Index options trading: भारत में इंडेक्स ऑप्शंस ट्रेडिंग कैसे होती है?
इंडेक्स ऑप्शंस, ऐसे ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं। जो निफ्टी 50, बैंक निफ्टी और सेंसेक्स इंडेक्स जैसे बहुत से स्टॉक मार्केट इंडेक्स की अंडरलाइंग एसेट्स होते हैं। इंडेक्स ऑप्शंस अपने खरीदार या धारकों को एक्सपायरी डेट तक या उससे पहले एक निर्दिष्ट प्राइस ( strike price ) पर अंडरलाइंग इंडेक्स को खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं- भारत में इंडेक्स ऑप्शंस ट्रेडिंग कैसे होती है? What is index options trading in India in Hindi.
यदि आप ऑप्शन ट्रेडिंग में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आप संदीप नगर द्वारा लिखित ऑप्शन ट्रेडिंग के रहस्य बुक को इस लाल रंग के लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
Index Options Trading के बारे में
इंडेक्स ऑप्शन फाइनेंशियल मार्केट्स में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्हें डेरिवेटिव भी कहा जाता है। इंडेक्स ऑप्शन Share market इन्वेस्टर्स को हेजिंग, स्पेक्युलेशन और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में मदद करते हैं। ये डेरिवेटिव अपना प्राइस अंडरलाइंग स्टॉक इंडेक्स ( Indices ) से प्राप्त करते हैं। जो traders को ट्रेडिंग के लिए डायवर्सिफाइड अप्रोच प्रदान करते हैं।
Options trading के बेहद डायनेमिक परिदृश्य को समझने के इच्छुक इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के लिए इंडेक्स ऑप्शन के तरीकों और विशेषताओं को समझना बेहद जरूरी है। India में इंडेक्स ऑप्शन ट्रेडिंग में स्टॉक मार्केट इंडेक्स, जैसे Nifty 50 या Sensex पर आधारित ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स की खरीद और बिक्री शामिल रहती है।
एक Index option इसके खरीदार को एक्सपायरी डेट तक या उससे से पहले पूर्वनिर्धारित प्राइस ( स्ट्राइक प्राइस ) पर अंडरलाइंग इंडेक्स को खरीदने ( Call option ) और बेचने ( Put option ) का अधिकार देता है। लेकिन दायित्व नहीं देता है।
भारतीय ऑप्शन मार्केट में ऑप्शन इंडेक्स बहुत ही लोकप्रिय और लिक्विड इंडेक्स हैं। भारत में, सेंसेक्स, निफ्टी, बैंक निफ्टी, फिननिफ्टी जैसे लोकप्रिय indices हैं। जैसे कोई stock किसी स्टॉक का ऑप्शन है। ठीक उसी तरह इंडेक्स ऑप्शंस भी बैंक निफ्टी, निफ्टी और सेंसेक्स आदि के अच्छी तरह से स्वीकृत इंडेक्स ऑप्शंस हैं।
मान लीजिए कि आप व्यक्तिगत स्टॉक के बजाय इन indices पर विचार करना चाहते हैं। तो आप इंडेक्स ऑप्शंस का उपयोग कर सकते हैं। आप हेजिंग में विपरीत इंडेक्स ऑप्शन का उपयोग अपने पोर्टफोलियो की सुरक्षा के लिए कर सकते हैं।
आम तौर पर, index options वहां उपलब्ध होते है, जहां वायदा पहले से ही उपलब्ध होते हैं। इंडेक्स ऑप्शन प्राइस निर्धारण के लिए एक बेंचमार्क होता है। फिर इंडेक्स ऑप्शंस के लिए लॉट साइज, स्ट्राइक प्राइस और अलग-अलग एक्सपरी डेट निर्धारित की जाती है। इंडेक्स ऑप्शंस का खरीदार केवल प्रीमियम का भुगतान करता है और यह उनके अधिकतम संभावित नुकसान का भी प्रतिनिधित्व करता है।
India के प्रमुख ऑप्शन इंडेक्स निम्नलिखित हैं-
- NIFTY 50
- BANKNIFTY
- FINNIFTY
- SENSEX
- BANKES
Index options के प्रकार
इंडेक्स ऑप्शंस का वर्गीकरण निम्नलिखित तीन प्रकार से किया जा सकता है-
- इंडेक्स ऑप्शंस में कॉल ऑप्शन इंडेक्स खरीदने का अधिकार है और एक इंडेक्स पुट ऑप्शन इंडेक्स को बेचने का अधिकार है। पहला एक तेजी का दृष्टिकोण है जबकि दूसरा एक मंदी का दृष्टिकोण है।
- इंडेक्स ऑप्शंस को आईटीएम/ओटीएम/एटीएम options के रूप में भी वर्गीकृत किया जाता है। इन द मनी या आईटीएम ऑप्शन ऐसे इंडेक्स ऑप्शन हैं। जिनका प्रयोग करने पर लाभ होता है। यदि ओटीएम ऑप्शन का प्रयोग किया जाए तो यह लाभदायक नहीं है। सरलता से समझने के लिए, मान लेते हैं, निफ्टी 50, 19700 के स्पॉट प्राइस पर ट्रेड कर रहा है। अगर आपके पास 19700 का ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है तो यह एटीएम ऑप्शन कहलायेगा। लेकिन अगर आपके पास निफ्टी 50 का 19,800 का कॉल ऑप्शन है, तो यह आईटीएम ऑप्शन कहलायेगा। यदि आपके पास निफ्टी 19600 का ऑप्शन है, तो यह ओटीएम ऑप्शन कहलायेगा।
- वर्तमान में, ज्यादातर Indian शेयर मार्केटस ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स को मंथली और वीकली आधार पर कारोबार करने की अनुमति देते हैं। निफ्टी और बैंक निफ्टी इंडेक्स ऑप्शंस की भी वीकली और मंथली एक्सपायरी होती है। मंथली ऑप्शंस प्रत्येक महीने के आखिरी गुरुवार को एक्सपायर होते हैं। जबकि बैंक निफ्टी के वीकली ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स हर बुधवार को एक्सपायर होते हैं। इसी तरह निफ्टी इंडेक्स की वीकली एक्सपायरी प्रत्येक बृहस्पतिवार को होती है।
Index Option Trading की विशेषताएं
Indian ऑप्शन ट्रेडिंग की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
- अंडरलाइंग इंडेक्स: भारत में underlying indices, ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए लोकप्रिय इंडेक्स में Bnak Nify, निफ्टी 50 और फिननिफ्टी शामिल हैं। जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर tops stocks की एक बास्केट के प्रदर्शन का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- कॉल ऑप्शन: Call options इसके धारक को एक्सपायरी डेट तक या इससे पहले खरीदने का अधिकार देता है। अगर traders इंडेक्स का प्राइस बढ़ने की संभावना देखते हैं, तो कॉल ऑप्शन खरीदते हैं, और इंडेक्स का प्राइस बढ़ने पर कॉल ऑप्शन के खरीदार को प्रॉफिट होता है।
- पुट ऑप्शन: Put options इसके धारक को एक्सपायरी डेट तक या इससे पहले बेचने का अधिकार देता है। अगर traders इंडेक्स का प्राइस घटने की आशंका देखते हैं, तो पुट ऑप्शन खरीदते हैं। अगर इंडेक्स ऑप्शन का प्राइस गिरता है तो पुट ऑप्शन के खरीदार को प्रॉफिट होता है।
- स्ट्राइक प्राइस: Strike price, वह कीमत है जिस पर ऑप्शन धारक अंडरलाइंग इंडेक्स को खरीद (Call ) या बेच ( Put ) सकता है। प्रत्येक एक्सपायरी डेट के लिए अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस उपलब्ध होते हैं। जिन्हें options traders अपने दृष्टिकोण के अनुसार खरीद ( Call options ) और बेच ( Put Options ) सकते हैं। यहाँ एक बात साफ कर देना जरूरी है, जब किसी अंडरलाइंग इंडेक्स को खरीदा जाता है तो उसका कॉल ऑप्शन खरीदना होता है। इसी तरह जब किसी अंडरलाइंग इंडेक्स को बेचना होता है तो उसका पुट ऑप्शन खरीदा जाता है।
- एक्सपायरी डेट: इंडेक्स ऑप्शंस एक निश्चित ( Expaire Date ) तारीख होती है। जिसके बाद ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर या अमान्य हो जाता है। India में इंडेक्स ऑप्शंस में आमतौर पर मंथली और वीकली एक्सपायरी होती हैं।
- ऑप्शन प्रीमियम: ऑप्शन खरीदने या बेचने के अधिकार के लिए ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट बायर द्वारा ऑप्शन सेलर को चुकाई गयी कीमत को ऑप्शन प्रीमियम कहा जाता है। Option Premium वोलेटिलिटी, इंडेक्स लेवल, इंट्रेस्ट रेट्स और एक्सपायरी डेट जैसे फेक्टर्स से प्रभावित या तय होता है।
- लेवरेज: ऑप्शंस अपने ट्रेडर्स को लेवरेज प्रोवाइड कराता है। जिसके परिणामस्वरूप option trades को अंडरलाइंग इंडेक्स खरीदने के लिए कम अमाउंटचुकाना पड़ता है और कम पैसों में बड़ी पोजीशन बनाने को मिल जाती है।
- यूरोपियन शैली: India में इंडेक्स ऑप्शंस यूरोपियन शैली के हैं। जिसका अर्थ है कि उनका उपयोग केवल एक्सपायरी डेट तक ही किया जा सकता है, उसके बाद वे अमान्य हो जाते हैं।
- सेटलमेंट: भारत में कैश सेटलमेंट का चलन है, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रयोग पर या एक्सपायरी पर ऑप्शन धारक को इंडेक्स लेवल और स्ट्राइक प्राइस के बीच अंतर के आधार पर नकद भुगतान किया जाता है।
- रिस्क मैनेजमेंट; Stock market इन्वेस्टर्स के द्वारा पोर्टफोलियो के रिस्क को मैनेज करने के उद्देश्य से भी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स में पोजीशन बनाई जाती हैं। साथ ही मार्केट व्यू के आधार पर स्पेक्युलेटिव ट्रेडिंग के लिए भी ऑप्शन ट्रेडर्स के द्वारा ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग किया जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं