Crypto Market Sentiment & On-Chain Analysis: क्रिप्टो मार्केट सेंटीमेंट और ऑन-चैन एनालिसिस क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी बाजार अत्यधिक वॉलेटाइल (volatile) होता है। क्रिप्टो ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को यह समझने में अक्सर कठिनाई होती है कि इसके प्राइस किधर जायेंगे।
क्रिप्टोकरेंसी के प्राइस ट्रेंड को जांनने के लिए टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis) और फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis) के अलावा, क्रिप्टो मार्केट सेंटीमेंट (Market Sentiment) और ऑन-चेन एनालिसिस (On-Chain Analysis) भी बहुत जरूरी हैं।
आइए विस्तार से जानते हैं- क्रिप्टो मार्केट सेंटीमेंट और ऑन-चैन एनालिसिस की सम्पूर्ण जानकारी। Crypto Market Sentiment & On-Chain Analysis in Hindi. इस लेख में, आप दो प्रमुख टेक्निकल एनालिसिस टूल – Fear & Greed Index और Whale Wallet Tracking का उपयोग करके क्रिप्टो मार्केट की चाल को समझने और भविष्यवाणी करने की प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे।
अगर आप क्रिप्टो ट्रेडिंग के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं तो आपको बुद्धि व्यास द्वारा लिखित क्रिप्टो में Trade कैसे करें बुक जरूर पढ़ना चाहिए।
क्रिप्टो मार्केट सेंटीमेंट क्या है?
क्रिप्टो मार्केट इन्वेस्टर्स, मार्केट सेंटीमेंट और ऑन- चैन डेटा का एनालिसिस इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के लिए जरूरी होता है। भारत में क्रिप्टो मार्केट का विकास तेजी से हो रहा है, और सरकार की नीतियों, वर्ल्ड मार्केट ट्रेंड तथा ऑन-चेन डेटा का प्रभाव इस बिजनेस पर पड़ता है।
क्रिप्टो मार्केट सेंटिमेंट से तात्पर्य इन्वेस्टर्स की भावनाओं और मानसिकता से होता है। जो किसी विशेष समय पर Crypto market price को प्रभावित करता है। यह मुख्य रूप से निम्न तीन प्रकार का होता है-
- बुलिश (Bullish): मार्केट सेंटीमेंट बुलिश तब होता है। जब इन्वेस्टर्स क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में वृद्धि की उम्मीद करते हैं।
- बेयरिश (Bearish): क्रिप्टो मार्केट में बेयरिश सेंटीमेंट तब होता है। जब इन्वेस्टर्स कीमतों में गिरावट की आशंका देखते हैं।
- न्यूट्रल (Neutral): न्यूट्रल सेंटीमेंट तब होता है। जब क्रिप्टो मार्केट की धारणा स्थिर या अनिर्णीत होती है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर सरकारी पॉलिसी और रेग्युलेशन लेकर नियामक अनिश्चितता बनी हुई है। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा लगाए गए कर नियम (जैसे 30% टैक्स और 1% TDS) Crypto market sentiment को प्रभावित करते हैं।
वैश्विक मार्केट ट्रेंड बिटकॉइन और एथेरियम जैसी प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी की वैश्विक मांग भारत के क्रिप्टो मार्केट ट्रेंड को प्रभावित करती है। सोशल मीडिया और न्यूज कवरेज ट्विटर, टेलीग्राम, और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म्स पर क्रिप्टो से संबंधित चर्चाएँ भारतीय इन्वेस्टर्स के सेंटिमेंट को प्रभावित करती हैं।
On-Chain Data इंडीकेटर्स ऑन-चेन डेटा से पता चलता है कि ट्रेडर्स किस प्रकार की गतिविधियाँ कर रहे हैं। इससे सेंटिमेंट का अनुमान लगाया जा सकता है। ऑल्टकॉइन और मीम कॉइन
ऑन-चेन एनालिसिस क्या है?
On chain analysis का अर्थ है, ब्लॉकचेन पर होने वाले लेन-देन और डेटा का एनालिसिस करना। यह एनालिसिस निम्नलिखित कई प्रमुख मेट्रिक्स पर आधारित होता है-
- ट्रांजैक्शन वॉल्यूम: यह बताता है कि कितनी संख्या में क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन हो रहा है।
- एक्सचेंज इनफ्लो और आउटफ्लो: इनफ्लो, जब क्रिप्टो एक्सचेंज में जमा किया जाता है। तो यह बिकने की संभावना को दर्शाता है।
- आउटफ्लो: जब क्रिप्टो एक्सचेंज से निकाला जाता है, तो यह होल्डिंग की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
- एक्टिव एड्रेस: यह दर्शाता है कि कितने वॉलेट सक्रिय रूप से लेन-देन कर रहे हैं। ट्रडिंग स्ट्रेटेजी
- होल्डर डिस्ट्रीब्यूशन: यह दर्शाता है कि किस प्रकार के इन्वेस्टर्स (शॉर्ट टर्म, मिड टर्म, लॉन्ग टर्म) मार्केट में सक्रिय हैं।
- मार्केट कैप टू रियलाइज्ड कैप (MVRV) रेशियो: यह दर्शाता है कि कोई एसेट ओवरवैल्यूड (अधिक मूल्यवान) या अंडरवैल्यूड (कम मूल्यवान) है या नहीं।
- बिटकॉइन होल्डर्स के ऑन-चेन डेटा से पता चलता है कि भारत में बिटकॉइन होल्डर्स की संख्या बढ़ रही है। विशेष रूप से युवा इन्वेस्टर्स के बीच।
- स्टेबलकॉइन्स का उपयोग Tether (USDT) और USD Coin (USDC) जैसी स्टेबलकॉइन्स का उपयोग बढ़ रहा है। जिससे पता चलता है कि निवेशक स्टेबल एसेट की ओर झुक रहे हैं।
- NFTs और DeFi में भारतीय इन्वेस्टर्स की रुचि NFT और DeFi (Decentralized Finance) में भी बढ़ी है। जिसका प्रमाण ऑन-चेन डेटा से मिलता है। क्रिप्टो एक्सचेंज
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य
- भारत में क्रिप्टोकर्रेंसी का भविष्य सरकारी नीतियाँ ही सुधार सकती हैं। यदि भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर स्पष्ट नियमन आता है, तो Crypto market अधिक स्थिर और सुरक्षित हो सकता है।
- संस्थागत निवेश बड़े वित्तीय संस्थानों (FII & DII) द्वारा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश भारतीय क्रिप्टो मार्केट को और मजबूत बना सकता है।
- ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का विकास भारत में ब्लॉकचेन स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ रही है। जिससे क्रिप्टो माइनिंग को बढ़ावा मिल सकता है।
Fear & Greed Index (क्रिप्टो मार्केट सेंटीमेंट को बताने वाले टूल्स)
Fear & Greed Index एक संकेतक (indicator) है जो दर्शाता है कि मार्केट में इस समय डर (fear) का माहौल है या लालच (greed) का। इस इंडेक्स का स्कोर 0 से 100 के बीच होता है-
- 0-24: अत्यधिक डर (Extreme Fear) – क्रिप्टो मार्केट में भारी गिरावट का संकेत।
- 25-49: डर (Fear) – क्रिप्टो ट्रेडर्स सतर्क रहें।
- 50: तटस्थ (Neutral) – कोई स्पष्ट दिशा नहीं।
- 51-74: लालच (Greed) – इस समय ज्यादातर इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स खरीदारी करने के लिए उत्साहित रहते हैं।
- 75-100: अत्यधिक लालच (Extreme Greed) – यह क्रिप्टो मार्केट में भारी तेजी का संकेत होता है।
इस इंडेक्स को बनाने के लिए निम्नलिखित कई प्रमुख इंडीकेटर्स का उपयोग किया जाता है-
- वोलैटिलिटी (Volatility): पिछले 30 और 90 दिनों की औसत वोलैटिलिटी।
- मार्केट वॉल्यूम (Market Volume): क्रिप्टो ट्रेडिंग वॉल्यूम में वृद्धि या कमी।
- सोशल मीडिया सेंटीमेंट (Social Media Sentiment): ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसे अन्य प्लेटफॉर्म पर इसके बारे में चर्चा।
- Google Trends Data: सर्च इंजन पर एथेरियम, बिटकॉइन, शिबा इनु कॉइन और अन्य क्रिप्टो की लोकप्रियता का अनुमान लगाकर।
भारत में क्रिप्टो मार्केट सेंटिमेंट और ऑन-चेन एनालिसिस क्रिप्टो ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को मार्केट की गतिविधियों को समझने और सही निर्णय लेने में मदद करता है।
जबकि सरकारी नीतियाँ और वैश्विक क्रिप्टो मार्केट, भारत के क्रिप्टो परिदृश्य को प्रभावित करते हैं। ऑन-चेन डेटा क्रिप्टो इन्वेस्टर्स को मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यदि भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लिए सही रूल्स और रेग्युलेशन बनाये जाते हैं। तो क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।
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