। जिसकी वजह से भी अक्सर उन्हें बड़े नुकसान का सामना करना पड़ता है। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जब ऑप्शन ट्रेडिंग में लोगों ने अपनी सारी गाढ़ी कमाई की लुटा दी। इस सब के बावजूद ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे भी हैं। 

9. सीमित तरलता (Liquidity): हर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में हाई लिक्विडिटी नहीं होती। विशेष रूप से दूर की एक्सपायरी या कम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले स्टॉक्स के ऑप्शन में बायर और सेलर मिलना कठिन हो जाता है। जिससे bid-ask spread बहुत ज्यादा हो जाता है। जिसके कारण ट्रेडर्स सही प्राइस पर ऑप्शंस को buy & sell नहीं कर पाते हैं।  

10. बिना अनुभव के ट्रेडिंग करना: कई नए इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स बिना सही ज्ञान या अभ्यास के ऑप्शंस ट्रेडिंग करना शुरू कर देते हैं, जिससे उनके पैसे डूबने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। बोलिंगर बैंड्स

ऑप्शंस ट्रेडिंग में नुकसान से कैसे बचें 

निम्नलिखित कुछ बिंदु दिए गए हैं, जिनमें बताया गया है कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग में नुकसान से कैसे बच सकते हैं और किन लोगों को इससे दूर रहना चाहिए- 
  • नए इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स जिन्हें डेरिवेटिव मार्केट का कोई अनुभव नहीं है। उन्हें इससे दूर रहना चाहिए। 
  • जो इन्वेस्टर्स लॉन्ग-टर्म के लिए शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं। उन्हें भी इससे दूर रहना चाहिए। 
  • जिन लोगों के पास रिस्क लेने की कम क्षमता हो उन्हें भी ऑप्शन ट्रेडिंग से दूर रहना चाहिए। 
  • रियल ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करने से पहले आपको पेपर ट्रेडिंग करके प्रक्टिस कर लेनी चाहिए। 
  • सिर्फ वही पूँजी ट्रेडिंग में लगनी चाहिए, जिसे आप गवांने के लिए तैयार हैं। 
  • आपको Options trading strategies सीखनी चाहिए। जैसे कवर्ड कॉल, स्ट्रैंगल, स्ट्रैडल आदि। जिनके अनुसार आप ट्रेडिंग पोजीशन बनाकर लगातार प्रॉफिट कमा सकते हैं। 
  • आपको प्रत्येक trade पर stoploss जरूर लगाना। चाहिए। आपको करंट मार्केट न्यूज से अपडेट रहना चाहिए। 
  • कंपनियों सम्बन्धी न्यूज का भी आपको पता होना चाहिए। इसके लिए आप bseindia की वेबसाइट देख सकते हैं। 
  • आपको ऑप्शन चैन में छिपे संकेतों को ढूढ़ना भी आना चाहिए। 
निष्कर्ष: ऑप्शंस ट्रेडिंग एक दोधारी तलवार की तरह है। जहाँ सही जानकारी और सही ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का यूज किया जाये तो प्रॉफिट हो सकता है। वरना यह बहुत विनाशकारी भी हो सकता है।

इसमें हाई प्रॉफिट की संभावना रहती है लेकिन उतना ही अधिक जोखिम भी होता है। यदि आप एक जिम्मेदार और जानकार ट्रेडर हैं, तो ही डेरिवेटिव मार्केट में उतरें। अन्यथा, यह आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

Option trading के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) 

क्या ऑप्शंस ट्रेडिंग सुरक्षित है?

नहीं, यदि सही जानकारी और रिस्क मैनेजमेंट के बिना की जाए तो यह बहुत जोखिम भरा हो सकता है। जिससे आपको भरी नुकसान हो सकता है।  गिफ्ट निफ़्टी

क्या ऑप्शन ट्रेडिंग में बड़ा मुनाफा होता है?

हाँ, ऑप्शन ट्रेडिंग में कम पैसों में बड़ा प्रॉफिट कमाया जा सकता है लेकिन उतना ही बड़ा नुकसान भी हो सकता है। 

ऑप्शंस ट्रेडिंग सीखने में कितना समय लगता है?

कम से कम कुछ महीनों का अभ्यास और सैद्धांतिक ज्ञान जरूरी होता है। अगर आप शेयर मार्केट में पहले से ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग कर रहे हैं तो आप कम समय में भी Options trading सीख सकते हैं। इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी

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