Options Trading Indicators: ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छे टेक्निकल इंडीकेटर्स कौन से हैं?.
ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छे टेक्निकल इंडीकेटर्स चुनना आपकी ट्रडिंग स्ट्रेटेजी, मार्केट कंडीशन और आपकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। ऑप्शन ट्रेडिंग में वोलेटिलिटी, टाइम डिके और ऑप्शन प्राइसिंग की नॉन-लाइनर के कारण टेक्निकल इंडीकेटर्स के उपयोग के लिए एक सही दर्ष्टिकोण की जरूरत होती है। आइए विस्तार से जानते हैं- ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छे टेक्निकल इंडीकेटर्स कौन से हैं? Best Technical Indicator for option trading in Hindi.
अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में सफल होना चाहते हैं तो आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से फाइनेंशियली सफलता कैसे प्राप्त करें बुक्स पढ़नी चाहिए।
Option trading को समझना
टेक्निकल इंडीकेटर्स पर चर्चा करने से पहले आपको options trading की मूल बातों पर गौर करना चाहिए। डेरिवेटिव मार्केट में ऑप्शन ट्रेडर्स को एक्सपायरी डेट तक पूर्वनिर्धारित प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट्स को खरीदने और बेचने का (दायित्व नहीं) अधिकार दिया जाता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रॉफिट कमाने के लिए रिस्क मैनेजमेंट करना जरूरी होता है। रिस्क को मैनेज करने के लिए ट्रेडर्स को technical indicators का यूज करना चाहिए। क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग में जानकारीपूर्ण सही निर्णय लेना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग में सही निर्णय लेने के लिए टेक्निकल इंडीकेटर्स काम आते हैं। ये इंडीकेटर्स किसी भी सिक्युरिटीज के price एंड volume के आधार पर मैथमैटिकल कैलकुलेशंस करते हैं। साथ ही ट्रेडर्स को ट्रेड में एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स की पहचान करने में भी मदद करते हैं। टेक्निकल इंडीकेटर्स का लाभ उठाकर ट्रेडर्स मार्केट ट्रेंड्स के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जिससे उन्हें ऑप्शन कॉन्ट्रेक्टस के सही buy or sell के डिसीजन लेने में मदद मिलती है।
इस आर्टिकल का मुख्य उद्देश्य option traders के बीच लोकप्रिय टेक्निकल इंडीकेटर्स के बारे में बताना है। जिससे ऑप्शन ट्रेडिंग में इनका प्रभावी रूप से उपयोग किया जा सके। निम्नलिखित Technical Indicators ऑप्शन ट्रेडर्स के बीच लोकप्रिय हैं-
Implied Volatility ( IV)
इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी प्राइस चार्ट पर दिखाई देने वाला एक पारंपरिक इंडिकेटर नहीं है। फिर भी यह ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी किसी भी सिक्युरिटी के प्राइस में भविष्य में होने वाली वोलैटिलिटी का अनुमान लगाने में मदद करती है।
जिस ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का IV हाई होता है, आमतौर पर उस ऑप्शन का प्रीमियम बढ़ता है। Options खरीदने से पहले इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी को समझने से आपको यह पता करने में मदद मिलती है कि पर्टिकुलर ऑप्शन का प्रीमियम कम है या ज्यादा है। NSE ऑप्शन चैन के मेन्यू बार में इसे IV के नाम से दर्शाया जाता है। इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी के बारे में विस्तार से जानने के लिए आपको ऑप्शन में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी आर्टिकल को जरूर पढ़ना चाहिए।
रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI)
आरएसआई एक मोमेंटम इंडिकेटर है, जो अंडरलाइंग स्टॉक के प्राइस मूवमेंट चेंज होने की स्पीड को 0 से 100 पॉइंट्स के स्केल पर मापता है। यह बताता है कि वर्तमान समय में सिक्युरिटी का प्राइस ओवरबॉट जोन में है या ओवरसोल्ड जोन में है। RSI स्केल पर प्राइस 30 से नीचे होने पर ओवरसोल्ड, 70 से ऊपर होने पर ओवरबॉट होता है। इसकी मिड लाइन 50 पर होती है।
50 पर इसे न्यूट्रल माना जाता है। आप इसकी रेंज के आधार पर संभावित टॉप और बॉटम का पता लगा सकते हैं। ऑप्शन ट्रडिंग में अंडरलाइंग स्टॉक की स्ट्रैटेजिक पोजीशन के हिसाब से Calls या Puts खरीदनी चाहिए। जैसे RSI 70 पर होने पर आप पुट खरीद सकते हैं और RSI 30 पर होने पर आप कॉल खरीद सकते हैं।
मूविंग एवरेज (MA)
सिम्पल मूविंग एवरेज (MA) और एक्सपोटेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) सिक्युरिटीज के प्राइस डाटा के आधार पर उसके प्राइस ट्रेंड की दिशा का पता लगा सकते हैं। Moving Average एक स्टॉक इंडिकेटर है, जिसे टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग किया जाता है। यह एक ऐसा टेक्निकल इंडिकेटर हे, जिसका उपयोग इन्वेस्टर और ट्रेडर सिक्युरिटी के ट्रेंड (Trend) की डायरेक्शन का पता लगाने के लिए करते हैं।
इसके द्वारा stocks के एवरेज प्राइस का डाटा लगातार अपडेट होता रहता है। बढ़ता हुआ एवरेज प्राइस (मूविंग एवरेज) स्टॉक के अपट्रेंड को दर्शाता है और घटता हुआ एवरेज प्राइस स्टॉक के डाउनट्रेड को दर्शाता है।
Options Traders मूविंग एवरेज का उपयोग करके ट्रेंड फॉलोविंग ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज के अनुसार पोजीशन बना सकते हैं।
बोलिंगर बैंड्स
बोलिंगर बैंड्स एक सांख्यिकीय चार्ट है, जो शेयर के प्राइस में सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) के ऊपर और नीचे होने पर समय के साथ होने वाली वोलेटिलिटी को दर्शाता है। इसे एक बैंड की तरह दर्शाया जाता है क्योंकि बैंड की दूरी स्टैंडर्ड डेविएशन पर आधारित है। यह स्टॉक्स के प्राइस वोलेटिलिटी स्विंग्स को समायोजित करते हैं।
जब बोलिंगर बैंड्स नैरो रेंज में होते हैं। तब अंडरलाइंग स्टॉक का प्राइस किसी भी दिशा में ब्रेकआउट दे सकता है। Options traders इस इन्फॉर्मेशन का उपयोग ब्रेकआउट स्ट्रेटेजीज और स्ट्रैडल और स्ट्रेंगल ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज के लिए कर सकते हैं।
डेल्टा (DELTA):
डेल्टा, अंडरलेइंग एसेट के डायरेक्शनल मूवमेंट के आधार पर ऑप्शन प्रीमियम के परिवर्तन की दर को मापता है। हालाँकि यह एक ट्रडिशनल चार्ट आधारित technical indicator नहीं है। यह अंडरलाइंग स्टॉक्स में एक पॉइंट का परिवर्तन होने पर उसका प्रीमियम कितना बढ़ सकता या घट सकता है। डेल्टा इसका अनुमान लगाता है। हाई डेल्टा ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट वाले अंडरलाइंग स्टॉक्स आमतौर अधिक वोलेटाइल होते हैं। जो डायरेक्शनल स्ट्रेटेजीज के लिए अधिक बेहतर होते हैं।
फिबोनाची रिट्रेसमेंट
Fibonacci Retracements शेयरों के टेक्निकल एनालिसिस के काम आने वाला सबसे अच्छा टेक्निकल टूल है। ये शेयरों के चार्ट्स पर दो Trends lines के महत्वपूर्ण बिंदुओं के बीच खींची गई दो रेखाएँ ( lines ) होती हैं। आमतौर पर चार्ट पर ये रेखाएँ शेयर के हाई प्राइस और लो प्राइस के बीच खींचीं जाती हैं।
एक दूसरे को कटती हुई ये हॉरिजॉन्टल लाइन्स फिबोनाची रिट्रेसमेंट लेवल्स पर बनायीं जाती हैं। ये हॉरिजोंटल लाइन्स संभावित सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस एरिया को दर्शाती हैं। जिनके आधार पर पर ट्रेड में एंट्री और एग्जिट पॉइंट सेट कर सकते हैं। विशेषकर ऑप्शन ट्रेडिंग पोजीशन में।
एमएसीडी (Moving Average Convergence Divergence)
यह ट्रेंड फॉलोविंग मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज और सिक्युरिटी प्राइस के बीच सम्बन्ध को दर्शाता है। MACD की गणना 26 दिन के EMA को 12 दिन के EMA से घटाकर की जाती है, जिसे एमएसीडी लाइन कहते हैं। MACD का 9 दिन का EMA जिसे Signal Line कहा जाता है, उसे MACD के टॉप पर प्लॉट किया जाता है।
इसके संकेत शेयर खरीदने और बेचने के लिए ट्रिगर का काम करते हैं। जब एमएसीडी लाइन, सिग्नल लाइन के ऊपर से गुजरती है। तब ट्रेडर्स सिक्युरिटी में लॉन्ग पोजीशन (buy) बना सकते हैं। इसी तरह जब MACD Line, सिग्नल लाइन को नीचे की तरफ काटती तब आप सिक्युरिटी को sell (शार्टसेलिग) कर सकते हैं।
एमएसीडी इंडिकेटर की कई तरीके से व्याख्या की जा सकती है लेकिन इसके सबसे सामान्य मैथड क्रॉसओवर, डायवर्जेन्स और कन्वर्जेन्स ही हैं। एमएसीडी उन option traders के लिए विशेषरूप से उपयोगी हो सकता है। जो अपने ट्रेड की टाइमिंग का अनुमान लगाना चाहते हैं। यह कन्फर्म करने के लिए कि trend की स्ट्रेंथ कब कमजोर हो सकती है और ट्रेंड कब मोमेंटम पकड़ सकता है।
Options trading करते समय ऑप्शन ग्रीक को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है क्योंकि इनसे आपको इस बात की गहरी जानकारी मिलेगी कि अंडरलाइंग स्टॉक में उतार-चढ़ाव, टाइम डिके और इम्प्लॉइड वोलेटिलिटी में परिवर्तन के कारण ऑप्शन प्रीमियम में कैसे बदलाव हो सकता है?
अंत में Technical indicators का चुनाव आपको अपने ट्रेडिंग स्टाइल (डे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, पोजिशनल ट्रेडिंग) और उद्देश्यों के अनुसार करना चाहिए। वास्तविक पूँजी लगाने से पहले आप एक डेमो अकाउंट में इंडीकेटर्स की प्रक्टिस कर सकते हैं। कि इंडीकेटर्स का कौन सा संयोजन आपके लिए सही है। उसके बाद इसके अनुसार आप अपना ट्रेडिंग सेटअप तैयार कर सकते हैं।
उम्मीद है, आपको यह Options Trading के लिए सबसे अच्छे Technical Indicators कौन से हैं? आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको यह Best Technical Indicator for option trading in Hindi. आर्टिकल पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।
ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस साइट को जरूर सब्स्क्राइब करें। अगर इस आर्टिकल के बारे में आपके मन में कोई सवाल हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। आप मुझे फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं